बाइबल के अनुसार लक्ष्य का क्या अर्थ है ? | लक्ष्य का अर्थ एवं परिभाषा
बाइबल के अनुसार लक्ष्य मतलब परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए हम जो प्रयास, निर्णय, योजनाएं बनाते हैं और उसे समय सीमा के अंतरगत लागू करने का निर्णय लेते हैं. उसे लक्ष्य कहते हैं. जिस लक्ष्य में लागू करने हेतु समय सीमा नहीं होती वह केवल इच्छा है लक्ष्य नहीं.
लक्ष्य बनाने वाले लोग सफल होते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि वे कहाँ जा रहे हैं और क्यों जा रहे हैं और कब तक पहुंचेंगे. फुटबाल की तरह जीवन में तब तक हम यहाँ वहां भटकते रहंगे और आगे नहीं बढ़ सकते जब तक हमारे पास कोई निश्चित गोल (लक्ष्य) न हों.
बाइबल के अनुसार लक्ष्य क्यों निर्धारित करना चाहिए | लक्ष्य निर्धारण का महत्व
एक लक्ष्य हमें ध्यान केन्द्रित करने या कार्य के प्रति फोकस रहने में प्रोत्साहित करता है, जिनके पास लिखे हुए स्पष्ट लक्ष्य होते हैं वे लोग कम तनाव में होते हैं और अपने कार्य के प्रति उत्साहित एवं जागरूक होते हैं.
एक विद्वान जिम रोन ने कहा था, “यदि हम अपने जिन्दगी में स्वयं के लिए कोई लक्ष्य या योजना नहीं बनाते तो सम्भव है हम किसी और के लक्ष्य को या योजना को पूरा करने लगते हैं और स्मरण रहे दुसरे लोग हमारे लिए हमसे बेहतर नहीं सोच सकते.”
परमेश्वर ने एक लक्ष्य निर्धारित किया (1 कुरिन्थियों 2:7, इफिसियों 1:4, प्रेरितों 17:26, यूहन्ना 3:16)
यूहन्ना 3:16 जिसे मिनी बाइबल भी कहा जाता है, इसमें लिखा है परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास रखे वो नाश न हो बल्कि अनन्त जीवन पाए. परमेश्वर का एक लक्ष्य है कि सारे जगत के सारे लोग उद्धार पाएं कोई भी नाश न हो. जिसके लिए उसने स्वयं का एकलौता पुत्र भी दे दिया.
यीशु ने अपने कार्यों की योजना बनाई (प्रेरितों 1:8 यरूशलेम …..यहूदिया…सामरिया…दुनिया के अंत तक….)
यीशु ने अपने चेलों से कहा, “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे और यरूशलेम और सारे यहूदिय और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होंगे. प्रभु यीशु हम विश्वासियों से यही चाहते हैं, कि हम अपने स्थान से सुसमाचार सुनाते हुए दुनिया के छोर तक जाएं और सारे जगत में जाकर दुनिया के सारे लोगों को उद्धार का और अनंत जीवन का सुसमाचार सुनाएं और आत्माओं को बचाएं.
अब्राहम ने एक लक्ष्य निर्धारित किया था (उत्पत्ति 24:3-4)
अब्राहम परमेश्वर का चुना हुआ दास था जिसे परमेश्वर ने अपना मित्र भी कहकर सम्बोधित किया. क्योंकि वह अपने परमेश्वर पर और उसकी कही गई बातों पर पूरा विश्वास करता था. जब परमेश्वर ने कहा, “मैं तुझसे एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तेरे द्वारा दुनिया के सारे कुल आशीष पाएंगे…
तब अब्राहम ने इस बात पर विश्वास किया और जब 100 वर्ष के बाद उसे सन्तान हुई अर्थात उसका बेटा हुआ तब उसने अपने बेटे इसहाक के विवाह के लिए एक स्त्री का चुनाव करने हेतु अपने एक विश्वास योग्य दास एलियाजर को कहा, कि तू कनानियों में की जिनके बीच मैं रहता हूँ उनकी लड़की मेरे बेटे के लिए नहीं ब्याहना बल्कि तू मेरे ही कुटुम्बियों में जाकर मेरे बेटे इसहाक के लिए एक पत्नी ले आएगा.
