गुड-फ्राइडे

क्रूस पर यीशु ने क्या कहा ? | Why Good Friday 2023 Hindi | Seven Sayings of Jesus in Hindi | गुड फ्राइडे विशेष

Spread the Gospel

क्रूस पर यीशु मसीह की दूसरी वाणी | Second Saying of Jesus on the Cross | Bible Preaching

Luke 23:43 उसने उससे कहा, ” मैं तुम से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा”

हम विचार करेंगे यीशु मसीह की उस दूसरी वाणी को जो उसने ने क्रूस पर कही. अभी सोच के देखें यीशु मसीह जो कि निर्दोष है उसके हाथों, पैरों में कीलों को ठोककर उसे क्रूस पर लटकाया गया है. सर पर उसके काँटों का ताज है और उसके ऊपर एक दोष पत्र भी लगाया हुआ है कि “यह यहूदियों का राजा है.”

उस समय वो अकेला क्रूस पर नहीं है पर उसके दोनों तरफ एक एक चोर / कुकर्मी को भी क्रूस पर लटकाया हुआ है. जो कि यशायाह द्वारा की गई भविष्यवाणी को पूरा करता है कि उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई (यशा. 53:9) और इस समय हर कोई उससे एक ही बात कह रहा है कि यदि तू मसीह है तो अपने आप को बचा ले…ये बात सिपाही भी कहते हैं, और वो दोनों चोर में से एक चोर भी यही कहता है.

अगर आप इस घटना को मत्ती और मरकुस में पढ़ें तो लिखा है कि “इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, उसकी निंदा करते थे. (मत्ती 27:44मतलब की शुरू में दोनों डाकू उसकी निंदा कर रहे थे पर बाद में कुछ ऐसा हुआ कि उन दोनों में से एक डाकू का मन परिवर्तन हो गया और वो दूसरे को डांटकर कहने लगा कि “क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता?

तू भी तो वही दण्ड पा रहा है और हम तो न्यानुसार दण्ड पा रहे हैं.. क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं. परन्तु इसने कोई अनुचित काम नहीं किया. तब उसने कहा, “हे यीशु जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी सुधि लेना.”

दूसरी वाणी | यीशु द्वारा क्रूस पर कहे गये अंतिम सात वचन

ऐसा क्या हुआ जो इसका मन परिवर्तन हो गया | What made him to believe in Jesus | preaching

कहीं न कहीं जो प्रथम वाणी थी कि हे पिता; इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं. इस वाणी ने उसके मन में कुछ ऐसा काम किया कि शायद अपने पापों से क्षमा पाने का एक रास्ता उसको दिखाई दिया.

उसके मन में ये सवाल उठा होगा कि कैसे ये उन अपराधियों को माफ़ कर सकता है. और अगर वो क्षमा पा सकते हैं तो शायद मेरे लिए भी कुछ उम्मीद है. जब उसने यीशु के चेहरे की ओर देखा होगा तो उसके चेहरे पर कोई दुःख का भाव नहीं रहा होगा और न ही कोई क्रोध या कुडकुडाना, केवल प्रेम उसके चेहरे से झलक रहा था. और उस प्रेम ने उस कूकर्मी को अपनी ओर आकर्षित किया.

ये स्पष्ट रूप से पवित्रात्मा का कार्य था क्यों बिना पवित्रात्मा की सहायता के कोई अपने पाप को अंगीकार नहीं कर सकता और ना ही यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर सकता है मतलब परमेश्वर के आत्मा ने उसे स्पर्श किया और उसको ये कदम उठाने के लिए प्रेरित किया.

आइये इस बात को देखते हैं कि उसको उद्धार कैसे मिला. अक्सर लोग पूरा जीवन इसी खोज में बिता देते हैं कि हम उद्धार कैसे पा सकते हैं, कई बार वो उस सच्चाई तक पहुँच पाते हैं और कई बार नहीं भी पहुँच पाते. पर आइये देखते हैं कि इस चोर को उद्धार कैसे मिला?

सबसे पहले इस अपराधी ने ये जाना कि मैं गुनहगार हूँ इस बात को उसने मां अकि मैंने पाप किया है, वो कहता है कि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं और हम न्यायानुसार दंड पा रहे हैं.

  1. अपने पापों का अंगीकार करना पहला कदम है. हमारे उद्धार पाने के मार्ग का और कई बार इस कदम को नहीं उठा पाते. कई बार हमारी दृष्टि में हमारा जीवन एक सिद्ध जीवन होता है परन्तु लिखा है कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं. (रोमियो 3:23) और यदि हम कहें कि हम में कुछ भी पाप नहीं तो अपने आप को धोखा देते हैं, और हम में सत्य नहीं (1 यूहन्ना 1:8)

2. उसने ये माना कि मैं इस सजा का हकदार हूँ. उसने कहा कि अपने कामों का ठीक फल पा रहें हैं. उसने इस बात को जाना और माना कि मैंने पाप किया है और जो सजा आज मुझे दी जा रही है मैं इसके योग्य हूँ और परमेश्वर का वचन भी कहता है कि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है.

