नहेम्याह की पुस्तक का परिचय और शीर्षक
आज हम पुराना नियम बाइबल सर्वेक्षण नेह्म्याह की पुस्तक पढ़ेंगे. बेबीलोन से यहूदियों के वापस लौटने के बाद यरूशलेम की दीवारों के पुन: निर्माण के विषय में बताती है. नेह्म्याह और एज्रा की पुस्तक मूल रूप से एक ही पुस्तक थी. इस पुस्तक का शीर्षक नहेम्याह के नाप पर रखा गया है. (फारस के राजा के यहूदी पियाऊ).
जिन्होंने यहूदी बंधुओं की अपने देश के लिए वापसी का नेतृत्त्व किया. नहेम्याह ने यरूशलेम की टूटी हुई शहरपनाह के पुन: निर्माण और परमेश्वर के लोगों के समुदाय के पुन: निर्माण की योजना का नेतृत्त्व किया.
नहेम्याह की पुस्तक के लेखक की पहचान और लिखने की तिथि
एज्रा, एक याजक को अक्सर नहेम्याह के लेखों के संग्रह से नहेम्याह की पुस्तक संकलित करने का श्रेय दिया आता है (एज्रा 1:1) नहेम्याह की पुस्तक 444 ई. पू. में फारस देश से यहूदी बंधुओं के तीसरी वापसी के विषय में है.
यरूशलेम के राज्यपाल के रूप में नेह्म्याह का पहला कार्यकाल बारह वर्षों तक चला (5:14) और जब वह बेबीलोन लौट गए तब समाप्त हो गया (13:6). राज्यपाल के रूप में नहेम्याह का दूसरा कार्यकाल शायद 424 ई. पू. से पहले प्रारंभ हुआ.
यह पुस्तक नहेम्याह के प्रत्यक्षदर्शी विवरण वसे संकलित किया गया है. परिणाम स्वरूप यह सम्भवत: 430 और 420 ई. पू. के बीच लिखा गया था.
नहेम्याह की पुस्तक का उद्देश्य, विषय और संरचना
नहेम्याह का उद्देश्य यह बताना था, कि परमेश्वर न केवल यरूशलेम की शहरपनाह का पुन: निर्माण करना चाहते थे, परन्तु अपने लोगों का भी. कुल मिलाकर नेह्म्याह की पुस्तक का विषय पुन: स्थापना है. नेह्म्याह के द्वारा, परमेश्वर यरूशलेम की शहरपनाह अपने लोगों और वाचा पुन: स्थापित करते हैं.
नहेम्याह की पुस्तक की रचना दो मुख्य अंशो पर हुई है.
पहला – यरूशलेम को शहरपनाह का पुन: निर्माण (अध्याय 1-7).
दूसरा – परमेश्वर के लोगों का नवीनीकरण (अध्याय 8-13).
नहेम्याह की पुस्तक की एतिहासिक पृष्ठभूमि
फारस के देश के राजा अर्तक्षत्र ने नेह्म्याह को 444 ई. पू. में यरूशलेम जाने और उसकी शहरपनाह का पुन: निर्माण करने की अनुमति दी थी. नेह्म्याह की पुस्तक का संग्रह अधिकतर यरूशलेम में किया गया है.
यह नहेम्याह की फारस देश से यहूदी बंधुओं को यरूशलेम की शहरपनाह का पुन: निर्माण करने के लिए अगुवाई करने में और फिर परमेश्वर के साथ उनकी वाचा का नवीनीकरण में दिखाई देती है.
