इस्राएल के महान राजा दाऊद की कहानी | David story summary in hindi
दाऊद की कहानी का परिचय : बात उन दिनों की है जब इस्राएली लोग मिस्त्र देश से आकर कनान में बस गए थे और धन धान्य से परिपूर्ण हो गए थे. परमेश्वर ने उनके संचालन व देश के रखरखाव के लिए न्यायियों को स्थापित किया जैसे गिदोन और यिप्तह दबोरा आदि न्यायी लोग हुए हैं. उनका अंतिम न्यायी शमुएल नबी हुआ था. क्योंकि उन्होंने अन्य जातिलोगों को देखकर शमुएल से एक राजा की मांग की थी. जबकि उनका सर्वश्रेष्ट राजा स्वयं परमेश्वर थे. लेकिन उनकी मांग के अनुसार उन्हें पहला राजा शाउल दिया गया. दूसरा राजा दाऊद था.
दाऊद के पिता का क्या नाम था ?
दाऊद यिशै का बेटा था एवं अपने आठ भाइयों में सबसे छोटा भाई था. यिशै बोअज और रूत का परपोता था.
दाऊद के सभी बड़े भाई लोग लंबे चौड़े थे इसलिए वे राजा शाऊल के सेना के सैनिक थे. और दाऊद को घर की सभी भेड़ बकरियों को चराने का काम दिया गया था.
अर्थात वह एक चरवाहा था. उसे गीत गाने और बजाने में आनन्द आता था इसलिए वह एक कुशल संगीतकार बी बन गया. वह हमेशा अपने परमेश्वर के लिए स्तुति के गीत गाता था.
वह इतना बढ़िया चरवाहा था कि भेड़ बकरियों को बचाने के लिए वह शेर और भालू से भी लड़कर अपनी भेड़ों को बचाया था.
शमुएल नबी के द्वारा दाऊद का अभिषेक :-
एक बार परमेश्वर ने शमुएल नबी को आदेश दिया कि वह यिशै के घर में जाकर उसके एक बेटे का अभिषेक आने वाले राजा के रूप में करे.
जब शमुएल नबी यिशै के घर में गया तो उसके लंबे चौड़े जवान बच्चों को देखकर सोचने लगा कि इनमें से किसका अभिषेक किया जाना चाहिए. उसने परमेश्वर से फिर से प्रार्थना करके पूछा कि मैं इनमे से किस का अभिषेक करूँ.
परन्तु परमेश्वर ने उनमे से केवल दाऊद को चुना था जो भेड़ बकरियों को चराने के लिए जंगल गया हुआ था. उस समय दाऊद एक सुन्दर बालक ही था.
"मनुष्य तो बाहर के रूप को देखता है लेकिन परमेश्वर की दृष्टि तो मन पर रहती हैं." (1 शमूएल 16:7)
परमेश्वर के आदेशानुसार शमुएल नबी ने दाऊद का अभिषेक जैतून के तेल से किया. राजा शाऊल के लगातार परमेश्वर की आज्ञा की अनाज्ञाकारिता के कारण पवित्रात्मा शाऊल के ऊपर से चला गया और उसे दुष्टात्मा सताने लगा.
शाऊल राजा बड़ा परेशान रहता था उस समय उसके किसी सेवक ने कहा, यदि वह दाऊद को बुलवाकर वीणा बजाए तो राजा को आराम मिल सकता है. वैसा ही किया गया.
क्योंकि दाऊद परमेश्वर के गीत गाता था और वीणा बजाने में निपुण था इसलिए जब जब वह वीणा बजाता तब तब शाऊल को दुष्टात्मा नहीं सताता था. और इस रीति से शाऊल दाऊद से प्रीति रखने लगा था.
दाऊद और गोलीयथ की अद्भुत कहानी | बाइबल में दाऊद की कहानी
एक बार इस्राएली के दुश्मन सेना पलिश्ती इस्राएल के विरुद्ध युद्ध करने के लिए ललकारने लगे. उनमें से एक पलिश्ती व्यक्ति था जो दानवाकार का था.
अर्थात बहुत ही भारी भरकम था उसका नाम गोलियथ था वह लगभग सात किलो का भाला रखता था और उसका पूरा शरीर कवच से ढंका हुआ था सिर पर पीतल का टोप पहिने हुए था.
वह अपनी तलवार और भाला लिए हुए पूरी इस्राएल सेना को ललकारता था. कि कोई भी यदि उसे हरा दे तो सारी की सारी पलिश्ती सेना हार मान लेगी.
उन्हें ऐसा विश्वास था कोई भी गोलीयथ को नहीं हरा सकता. उसे देखकर कर इस्राएल की सेना में राजा समेत बहुत भय समा गया और सब के सब पहाड़ों के पीछे छिप गए.
गोलियत लगातार 40 दिनों तक इस्राएली सेना को ललकार रहा था. कोई भी उस दानव का सामना करने के लिए आगे नहीं आ रहा था.
तब राजा शाऊल ने यह घोषणा की कि, यदि कोई गोलियत को मार गिराएगा उसे ईनाम के रूप में बहुत सा धन दिया जाएगा.
और राजा की बेटी से उसका विवाह करवाया जाएगा और तो और उसका पिता के घराने का सारा कर मुक्त कर दिया जाएगा. उन्हीं दिनों दाऊद अपने भाइयों का हालचाल (खैरखबर) पूछने के लिए आया.
