दोस्तों आज का संदेश या लेख वैवाहिक लोगों के लिए है जिसमें हम सीखेंगे सुखी वैवाहिक जीवन के 10 उपाय | Happy Marriage Life biblically एक सफल शादीशुदा जीवन के लिए बाइबल के सिद्धांत सफलता की कुंजी है.
सुखी वैवाहिक जीवन के 10 उपाय | Happy Marriage Life biblically
#1- पति-पत्नी एक साथ मिलकर प्रार्थना करना (भजन 118:15)
प्रार्थना ही सफलता की कुंजी है. अंग्रेजी में एक कहावत है, Family which pray together Stay together.
मतलब एक परिवार जब मिलकर प्रार्थना करता है वह मिलकर रहता है. अय्यूब जब प्रार्थना करता था तो उसके घराने के ऊपर परमेश्वर ने एक बाड़ा बाँधा था.
प्रार्थना करने वाला परिवार आशीषित परिवार होता है. धर्मी जन के तम्बू में जयजयकार की ध्वनी सुनाई देनी चाहिए.
#2- पति-पत्नी एक मन होना (उत्पति 11:6)
बाइबिल में लिखा है देखो, ये एक ही कौम के लोग, इन सबकी भाषा भी एक है, यह तो उनके भविष्य के कार्यों का आरम्भ मात्र है. जो कार्य वे आगे करना चाहेंगे, वह उनके लिए असम्भव न होगा. (उत्पति 11:6)
एक सुखी वैवाहिक जीवन का रहस्य यह है कि एक मन रहा जाए. प्रभु ने कहा एक मन होकर जो कुछ बांधेंगे वो बंध जाएगा और जो कुछ खोलेंगे वो खुल जाएगा.
शैतान कभी आपको एक मन नहीं होने देना चाहता. क्योंकि यदि आप एक मन हो जाएं तो आप असम्भव को भी सम्भव कर सकेंगे.
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#3- पति और पत्नी का आपस में आदर करना (इफिसियों 5:33)
जिस प्रकार कलसिया दुल्हन है और मसीह दूल्हा मसीह कलीसिया का आदर करता है उसके लिए स्थान तैयार कर रहा है.
ताकि उसे लेजाकर वहां अपने साथ रखे और कलीसिया अपने दुल्हे मसीह यीशु का पूरे विश्वास और आदर के साथ इंतजार कर रही है.
उसी प्रकार एक पति और पत्नी को आपस में आदर भाव के साथ रहना चाहिए. किसी भी प्रकार एक दूसरे के शरीर का एवं
बाहरी रूप रंग का निरादर नहीं करना चाहिए. या ऐसा कुछ काम नहीं करना चाहिए जिससे एक दूसरे को शर्मिंदा होना पड़े.
#4- पति और पत्नी दोनों उद्धार पाए हुए होना चाहिए (2 कुरु. 6:14)
यदि दो मनुष्य परस्पर सहमत न हों, तो क्या वे एक संग चल सकेंगे? (आमोस 3:3)
पति पति और पत्नी दोनों की मंजिल एक हो तो यात्रा आसान हो जाती है. यदि पति ने उद्धार नहीं पाया है तो पत्नी को चाहिए
कि अपने अच्छे चालचलन और प्रार्थना के जरिये वो अपने पति को भी प्रभु में लाए उसी प्रकार पति के लिए भी जरूरी है.
बाइबल के अनुसार एक सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए जरूरी है कि पति और पत्नी बाइबल के सिद्धांतों पर अमल करें.
#5- पति और पत्नी का आपसी समझदारी होना (इफिसियों 5:23)
क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है; और आप ही देह का उद्धारकर्ता है. (इफिसियों 5:23)
बाइबल कहती है जिसे परमेश्वर ने जोड़ा उसे कोई और अलग न करे. (मत्ती 19:6) यह तभी सम्भव होता है जब पति पत्नी आपस में समझदार हों.
उनकी समझ गहरी हो. एक लम्बे समय तक एक साथ चलते चलते फिर शब्दों की जरूरत नहीं होती.
पति और पत्नी के हाव भाव और चेहरे के भाव देखकर वे आपस में सब कुछ समझ जाते हैं.
#6- पति और पत्नी का आपसी प्रेम (इफिसियों 5:25-29)
जिस प्रकार यीशु मसीह जो कलीसिया का दूल्हा है अपनी दुल्हन के लिए अपने प्राणों को भी बलिदान कर दिया उसी प्रकार
एक पति को अपनी पत्नी से इस कदर प्रेम करना चाहिए कि उसके लिए अपने प्राणों को भी देना पड़े तो पीछे न हटे.
प्रेम सब बातों को सह लेता है. प्रेम डाह नहीं करता, फूलता नहीं बल्कि सब बातों पर विश्वास करता है.