यह 444-425 ई. पू. से 19 वर्ष शामिल करती है. नहेम्याह 432 ई. पू. में फारस देश लौट गए. और करीब 425 ई. पू. में अंतिम समय के लिए यरूशलेम वापस लौट आए थे. (13:6)
उत्पत्ति पुस्तक बाइबल सर्वेक्षण
नहेम्याह की पुस्तक के संदेश का विकास
नहेम्याह की पुस्तक का संदेश पुन: स्थापना के विषय का पालन करना है. पहले, यरूशलेम की शहरपनाह की पुन: स्थापना (अध्याय 1-7) इस कार्य के लिए केवल 52 दिन लगते हैं. फिर परमेश्वर के लोग पुन: स्थापित किए जाते हैं (अध्याय 8-13)
एक ऐसा कार्य जिसके लिए अधिक समय लगता है. यह पुस्तक यरूशलेम में लौटे बंधुओं के लिए अधिक उत्साह और चुनौती का कारण रही होगी कि वे अराधना और जीवन में विश्वासयोग्य रहें.
उन लोगों को भी जिन्होंने यरूशलेम की पुन: स्थापना का विरोध किया था स्वीकार करना होगा कि शहरपनाह की पुन: स्थापना परमेश्वर का एक चमत्कार कार्य था. (6:16)
नहेम्याह की पुस्तक में धर्मविज्ञान (Theology)
नहेम्याह परमेश्वर और उनके लोगों के बीच की वाचा के बारे में बताता है. परमेश्वर यरूशलेम की शहरपनाह के पुन:निर्माण में सफलता के माध्यम से वाचा के प्रति अपनी विश्वासयोग्यता को दिखाते हैं. परमेश्वर के लोगों की सफलता या असफलता वाचा के प्रति उनकी विश्वासयोग्यता पर निर्भर है.
यह आवश्यक है कि नहेम्याह लोगों को एक विधि के माध्यम से लेकर जाएं जिससे वे परमेश्वर के साथ अपनी वाचा का नवीनीकरण कर सकें. (9:1-10:39). यह वाचा यहूदियों को यह स्मरण दिलाती है कि उन्हें क्या करना चाहिए.
एक विदेशी देश में वर्षों की बंधुवाई के बाद, उन्हें परमेश्वर के लोगों के रूप में आगे बढ़ना है. नहेम्याह की पुस्तक परमेश्वर के धीरज और प्रेम को दिखाती है जब उनके लोग यह निर्णय लेते हैं कि उन्हें वाचा के प्रति आज्ञाकारिता में जीवन जीना है या नहीं.
नहेम्याह की पुस्तक को कैसे प्रचार करें
नहेम्याह जो राजा अर्तक्षत्र का पियाऊ था, अर्थात राजा को दाखरस पिलाता था, मतलब एक बहुत अच्छे पद में था. राजा उस पर पूरा भरोषा करता था. ऐसे समय में यहूदा देश से आये हुए कुछ लोगों में से एक व्यक्ति जिसका नाम हनानी था.
उसने नहेम्याह को बताया कि यरूशलेम की स्थिति बहुत बुरी है वे लोग दृदशा में पड़ें हैं उनकी निंदा हो रही है…क्योंकि वहां की शहरपनाह टूटी हुई है और फाटक जले हुए हैं. (नहेम्याह 1:3).
ज्ञात हो कि राजा नाबुकद्नेस्सर ने जब इस्राएल को बंदी बनाया था उसमें से कुछ लोग उस बन्धुआइ से बापस आ चुके हैं. और उसमें शद्रक मेशक और अबेदनगो भी थे अब उस समय को बहुत समय हो चूका है. लेकिन यरूशलेम के फाटक अभी भी ठीक नहीं किये गए और न टूटी दीवार फिर से बनाई गई है.
यह सुनकर नहेम्याह विलाप करने लगा, और बहुत ही दुखी होकर उपवास कर करके प्रार्थना करने लगा. राजा के राजमहल में कोई भी व्यक्ति दुखी होकर काम नहीं कर सकता है. इस कारण राजा पूछता है क्या कारण है कि तेरा चेहरा उदास है और ये किसी बिमारी की उदासी नहीं है.
इस बात से हम सीखते हैं कि अपने शहर के विषय में वास्तविकता को जानकार क्या हमें दुःख होता है. या हम अपने देश की हालात पर ध्यान नहीं देते हैं. नहेम्याह की स्थिति और पद अच्छा था लेकिन वह अपने देश की स्थिति पर चिंतित था और प्रार्थना करता था.