जब यह आवाज दाऊद के कानों में पड़ी की कोई पलिश्ती व्यक्ति परमेश्वर के नाम की निंदा करते हुए इस्राएलियों को युद्ध के लिए ललकार रहा है.
तो वह परमेश्वर की निंदा को सह नहीं सका और वह तुरंत हालात को समझ कर सीधे राजा के पास पहुंचा और कहा, राजा किसी का मन उस खतनारहित पलिश्ती के कारण कच्चा न हो, तेरा दास उस पलिश्ती से लड़ेगा.
दाऊद ने गोलियथ को मार गिराया | Story of David in The Bible
पहले तो शाउल राजा को लगा यह कैसे हो सकता है क्योंकि दाऊद तो अभी एक जवान लड़का ही था और उसके गालों में लाली झलकती थी. लेकिन परिश्तिथी को देखकर राजा ने उसे अपने हथियार और कवच देना चाहा.
क्योंकि दाऊद के हाथ में एक लाठी थी और एक गोफन था और एक छोटे थैले में कुछ चिकने पत्थर थे जिसका उपयोग वह अपने भेड़ बकरियों को बचाने के लिए करता था.
लेकिन दाऊद ने राजा शाऊल के दिए गए हथियार और कवच को नहीं लिया. बल्कि अपने गोफन और उस लाठी को लेकर ही उस दानव गोलियथ से युद्ध करने के ले चल पड़ा.
जब गोलियत ने दाऊद को अपनी ओर आते देखा तो वह उस पर हँस पड़ा, और कहने लगा, “क्या मैं कुत्ता हूँ ? कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है?
तब दाऊद ने जवाब दिया, “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है, लेकिन मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूँ. आज के दिन्याहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा.
मैं तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूँगा और तेरा शरीर मैं जानवरों और पक्षियों को खाने के लिए दूंगा. तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक जीवित परमेश्वर है, और अपने लोगों को बचाने के लिए परमेश्वर को तलवार व भाले की जरूरत नहीं है.
तब उसी क्षण दाऊद तेजी से दौड़ा, और अपनी थैली में से एक पत्थर निकाला और उसे अपने गोफन में रखकर ऐसा घुमा घुमा कर गोलियत को निशाना लगाकर मारा की पत्थर सीधा उसके माथे पर जाकर ऐसा धंस गया की गोलियत वहीँ मर गया.
गोलियत का केवल माथे का वही हिस्सा खुला हुआ था बाकी पूरे शरीर में कवच से ढंका हुआ था. जैसे ही गोलियत मरकर मुंह के बल गिरा उसकी सेना में भगदड़ मच गई और सारी की सारी सेना भाग खड़ी हुई.
दाऊद ने पलिश्ती गोलियत की ही तलवार लेकर उसके ऊपर खड़े होकर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और कटे हुए सिर को लेजाकर राजा शाऊल को दिया जिससे राजा शाऊल दाऊद से बहुत प्रसन्न हुआ. और दाऊद सेना में प्रधान योद्धा के रूप में नियुक्त किया गया.
What are the best characteristics of King David in The Bible | दाऊद की कहानी से हम क्या सीखते हैं ?
1. दाऊद एक साहसी व्यक्ति था
जब दाऊद के भाई लोग डर के मारे छिपे हुए थे उस समय दाऊद परमेश्वर के नाम लेकर उस दानव रूपी गोलियत से युद्ध करने चल पड़ा. ये उसके साहस को बताता है.
2. दाऊद परमेश्वर से बेहद प्यार करता था
दाऊद परमेश्वर से प्रेम करता था यह उसके गीतों में भजनों में स्पष्ट दिखाई देता है. वह किसी भी रीति से अपने परमेश्वर के नाम की निंदा नहीं सुन सकता था.
3. दाऊद परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास करता था
दाऊद को विश्वास था परमेश्वर उसे विजयी अवश्य करेगा. फिर उसका विरोधी चाहे कोई भी क्यों न हो.
4. दाऊद पर परमेश्वर का विशेष अनुग्रह था
बचपन से ही दाऊद के ऊपर परमेश्वर का विशेष अनुग्रह था इसलिए परमेश्वर ने उसके भाइयों के बीच केवल उसी का अभिषेक करवाया. क्योकि वह परमेश्वर की स्तुति अराधना करता था.
5. दाऊद परमेश्वर के मन सा व्यक्ति था
दाऊद अपने जीवन में गलती का अहसास होने पर उसे तुरंत पश्चाताप करता और परमेश्वर से माफ़ी मांगता था. उसने अपने बेटे को भी परमेश्वर का भय मानना सिखाया था.
6. दाऊद के अन्दर एक अगुवे के सारे गुण थे
दाऊद में एक अगुवे के सारे गुण थे इसी कारण वह किसी भी युद्ध में पराजय नहीं हुआ.
7. दाऊद एक नम्र व्यक्ति था.
दाऊद एक नम्र व्यक्ति था क्योंकि उसके राज्य में नातान नबी ने जब उसकी गलती के विषय में बताया तब दाऊद ने उसका विरोध नहीं किया बल्कि अपनी गलती को मान लिया.
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