दोस्तों जय मसीह की…आज हम सीखेंगे, परमेश्वर ने इस्राएल को ही क्यों चुना | Israel और आज हम विश्वासी आत्मिक इस्राएल हैं. तो आइये शुरू करते हैं.
परमेश्वर ने इस्राएल को ही क्यों चुना | Israel

परमेश्वर पूरी दुनिया को आशीषित करना चाहता था. सारी दुनिया के सभी जातियों को सभी देशों को इसलिए अवश्य था
कि किसी न किसी के जरिये ये आशीष पूरी दुनिया में फैले. इसलिए परमेश्वर ने इस्राएल को चुना और कहा, इस प्रजा को मैंने अपने लिए बनाया है कि वे मेरा गुणानुवाद करें. (यशायाह 43:21)
लेकिन अब सवाल उठता है केवल इस्राएल को ही क्यों क्या उन दिनों में और देश या शहर नहीं थे जो बहुत सामर्थी हों या ज्ञानवान हों.
क्योंकि संसार में चुनाव तो ऐसा ही होता है जो सबसे सामर्थी या सबसे ज्ञानी हो उसे ही चुना जाता है. जैसे उन दिनों में मिस्र देश बहुत धनवान और ज्ञानवान था.
वहां ऐसी ऐसी तकनिकी थी कि पिरामिड बनाए गए जो आज भी विद्यमान हैं. लेकिन परमेश्वर ने इस्राएल का ही चुनाव किया. उत्तर है
परमेश्वर का अनुग्रह इस्राएल पर हुआ. जब वे सबसे कमजोर और मिस्र की गुलामी में थे तब परमेश्वर ने कहा,
मैं ने सचमुच अपने लोगों की र्दुदशा को जो मिसर में है, देखी है; और उन की आह और उन का रोना सुन लिया है; इसलिये उन्हें छुड़ाने के लिये उतरा हूं. (प्रेरित 7:34)
जब हम कमजोर होते हैं और समस्या में होते हैं यदि हम परमेश्वर को पुकारते हैं तब परमेश्वर हमें छुडाने के लिए उतर आता है.
भजन कार कहता है. संकट के दिन तू मुझे पुकार और मैं तुझे छुड़ाऊँगा और तू मेरी महिमा करने पाएगा. (भजन 50:15)
मिस्र की 400 वर्षों की लम्बी गुलामी के बाद इस्राएली लोगों ने परमेश्वर को पुकारना
और परमेश्वर को दोहाई देना शुरू किया होगा यही कारण है कि परमेश्वर ने उन पर अपनी दया प्रगट की
और उन्हें छुडाने के लिए अपने दास मूसा को भेजा.
(दूसरा) परमेश्वर अपने वायदे का पक्का है…(मत्ती 22:32)
परमेश्वर ने बहुत समय पहले एक व्यक्ति को बुलाया जिसका नाम था अब्राहम और जब अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञापालन किया
तब परमेश्वर ने उससे एक वायदा किया था मैं तुझे आशीष दूंगा और तेरे द्वारा दुनिया के सारी जातियां सारे कुल आशीष पायेंगे.
इस वायदे को परमेश्वर ने अब्राहम के बाद भी उनकी संतानों पर पूरा किया.
और परमेश्वर ने कहा, मैं अब्राहम इसहाक और याकूब/(इस्राएल) का परमेश्वर हूँ. (मत्ती 22:32)
परमेश्वर अपनी वाचा को कभी नहीं भूलता बल्कि उसे हमारी पीढ़ी से पीढ़ी तक पूरा करता है.
यही कारण है अब्राहम के पोते याकूब/(इस्राएल) के वंश को परमेश्वर ने 400 वर्षों के बाद भी स्मरण किया.
चार सौ वर्ष के बाद ही क्यों …क्योंकि वे परमेश्वर को भूल गए थे और उस मिस्र देश के देवी देवताओं की उपासना करने लगे थे.
