दोस्तों आज बाइबिल मनन में एक विषय को देखेंगे कि मूसा की लाठी कैसे बनी, परमेश्वर की लाठी यह बाइबिल सन्देश आपके जीवन में बहुत आशीष देगा.
मूसा की लाठी कैसे बनी, परमेश्वर की लाठी

मूसा की कहानी
बाइबिल बताती है मूसा का जन्म मिस्र देश में इस्राएलियों के गुलामी के समय हुआ था और जहाँ आदेश था (बालक) नर सन्तान को मार दिया जाएगा
जिसके कारण मूसा की माँ ने मूसा को एक टोकरी में रखकर नील नदी में बहा दिया था यह भरोसा करते हुए कि परमेश्वर उसकी रक्षा करेगा.
और वह बालक बहते हुए उस देश की राजकुमारी को मिलता है जिसे वह अपना बेटा मानकर पालती है और यह सब बातें मूसा की बड़ी बहन मिरियम देख रही होती है
जो अपनी ही माँ को बुलाकर लाती है और मूसा को दूध पिलाने के लिए धाई का काम करने हेतु फिरौंन की राजकुमारी के यहाँ काम करने लगती है.
विद्वानों का मानना है जब वह मूसा को दूध पिला रही होती है तभी वह उसे यह कहानी भी सिखाती है कि बेटा जब तू बड़ा होगा तो ध्यान रखना कि हम गुलाम है तुझे हमें आजाद करना है.
शायद यही कारण था जब मूसा बड़ा हुआ तो 40 वर्षों में उसने सारी विद्या सीखने के बाद भी अपनी कोशिश से वह एक मिस्री व्यक्ति को मारकर अपने इस्राएलियों को छुडाने की कोशिश किया.
लेकिन जब यह बात खुल गई की मूसा ने एक मिस्री सैनिक की हत्या की है.
इस कारण मूसा डर कर दूर देश के एक जंगल की ओर भाग जाता है और वहीँ उसका विवाह होता है और अपने ससुर की भेड़ बकरियों को चराने लगता है.
जहाँ भेड़ बकरियों को चराते हुए उसे 40 वर्ष और हो जाते हैं अस्सी वर्ष की उम्र में जंगल में एक दिन परमेश्वर उसे आग में से होकर दर्शन देते हैं.
मूसा देखता है जंगल में एक झाड़ी जल तो रही है लेकिन भस्म नहीं हो रही है.
जिसे देखने के लिए वह उस जलती झाडी के निकट जाता है जहाँ वह आग में से ही परमेश्वर की आवाज को सुनता है और
मूसा की बुलाहट
वहां परमेश्वर उसे मिस्र में भेजने की योजना बता रहे हैं और उसे आदेश देते हैं कि उसे मिस्र में जाकर सभी इस्राएलियों को आजाद करवाना है ताकि वे मेरी आराधना कर सकें.
इस पर मूसा कई बार यह कहकर मना करता है कि वह इसके योग्य नहीं है वह अच्छे से बोलना नहीं जानता और बहुत कुछ.
लेकिन परमेश्वर उसे विश्वास दिलाते हैं वह यह काम अवश्य कर सकता है. इस पर परमेश्वर मूसा से पूछते हैं तेरे हाथ में क्या है
तब मूसा कहता है मेरे पास एक लाठी है. यह लाठी मूसा को जंगल में चलने और भेड़ बकरियों को चराने के लिए काम में आती थी.
बहुत ही साधारण सी लाठी. परमेश्वर कहते हैं उस लाठी को धरती में डाल दे जैसे ही मूसा उसे धरती में डालता है वह लाठी एक सांप बन जाती है यह देखकर मूसा भागता है.
मूसा की लाठी बनी परमेश्वर की लाठी
तब परमेश्वर मूसा से कहते हैं इस लाठी को पूंछ से पकड़ ले वह फिर से लाठी बन जाएगी. (निर्गमन 4:3)
यह घटना हमें सिखाती है परमेश्वर हमारी सामान्य सी चीजों को लेता है जैसे हमारी नौकरी, हमारी क्षमता, हमारी छोटी सी सेवकाई और अपनी सामर्थ से उसे असाधारण रीती से इस्तेमाल कर सकता है.
इस घटना के बाद बाइबिल कहती है यह लाठी का जिक्र जब दोबारा होता है तो वह मूसा की लाठी नहीं अपितु परमेश्वर की लाठी के रूप में होता है. (निर्गमन 4:20)
अब वो लाठी परमेश्वर की लाठी बन चुकी थी.
