दोस्तों आज हम परमेश्वर का अनुग्रह | Grace Of God के विषय में चर्चा करेंगे. जिसके लिए हमने शिमौन कुरेनी के जीवन का उदाहरण लिया है. तो आइये देखते हैं.
परमेश्वर का अनुग्रह | Grace Of God
सिकन्दर और रूफुस का पिता, शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य, जो गांव से आ रहा था उधर से निकला; उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा, कि उसका क्रूस उठा ले चले. (मरकुस 15:21)
यहाँ प्रभु यीशु मसीह के कृसीकरण की घटना है. प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिक लोग कोड़े मारते हुए और उसके उपर लगभग 90 किलो का क्रूस रखकर प्रभु को गोलगोता ले जा रहे हैं.
वहां बहुत से बड़े बड़े लोगों का नाम दिया गया है. जैसे पीलातुस महायाजक कैफा है लेकिन वहीँ एक साधारण व्यक्ति का भी नाम आता है “शिमौन कुरेनी”.
वह कुरेनी नामक स्थान का रहने वाला था. वहा एक बहुत धार्मिक व्यक्ति है वह अपने देश से यरूशलेम फसह (पासओवर) त्यौहार में मन्दिर में आराधना करने आया था.
यह समय अन्धकार का समय था.
यह समय एक ऐसा समय था जब लोगों के अन्दर धन्यवाद नहीं था. प्रभु यीशु भला प्रभु है उसने लोगों के जीवन में बहुत बढ़िया और अच्छे काम किये. अन्धो को आँखे दिया, कोढ़ी को चंगा किया, मुर्दों को जीवित किया.
लेकिन जब सभी के सामने प्रभु यीशु को सूली पर चढाने ले कर जा रहे हैं तो कोई भी प्रभु के पक्ष में खड़े होने और गवाही देने नहीं आया. यहाँ तक कि उसके चेले भी दूर हो गए.
सबसे निकट रहने वाला चेला पतरस भी प्रभु यीशु को तीन बार इनकार कर दिया. एक चेला जिस पर प्रभु ने धन की थैली दी थी. और वो चोर भी था उस यहूदा इस्क्रोती ने यीशु को चंद चांदी के सिक्को में बेच दिया.
लेकिन ऐसे अंधकार समय में कई बार सितारे के समान कोई न कोई चमकते हुए कोई निकल कर आता है.
जैसे पुराने नियम में मिस्र देश में अंधकार और अकाल का समय था उस समय में युसूफ के समान एक व्यक्ति उठता है.
जब इस्राएल के सहरपनाह टूटी हुई और दरवाजे जले हुए थे उस समय में नेह्म्याह जैसा सितारा खड़ा होता है.
यहाँ पर भी जब अन्धकार के समय में जब प्रभु यीशु को सूली पर चढाने ले कर जा रहे हैं. प्रभु यीशु को कोड़े मारा गया है वे लहुलुहान हैं और पूरी रीती से थके हुए हैं.
अब और क्रूस का बोझ नहीं उठा सकते तब रोमी सैनिक ऐसी व्यक्ति को देखने लगे जो यीशु मसीह का क्रूस उठा सके. क्योंकि उन दिनों में क्रूस एक घ्रणित वस्तु कहलाती थी.
यहाँ तक कि अच्छे लोगों के बीच में क्रूस का नाम भी नहीं लिया जाता था जो शाप को दर्शाता था. इसलिए रोमी सैनिक इसे छूना या स्पर्श करना भी नहीं चाहते थे.
उसी समय वे एक व्यक्ति को जबरदस्ती पकड़ते हैं और उस पर यीशु के क्रूस को लाद देते हैं उस व्यक्ति का नाम है शिमौन कुरेनी.
शिमौन कुरेनी पर अनुग्रह हुआ
उस समय जब शिमौन कुरैनी क्रूस उठा रहा होगा हो सकता है उसे बहुत ही लज्जा महसूस हो रही होगी उसे लग रहा होगा मई तो प्रभु की आराधना करने यरूशलेम में आया था लेकिन मुझे यह क्या करना पड़ रहा है.
उस समय वह शायद उस बात को नहीं समझ पा रहा हो. शायद उसने यह बात अपने घर में जाकर अपने बच्चों के साथ और पत्नी के साथ बांटी हो कि आज उसके साथ क्या क्या हुआ है.
सवाल उठता है क्यों केवल शिमौन ?? इसका कोई भी व्याख्या नहीं की जा सकती यह प्रभु का अनुग्रह था.
प्रभु के अनुग्रह से बाइबिल भरी हुई है. बहुत से लोगों के उपर परमेश्वर का अनुग्रह हुआ जैसे शाउल जो कलीसिया का सताने वाला था प्रभु ने उसे अपनी सेवा करने के लिए चुना क्यों क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह.
एक परमेश्वर का दास डी एल मुडी कहीं प्रचार कर रहे थे तो उन्होंने वहां मार्ग में एक व्यक्ति को शराब पीकर झूमते हुए चलते देखा और कहा देखो वो जा रहा है डी एल मुडी लेकिन आज मैं जो कुछ हूँ यह परमेश्वर के अनुग्रह से हूँ. यदि मुझ पर प्रभु का अनुग्रह नहीं हुआ होता तो मैं भी एक शराबी के समान होता. हाँ प्रिय पाठकों आज हम जो कुछ भी हैं वो प्रभु के अनुग्रह से हैं.
Rev. George Cherian
शिमौन कुरेनी का सौभाग्य
शिमौन कुरेनी को भी प्रभु का क्रूस उठाने का सौभाग्य मिला उसे रोका गया उस पर बोझ डाला गया. बाइबिल कहती है उसका बहुत बड़ी आशीष प्राप्त हुई वो प्रभु को बहुत ही नजदीकी से देख पाया.
प्रभु के चेले भी उस समय प्रभु से दूर थे सभी चंगाई पाए लोग दूर थे. प्रभु के भाई और बहनें दूर थी लेकिन आज शिमौन कुरेनी बहुत पास है.
जब आप और मैं प्रभु के नाम के कारण दुःख उठाना पड़े तो समझ लेना आप प्रभु के बहुत करीब हैं अपने दुःख में आप प्रभु को अपने बहुत करीब पाएंगे.
शिमौन कुरेनी की संताने भी क्रूस उठाने के कारण आशीष प्राप्त की.
इस घटना के बहुत वर्षों के पश्चात संत पौलुस रोमियो की कलीसिया को लिखते हुए कहते हैं.
रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्कार (रोमियो 16:13)
हमें हमेशा किसी उद्देश्य के लिए तोडा जाता है शिमौन कुरेनी के जीवन में भी यही हुआ था बाद में उसका परिवार प्रभु में आशीष पाया.
उसके दोनों बेटों का नाम बाइबिल में पाया जाता है. वे प्रभु में प्रसिद्ध हो गए. रुफुस के विषय में लिखा गया. वह प्रभु का चुना हुआ है और प्रभु में प्रसिद्ध हो गया.
मतलब उसकी आने वाली पीढ़ी भी आशीष पाई आज यदि आप प्रभु के लिए निंदा सह रहे हैं तो आप भी प्रभु की महिमा में सहभागी होंगे. प्रभु आपके दुखों को कभी नहीं भूलेगा और आपको कभी नहीं त्यागेगा.
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App la sabhi lekh sundar aur saral bhasa me samjhane ke liye dhanyawaad
Thank you so much sarojini