दोस्तों आज हम सीखेंगे सफलता का रहस्य बाइबिल में | Secret of Success in The Bible जिसमें success quotes और सफलता की कुंजी के विषय में बात करेगे.
सफलता का रहस्य बाइबिल में | Secret of Success in The Bible
तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन हो कर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी हो कर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुन कर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा.
(2 इतिहास 7:14)
दोस्तों यदि आप उपरोक्त बाइबिल के पद (आयत) को पढ़ें तो हमें पता चलता है परमेश्वर को इस दुनिया में किस पर ज्यादा ध्यान देता है.
या दूसरे शब्दों में परमेश्वर के दिल में क्या चलता है. परमेश्वर कह रहा है मेरे लोग जो मेरे कहलाते हैं. अब सवाल उठता है कि उसके लोग कौन हैं या उसके लोग कौन कहलाते हैं.
उत्तर है कलीसिया. कलीसिया कोई स्थान नहीं या भवन नहीं बल्कि परमेश्वर के लोग हैं. कलीसिया परमेश्वर के बुलाए हुए लोगों का समूह है.
कलीसिया परमेश्वर का परिवार है (1 तिमु. 3:15)
जब परमेश्वर अपनी कलीसिया को देखता है और उनकी प्रार्थना को सुनता तो उनके पूरे देश को आशीष देता है. कलीसिया परमेश्वर का घर है परमेश्वर का परिवार है.
अब जब कलीसिया परमेश्वर का परिवार है तो वह अपने परिवार से बहुत प्यार करता है. जैसे हम अपने परिवार से प्यार करते हैं.
जो हमारे परिवार का मित्र होता है शुभचिंतक होता है वह हमारा भी प्रिय होता है और जो हमारे परिवार का शत्रु होता है वह हमारा भी शत्रु होता है.
ठीक उसी प्रकार जो परमेश्वर के परिवार का मित्र है शुभचिंतक है वह परमेश्वर का भी मित्र है जो परमेश्वर के परिवार अर्थात कलीसिया का शत्रु है वो परमेश्वर का भी शत्रु हो जाता है.
राजा सुलेमान का उदाहरण (1 राजा 3:5)
एक बार परमेश्वर ने राजा सुलेमान को स्वप्न में दर्शन देकर कहा, जो कुछ तू चाहता है वो मुझसे मांग मैं तुझे दूंगा. तब राजा सुलेमान ने परमेश्वर से बुद्धि (wisdom) माँगा.
तब परमेश्वर ने प्रश्न किया क्यों तुझे बुद्धि ही क्यों चाहिए तब उसने बताया ताकि वह इसराएल अर्थात परमेश्वर के लोगों (कलीसिया) की सेवा कर सके, खराई से न्याय कर सके.
इस्राएल को हम पुराने नियम की कलीसिया भी कह सकते हैं. इस बात से परमेश्वर प्रसन्न हो गया, और परमेश्वर ने खुश होकर राजा सुलेमान से कहा, क्योंकि तूने मेरे लोगों के भलाई के लिए बुद्धि माँगा है,
और अपने लिए धन, दौलत, लम्बी उम्र या शत्रुओं का नाश नहीं माँगा इसलिए मैं तुझे ये सब भी दूंगा और देख जीवन भर तेरे सम्मुख दुनिया का कोई भी राजा खड़ा न हो सकेगा.
और तुझे इतनी बुद्धि भी दूंगा कि तुझसे पहले न कोई ऐसा राजा हुआ और न तेरे पश्चात कोई होगा. यहाँ इस घटना से हम सीखते हैं यदि हम परमेश्वर की कलीसिया के लिए कुछ करते हैं या परमेश्वर के लोगों के लिए भलाई सोचते और करते हैं तो परमेश्वर हमारे लिए करता है.
कलीसिया दुखी होती है तो परमेश्वर दुखी होता है (प्रेरित 9:4)
नए नियम में एक व्यक्ति हुआ जो कलीसिया को सता रहा था, प्रभु के लोगों पर सताव कर रहा था. उस समय तक प्रभु यीशु मसीह का स्वर्गारोहण हो चुका था.
प्रभु यीशु ने एक रौशनी के द्वारा पौलुस जो शाउल कहलाता था कहा, हे शाउल तू मुझे क्यों सताता है.
जब उस शाउल ने मन फिराया तो परमेश्वर ने उसे अपनी कलीसिया के लिए अद्भुत रीती से इस्तेमाल भी किया और आशीषित किया.
परमेश्वर ने मूसा को अपने लोगों के लिए इस्तेमाल किया. (निर्गमन 3:12)
मूसा अपनी जवानी के समय से ही परमेश्वर के लोगों को मिस्र की गुलामी से आजाद करवाना चाहता था. लेकिन जब वह अपने तरीके से नहीं करवा पाया तो मिस्र से भाग गया
और फिर उसके बुढापे में एक दिन परमेश्वर ने उसे जंगल की झाड़ी में लगी आग के जरिये बातें किया और कहा, मैंने अपने लोगों की दुहाई को सुना है और उनके दर्द को देखा है,
इसलिए तू जा और मेरे लोगों को छुड़ा कर ला ताकि वे मेरी आराधना, उपासना कर सकें. और जब मूसा बहुत बहाने के बाद जाता है तब परमेश्वर उसके जरिये बड़े बड़े अद्भुत अद्भुत चिन्ह चमत्कार करता है.
समुद्र को दो भाग करके और चट्टान से पानी पिला कर और स्वर्ग से स्वर्गीय भोजन मन्ना देकर आशीषित किया.
जब वे लोगों ने परमेश्वर के विरुद्ध कुडकूड़ाना शुरू किया तो परमेश्वर ने उन्हें नाश करने का मन बनाया तब मूसा बीच में आकर परमेश्वर ने उनके बचाव की प्रार्थना करने लगा.
इसलिए परमेश्वर ने मूसा को दुनिया का सबसे नम्र व्यक्ति का खिताब दिया. क्योंकि वह परमेश्वर के मन को समझ चूका था.
निष्कर्ष | conclusion
यदि आप और मैं जीवन में सफल होना चाहते हैं तो हमें भी कलीसिया की उन्नति के लिए कुछ करना होगा.
सबसे पहले अपने कलीसिया के लिए पासवान के लिए प्रार्थना करना होगा. और देखना होगा कलीसिया में मैं किस प्रकार आशीष का कारण बन सकता हूँ.
आपके अन्दर जो भी टेलेंट है उसे कलीसिया के लिए प्रभु के लोगों के लिए खर्च करें और आप अपने आपको आशीष के रास्ते में पायेंगे. प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
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सफलता-का-रहस्य पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)