नेह्म्याह ने समय के साथ एक लक्ष्य निर्धारित किया था (नेह्म्याह 2:6)
नेह्म्याह राजा के यहाँ एक पिलाने वाला था, उसने उसके देश दुर्दशा के विषय में हनानी नामक व्यक्ति से सुना था कि उसके देश की शहरपनाह की दीवार गिर गई है और गेट जले हुए हैं. तब प्रार्थना की और स्वयं जाकर देखा और एक लक्ष्य निर्धारित किया वो लक्ष्य समय के अनुसार था. इसीलिए मात्र 52 दिनों में उसने उस दीवार को बना कर दिखा दिया.
याकूब ने एक लक्ष्य निर्धारित किया
याकूब राहेल से प्यार करता था और उससे विवाह करना चाहता था. उसने उसे पाने के लिए अपने होने वाले ससुर के द्वारा दिया गया काम 7 सालों तक करता रहा लेकिन उसके ससुर लाबान ने उसके साथ धोखा किया और अपनी बड़ी बेटी लिया से विवाह कर दिया लेकिन याकूब अपने लक्ष्य के प्रति हिम्मत नहीं हारा और 7 साल और काम करके अपनी पत्नी राहेल को पाया.
संत पौलुस एक लक्ष्य निर्धारित करने के द्वारा ही सफल हुए ( 1 कुरिन्थियों 9:24-26 फिलिप्पियों 3:14)
संत पौलुस ने कहा, क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु ईनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, की जीतो. जिस प्रकार एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिए यह सब करते हैं,
परन्तु हम तो उस मुकुट के लिए करते हैं, जो मुरझाने का नहीं. इसलिए मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूँ परन्तु बेठिकाने नहीं मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूँ परन्तु उसके जैसा नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है.
हमें भी अपने कार्यों को लक्ष्य के अनुसार बिना समय गवाएं जुझारू रूप से लग कर प्राप्त करना चाहिए. अनावश्यक कामों में यहाँ वहां समय नहीं बिताना चाहिए.
क्यों कुछ लोग अपने लक्ष्य का निर्धारण नहीं कर रहें हैं ?
लोगों की टालमटोल की आदत उन्हें लक्ष्य बनाने नहीं देती. उसके लिए एक ही तरीका है अपने लक्ष्य को लिख दें और जो कार्य के लिए विचार किया है. उसे जल्द से जल्द कार्यान्वित कर देना चाहिए. बहाने बनाने वाले लोग अक्सर अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाते.
असफल होने के डर से लोग लक्ष्य नहीं बनाते :- जो लोग लक्ष्य नहीं बनाते उन्हें असफल होने का भय सताते रहता है. लेकिन हमें यह भी सोचना चाहिए असफलता से सीखा जाता है और जितना जल्दी सीखेंगे उतना अधिक सफल होंगे. लोग
आलस्य के कारण लक्ष्य नहीं बनाते :- हमारा मस्तिष्क लक्ष्य के कारण काम करता है यदि हमारे पास कोई Goal नहीं होंगे तो हमारा दिमाग भी आलस्य से गस्त हो जाएगा. आलसी अपने बिस्तर में लेटे हुए कहता हैं बाहर शेर होगा. इसलिए बाहर नहीं आता. (नीतिवचन)
लक्ष्य बनाने में उन्हें अपने कम्फर्ट जोन (अपनी सुरक्षा) से बाहर आना पड़ेगा. :- कई बार हमारे सपने हमारे लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी वर्तमान परिस्थिति से बाहर आना पड़ता है और अनेक लोग ऐसा करने से डरते हैं. अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता, कड़ी मेहनत और योजना अति आवश्यक है
लक्ष्य के लिए हम क्या निर्धारित कर सकते हैं ? | लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें.
सबसे पहले ऐसे लक्ष्य बनाएं जो आप पा सकते हैं. और फिर उन पर काम करना शुरू कर दें. मेरे बेटे ने मुझसे एक पहेली पूछा था. पापा बताओ एक तालाब में 5 मेंढक रहते थे….उनमें से 3 मेंढकों ने लक्ष्य बनाया और निर्णय लिया कि हम इस तालाब से बाहर आ जाएंगे. तो बताओ उसमें कितने मेंढक शेष बचे.
मैंने कहा. 2 लेकिन उसने बोला नहीं 5 के पांच ही रहेंगे क्योंकि उन्होंने अभी लक्ष्य बनाया है निर्णय लिया है. कार्य नहीं किया बाहर नहीं आए. हमारे जीवन में भी यह बिलकुल सही है. हम अपने लक्ष्य को तब तक नहीं प्राप्त कर सकते जब तक हम इसमें कार्य नहीं करते. लक्ष्य को लिखना बहुत जरूरी है.
