हेलो दोस्तों, हमने राजा दाऊद के जीवन की कहानियां सुनी है किस प्रकार वो हर युद्ध में सफल रहा. आज हम सीखेंगे राजा दाऊद की सफलता का रहस्य | What is the Secret of Success of King David जो वह अपने बेटे सुलेमान को बताता है. यदि हम उसे अपने जीवन में लागू करेंगे तो हम भी सफल जीवन जी सकेंगे. तो आइये जानते हैं…
राजा दाऊद कौन था ?
जैसा कि हम जानते हैं राजा दाऊद हमेशा से राजा नहीं रहा, वह अपने आठ भाइयों में सबसे छोटा था. दाऊद के पिता का नाम यिशै था. बचपन में दाऊद चरवाहा था अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था. तो फिर कैसे एक चरवाहा इस्राएल का राजा बन गया.
दाऊद परमेश्वर पर पूरा भरोषा करता था.
राजा दाउद अपने जीवन में किसी भी युद्ध को नहीं हारा, क्योंकि वह परमेश्वर से बहुत प्रेम करता था. उसने अपने जीवन में परमेश्वर को प्रथम स्थान में रखा. वो गलती होने पर भी परमेश्वर से अपनी गलती मान लेता था, और क्षमा मांग कर परमेश्वर के पीछे चलता था.
उसने परमेश्वर की स्तुति के लिए बहुत से गीत लिखे जिसे हम भजन संहिता की पुस्तक के नाम से जानते हैं. यह परमेश्वर के प्रति दाऊद के प्रेम को दर्शाता है. परमेश्वर पर भरोषा करके दाऊद ने गोलियत नामक दानव को मार गिराया था.
दाऊद ने अपने पुत्र सुलेमान को सफलता का रहस्य बताया
जब दाऊद के मरने का समय निकट आया तब उसने अपने पुत्र सुलैमान से कहा, कि मैं संसार की रीती पर कूच करने वाला हूँ, इसलिए तू हियाव बांधकर पुरुषार्थ दिखा और जो कुछ तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे सौंपा है, उसकी रक्षा करके उसके मार्गों पर चला करना और जैसा मूसा की व्यवस्था में लिखा है, वैसा ही उसकी विधियों तथा आज्ञाओं और नियमों और चितौनियों का पालन करते रहना, जिस से जो कुछ तू करे और जहाँ कहीं तू जाए, उस में तू सफल होए. (1 राजा 2:1-3)
दाऊद के विश्वासयोग्यता और परमेश्वर के प्रति प्रेम के कारण परमेश्वर ने बिन्यामिन गोत्र से राजपाठ को लेकर यहूदा गोत्र के दाऊद को दे दिया था. और परमेश्वर ने न केवल दाऊद को आशीष दिया बल्कि कहा यदि तू अपनी सन्तान को सिखाए और वे भी ऐसे सावधान रहें और मेरे सम्मुख चलता रहे तो तेरे कुल में कभी घटी न होगी. (1 राजा 2:5)
दाऊद अपने जीवन भर परमेश्वर की आशीषों को देख पाया क्योंकि वह परमेश्वर के विधियों पर चलता रहा. दाऊद ने ही इस्राएल को सुन्दर राजधानी बनाया था, और इस्राएल से पूर्ण रूप से मूर्ति पूजा को हटा दिया था.
हालाकि परमेश्वर का मन्दिर सुलेमान ने बनाया लेकिन मंदिर बनाने का सारा काम की तैयारी दाऊद ने ही की थी. दाऊद ही चाहता था इस्राएल में परमेश्वर के लिए आराधना का मन्दिर बने. दाऊद ने इस्राएल की सीमा को बढ़ाकर सभी जगह प्रार्थना प्रारंभ करवाया था.
हम देखते हैं परमेश्वर आमोस नबी से कहता है, “उस समय मैं दाऊद की गिरी हुई झोंपड़ी को खड़ा करूंगा, और उसके बाड़े के नाकों को सुधारूंगा, और उसके खण्डहरों को फिर बनाऊंगा, और जैसा वह प्राचीनकाल से था, उसको वैसा ही बना दुंगा;” (आमोस 9:11)
क्यों परमेश्वर को दाऊद की उस झोंपड़ी की याद आई… क्यों नहीं उस मिलाप वाले तम्बू की या सुलेमान के मन्दिर की वरन दाऊद के झोंपड़ी की..क्योकि राजा दाऊद ने पूरे दिल से वहां अराधना करवाई थी. वाचा के सन्दूक को रखकर उसने रात दिन परमेश्वर की आराधना करने वालों को नियुक्त किया था. यही कारण था दाऊद परमेश्वर के मन (दिल ) सा व्यक्ति बन गया था.
अब मरते समय दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान को अपने जीवन की सफलता के विषय में बताया. की वो भी इन बातों को मानकर सफल हो सके.
1.जो कुछ परमेश्वर ने तुझे दिया है उसकी रक्षा करना
जिस प्रकार दाऊद ने सुलेमान से कहा, उसी प्रकार हमें भी उन चीजों की रक्षा करना है जो कुछ परमेश्वर ने हमें दिया है. हम अपने सन्तान को वही छीज धरोहर में दे सकते हैं, जो हमारे पास है. एक प्रार्थना का जीवन, एक मसीही अनुशासन का जीवन. बाइबल अध्ययन का जीवन यह सब कुछ परमेश्वर ने हमें दिया है. ऐसा हो कि हम इस पापी संसार में इन धरोहरों की रक्षा करें और अपनी सन्तान को भी सौंपे.
2. परमेश्वर के मार्गों में चला करना
प्रभु का वचन कहता है यदि तुम मुझमें बने रहो और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहे मांगो वो तुम्हारे लिए हो जाएगा. (यूहन्ना 15:7) वह कहता है अपने दास का उपकार कर कि मैं जीवित रहूँ और तेरे वचन पर चलता रहूँ. (भजन 119:17)
यहोवा जो तेरा छुड़ाने वाला और इस्राएल का पवित्र है, वह यों कहता है, मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुझे तेरे लाभ के लिये शिक्षा देता हूं, और जिस मार्ग से तुझे जाना है उसी मार्ग पर तुझे ले चलता हूं। (यशायाह 48:17)
3. उसके नियमों को माना करना
राजा दाऊद सुलेमान को सिखाता है कि वह उम्र भर अपने परमेश्वर के नियमों को माना करना क्योंकि वह स्वयं भी जीवन भर परमेश्वर के नियमों को मानता था. वह भजन में कहता है, मैं परमेश्वर के वचनों को और नियमों को पाकर ऐसा हर्षित होता हूँ जैसे मानो कोई बड़ी लूट पाकर हर्षित होता है. (भजन 119:14)
क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं. क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी चितौनियों को मानते हैं और पूर्ण मन से उसके पास आते हैं. (भजन 119:1-2) तेरी चित्तौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मंत्री है. (भजन 119:24)
4. उसकी आज्ञाओं का पालन करना
परमेश्वर की आज्ञाएं प्राण को बहाल करती हैं, उसकी आज्ञाएं हमारे लाभ के लिए हैं. जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? मेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से. (भजन 119:9)
5. ऐसा करने से हर काम में सफलता मिलेगी
दाऊद बताता है यदि ऐसा करेगा और अपने सन्तान को भी यही सिखाएगा तो अवश्य तुझे सफलता मिलेगी और तुझे और तेरी सन्तान को किसी भी भली वस्तु की घटी न होगी. होने पाए हम भी अपनी सन्तान को यही बातें बताएं और स्वयं भी उसका पालन करने पाए ताकि अपने जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकें.
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