दोस्तों आज हम पवित्र शास्त्र बाइबिल से सीखेंगे एक बेहतरीन सबक कि परमेश्वर क्षमा करता है | God forgives तो आइये शुरू करते हैं.
परमेश्वर क्षमा करता है | God forgives
जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी। (नीतिवचन 18:13)
बाइबिल कहती है जो अपने अपराध या गलती करता है और उसे मान लेता है और उसे छोड़ भी देता है. उस पर दया की जाएगी.
कई बार हम परमेश्वर की अपेक्षा के अनुसार कार्य नहीं कर पाते या जाने अनजाने गलती या पाप कर देते हैं और उस गलती का अहसास होने पर क्षमा मांग लेते हैं तो हमें क्षमा मिल जाती है
और हम क्षमा किये जाते हैं. लेकिन यदि हम क्षमा नहीं मांगते तो हम पर दया नहीं की जाएगी. बाइबिल में एक उदाहरण हम पाते हैं.
राजा शाऊल का पाप
जिसका नाम था शाउल वह बिन्जामिन गोत्र का पहला राजा था. उसका अभिषेक स्वयं शमुएल (1 शमुएल 15:1-3)
शमुएल ने शाऊल से कहा, यहोवा ने अपनी प्रजा इस्राएल पर राज्य करने के लिये तेरा अभिषेक करने को मुझे भेजा था; इसलिये अब यहोवा की बातें सुन ले, सेनाओं का यहोवा यों कहता है, कि मुझे चेत आता है कि अमालेकियों ने इस्राएलियों से क्या किया; और जब इस्राएली मिस्र से आ रहे थे, तब उन्होंने मार्ग में उनका साम्हना किया. इसलिये अब तू जा कर अमालेकियों को मार, और जो कुछ उनका है उसे बिना कोमलता किए सत्यानाश कर; क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बच्चा, क्या दूधपिउवा, क्या गाय-बैल, क्या भेड़-बकरी, क्या ऊंट, क्या गदहा, सब को मार डाल.
परमेश्वर ने शाऊल से अपेक्षा किया था कि उपरोक्त काम वह पूरी ईमानदारी से करेगा.
लेकिन वह ऐसा नहीं किया उसने बुरे और कमजोर जानवरों को तो मार दिया लेकिन मोटी और स्वस्थ जानवरों को अपने लिए बचा कर रख लिया.
और अपने तरीके से उस काम को किया. परमेश्वर ने उसे अपने तरीके से काम करने को नहीं कहा था.
शाउल राजा की जिद्द
अनेक बार हम परमेश्वर की आज्ञा को पूरी रीती से न मानकर अपने तरीके से काम को पूरा करते हैं चाहे वह तरीका गलत ही क्यों न हो और फिर हम अपने काम को सही जताने की कोशिश करते हैं.
ऐसा ही राजा शाऊल ने भी किया था. आज के वर्तमान समय में सबसे कठिन काम यही है कि कोई अपनी गलती मान ले. कोई अपनी गलती नहीं मानना चाहता.
हरेक को उसकी नजर में उसका चालचलन सही होता है. लेकिन बाइबिल कहती है जो अपनी गलती मान लेता है उस पर दया की जाएगी.
शाऊल यह भारी गलती करता है लेकिन 7-9 वीं आयत से पता चलता है कि परमेश्वर शमुएल को शाऊल के पास भेजकर उसे उसकी गलती याद दिलवाता है
लेकिन शाऊल बहस करने लगता है और अपनी बात पर जिद्द पर अड़ा रहता है कि उसने जो कुछ किया है वो सही किया है. उसने कोई पाप नहीं किया.
बाइबिल कहती है उसके बाद शमुएल शाऊल से जीवन भर कभी नहीं मिला. शाऊल का मन इतना कठोर हो गया था
कि वह अपने पास्टर या गुरु जिसने उसका अभिषेक किया था उससे अपना सम्बन्ध तोड़ने को तैयार नहीं था लेकिन अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगने के लिए तैयार नहीं था.
इसी रीती से बहुत बार लोगों को sorry की इस्पेलिंग तो आती है लेकिन सॉरी बोलना नहीं आता. हमारा परमेश्वर दया का धनी परमेश्वर है.
वो लोग परमेश्वर के लोगों को खोने को तैयार रहते हैं, लेकिन अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होते.
राजा दाउद का पाप और क्षमा
हम एक और व्यक्ति की घटना बाइबिल में पाते हैं जो इस्राएल का राजा था जिसका नाम दाउद था.
बाइबिल बताती है उसने भी एक व्यभिचार का पाप किया था तब परमेश्वर ने उसके पास नातान नबी को भेजा जिसने राजा दाउद को जताया कि उसने पाप किया है.
लेकिन राजा दाउद ने तुरंत अंगीकार कर लिया और पश्चाताप किया जिसके कारण उसी समय परमेश्वर का वचन उसके पास आया कि परमेश्वर ने तुझे क्षमा किया है और तू न मरेगा.
राजा शाऊल और राजा दाऊद दोनों ने भारी गलती की थी और दोनों के पास परमेश्वर ने अपने लोगों को भेजा लेकिन शाऊल ने जिद्द की और अपनी गलती नहीं मानी जिसके कारण उसका उससे छीन लिया गया.
लेकिन राजा दाउद ने अपनी गलती स्वीकार की और भजन संहिता 51 में उसने पश्चाताप भी किया जिसके कारण परमेश्वर ने उसे क्षमा भी किया और उसका राज्य दृढ और मजबूत भी किया.
निष्कर्ष | Conclusion
आज सवाल हमारे सामने है हम अपनी गलती मानते हैं या जिद्द में खड़े रहते हैं और अपने आप को सही दिखाने का झूठा प्रयत्न करते हैं?
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chennel ko subscribe karen thanks
Jai masih ki sir
Mai apke sandesh ko padkar Bahut Ashish pai hai
मुझे ख़ुशी हुई की आपको ये लेख अच्छे लगे प्रभु आपको और आपकी सेवकाई को बहुत आशीष दे
संदेश बहुत ही अच्छा है ।
धन्यवाद
ଧନ୍ୟବାଦ
dhanyvad …may God bless you