दोस्तों आज हम बात करेंगे मसीही स्वतंत्रता के विषय में जिसका शीर्षक है यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे | Freedom in Christ
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यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे | Freedom in Christ (यूहन्ना 8:36)
आनन्द एक व्यक्ति के अन्दर से आता है और वह तब आता है जब कोई व्यक्ति वास्तव में स्वतंत्र होता है. प्रभु यीशु इस दुनिया में लोगों को सच्चा आनन्द देने आया.
यदि प्रभु यीशु मसीह जो राजाओं का राजा है प्रभुओं का प्रभु है इस दुनिया में इसी लिए आया ताकि हम जो इस दुनिया में अंधकार में पाप में और अन्य प्रकार के बंधन में पड़े थे प्रभु यीशु मसीह ने हमें स्वतंत्रता प्रदान की है.
प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बंधुओं के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं. कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करूं; कि सब विलाप करने वालों को शान्ति दूं. (यशायाह 61:1-2)
यह वचन प्रभु यीशु के विषय में भविष्यवाणी की गई थी. जिसे प्रभु यीशु ने अपने सुसमाचार में भी कहा, जिसे नासरत मेंनिफेस्टो भी कहा जाता है.
प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उस ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्धुओं को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं. (लूका 4:18)
यदि हम परमेश्वर कि सन्तान हैं प्रसन्नता और स्वतंत्रता हमारे लिए है. शैतान यह आनन्द हमसे चुराने न पाए. यदि हम स्वतंत्र हैं तो हम निराश और हताश नहीं रहेंगे बल्कि आनन्द के साथ ऊंची आवाज में परमेश्वर कि आराधना करेंगे.
जितना ज्यादा हम परमेश्वर के नजदीक जाते हैं और प्रार्थना में जीवन बिताते हैं प्रभु हमारे अन्दर अपना आनन्द भरता है. और हम ज्यादा से ज्यादा आनन्दित रहने लगते हैं.
जिस प्रकार राजा दाउद कहता है, अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल. (भजन 51:12)
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प्रभु का आनन्द मेरी ताकत है.
हम इस आनन्द को खो देते हैं जब हम अपने परमेश्वर के साथ एक घनिष्ट सबंध को खो देते हैं और प्रभु से दूर होने लगते हैं तब वह आनन्द धीरे धीरे खोने लगता है.
इसलिए प्रभु के साथ प्रतिदिन चलने की आवश्यकता है. प्रभु के साथ हमें प्रतिदिन चलने का अनुभव होना चाहिए.
जब हम धन्यवादी नहीं होते यह आनन्द खो जाता है
जिस प्रकार उन दस कोढ़ी में से सभी ठीक हो गए थे लेकिन एक ही वापस आया और परमेश्वर को धन्यवाद करने लगा तब प्रभु ने कहा, क्या दस के दस चंगे नहीं हुए लेकिन बाकी नौ कहाँ हैं?
बहुत बार हम भी परमेश्वर से बहुत आशीष पाकर भी प्रभु को धन्यवाद नहीं देते इसी कारण हमारे अंदर से वो आनन्द दूर हो जाता है.
जब हम प्रभु कि इच्छा के अनुसार नहीं चलते तब यह आनन्द खो जाता है
जब हम परमेश्वर कि इच्छा के अनुसार नहीं चलते और किसी मनुष्य के अनुसार या अपने ही मन के अनुसार चलते हैं तो कई बार असफलता का और निराशा का सामना करते हैं और इस रीति से हमारे उद्धार के आनन्द को खो देते हैं.
जिस प्रकार बाइबिल कहती है गिदोन के समय में परमेश्वर के लोगों ने बुरा किया और अपने ही अनुसार चलकर परमेश्वर से दूर हो गए और उनके जीवन में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा.
जब हम दूसरों के साथ तुलना करते हैं तब हम यह आनन्द खो देते हैं
परमेश्वर ने जो कुछ हमें दिया है, उसके प्रति धन्यवादी नहीं होकर हम दूसरों के साथ अपनी तुलना करने लगते हैं तो हमारा आनन्द खो जाता है.
हमें जिस प्रकार राजा दाउद ने कहा कहना चाहिए. हे मेरे मन यहोवा को धन्य कह और उसके किसी भी उपकार को नहीं भूलना वही तो तेरे सब अधर्मों को क्षमा करता है और तेरे सब रोगों को चंगा करता है. (भजन 103:2)
निष्कर्ष | Conclusion
हमें समय समय पर अपने आपको जांचना चाहिए कि क्या हमारे अन्दर वो उद्धार का आनन्द है या नहीं क्या हम परमेश्वर के साथ चल रहे हैं या नहीं.
कहीं हम अपने बनाए या शैतान के चंगुल में आकर अपने उद्धार का आनन्द खो तो नहीं रहे. राजा दाउद एक बार बहुत उदास था और तब किसी ने उससे परमेश्वर के भवन में आने को कहा तब उसने बड़े उत्साह के साथ कहता है
मैं खुश हुआ जब उन्होंने कहा आओ हम यहोवा के घर को चलें. परमेश्वर के घर (कलीसिया) जाने से भी हमारे जीवन में उद्धार का आनन्द प्राप्त होता है.
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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)
मसीही लोग क्यों सदैव आनन्दित रहते हैं
आप अपने दसवांश और भेंट इस नीचे दिए गए बारकोड के द्वारा इस सेवा में सहायता कर सकते हैं. प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
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