दोस्तों आज हम बातें करेंगे कि आखिर परमेश्वर क्यों असंभव को संभव करता है ? इसका उत्तर हम पवित्र शास्त्र बाइबिल से खोजने की कोशिश करेंगे. तो आइये शुरू करते हैं.
परमेश्वर क्यों असंभव को संभव करता है ?

पवित्रशास्त्र बाइबिल में ऐसी बहुत सी घटनाएं हम पाते हैं जहाँ परमेश्वर ने प्रकृति के नियम के विरुद्ध कुछ ऐसा किया
जो वास्तव में मनुष्यों के लिए असंभव कार्य था. उसके लिए कुछ भी कार्य कठिन नहीं है.
वो सर्वशक्तिमान परमेश्वर है संसार के सभी नियम संसार के लोगों के लिए हैं परमेश्वर के लिए नहीं हैं.
वो सर्वव्यापी, सर्वज्ञानी है और समय-समय पर परमेश्वर इस दुनिया में असम्भव को संभव करता है जिसके कई कारण हैं…
आज इस लेख में हम इन्हीं बात की चर्चा करेंगे कि परमेश्वर ऐसे चमत्कार या अद्भुत कार्य क्यों करते हैं …
परमेश्वर इस सृष्टि का रचयिता हैं और अपनी महिमा के लिए ऐसा करते हैं. (उत्पति 1:1)
जब पृथ्वी सूनसान और बेडोल थी उसमें कुछ भी नहीं था उस समय परमेश्वर ने बिना किसी चित्र के बिना किसी सामग्री के इस
दुनिया के बेहद खुबसूरत रच दिया. परमेश्वर को किसी की सलाह की जरूरत नहीं वह शून्य से पूरे संसार को रच सकता है.
यह इस बात को प्रमाणित करता है यदि हमारा जीवन भी पूरी तरह से शून्य या अन्धकार में हो तो वह हमारे जीवन को भी
बेहद खुब सुरत बनाने की सामर्थ रखता है.
उसने अपने नाम के निमित्त उनका उद्धार किया, जिस से वह अपने पराक्रम को प्रगट करे. (भजन 106:8)
ऐसा करने से परमेश्वर की महिमा होती है और लोग जानते हैं कि वह कितना महान है.
समय समय पर परमेश्वर ने अनेकों लोगों के जीवन में ऐसा किया है, जो किसी के लिए भी असंभव बात थी.
जैसे उसने बाँझ सारा के जीवन में बुजुर्ग अवस्था में एक सन्तान देकर उसे माता बनने का सौभाग्य प्रदान किया और
ऐसा उसने अनेक स्त्रियों के जीवन में आशीष दिया. वो आज आपके जीवन में भी नाम धराई को मिटाने के लिए सक्षम है.
परमेश्वर हमारे विश्वास को बढ़ाने के लिए ऐसा करते हैं. (यूहन्ना 11:40)
यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी….
यह घटना यीशु के मित्र लाजर को उसकी मृत्यु के चार दिनों बाद उसे जीवित करने की है. प्रभु यीशु मसीह के शिष्य
और सुसमाचार के लेखक यूहन्ना ने लिखा है कि जितने भी चिन्ह चमत्कार यीशु मसीह ने किये वो इसलिए किये ताकि
लोग प्रभु यीशु पर विश्वास करें. परमेश्वर चाहते हैं कि चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो हम उस पर विश्वास करना और उस पर निर्भर रहना सीखें.
पूरी बाइबिल में परमेश्वर के दास चाहे कितनी भी उम्र के क्यों न हो वे सभी परमेश्वर के सन्तान के जैसे परमेश्वर ने उनसे व्यवहार किया…किसी को भी बुजुर्ग नहीं कहा…
जिस प्रकार हम मनुष्य अपनी सन्तान को किसी भी परेशानी में पड़ते नहीं देखना चाहते और चाहते हैं कि वे हम पर पूर्ण रीती से निर्भर रहें.
