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Best Motivational story in hindi for success | बाइबिल में सफलता की कहानी

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दोस्तों आज हम सुनेंगे Best Motivational story in hindi for success | बाइबिल में सफलता की कहानी इस हिंदी कहानी से हम सीखते हैं जैसे मोर्देकाई ने सफलता प्राप्त की वैसे ही हम भी अनुसरण करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं.

Best Motivational story in hindi for success | मोर्देकै की सफलता की कहानी

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Introduction

मोर्देकै का अर्थ होता है अराधना करने वाला यह बाइबिल में ऐस्तेर की पुस्तक में पाया जाता है. रानी ऐस्तेर का चचेरा भाई था जो शायद ऐस्तेर के माता पिता के मरने के बाद उसे पाला पोसा था.

वह बिन्जामिन गोत्र का था मतलब वह राजा शाऊल के वंश से था. यह लम्बा चौड़ा था शायद इसलिए इसे राजा के राजमहल में दरबान (पहरेदार) की नौकरी मिली थी.

Mordecai story in the bible in Hindi | बाइबिल में सफलता की कहानी

बाइबिल में एस्तर नामक पुस्तक में भारतवर्ष का भी नाम आया है. जिस समय राजा क्षयर्ष राज्य करता था. उसका राज्य भारत से इथियोपिया देश तक एक सौ सत्ताईस प्रदेशों में फैला हुआ था.

एक बार की बात है राजा क्षयर्ष ने जब पूरे राज्य में एक बड़ा भोज दिया गया था और जश्न मनाया जा रहा था, अपनी रानी वशती को भरे राजमहल में मुकुट पहन कर बुलाया ताकि सभी लोग उसकी खूबसूरती को देख सकें.

रानी वशती बहुत खूबसूरत थी. लेकिन रानी ने राजमहल में आने से साफ़ मना कर दिया जिसके कारण राजा को बड़ा क्रोध आया और उसने तुरंत घोषणा कर दी कि इस रानी को त्याग कर मैं एक नई रानी बनाऊंगा.

राजा के आदेश के अनुसार सारे सैनिकों ने समस्त देशों में ऐसी लड़कियों को ढूंढना शुरू किया जो खूबसूरत हों. तब बहुत सुन्दर लडकियों में उन्हें एक यहूदी लड़की मिली जिसका नाम एस्तर था.

उसे उसके चचेरे भाई मोर्द्कै ने गोद लिया और अपनी बेटी के समान पाला था. जब राजा क्षयर्ष ने एस्तर को मुकुट पहना कर अपनी रानी बना दिया

तब मोर्दकै राजा के राजमहल में एक दरबान मतलब पहरेदार का काम करने लगा और अपनी बहन से मिलता और उसकी खैर खबर लेता रहता था.

लेकिन उस राजमहल में एक उच्चपदाधिकारी था जिसका नाम हामान था वह बड़ा ही दुष्ट व्यक्ति था वह चाहता था जब वह चले

तब सभी लोग उसके सामने झुककर दंडवत करें लेकिन मोर्दकै परमेश्वर का भय मानने वाला व्यक्ति था इसलिए वह किसी और के सामने नहीं झुकता था.

यह बात जब दुष्ट हामान को पता चली तो वह बड़ा ही क्रोधित हुआ और उसने उसे सबक सिखाने के लिए और उसे मारने के लिए मन में ठान लिया

और तो और उसने उसकी सम्पूर्ण जाति अर्थात यहूदी जाति के लोगों को नाश करने के लिए मन में ठान लिया.

उसने मोर्दकै के लिए पचास हाथ ऊंचा एक खम्बा लगवाया और उसमें उसने एक फांसी का फंदा लगवाया वह मोर्दकै को एक दिन उस फंदे में लटकवाकर मृत्यु दंड दे.

