दोस्तों आज हम आराधना की महत्ता पर बातें करेंगे जिसमें बाइबिल की बेहतरीन कहानी | Cain and Abel Hindi Story को लिया है तो आइये शुरू करते हैं.
बाइबिल की बेहतरीन कहानी | Cain and Abel Hindi Story

उत्पति की पुस्तक में हम एक बेहद प्रेरणादायक घटना पाते हैं. परमेश्वर ने आदम और हव्वा को प्रथम पुरुष और स्त्री के रूप में बनाया
और जब उनकी सन्तान के रूप में दो पुत्र हुए जिनका नाम केन और हाबिल था उन्होंने परमेश्वर की आराधना करने के लिए परमेश्वर के पास गए.
यहाँ पहली बार बाइबिल में आराधना का जिक्र पाया जाता है.
केन और हाबिल परमेश्वर की आराधना करने और बलिदान चढाते हैं
क्योंकि केन एक किसान था इसलिए उसने परमेश्वर को भेंट (बलिदान) के लिए खेत की कुछ फसल लेकर आया
और हाबिल भेड़ बकरियों को चराने वाला था इसलिए उसने भेड़ों में से चर्बी वाले अच्छे पहिलौठे भेड़ बकरियों के बच्चे लेकर आया. (उत्पति 4:4)
बाइबिल बताती है परमेश्वर ने हाबिल को और उसकी भेंट को ग्रहण किया स्वीकार किया. लेकिन केन और उसकी भेंट को स्वीकार नहीं किया.
अब सवाल उठता है परमेश्वर ने केन की भेंट को स्वीकार क्यों नहीं किया.
तो ध्यान से पढने पर पता चलता है परमेश्वर ने हाबिल की भेंट को ग्रहण करने से पहले हाबिल को ग्रहण किया.
परमेश्वर हमारी भेंट से बढ़कर हमारे जीवन अर्थात चरित्र पर रूचि रखता है.
यदि हमारा चालचलन हमारा स्वभाव ठीक नहीं है तो हमारी भेंट और हमारी आराधना भी परमेश्वर ग्रहण नहीं करेंगे.
हाबिल का स्वभाव अच्छा था उसने बेस्ट (सबसे बढ़िया और उत्तम) बलिदान चढ़ाया.
लेकिन केन के विषय में ऐसा नहीं लिखा उसने केवल भूमि की उपज में से कुछ लेकर आया.
उसने बढ़िया और उत्तम नहीं लाया. और फिर हाबिल की भेंट परमेश्वर के द्वारा ग्रहण कर लिए जाने के पश्चात केन हाबिल से चिढने लगा और जलने लगा
और उसकी जलन यहाँ तक बढ़ गई की उसने एक दिन अपने भाई हाबिल को खेत में अकेला पाकर उसकी हत्या कर दी… उसे मार डाला. बाइबिल में पहली हत्या यहीं पाई जाती है.
देखिये दोनों आराधना करने गए थे लेकिन सही रीती से आराधना न करने से या सच्चे दिल से आराधना न करने से कैसे केन के मुख में दुःख छा गया.
इसके बदले में उसे खुश होना था लेकिन वह जलन के कारण हत्यारा हो गया. भेंट चढाने के बाद जब केन की भेंट ग्रहण नहीं की गई तब परमेश्वर ने उससे स्पष्ट रूप से कहा था.
यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा. (उत्पति 4:7)
यदि हमारा जीवन बुराई से और हमारा चालचलन खराब है तो पाप हमारे द्वार पर ही छिपा रहता है मतलब बिलकुल पास ही रहता है और यदि हम उस पर प्रबल न हुए तो पाप हमारे उपर प्रबल हो जाता है.
बलिदान का अर्थ | राजा दाऊद की कहानी
बलिदान का अर्थ ही होता है कष्ट दर्द…यदि बलिदान में दर्द न हो या देते समय हमें थोड़ा दर्द का अनुभव न हो तो वह बलिदान हैं बल्कि भीख या खैरात है.