पति और पत्नी का प्रेम पवित्र प्रेम है. परमेश्वर चाहते हैं कि वे एक दूसरे के प्रेम में मगन रहें.
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#7- पति-पत्नी का एक दूसरे के अधीन होना (इफिसियों 5:21)
भारत के कई ग्रन्थों में स्त्री को निचले दर्जे में रखा गया है इसलिए कहते हैं, ढोल पशु और नारी तीनो ताड़न के अधिकारी. ये शर्मनाक बात है.
लेकिन बाइबल में परमेश्वर ने स्त्रियों का दर्जा पुरुषों के समान एवं आदरयोग्य रखा है. जब परमेश्वर ने पहली स्त्री बनाई तब उसने कहा, यह आदम अर्थात सबसे पहले पुरुष की सहायक होगी. और वाही सहायक शब्द पवित्रात्मा के लिए इस्तेमाल किया गया है.
पवित्र बाइबल
परमेश्वर का वचन बताता है स्त्री और पुरुष एक दूसरे के अधीन होना चाहिए. यदि ऐसी विचारधारा एक विश्वासी की है तो उसके घर में कभी भी घमंड और लड़ाई झगड़े की नौबत नहीं आएगी.
#8- पति और पत्नी के बीच तीसरे की दखलंदाजी न होना (उत्पत्ति 2:24)
जिस प्रकार एक राज्य में दो राजा नहीं हो सकते उसी प्रकार एक परिवार में पति राजा के जैसा है और पत्नी उसकी रानी के समान.
यदि उन दोनों के बीच किसी भी तीसरे व्यक्ति की दखलंदाजी या खलल हो तो वह एक समय के बाद बड़ी समस्या का रूप ले लेती है.
पति पत्नी को चाहिए उनके ख़ास और महत्वपूर्ण निर्णय वे आपस में मिलकर ही लें. और अपने जीवन में किसी भी चीज को न छुपाएँ.
ज्यादातर तलाक तब होते हैं जब पति या पत्नी आपस में निर्णय न लेकर किसी तीसरे व्यक्ति की सलाह लगातार लेते रहते हैं.
आपकी समस्या को कोई तीसरा कैसे समझ सकता है. फिर वो चाहे तुम्हारा अपना सगा ही क्यों न हो.
#9- पति-पत्नी को सब बातों में परमेश्वर को प्रथम स्थान देना (यूहन्ना 11:1-5)
लूका रचित सुसमाचार 10:38-40 में हम एक परिवार को पाते हैं जिन्होंने यीशु को अपने घर में स्वागत किया और प्रभु यीशु को मुख्य स्थान दिया.
और परमेश्वर के वचन और आराधना प्रार्थना को प्रमुखता दी गई. ऐसा परिवार जहाँ परमेश्वर को प्रथम स्थान दिया जाता है.
उस परिवार को आदर्श मसीही परिवार कहा जा सकता है. बाइबल बताती है जो पहले उसके राज्य और धर्म की खोज करते हैं
अर्थात परमेश्वर की खोज करते हैं उन्हें किसी भली वस्तु की घटी नहीं होगी बल्कि सारी भौतिक वस्तुएं उन्हें स्वत: ही मिल जाएंगी.
#10- पति और पत्नी का पवित्र यौन संबंध (इब्रानियों 13:4)
बाइबल कहती है विवाह सब में आदर की बात मानी जाए और बिछौना निष्कलंक रहे. इसका मतलब है, वे एक दूसरे के प्रति वफादार रहे,
एक दूसरे के प्रति पवित्र रहे, यह सम्बन्ध विवाह के पश्चात के लिए ही है. उसके पहले यह पाप है, गुनाह है. परमेश्वर सब बातें अपने समय में सुन्दर बनाते हैं.
हर बात का एक समय है. विवाह परमेश्वर की नजरों में आदर की बात है इसलिए एक विवाह में ही प्रभु यीशु मसीह ने अपना पहला चमत्कार करके उस शादी को आशीषित किया.
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Conclusion
आइये शादी विवाह को हम भी आदर की बात समझे. हर बात में धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख लेकर आये और परमेश्वर को अपने परिवार में और हर बातों में प्रथम स्थान दें.
अपनी बुद्धि का सहारा न लेकर उसी को स्मरण करके सारे काम करें तब वह हमारे लिए सीधा मार्ग निकालेगा.
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प्रभु आप सभी दम्पति को बहुत आशीष दे.
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परमेश्वर आपकई सर सेवाकाई मे आशीष प्रदान करे यहि येशु से प्रार्थना है मेरी।
बहुत बहुत धन्यवाद भाई फिलिप तमंग जी आपके अच्छे शब्दों के लिए प्रभु आपको बहुत आशीष दे…