दोस्तों आज हम एक ऐसे महत्वपूर्ण और रोचक विषय पर चर्चा करेंगे… तुझे एक नया नाम दूंगा | The Power of names Sermon
तुझे एक नया नाम दूंगा | The Power of names Sermon
"एक नया नाम रखा जाएगा जो यहोवा के मुख से निकलेगा" (यशा. 62:2)
जब भी परमेश्वर को किसी व्यक्ति को अद्भुत रीती से आशीषित करना था या उसे संसार के लिए आशीष का कारण बनाना था परमेश्वर ने उसे एक नया नाम दिया.
और उस नाम का बहुत ही महत्वपूर्ण मतलब था. परमेश्वर चाहते हैं जब जब तुम उस नाम को लो तो तुम स्वयं उस नाम का मतलब अर्थात उस आशीष को दोहराते जाओ और इस प्रकार से तुम्हारा अंगीकार बन जाए.
बाइबिल बताती है हमारे जुबान में जीवन और मृत्यु दोनों कि सामर्थ है और जैसे जैसे हम इसे इस्तेमाल करते हैं उसका प्रतिफल भी प्राप्त करते हैं (नीतिवचन 18:21)
परमेश्वर ने अब्राहम और सारा का नाम बदला
उदाहरण के रूप में परमेश्वर ने अब्राम का नाम बदलकर अब्राहम रख दिया जिसका अर्थ होता है बहुतों का पिता.
और यह नाम उस समय रखा गया जव अब्राहम कि कोई भी सन्तान नहीं थी. लेकिन आज पूरी दुनिया में जितने भी परमेश्वर प्रभु यीशु पर विश्वास करते हैं वे सभी अब्राहम की सन्तान कहलाते हैं.
वो हमारा विश्वासियों का पिता कहलाया. उसी प्रकार परमेश्वर ने अब्राहम कि पत्नी सारै का नाम सारा रखा जिसका अर्थ होता है बहुतों कि माता. इस नाम बदलने के बाद ही उसे पुत्र इसहाक की प्राप्ति हुई.
परमेश्वर ने याकूब का नाम बदला
इसहाक का पुत्र याकूब जो एक धोखा देने वाला था, और धोखे से अपने पिता कि आशीष प्राप्त करके अपने भाई ऐसाव के डर के कारण अपना घर छोड़कर भागा था.
लेकिन जब उसे अपने घर की याद आई और वह अपने भाई से मिलने वापस घर आ रहा था हालाकि उस समय तक उसके पास दुनिया की सारी आशीषें प्राप्त हो चुकी थीं.
लेकिन फिर भी उसने नदी के पार परमेश्वर से सारी रात प्रार्थना की. जिसे बाइबिल में परमेश्वर के साथ मल्लयुद्ध कहा गया
उसके पश्चात परमेश्वर ने उसे आशीष के रूप में उसका नाम बदलकर इसराएल रखा. अर्थात परमेश्वर का चुना हुआ. आज पूरे विश्व में सारे विश्वासी लोग आत्मिक रूप से इसराएल कहलाते हैं. (उत्पति 32:24)
किसी को बुरे नाम से न पुकारें
ज्यादातर नाम बचपन में माँ बाप के द्वारा रखा जाता है वो कोई गलत नहीं है लेकिन समय के साथ साथ लोग किसी किसी व्यक्ति ने नाम को बिगाड़ देते हैं.
या अनेक बार किसी व्यक्ति के नाम को चिढाने या उसे डांटने के लिए उसे कोई जानवर या पक्षी के नाम के साथ मिलाकर बोला जाता है.
अनेक लोगों के नाम बड़े ही अजीब गरीब नाम से पुकारते हैं. पिछले दिनों मैंने एक व्यक्ति से नाम पूछा तो पता चला उसका नाम बुद्धूराम है मतलब मूर्ख कैसे कोई किसी का नाम इतना भयानक रख सकता है.