इसी कारण इतना समय लगा. लेकिन जब उन्होंने पुकारा तब परमेश्वर ने स्वर्ग से उतर कर उन्हें छुडाया.
और परमेश्वर ने उन्हें मिस्र से निकालकर आजाद मरुभूमि में उन्हें फिर से स्मरण दिलाते हुए कहा, तुम स्मरण रखना तुम्हारा परमेश्वर यहोवा एक ही परमेश्वर है
उसे अपने सारे मन, तन और सारी बुद्धि से प्रेम करना और यही बात अपने बच्चों को समझाकर सिखाया करना…
जब हम यह भूल जाते हैं कि हमारा परमेश्वर यहोवा ही परमेश्वर है तभी हम संकट में आते हैं और हमारे घरों में हम अन्य जातियों में विवाह करने लगते हैं.
और दूसरे देवियों और देवताओं की उपासना करने जाने लगते हैं. समझ लो वहीँ से हमारी आत्मिक मृत्यु शुरू हो जाती है.
परमेश्वर ने इस्राएल को किस उद्देश्य के लिए चुना था ? (व्यवस्था 7:6-8)
क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की पवित्र प्रजा है; यहोवा ने पृथ्वी भर के सब देशों के लोगों में से तुझ को चुन लिया है
कि तू उसकी प्रजा और निज धन ठहरे. यहोवा ने जो तुम से स्नेह करके तुम को चुन लिया, इसका कारण यह नहीं था
कि तुम गिनती में और सब देशों के लोगों से अधिक थे, किन्तु तुम तो सब देशों के लोगों से गिनती में थोड़े थे;
यहोवा ने जो तुम को बलवन्त हाथ के द्वारा दासत्व के घर में से, और मिस्र के राजा फिरौन के हाथ से छुड़ाकर निकाल लाया,
इसका यही करण है कि वह तुम से प्रेम रखता है, और उस शपथ को भी पूरी करना चाहता है जो उसने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी. (व्यवस्था 7:6-8)
परमेश्वर के मन में पूरी दुनिया को पाप और शैतान के चंगुल से बचाना और स्वतंत्र करवाना था
जिसके लिए परमेश्वर ने एक जाति इस्राएल को चुना जिसके जरिये उद्धारकर्ता स्वयं प्रभु यीशु मसीह का जन्म हुआ.
परमेश्वर ने इस्राएल को कैसे आजाद करवाया.
केवल एक लाठी से ….क्या केवल एक लाठी हैं ??? हाँ परमेश्वर ने केवल एक लाठी जो एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में थी जो स्वयं कहता है मैं तो ठीक से बोलना भी नहीं जानता.
परमेश्वर ने उसके हाथ में लाठी देकर फिरौंन के राज्य मिस्र में तबाही मचा दी. दस भयानक विपत्तियाँ डाली जो सहने से बाहर थी.
और फिर लाल समुद्र जो बहुत ही गहरा और विराट था उसे दो भागो में बाँट दिया ….
लाखो लाखो लोग उस समुद्र के दिए हुए रास्ते से पार होकर जब मरुभूमि में प्यासे हो गए तब उसी अद्भुत लाठी के द्वारा
चट्टान से पानी पिलवा कर सबकी प्यास बुझाई. स्वर्ग से मन्ना खिलाया…
केवल एक लाठी से परमेश्वर इस्राएली प्रजा की अगुवाई कर सकता है क्या वही परमेश्वर हमारे जीवन की समस्या का समाधान नहीं कर सकता…उस पर विश्वास रखें.
आज के आत्मिक इस्राएल हम मसीही लोग हैं. (1 पतरस 2:9)
पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की ) निज प्रजा हो,
इसलिये कि जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो. (1 पतरस 2:9)
तुम पहिले तो कुछ भी नहीं थे, पर अब परमेश्वर ही प्रजा हो: तुम पर दया नहीं हुई थी पर अब तुम पर दया हुई है.
यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो. (गलातियों 3:29)
आज परमेश्वर के सभी वायदे उसके चुने हुए मसीही लोगों पर पूरे हो रहे हैं. (प्रेरित 2:17)
कि अन्त कि दिनों में ऐसा होगा, कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूंगा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे, और तुम्हारे पुरिनए स्वप्न देखेंगे (प्रेरित 2:17)
पुराने नियम में परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ आती थी और चली जाती थी लेकिन नए नियम में हम नए वाचा के तहत पवित्रात्मा के मंदिर हैं वो हमारे अन्दर वास करता है. स्थायी निवास…
प्रभु ने कहा था, जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ्य पाओगे….और पृथ्वी के छोर तक मेरे गवाह बनोगे. (प्रेरित 1:8)
आज परमेश्वर वही उद्देश्य हम विश्वासियों के जरिये पूरा करना चाहता है.
प्रभु यीशु ने वायदा किया है, विश्वास करने वालों के ये चिन्ह होंगे कि वे दुष्टात्मा निकालेंगे, बीमारों को चंगा करेंगे. और सांपों को उठा लेंगे. (मरकुस 16:17)
और उसने बारह चेलों को बुलाकर उन्हें दुष्टात्माओं पर अधिकार दिया की उन्हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियों और सब प्रकार की दुर्बलता को दूर करें. (मत्ती 10:1)
ये हमारे लिए हैं कि हम इन अधिकारों को यीशु मसीह के नाम से इस्तेमाल करें. प्रभु ने कहा, देखों मैंने तुम्हें सांपो और
बिच्छुओं को रौंदने का और शत्रु की साड़ी सामर्थ्य पर अधिकार दिया है और किसी वस्तु से तुम्हें कुछ हानि न होगी. (लूका 10:19)
यीशु ने कहा, मैं तुमसे सच कहता हूँ. कि जो कोई इस पहाड़ से कहे तू उखड़ जा और समुद्र में जा पड़ और अपने मन में संदेश न करे,
और प्रतीति कर ले कि जो वह कहता है वह हो जाएगा तो उसके लिए वही होगा.
इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो और प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया और तुम्हारे लिए हो जाएगा. (मरकुस 11:23-24)
असम्भव कुछ भी नहीं …. (मत्ती 17:20)
यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के बराबर भी हो, तो इस पहाड़ से कह स को गे, कि यहां से सरककर वहां चला जा,
तो वह चला जाएगा; और कोई बात तुम्हारे लिये असंभव /अन्होनी न होगी. (मत्ती 17:20)
ये सभी आयतें परमेश्वर के किये हुए वे वायदे और वाचाएं हैं जो परमेश्वर हमारे जीवन में पूरा करना चाहता है.
यदि हम अपने जीवन को परमेश्वर के हाथों में सौंप दे और परमेश्वर के उद्देश्य और योजनाओं को इस दुनिया में पूरा करना चाहते हैं
तो ये सभी वायदे हमारे जीवन में अवश्य पुरे होंगे और चिन्ह चमत्कार के साथ हम उसके राज्य की बढ़ोतरी कर सकेंगे.
उसका महान आदेश भी कहता है जाओ और जाकर सारे दुनिया में जाकर सुसमाचार सुनाओ और सारी जातियों के लोगों को चेला बनाओ ….
उन्हें वो सभी बातें जो मैंने तुम्हें सिखाई हैं मानना सिखाओ और देखो मैं जगत के अंत तक सदैव तुम्हारे संग हूँ.
पूरी दुनिया के उद्धार की इस महान योजना में हमारा चुनाव होना और आत्मिक इस्राएल बन जाना यह केवल अनुग्रह से हुआ है.
और परमेश्वर की इस सेवा में हमें शामिल होना यह हमारे जीवन के लिए सौभाग्य से भी बढ़कर है.
इस सेवा में अपने वायदे के अनुसार यीशु मसीह स्वयं हमारे संग हैं.
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