जो किसी को भी पसंद नहीं होती. एक बार जब राजा दाऊद को राजा ओर्नान ने परमेश्वर की आराधना करने के लिए अपने देश में बुलाया गया
तो वहां राजा दाउद जाने पर राजा ओर्नान ने कहा जो कुछ चाहिए परमेश्वर की आराधना करने के लिए बलिदान और स्थान वेदी सब मैं तुझे दूंगा
तब राजा दाऊद ने ओर्नान से कहा, सो नहीं, मैं अवश्य इसका पूरा दाम ही देकर इसे मोल लूंगा; जो तेरा है, उसे मैं यहोवा के लिये नहीं लूंगा, और न सेंतमेंत का होमबलि चढ़ाऊंगा. (1 इतिहास 21:24)
हमें अपनी मेहनत की कमाई को परमेश्वर के लिए चढाना चाहिए.
लैव्यवस्था 1:3 में लिखा है …यदि वह गाय बैलों में से होमबलि करे, तो निर्दोष नर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर चढ़ाए, कि यहोवा उसे ग्रहण करे.
परमेश्वर ने केन को शाप दिया
जलन से अपने भाई हाबिल की हत्या करने के कारण केन को परमेश्वर के क्रोध का सामना करना पड़ा परमेश्वर ने कहा,
इसलिये अब भूमि जिसने तेरे भाई का लोहू तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुंह खोला है, उसकी ओर से तू शापित है. चाहे तू
भूमि पर खेती करे, तौभी उसकी पूरी उपज फिर तुझे न मिलेगी, और तू पृथ्वी पर बहेतू और भगोड़ा होगा. (उत्पति 4:11:12)
केन को अपने ही देश, अपने घर, जमीन को छोड़कर भागना पड़ा, वह जीवन भर भगोड़ा कहलाया.
केन का सबसे बड़ा पाप क्या था
केन के कई पाप थे… जैसे अपने भाई से जलन रखना, फिर उसकी हत्या करना आदि लेकिन इन सभी में सबसे बड़ा पाप था मन न फिराना या हटीला मन.
उसे परमेश्वर ने हत्या करने से पहले ही कहा था यदि तू भला करे तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी लेकिन
उसने परमेश्वर की आज्ञा को भी नहीं माना और अपने मन को कठोर करके बुराई में लगा रहा.
परमेश्वर नम्र और दीन लोगों पर अनुग्रह करके उन्हें शिरोमणि बनाता है लेकिन घमण्डियों का सामना करता और उन्हें दंड देता है.
निष्कर्ष | Conclusion
देखिये जब हम परमेश्वर की अराधना करते हैं तो वह कहता है की तेरे अन्न और जल में आशीष देगा और हमारे घर को बसाएगा
लेकिन जब हम अराधना को और परमेश्वर की सेवा हल्की बात समझते हैं तो हमारे जीवन में शाप भी आ सकते हैं.
हमारे अन्दर यदि किसी के प्रति जलन है वो जलन हत्या जैसे जगण्य अपराध की ओर हमें धकेल सकती है.
इस शाप का यह भी असर हुआ कि केन जितना भी मेहनत करे उसका प्रतिफल उसे कभी नहीं मिलेगा.
ऐसा भी देखा गया है कई लोग बहुत मेहनत करते रहते हैं लेकिन कभी उन्नति नहीं कर पाते.
सुसमाचार यह है कि हमारा परमेश्वर जो आत्मा है वो हमें अर्थात आत्मा और सच्चाई से आराधना करने वालों को ढूंढता है जैसा कि प्रभु यीशु मसीह ने कहा, (यूहन्ना 4:24)
परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह को ठुकराना ही सबसे बड़ा पाप है. ऐसा हमारे साथ कभी न हो…
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