बाइबल में शमुएल की कहानी | शोर्ट बाइबल स्टोरी इन हिंदी | samuel story in hindi
बाइबल में शमुएल की कहानी एक अद्भुत कहानी है. शमुएल एक ऐसा परमेश्वर का दास हुआ बाइबल कहती है जिसका एक भी वचन भूमि में नहीं गिरा मतलब जो कुछ उसने कहा वो सब कुछ परमेश्वर यहोवा ने पूरा किया. (1 शमूएल 3:19)
शमुएल की कहानी की पृष्ठभूमि | The story of Samuel in Hindi
रामा नामक नगर में एक व्यक्ति रहता था जिसका नाम एल्काना था. उसकी दो पत्नियाँ थी. उनका नाम था हन्ना और पनिन्ना. पनिन्ना के तो बच्चे थे लेकिन हन्ना के के कोई भी बच्चा नहीं था. और यही कारण था कि हन्ना की सौंत पनिन्ना हन्ना को चिढाती और सताती रहती थी.
हन्ना को बहुत अपमान सहना पड़ता था. हालांकि हन्ना का पति हन्ना से बहुत प्यार करता था. और जब वह सबको गिफ्ट देता तो अपनी पत्नी हन्ना को दुगना गिफ्ट देता था. लेकिन हन्ना संतान न होने के कारण हमेशा दुखी रहती थी.
शीलो में परमेश्वर का एक मन्दिर (आराधनालय) था. वहां एली नामक याजक सेवा किया करता था. हर साल एल्काना अपने पूरे परिवार अर्थात दोनों पत्नियों के साथ परमेश्वर की आराधना करने एवं बलिदान चढ़ाने के लिए रामा के शीलो को जाता था.
इस बार भी जव वह अपने परिवार सहित उस आराधनालय (मंदिर) पहुंचा तब हन्ना सन्तान न होने के कारण दुखी होकर परमेश्वर से रो रो कर प्रार्थना करने लगी. “हे परमेश्वर यहोवा, तू अपनी दासी की सुधि ले. मेरे दुःख को देख और मुझे स्मरण कर. मुझे भूल न जा.
यदि परमेश्वर आप मुझे सन्तान के रूप में एक पुत्र देंगे तो उसे मैं आपकी सेवा के लिए जीवन भर के लिए समर्पित कर दूंगी.” मन्दिर के याजक एली ने जब देखा कि वह बुदबुदाती है लेकिन कोई भी शब्द नहीं सुनाई दे रहा है, तो उसने सोचा शायद वह शराब पीकर नशे में भवन आई है. लेकिन जब उसने जाना कि वह दुखी है और दुःख में होकर प्रार्थना कर रही है.
तब उसने हन्ना को आशीर्वाद देकर कहा, “कुशल से चली जा, इस्राएल का परमेश्वर तुझे मनचाहा वर दे”. यह सुनकर हन्ना के दिल में बड़ी तसल्ली मिली और मन्दिर से लौटने पर फिर वह कभी दुखी नहीं हुई.
उसने विश्वास किया की परमेश्वर उसे सन्तान के रूप में एक पुत्र देने जा रहे हैं. और हुआ भी ऐसा ही, कि अगले वर्ष उसने एक पुत्र को जन्म दिया और उसका नाम शमुएल रखा.
जब उस बच्चे का दूध छुडाया गया, तब उसे उसकी मां हन्ना ने उसे एक नया बनाकर पहनाया और उसे शीलो के मन्दिर आराधनालय में लेकर आई. और उसे परमेश्वर की सेवा के लिए एली को सौंप दिया. परमेश्वर ने उसे और भी आशीषित किया उसके पश्चात उसके तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ उत्त्पन्न हुईं.
परमेश्वर ने शमुएल को पुकारा | Story of Samuel in the Bible in Hindi
एली अब बहुत बूढ़ा हो चूका था. उसे अब धुंधला दिखता था. लेकिन शमुएल बालक बढ़ता गया. और परमेश्वर और मनुष्य दोनों उससे प्रसन्न रहते थे. एली के कहे अनुसार ही वह परमेश्वर की सेवा करता था. एक रात एली अपने कमरे में सोया हुआ था.
शमुएल वाचा के सन्दूक के निकट सो रहा था, तम्बू का दीपक अभी भी जल रहा था. परमेश्वर ने शमुएल को पुकारा. शमुएल शमुएल ….उसने सोचा कि एली ने पुकारा होगा. इसलिए वह दौड़कर एली के पास पहुंचा और पूछा आपने मुझे पुकारा.