आज कल लोगों के पास नाम ही नहीं है इसलिए वे या तो किसी टीवी सीरियल के किरदार के नाम पर अपने बच्चों के नाम रखते हैं या आसपास किसी प्रचलित व्यक्ति के नाम पर जिसका अर्थ वे स्वयं भी नहीं जानते.
नया नियम में भी नाम बदला गया
जिस प्रकार परमेश्वर ने शिमौन का नाम बदलकर पतरस रख दिया. और फिर वह चेला जो पहले डरने वाला था एक ऐसा साहसी बना.
जिसने पहली शताब्दी कि कलीसिया में बड़ा काम किया और लाखों लोगों के बीच अपने पहले प्रचार के द्वारा ही 3000 लोगों को बप्तिस्मा देकर कलीसिया कि स्थापना किया.
शाउल का नाम पौलुस होने के बाद ही वह एशिया माइनर में अन्य जाति के लोगों का प्रेरित बनकर अनेक यात्राओं को करते हुए कलीसिया रोपण में सबसे बड़ा योगदान दिया.
परमेश्वर आपका नाम भी बदलना चाहते हैं
हो सकता है बचपन से आपको भी दब्बू या ऐसा ही कुछ नाम कहकर लोग पुकारते रहे होंगे या कहते रहे हैं कि आप ये नहीं कर सकते या वो नहीं कर सकते तुम ये जानवर हो या वो पक्षी के समान हो.
कई बार तो माँ बाप अपने बच्चे को शैतान भी कहते हैं जो सरासर गलत है. लेकिन निराश न हों जब हम परमेश्वर के वचन पढ़ते हैं तो परमेश्वर हमें एक नया नाम देते हैं.
वो कहते हैं तुम जगत कि ज्योति हो…तुम धरा के नमक हो. यदि आप इन नाम पर गौर करें और ध्यान से समझे तो पता चलेगा परमेश्वर कह रहे हैं तुम एक ऐसे व्यक्ति हो जो बहुत ही महत्वपूर्ण है.
जिसके बिना इस धरती में कुछ नहीं हो सकता. इस धरती में ज्योति न हो तो सब कुछ अन्धकार होगा…यदि सब्जी में नमक न हो तो वो किसी काम की नहीं.
उसी प्रकार आप भी हो यदि आप इस समाज में न हो तो इस समाज निरर्थक है जिसका कोई औचित्य नहीं.
परमेश्वर आपका नाम किसी उद्देश्य हेतु बदलता है
हो सकता है यह हमारी दृष्टि में अतिश्योक्ति लगे मतलब लगे यह कैसे हो सकता है. लेकिन यह परमेश्वर का वचन हमसे कहता है वो कहता है तुम मसीह के राजदूत हो.
इस दुनिया में तुम्हें एक विशेष उद्देश्य के लिए भेजा गया है. ताकि तुम सारे संसार के समस्त लोगों का सच्चे और जीविते परमेश्वर के साथ मेलमिलाप करवा सको. (2 कुरु. 5:20-21)
निष्कर्ष | Conclusion
आइये बचपन से सारे नकारात्मक नामों को अपने जीवन से निकाल फेंके और परमेश्वर जो नया नाम हमें देता है उसे ग्रहण करें.
और प्रतिदिन उस नए नाम को अपने जीवन में अंगीकार करते हुए स्वयं के लिए एवं इस दुनिया के लिए आशीष का कारण बने.
और अब्राहम कि उस आशीष को अपने जीवन में भी ग्रहण करें जिसे परमेश्वर ने इस प्रकार कहा और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा,
और तू आशीष का मूल होगा. और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे. (उत्पति 12:2)
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आप अपना दसवांश या सेवा हेतु भेंट इस बार कोड के जरिये प्रदान कर सकते हैं प्रभु आपको सुसमाचार प्रचार हेतु सहायता के लिए बहुत आशीष दे.
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