उन्हें दिनों मोर्दकै से सुना कि कुछ लोग राजा क्षयर्ष की हत्या करने का षड्यंत्र कर रहे हैं. मोर्दकै ने बड़े साहस के साथ यह बात राजा तक पहुंचा दी

जब खोजबीन हुई तो बात सच निकली यह बात राजा ने अपने इतिहास लिखने वाले से पुस्तक में लिखवा दी. दुष्ट हामान अपने मित्रों के साथ मिलकर लगातार मोर्दकै के खिलाफ योजनाए ही बना रहा था.

उसने एक दुष्ट युक्ति निकाली राजा को यहूदी जाति के खिलाफ भड़काकर पूरी यहूदी जाति को नाश करने की अनुमति मांग ली. तब तक राजा यह नहीं जानता था कि उसकी पत्नी एस्तेर भी यहूदी जाति की है.

इन दिनों सारे यहूदी जब उन्हें पता चला कि उनकी जाति नाश होने वाली है तो सभी ने प्रार्थना करना शुरू किया और मोर्दकै भी उपवास कर रहा था.

उसने यह बात एस्तेर को भी कहा और उसने भी प्रार्थना और उपवास किया. तभी एक रात न जाने क्यों राजा को नींद नहीं आ रही थी.

वह पूरी रात अपने बिस्तर में करवटें बदल रहा था.तो उसने आज्ञा दी मुझे नींद नहीं आ रही है इसलिए मुझे इतिहास की पुस्तक को पढ़ कर सुनाओ.

एक दास ने इसिहास की पुस्तक को पढ़कर सुनाना शुरू किया वह वही भाग पढ़ रहा था जहाँ लिखा था कि मोर्दकै ने राजा की

जान बचाने के लिए किस रीति से बहादुरी करके राजा को दुष्ट लोगों की बुरी योजनाओं के विषय में अवगत करवाया था.

राजा ने पढने वाले से पूछा क्या मोर्दकै को उसके बदले में कुछ ईनाम दिया गया. उस दास ने कहाँ नहीं महाराज कोई इनाम नहीं दिया गया.

तभी राजा बिस्तर से उठ बैठा और ऊंची आवाज में पुकारकर कहा, कोई है. तब आंगन में दुष्ट हामान टहल रहा था. उसने राजा की आवाज सुनकर तुरंत अन्दर आया और पूछने लगा क्या आदेश है महाराज.

राजा ने हामान से पूछा यदि राजा किसी का सम्मान करना चाहे तो कैसे करना चाहिए. हामान ने सोचा राजा मेरा सम्मान करना चाहता था.

इसलिए उसने कहा, उसे राजा के रथ में बैठाना चाहिए, उसे राजा के कपड़े पहनाना चाहिए, और उसके सामने यह कहलवाना चाहिए

कि यदि राजा किसी का सम्मान करता है तो वो ऐसे करता है इस प्रकार नारे लगाते हुए पूरे देश में उसका सम्मान करवाना चाहिए.

राजा को यह बात अच्छी लगी उसने कहा, ठीक है तुम मोर्दकै के लिए ऐसा ही करो और आगे आगे तुम उसके लिए नारे लगाते जाना.

इन बातों से कुछ भी कम नहीं करना. दुष्ट हामान के तो जैसे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई होगी. वो सोच क्या रहा था और हो क्या गया.

यह सब करने के बाद दुष्ट हामान और भी ज्यादा गुस्से में था लेकिन मोर्दकै ने एस्तेर से कहा, कि तू मन ही मन यह विचार न कर, कि मैं ही राजभवन में रहने के कारण और सब यहूदियों में से बची रहूंगी.

क्योंकि जो तू इस समय चुपचाप रहे, तो और किसी न किसी उपाय से यहूदियों का छुटकारा और उद्धार हो जाएगा, परन्तु तू अपने पिता के घराने समेत नाश होगी। फिर क्या जाने तुझे ऐसे ही कठिन समय के लिये राजपद मिल गया हो? (एस्तेर 4:14)

यह सुनकर रानी एस्तेर ने भी उपवास और प्रार्थना करके राजा के महल में पहुँच गई और तब राजा ने पूछा तू उदास क्यों है बता तू क्या चाहती है उसने कहा राजा मैं चाहती हूँ कि आप मेरे रानी महल में भोजन के लिए आयें और हामान को भी लेकर आयें.