यही कारण है परमेश्वर उसे राजा का फेवर (अनुग्रह) प्रदान करता है. और उसे राजा के द्वारा दीवार बनाने के लिए सारी सामग्री प्रदान की जाती है. (नहेम्याह 2:8) में लिखा है वह कहता है, मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर थी इसलिए राजा ने यह विनती स्वीकार कर ली. मतलब परमेश्वर का हाथ नहेम्याह के ऊपर था.
"परमेश्वर के बलवंत हाथों के नीचे नम्रता से रहो तो वह तुम्हे उचित समय में बढ़ाएगा" (1 पतरस 5:6)
नहेम्याह संघर्ष का सामना करता है.
नहेम्याह अपने देश वापस जाता है और जैसे ही वह प्रभु के लिए एक कदम बढाता था तभी हम देखते हैं (2:19) में कुछ विरोधी लोग उसे यह काम को करने से रोकने का प्रयत्न करते हैं.
उनका नाम है होरोनी, सम्बल्लत और तोबियाह वे लोग सबसे पहले उसे ठठ्ठे में उड़ाते हैं, फिर कहते हैं तुम राजा के खिलाफ जा रहे हो. फिर वे कहते हैं जो कुछ तुम बना रहे हो उसे तो कोई गीदड़ भी गिरा सकता है. उनके मन को निराश किया जा रहा है, निराशा लाया जा रहा है.
क्योंकि नहेम्याह और उसके साथियों के साथ ऐसा इसलिए हो रहा है की वे आगे न बढे. हो सकता है जब आप प्रभु के लिए कुछ निर्णय लेते हैं तो शैतान कभी आपको आगे बढ़ने नहीं देगा. ऐसे समय में कोई भी समस्या क्यों न आए आप आगे बढ़ते रहें. आप देखेंगे आप सफल होंगे.
नहेम्याह 4:17 – शहरपनाह के बनाने वाले और बोझ उठाने वाले दोनों भार उठाते थे, अर्थात एक हाथ से काम करते थे और दूसरे हाथ से हथियार पकड़े रहते थे.
नहेम्याह के विरोधियों को इतना ज्यादा समस्या हो चुकी थी की उन्हें दोनों हाथ से काम नहीं कर पा रहे थे एक हाथ में हथियार थे और दूसरे हाथ में दीवार बनाने की सामग्री. हमें भी ऐसा ही होना है निरंतर आत्मिक हथियार थामे रहना है और अपने जीवन को मजबूत बनाना है. (इफिसियों 6:13-17)
नहेम्याह 8:2-3 यहाँ पर देखते हैं जब शहरपनाह बन चुकी थी तब नहेम्याह ने तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहिले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभों के साम्हने व्यवस्था को ले आया।
और वह उसकी बातें भोर से दोपहर तक उस चौक के साम्हने जो जलफाटक के साम्हने था, क्या स्त्री, क्या पुरुष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे। एक बहुत बड़ी बात को महत्व दिया जा रहा है.
यहाँ परमेश्वर के वचन को महत्व दिया जा रहा है. वचन 18 में फिर पहिले दिन से पिछले दिन तक एज्रा ने प्रतिदिन परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में से पढ़ पढ़कर सुनाया। यों वे सात दिन तक पर्व को मानते रहे, और साठवें दिन नियम के अनुसार महासभा हुई। हमारे जीवन में हमें भी परमेश्वर के वचनों को अपने जीवन में प्रथम स्थान देकर आप भी आशीष पा सकते हैं.
Related Post
नए साल 2023 के लिए लक्ष्य कैसे बनाएं
प्रभु यीशु मसीह के द्वारा सुनाई गई बेहतरीन कहानी
परमेश्वर का मित्र कौन बन सकता है
मानवजाति के लिए परमेश्वर के 5 अद्भुत वायदे