3. उसने ये माना की यीशु मसीह निर्दोष है. वो कहता है कि इसने कोई अनुचित काम नहीं किया वो जान गया कि यीशु मसीह निर्दोष है और वो क्रूस पर इसलिए नहीं है कि उसने कोई पाप किया है. प्रियो क्रूस पर यीशु मसीह केवल इसलिए था क्योंकि हम ने पाप किया है. और हम को धर्मी ठहराने के लिए ये परमेश्वर की योजना थी कि उसके क्रूस पर चढ़ाए जाने के द्वारा हम उद्धार पाएं.

4. उसने ये जाना कि ये मुझे बचा सकता है. उसने कहा, कि हे यीशु जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी भी सुधि लेना, और ये बात उसके यीशु मसीह के ऊपर विश्वास को दर्शाती है. बचन हमें बताता है. कि वो हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सभी अधर्म से शुद्ध करने के में विश्वासयोग्य और धर्मी है. (1 यूहन्ना1:9)

तो उद्धार पाना कोई बहुत Complicated बात नहीं है कि ये ये काम करने पड़ेगे यह यहाँ या वहाँ जाना पड़ेगा. ये चढाना पड़ेगा. आदि आदि. बस इन चार कामों को करके हम उद्धार पा सकते हैं.

कई बार हम सोचते हैं कि अब तो बहुत लेट हो गया, मेरा सारा जीवन तो पाप में ही गुजरा और अब शायद मेरे लिए उद्धार की पापों की क्षमा की कोई उम्मीद नहीं है पर याद रखें इस व्यक्ति को इससे ज्यादा लेट आप शायद नहीं हुए तो अभी भी समय है और अभी भी आपके लिए आशा बाकी है.

हो सकता है हम सोचने लगे कि बहुत जल्दी हो गया, अभी तो विश्वास किया और अभी उद्धार हो गया. कई बार लोग कहते हैं कि हम तो 10 साल से या 20 साल से या जन्म से या बाप दादा से मसीही हैं. हमें तुम क्या बताओगे या हमें तो seniority मिलनी चाहिए. लेकिन परमेश्वर के राज्य में ऐसा कोई नियम नहीं हैं.

सोच कर देखी अगर यीशु कहते हैं की अब तो तू लेट हो गया तुझे 1 साल पहले विश्वास में आना था या विश्वास करना था. पर उसने कहा कि तू आज ही मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा. और आइये अब अपने ध्यान को वापस यीशु मसीह की ओर लाते हैं.

  1. वो उस क्रूस पर भी सम्पूर्ण अधिकार को रखता है. :- उस पुरे दृश्य में बेशक यीशु काफी लाचार/कमजोर दिख रहे हैं और सभी उसे कह रहे हैं कि यदि तू मसीह है तो बचाता क्यों नहीं अपने आप को. परन्तु उसके ये कहने से कि आज ही मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा इस बात का प्रमाण है कि उन हालातों में भी स्वर्ग और पृथ्वी का पूरा अधिकार उसके हाथों में है. उस चोर की मंजिल पर और अपनी मंजिल पर उसका पूरा नियन्त्रण है.

2. उसने यह नहीं कहा कि तू स्वर्गलोक में होगा प्रतनु उसने कहा, “कि तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा. इस बात से हम ये सीख सकते हैं कि जब एक पापी मन फिराता है तो पभु उसको अपने संग रखता है. क्योंकि उसका नाम ही है इम्मानुएल अर्थात परमेश्वर हमारे संग है.

3. यीशु ने उसकी Main जरूरत को पूरा किया :- यीशु मसीह ने या नहीं कहा कि चल अब तुझे कोई दुःख नहीं होगा या कोई समस्या नहीं होगी. दर्द तो बराबर हो रहा होगा पर तू स्वर्ग जाएगा. अनेक बार हमारा Focus भी इन बातों पर रहता है कि अब प्रभु को अपना लिया है विश्वास कर लिया है अब Life में केवल चैन और आराम होना चाहिए कोई दुःख नहीं कोई समस्या नहीं. पर प्रिय लोगों अपना focus उन सब बातों से हटाएं और इस बात पर ध्यान करें कि म्रत्यु से हमारी कुछ हानि न होगी और हम उद्धार पाकर अनंत जीवन प्राप्त करेंगे.

और अंत में ये वाणी हमें एक सवाल के साथ हमें छोडती है कि यदि आज के दिन हमारा जीवन का अंतिम दिन हो तो क्या हमें पूरी रीति से निश्चय है या हम sure हैं कि हम स्वर्ग में ही जाएंगे?


Spread the Gospel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Scroll to Top