सामरी स्त्री पर बाइबल संदेश | परमेश्वर का संदेश
"यीशु ने उन से कहा मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा पर चलूँ और उसका काम पूरा करूँ." (यूहन्ना 4:34)
प्रभु यीशु के लिए शारीरिक भोजन से भी अधिक महत्वपूर्ण कुछ और भोजन था. वो था परमेश्वर के वचन और उसकी इच्छा को पूरा करना…
उन्होंने कहा, मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुंह से निकलता है, जीवित रहेगा. (मत्ती 4:4)
वास्तव में उनका कहना और करना एक समान था. परमेश्वर का वचन और इच्छा को पूरा करना मतलब नरक में तेजी से जा रही लाखों आत्माओं को बचाने
और परमेश्वर के राज्य की स्थापना करने के लिए उन्होंने कहा, उसके घर की धुन मुझे खा जाएगी. (यूहन्ना 2:17)
Bible ki kahani
ऐसी ही एक घटना हम सामरिया गाँव में पाते हाँ. यहाँ आज प्रभु यीशु अपने शिष्यों के साथ एक लंबी पद यात्रा, करते हुए अर्थात यहूदिय और गालील से होकर इस गाँव में पहुंचे हैं.
दोपहर के इस चिलचिलाती गर्मी में चेलों को जरुरत नहीं कि क्या करना चाहिए. गाँव के बाहर एक कुआं है….यीशु मसीह के साथ साथ सभी चेलों को भी बहुत तेज प्यास लगी हुई है.
लेकिन कुंए से पानी भरने का कोई साधन नहीं है. सभी शिष्य आस पास के गाँव में कोई दुकान की तलाश में दौड़ते हैं शायद कुछ खाने और पानी पीने का इंतजाम हो जाए…
प्रभु अकेले कुंए के पास बैठे हैं. इससे पहले कि चेले (शिष्य) कुछ इंतजाम करके यीशु के पास आते..एक स्त्री वहां. कुंए के पास पानी भरने के लिए आती है.
दोपहर के इस समय जब कोई पानी भरने नहीं आता…तभी सन्नाटे को चीरती हुई एक भारी आवाज आती है, “मुझे पानी पिला”…
वो पापिन स्त्री जो दुनिया से छिपती छिपाती आज तक जी रही थी. आज उसकी मुलाक़ात जीवन का जल देने वाले खुदा से होती है.
बातें करने से वो पहचान जाती है वो प्यासा व्यक्ति जिसने उसके भूतकाल को और भविष्य सबका खुलासा कर दिया वो और कोई नहीं बल्कि जीवित मसीहा है जिसका मानव जाति सदियों से इन्तजार कर रही थी.
ये वो ही है जो पाप में मरती हुई प्यासी आत्माओं को जीवन का जल पिलाता है और अनन्तकाल का सुख देकर उनके अंदर से जीवन जल की नदियाँ का स्रोता बहाता है.
वो उसे पहचानकर मारे आनन्द के भागी..भाव विभोर होकर…अपना मटका और रस्सी छोड़कर भागी.. इससे पहले देर हो जाए…
कहीं जगत का स्वामी मेरे गाँव को प्यासा छोड़कर यूं ही न चला जाए इसलिए अपने गाँव के लोगों को भी बुलाने के लिए भाग आकर गई….
मेरे गाँव को भी वो जीवन जल मिलना चाहिए…मेरे गाँव की भी उस खुदा से मुलाक़ात होनी चाहिए…अब उसे केवल अपनी चिंता नहीं थी…
अपने मटके और अपनी रस्सी की चिंता नहीं थी… सुनो सुनो सुनो…गाँव वालों आज मैंने खुदा को देखा है..आज मैं जीवन दाता से मिली हूँ…
मेरे मसीहा से मिली हूँ… पल भर में पूरा का पूरा गाँव कुंए के पास इकट्टा हो गया. अद्भुत मंजर है, ख़ुशी और हर्षोल्लास का माहौल है तभी चेले खाना लेकर वापस आते हैं…
और इतनी भीड़ को देखकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं…फिर धीरे से हिम्मत करके रोटी आगे रखते हुए एक शिष्य कहता है…प्रभु खाना खा लीजिए..
प्रभु के चेहरे से जैसे सारी थकान दूर हो चुकी है…अब मुझे इस रोटी की आवश्यकता नहीं…लोगों को जीवन जल मिल गया..
और जो मुझे चाहिए था वो मेरा भोजन मिल गया…”मेरा भोजन यह है कि अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करूँ और उसका कार्य पूरा करूँ…
दोस्तों आओ उसके असली भोजन का इंतजाम करें….आओ मिलकर आत्मा जीतने का उसका काम पूरा करें…आओ नरक को खाली कर स्वर्ग को भरते जाएं….आओ सुसमाचार सुनाएं. उसकी इच्छा पूरी करें….
विश्वास करता हूँ यह परमेश्वर का संदेश Bible ki kahani आपको पसंद आया होगा यदि बाइबल का परमेश्वर का संदेश से आपको आशीष मिली है तो कमेन्ट करके बताएं और लोगों को शेयर करें धन्यवाद.
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