कोई भी अपने 5 साल के बच्चे से यह नहीं चाहेगा कि वह अपने लिए भोजन का इंतजाम स्वयं करे बल्कि हम चाहेगें कि वह
हर बातें हमसे आकर कहे हम उसके लिए इनजाम करने में गर्व महसूस करते हैं. जब हमारा बच्चा अच्छा दिखता है अच्छे कपडे
पहनता है तो हमें अच्छा लगता है उसी प्रकार से हमारा परमेश्वर भी चाहता है कि हम उस पर भरोसा करें उस पर विश्वास करें.
उसने हमारे लिए अच्छी भली और लाभ की योजनाएं बनाई हैं. (यिर्म. 29:11)
परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाएं पूरी करने हेतु ऐसा करते हैं. (गिनती 23:19)
ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह आदमी है, कि अपनी इच्छा बदले. क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उस पूरा न करे? (गिनती 23:19)
देखिये हम अनाज्ञाकारी हो सकते हैं लेकिन परमेश्वर विश्वासयोग्य है.
इस्राएलियों ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया और पूरे चालीस वर्ष तक कुडकुडाते रहे लेकिन फिर भी परमेश्वर उनके साथ भला करता रहा और अनगिनत आश्चर्य कर्म करता रहा.
क्योंकि परमेश्वर अपने वायदे के प्रति वफादार है. उसने जो वायदा अपने दास अब्राहम के साथ किया था उसे उसने पूरा किया.
व्यवस्थाविवरण 7:9 कहता है,…इसलिये जान रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा ही परमेश्वर है, वह विश्वासयोग्य ईश्वर है;
और जो उस से प्रेम रखते और उसकी आज्ञाएं मानते हैं उनके साथ वह हजार पीढ़ी तक अपनी वाचा पालता, और उन पर करूणा करता रहता है.
परमेश्वर विश्वासियों के जीवन में ऐसा करता है ताकि वे दूसरों के लिए आशीष का कारण बनें (यूहन्ना 14:12)
मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा,
वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूं. (यूहन्ना 14:12)
प्रारंभ से ही परमेश्वर ने अपने लोगों (इस्राएली) के लिए असंभव को संभव किया ताकि उन लोगों का विश्वास बढ़ें ताकि
फिर उन लोगों के द्वारा दुनिया के सारे कुल सारी जातियां आशीष पाएं. जब वे लोग उस कार्य को करने में असफल रहे तब प्रभु
यीशु मसीह के रूप में परमेश्वर स्वयं मानव रूप लेकर इस दुनिया में आ गए और दुनिया के सामने असंभव को सम्भव करना शुरू
किया चिन्ह चमत्कार करना शुरू किया. और फिर यह रहस्य सभी जातियों के लोगों के लिए भी उजागर कर दिया.
अब कोई यहूदी न रहा न कोई अन्यजाती बल्कि जो कोई विश्वास करे वह परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार पाया (यूहन्ना 1:12)
अब परमेश्वर चाहते हैं कि हम सभी जातियों के लिए आशीष का कारण बनें. ताकि अब तक जिन्होंने विश्वास नहीं किया वे भी विश्वास कर सकें.
और परमेश्वर की सन्तान बन सकें. यही परमेश्वर का मिशन है यही लक्ष्य है कि यह संसार परमेश्वर की महिमा से भर जाए.
सारे संसार के सारे लोग उद्धार पायें. और नरक की अनंतकाल की आग से बच जाएं.
यदि आज हम उसके कार्य को करेंगे तो वह कहता है हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं. (1 कुरु. 3:9)
यदि आपने यह यहाँ तक पढ़ लिया है तो आपके अन्दर परमेश्वर की बुलाहट है
वो आपको उसके महान कार्य में सहयोगी होने को बुला रहा है. प्रभु आपको आशीष दे और इस्तेमाल करे.
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