राजा ने आने की अनुमति दे दी. दूसरे दिन राजा और हामान दोनों रानी के महल में भोजन करने को गए. रानी ने भोजन तो तैयार किया था लेकिन वह बड़ी उदास अपने बिस्तर पर बैठी हुई थी.

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तब भोजन से पहले राजा से पूछा रानी आप क्यों उदास है रानी ने उत्तर दिया राजा एक व्यक्ति है जो दुष्टता के कारण हमारी जाति को नाश करना चाहता है.

राजा ने पूछा वो कौन है उसने दुष्ट हामान की ओर इशारा करके कहा, यह हामान है. जो हमारी जाति यहूदियों को पूरी रीति से नाश कर देना चाहता है.

राजा को यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ वह हामान के विषय में ऐसा सोच भी नहीं सकता था. इसलिए वह अपने सिर पर हाथ रखकर महल से बाहर जाने लगा.

इस समय को देखकर हामान को समझ में नहीं आया कि वो क्या करे इसलिए वह रानी के बिस्तर के पास जाने जगा ताकि उसे मना सके कि रानी ऐसा मत कह नहीं तो मेरी जान पर बन आएगी.

लेकिन उसी समय राजा महल के अन्दर प्रवेश करता है और सोचता है हामान मेरी पत्नी (रानी एस्तेर ) पर जोर जबरदस्ती करना चाह रहा है राजा का क्रोध सातवे आसमान में होता है और वह तुरंत आदेश देता है इस दुष्ट हामान को पकड़ लो.

और वहाँ के सैनिक दौड़ कर आते हैं और हामान के ऊपर काला कपडा डालकर उसे कैद कर लेते हैं. राजा पूछता है इसे कैसा

दंड दिया जाए तब राजमहल के लोग बताते हैं महाराज इसने आपके प्राण बचाने वाले मोर्दकै को मारने के लिए पचास हाँथ ऊंचा खम्बा खड़ा किया है

जैसी करनी वैसी भरनी

और उसमें फांसी का फंदा लगवाया है. यह सुनकर राजा कहता है इसे उसी फांसी के फंदे में लटकवा दिया जाए. और इस प्रकार यहूदी जाति मोर्दकै की बहादुरी और समझदारी से बच गई.

और राजा ने दुष्ट हामान का उच्च पद मोर्दकै को सौंप दिया. मोर्दकै की सफलता की कहानी में हम मोर्दकै के जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं.

कि वह एक ऐसा यहूदी था जो अपने परमेश्वर के आलावा किसी भी मनुष्य के सामने नहीं झुकता था उसके लिए फिर चाहे उसका सिर ही कटवाना पड़े. (एस्तेर 3:2)

मोर्दकै बुद्धिमान व्यक्ति भी था जो यह जानता था की किस समय में कैसे निर्णय लेना है. उसने अपनी कौम अपनी जातियों को

बचाने के लिए रानी एस्तेर को सजा के पास जाने और निवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया. और उसे उनकी पदवी को लोगों की बहलाई के लिए करने हेतु प्रोत्साहित किया.(4:13-14)

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Conclusion

वह प्रार्थना योद्धा भी था वह अपने जीवन में लोगों के लिए उपवास और प्रार्थना किया ताकि परमेश्वर की ओर से मार्गदर्शन प्राप्त हो

और ऐसा ही उसने अपनी चचेरी बहन एस्तेर को भी सिखाया था जिसे उसने उसे एक पिता और माता के जैसे बचपन से पाला पोसा था. वो एक अच्छे दिल का व्यक्ति था.

विश्वास करते हैं मोर्दकै की बाइबिल में सफलता की कहानी पढ़कर आशीष प्राप्त हुई होगी कृपया कमेन्ट करके अवश्य बताएं आप हमारे हिंदी बाइबिल स्टडी app को गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड आप इस लिंक से उस लेख को पढ़ सकते हैं.. हमारे इन्स्ताग्राम को भी फोलो कर सकते हैं…

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

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