स्मार्ट लक्ष्य | हम लक्ष्य कैसे निर्धारित करते हैं ?
SMART goals stands for Specific, Measurable, Achievable, Relevant, and Time-Bound. मतलब यह है कि एक गोल या लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए जिसे मापा जा सके (मापने का मतलब है जैसे यदि आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो कितना या लोगों को सुसमाचार सुनाना चाहते हैं तो कितने लोगों को…आदि)
Achievable : का मतलब है जिसे आप पा सकते हैं ऐसा नहीं कि मैं बहुत सा पैसा चाहता हूँ….बहुत सा मतलब कितना या लाखों मतलब कितने लाख आदि. ऐसा नहीं बिलकुल उतना जितना आप को विश्वास हो आप कर सकते हैं. या पा सकते हैं.
Relevant से तात्पर्य है इस लक्ष्य का उद्देश्य क्या है. जब हमें यह पता हो कि यह काम हम क्यों करते हैं तो उस लक्ष्य में जान आ जाती है. और आपके कार्य में गति आ जाती है.
Time Bound : का अर्थ है इसकी समय सीमा होनी चाहिए. यदि लक्ष्य बनाया गया और उसकी समय सीमा न होगी तो उसमें बोरियत और आलस्य समाहित हो जाएगा. और उसे शायद कभी भी पूरा नहीं किया जाएगा.
एक दिन के लिए लक्ष्य निर्धारित करना | लक्ष्य कितने प्रकार के होते हैं ?
कहते हैं एक हाथी को कैसे खाएंगे ….बिलकुल सही….काट काट कर….एक बड़े गोल को पूरा करने के लिए भी यही सही है. उस गोल को हमें छोटे छोटे हिस्सों में विभाजित करना पड़ेगा. अर्थात हर दिन हमें अपने लक्ष्यों के प्रति आगे बढ़ना होगा.
इसलिए हमारे हर दिन के लक्ष्य भी बनाने होंगे. इसलिए लिए कल हमें क्या करना है उसके लिए रात को सोने से पहले हमें लिखना होगा हमें अपने बड़े गोल को पूरा करने के लिए ये ये काम कल करना है. ऐसा करने से हम उस कार्य को सुचारू रूप से पूरा कर पाएंगे.
एक महीने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना,
उसी रीती से एक माह में करने के लिए हमें अपनी डायरी या प्लानर में लिखना चाहिए कि हमें कहाँ कहाँ जाना है. और किस प्रकार इस माह में हमें अपने लक्ष्य के प्रति संजीदगी से आगे बढ़ना हैं. कहते हैं हर जीच का सृजन दो बार होता है पहले दिमाग में फिर वास्तव में….एक घर पहले दिमाग में बनता है फिर जमीन में .
एक वर्ष के लिए लक्ष्य निर्धारित करना
एक लक्ष्य के विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह होना चाहिए. हमें तब तक प्रयासरत रहना रहना चाहिए जब तक हम अपने लक्ष्य को पा नहीं लेते. किसी ने क्या खूब कहा है कि हमारे जीवन में दो दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं. एक वो दिन जब पैदा हुए और दूसरा वो दिन जब हमें पता चला कि हम क्यों पैदा हुए….
हमें पूरे वर्ष के लिए लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए. साल के अंत में हमें आत्म विषलेशण करना चाहिए कि हम कहाँ तक पहुंचे.
Conclusion :- आज हमें सीखा है बाइबल के अनुसार लक्ष्य का क्या अर्थ है ? लक्ष्य का अर्थ एवं परिभाषा और लक्ष्य निर्धारण का महत्व…एवं बाइबल के अनुसार लक्ष्य क्यों निर्धारित करना चाहिए यहाँ तक कि बाइबल के कुछ किरदारों से हमने सीखा कि उन्होंने लक्ष्य बनाकर अपने जीवन को एवं प्रभु की सेवा को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. इसलिए आइये निम्न लिखित प्रश्नों पर विचार करें.
क्या हमने हमारे जीवन के लिए लक्ष्य निर्धारित किये हैं ?
वर्ष 2023 के लिए हमारे पास क्या लक्ष्य हैं ? प्रभु की सेवा के लिए आपके पास क्या लक्ष्य हैं ?
यदि अभी तक नहीं बनाया तो क्या आप लक्ष्य बनाएंगे ? कमेन्ट में बताइये.…
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सुनिए परमेश्वर के वचन की लघु कहानियां
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Pastor Rajesh Bawaria (An inspirational Christian evangelist and Bible teacher)