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बाइबिल में प्रार्थना की शक्ति | Power of Prayer in The Bible

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दोस्तों आज हम सीखेंगे कि बाइबिल में प्रार्थना की शक्ति | Power of Prayer in The Bible क्या है यह संदेश पास्टर जॉन वर्गिस ने प्रचार किया था मैं बहुत आशीषित हुआ मैं चाहता हूँ आप भी इसे पढ़कर आशीष पाएं.

बाइबिल में प्रार्थना की शक्ति | Power of Prayer in The Bible

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कई बार लोग सोचते हैं कि हर बार बाइबिल क्यों पढ़ा जाता है और क्यों हर बात के लिए प्रार्थना की जाती है.

एक छोटे बालक ने यही प्रश्न अपने पास्टर से पूछा पास्टर जी क्यों हम सभी हर परिस्थिति में प्रार्थना करते हैं और बाइबिल पढ़ते हैं इससे क्या फायदा होता है.

पास्टर ने इस लड़के को एक शिक्षा देने के उद्देश्य से उसे एक कोयले से भरी टोकरी दिखाते हुए कहा, इस टोकरी में जो बहुत गन्दी है और काली है जाकर इसमें पास के तालाब से पानी भर कर लाओ.

पहले तो यह लड़का सोचा कि टोकरी पानी कैसे लाया जा सकता है इसमें तो पानी ठहरेगा ही नहीं.

लेकिन पास्टर जी के दोबारा आज्ञा देने के कारण उस लड़के ने बिना मन के उस लड़के ने गंदी टोकरी लेकर तालाब से पानी लेकर आने लगा

लेकिन जैसा की उसे पहले ही पता था उस टोकरी में बिलकुल भी पानी नहीं आया उसने पास्टर जी को खाली टोकरी दिखाई तो पास्टर ने कहा जाओ एक बार और कोशिश करो.

वह लड़का बार बार कोशिश करता रहा कुछ 10 बार ऐसा करने के बाद वहा परेशान होकर पास्टर जी से कहा और कितने बार पानी लाना पड़ेगा इसमें तो कुछ भी पानी नहीं आ सकता.

तब पास्टर जी ने कहा, उस टोकरी को ध्यान से देखो. जब लडके ने टोकरी को देखा तो क्या पाया वह बिलकुल साफ़ हो चुकी थी जैसे बिलकुल नई टोकरी हो.

तब पास्टर जी ने कहा चाहे इस टोकरी में पानी न भर पाया लेकिन बार बार पानी लाने के कारण यह बिलकुल साफ़ हो चुकी है…

ठीक उसी तरह से जब हम बार बार प्रार्थना करते हैं और पवित्र बाइबिल का अध्ययन करते हैं तो हम भी सभी पाप और गंदगी से साफ़ हो जाते हैं.

और प्रभु परमेश्वर के इस्तेमाल के लिए ग्रहण योग्य पात्र बन जाते हैं.

जो कलीसिया प्रार्थना के द्वारा प्रारंभ होती है प्रार्थना के द्वारा ही संचालित होती हैं और आगे बढती हैं.

हमें क्यों प्रार्थना करना चाहिए?

क्योंकि परमेश्वर चाहते हैं कि हम प्रार्थना करें.

मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुन कर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता।”

(यिर्मियाह 33:3)

 यहाँ परमेश्वर अपने लोगों पर अपना गहरा ज्ञान प्रगट करना चाहता है लेकिन कोई उसे पुकारता नहीं.

कोई उससे प्रार्थना नहीं करता. हम जब किसी को कॉल करते हैं या फोन करते हैं तो हो सकता है उसका फोन व्यस्त दिखाए या आउट ऑफ़ कॉवेरेज एरिया दिखाए,

लेकिन एक परमेश्वर है जो कभी भी अपने लोगों के लिए व्यस्त नहीं होता. वो चाहता है हम हम उससे बातें करें. वो हमारी सुनना चाहता है और हमें अपने स्वर्गीय रहस्य से भरना चाहता है.

क्योंकि परमेश्वर दुनिया में दंड नहीं लाना चाहता.

मैं ने उन में ऐसा मनुष्य ढूंढ़ना चाहा जो बाड़े को सुधारे और देश के निमित्त नाके में मेरे साम्हने ऐसा खड़ा हो कि मुझे उसको नाश न करना पड़े, परन्तु ऐसा कोई न मिला. (यहेज.22:30) 

परमेश्वर के दिल की चाहत है कि कोई व्यक्ति हो जो प्रार्थना में समय बिताए जिसके जरिये परमेश्वर का न्याय इस देश में न आए. परमेश्वर कभी किसी अधर्मी को भी नाश नहीं करना चाहता.

परमेश्वर ने जब सदोम और गमोरा के पाप को देखकर उसे नाश करने आया तो उसने नाश करने से पहले अब्राहम के पास प्रगट होकर उसे अपनी योजना बताई और चाहा कि अब्राहम प्रार्थना करें.

अब्राहम प्रार्थना कर रहा था और परमेश्वर सुन रहा था. आज जब हम प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर सुनना चाहता है. परमेश्वर अपनी योजनाओं को प्रार्थना करने वालों पर ही प्रगट करता है.

क्योंकि परमेश्वर अपने लोगों के द्वारा चिन्ह और चमत्कार करना चाहता है.

एलिय्याह भी तो हमारे समान दुख-सुख भोगी मनुष्य था; और उस ने गिड़िगड़ा कर प्रार्थना की; कि मेंह न बरसे; और साढ़े तीन वर्ष तक भूमि पर मेंह नहीं बरसा. फिर उस ने प्रार्थना की, तो आकाश से वर्षा हुई, और भूमि फलवन्त हुई.” (याकूब 5:17-18)

परमेश्वर ने एलिय्याह के लिए ऐसा क्यों किया क्योंकि उसने प्रार्थना की…वह साधारण व्यक्ति था बिलकुल हमारे जैसा लेकिन बाइबिल बताती है वो परमेश्वर के सम्मुख खड़ा रहता था.

प्रार्थना करता था इसलिए उसके गिड़िगड़ा कर प्रार्थना करने के लिए कारण वर्षा रुकी भी और फिर साढ़े तीन साल बाद बारिस हुई. ऐसा आज भी हो सकता है यदि उसके लोग अपने परमेश्वर से प्रार्थना करें.

जब प्रचारकों के राजकुमार सी. एच. स्पर्जन से पूछा गया कि आपकी सफलता का राज क्या है तो उसने कहा, गुटनों का काम है, मतलब गुटने में बैठकर प्रार्थना करने का प्रतिफल है.

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