फिर मूसा ने उस लाठी से अद्भुत अद्भुत चमत्कार किये.
मूसा ने मिस्र में जाकर जब उस लाठी को नील नदी में मारा तो उस नदी का पानी खून बन गया और उसकी सारी मछलियाँ मर गईं.
और उसका पानी कोई पी भी नहीं सकता था. यह इसलिए हुआ क्योंकि मिस्र के लोगों ने और फिरौन ने परमेश्वर को नजरअंदाज किया था.
और एक बार तो मूसा की लाठी ने सांप बनकर मिस्र के सभी जादूगरों के साँपों को निगल लिया था. (निर्गमन 7:12-20)
मूसा ने जब जब उस परमेश्वर की लाठी को उठाया अद्भुत चमत्कार हुए, चट्टान से पानी निकला, समुद्र दो भाग हो गया.
वो एक अद्भुत लाठी पूरे मिस्र की सेना में भी भारी थी क्योंकि जब मूसा ने दुबारा उस लाठी को लाल समुद्र में दिखाया तो समुद्र जुड़ गया
और सारी की सारी मिस्र की सेना उसी समुद्र में डूब कर मर गए.
यह घटना बताती है जब हम अपने जीवन की साधारण बातें भी परमेश्वर के हाथों में सौप देते हैं वो असाधारण बन जाती हैं.
पांच रोटी और दो मछली से पांच हजार को खिलाना
इसी प्रकार की एक घटना हम नए नियम में पाते हैं जब प्रभु यीशु मसीह हजारों लोगों को उपदेश दे रहे होते हैं
उस समय सभी को भूख लगती है क्योंकि वे सभी दो दिनों से लगातार उपदेश सुन रहे थे.
उस समय प्रभु अपने चेलों से कहते हैं तुम इन सभी लोगों के लिए भोजन का इंतजाम करो लेकिन सभी चेले हैरान होकर सोचने लगते हैं
ऐसा कैसे हो सकता है यह तो असंभव है कि इन सभी के लिए भोजन का इंतजाम हो सके.
तब एक छोटा बालक खड़ा होता है जिसके पास पांच रोटी और दो मछली होती है वह उसे प्रभु के हाथों में देने के लिए तैयार हो जाता है.
जैसे ही वो भोजन प्रभु यीशु के हाथों में पहुचता है चमत्कार हो जाता है प्रभु उसे तोड़कर चेलों के हाथों में देते जाते हैं और कहते हैं लोगों को परोस दो
वो पांच रोटी और दो मछली इतनी ज्यादा बढ़ जाती हैं कि सभी लगभग पांच हजार के पुरुष सभी उसे खाकर तृप्त हो जाते हैं और बारह टोकरे बच भी जाते हैं.
हम विश्वास करते हैं हमारा प्रभु कभी बदलता नहीं वो कल आज और युगानुयुग एक सा परमेश्वर है.
आज यदि आप ऐसी परिस्थिति से होकर जा रहे हैं जहाँ लगता है मेरा जीवन बहुत ही साधारण है या किसी योग्य नहीं है,
हो सकता है आप बहुत ही निराशा में जी रहे हैं या आप अपने जीवन को नाश करने के विचार आपके अन्दर आ रहे हैं.
हो सकता है लोगों ने आपको धोखा दिया और आपके जीवन के बहुत से वर्ष उसी कारण नाश हो गए ये संदेश आपके लिए है.
आप बिलकुल साधारण रीती से अपने जीवन को या जो कुछ आपके पास है उसे परमेश्वर के हाथों में सौंप दें.
निष्कर्ष | Conclusion
आप विश्वास करें आप पछताएंगे नहीं क्योकि जो कोई उसपर विश्वास करता है वो निराश नहीं होता. उसका मुंह काला नहीं होता.
जिस प्रकार मूसा की लाठी परमेश्वर की लाठी बन जाती है तो लाखों-लाखों को आजाद करा सकती है और उनका जीवन बदल सकती है
और पांच रोटी और दो मछली प्रभु के हाथों में जाकर हजारों को तृप्त कर सकती है
उसी प्रकार आपका जीवन भी जब परमेश्वर के हाथों में जाकर हमारे देश और इस दुनिया के लिए बहुत बड़ी आशीष बन सकती है.
विश्वास करें परमेश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं…
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