एली ने बताया, नहीं “मैंने नहीं पुकारा”. ऐसा तीन बार हुआ. तब एली ने समझ लिया कि इस बालक को यहोवा पुकार रहा है. इसलिए एली ने शमुएल से कहा, “जा लेट रह, और यदि वह तुझे फिर पुकारे तो तू कहना, कि हे यहोवा कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है,”.
शमुएल का परमेश्वर को जवाब | samuel story for sunday school in hindi
शमुएल अपने स्थान में जाकर लेट गया. चौथी बार परमेश्वर ने उसे पुकारा, “शमुएल, शमुएल”. इस बार शमुएल ने जवाब दिया, हे यहोवा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है.” परमेश्वर ने कहा, “मैं एली के परिवार को सदा के लिए दंड देने जा रहा हूँ,
क्योकि उसके पुत्रों ने होप्नी और पिन्हास ने मेरे विरुद्ध दुष्टता की बातें की है. एली ने जानते हुए भी उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका. इसलिए एली के घराने के अधर्म का प्रायश्चित न तो मेलबलि से कभी होगा और न ही अन्न बलि से. (1 शमुएल 3:13-14)
भोर को जब शमुएल ने दरवाजा खोला, तो एली ने शमुएल को बुलाकर पूछा, “परमेश्वर ने तुझ से क्या कहा? शमुएल उन बातों को जो परमेश्वर ने उससे कही थीं, एली को बताने से डरता था. परन्तु जब एली ने उसे बताने के लिए दबाव दिया और विवश कर दिया. तब बालक शमुएल ने उसे सब कुछ बता दिया.
शमुएल का दर्शन पूरा हुआ | Short story of Samuel in the Bible In hindi
ऐसा हुआ कि पलिश्ती सेना इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने को एकत्रित हुए. अत: इस्राएली जब पलिश्ती लोगों से युद्ध करने को निकले. तब पलिश्तियों ने इस्राएलियों को हरा दिया और इस्राएली लोगों के अनेक लोगों की हत्या कर दी.
तब अगुवों ने अपने दूत भेजकर वहां से वाचा के सन्दुक को युद्ध के मैदान में मंगवा लिया. होप्नी और पीन्हास वाचा के सन्दूक के साथ थे. जब वाचा का सन्दूक छावनी में पहुंचा तो सारे इस्राएली बल से ललकार उठे.
इस ललकार का शब्द सुनकर पलिश्ती डर गए और कहने लगे. “उस छावनी में परमेश्वर आ गया है. हे पलिश्तियों तुम हियाव बांधों और पुरुषार्थ जगाओ. तब पलिश्ती लड़ाई के मैदान में टूट पड़े और 30,000 इस्राएली सैनिकों को मार गिराया.
वाचा का संदूक का फोटो
परमेश्वर का सन्दूक छीन लिया गया तथा होप्नी और पीनहास मारे गए. एली बहुत बूढ़ा हो चूका था जब उसे एक व्यक्ति ने जो सेना से भाग कर आया था बताया एली को बताया. “पलिश्तियों ने परमेश्वर का सन्दूक छीन लिया है और तेरे दोनों पुत्र मारे गए हैं.
तो यह सुनकर वह बुरी तरह गिर गया और उसकी गर्दन की हड्डी टूट गई क्योंकि वह बहुत भारी था और वह वहीँ मर गया. जब पीनहास की पत्नी को यह समाचार मिला तब व बच्चे को जन्म देने वाली थी.
उसने उस दर्द में होकर बच्चे को जन्म दिया और उसका नाम ईकाबोद रखा कि इस्राएल से परमेश्वर की महिमा उठ गई क्योंकि परमेश्वर का संदूक छीन लिया गया. और फिर वह मर गई. (1 शमुएल 4:20-22)
शमुएल की कहानी हमें क्या सीख देती है ?
बाइबल में शमुएल की कहानी से हम सीखते हैं परमेश्वर किसी भी उम्र के लोगों से बातें कर सकते हैं जो नम्र हो और उसकी सेवा के लिए तैयार हो. परमेश्वर लोगों के उम्र को नहीं देखते बल्कि उसके अच्छे दिल को देखते हैं.
जो लोग परमेश्वर की सेवा करते हैं और उसका आदर करते हैं परमेश्वर उन्हें ऊंचा उठाते हैं और अपने दिल की बात और भविष्य की कठिन और रहस्य की बातें बताता है.
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