शमुएल एक प्रभावशाली नबी
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1 शमुएल 3:19 शमुएल बड़ा होता गया, और यहोवा परमेश्वर उसके संग रहा, और परमेश्वर ने शमुएल की कोई भी बात भूमि में गिरने न दिया या निष्फल होने नहीं दिया.
परिचय :
शमुएल हन्ना का पुत्र था जिसे हन्ना ने बड़ी प्रार्थनाओं के बाद प्राप्त किया था. हन्ना ने अपनी मन्नत को पूरा करने के लिए शमुएल को बचपन में ही परमेश्वर के मन्दिर में सेवा हेतु अर्पण कर दिया था…शमुएल अपने बचपन से ही जब से वह दूध छुड़ाया गया मतलब 5 से 7 वर्ष की उम्र से ही सेवा करने लगा…और जब वह बड़ा होने लगा तो बाइबिल बताती है वो एक ऐसा नबी बना की उसने अपने मुंह से जो कुछ भी कहा वो सफल रहा, वो हो गया, उसके शब्द बहुत प्रभावशाली थे…
उसके जीवन में ऐसा क्या था जिसके कारण परमेश्वर ने उसके प्रत्येक कथन को सफल किया आइये हम देखते हैं बचपन से ही उसका चरित्र कैसा था. उनमें से आज हम चार बातें देखेंगे…क्यों परमेश्वर ने उसे इतनी आशीषें दिया.
1. शमुएल सेवा के लिए हर समय उपस्थित उपलब्ध था. (1 शमुएल 3:1-8)
शमुएल जब छोटा ही था तब जब रात को परमेश्वर के भवन में सो रहा था, तब परमेश्वर ने उसे आवाज दिया शमुएल शमुएल, छोटा शमुएलबिना आना कानी किये दौड़ कर एली याजक के पास जाता है…एली उस भवन का याजक था लेकिन परमेश्वर की आवाज को सुनना नहीं जानता था…उस समय परमेश्वर का वचन पाना दुर्लभ था (V.1) शमुएल परमेश्वर की आवाज नहीं पहचानता था क्योंकि वह छोटा था, उसने पहले कभी परमेश्वर की आवाज नहीं सुना था तौभी वह एली के प्रति और अपने कार्य के प्रति उपलब्ध था…
परमेश्वर हमारी पढ़ाई लिखाई, सुन्दरता या हमारे खानदान को नहीं देखता बल्कि परमेश्वर देखते हैं क्या हम दिल से उसके काम के लिए उपलब्ध हैं कि नहीं…छोटा शमुएल बचपन से ही प्रभु की सेवा के लिए उपलब्ध था…एक बार नहीं तीन बार वो दौड़ कर गया, यही कारण है परमेश्वर ने उसे आशीष दिया….आज यदि हम भी उसके काम के लिए उपलब्ध हैं वो हमें भी आशीष देगा…
2. शमुएल परमेश्वर की आवाज सुनने के लिए जागरूक था (1 शमूएल 3:9 )
सुनने से आशीष आती है, शमुएल ध्यान से सुनने वाला व्यक्ति था. बचपन से ही वो परमेश्वर की वाणी को सुनने के लिए ध्यान लगाना सीख गया. जब एली याजक ने उसे कहा अब जब आवाज आएगी तो कहना हे परमेश्वर कह, “क्योंकि तेरा दास सुनता है, तब वह परमेश्वर की आवाज सुनने के लिए रात भर जागते रहा, और परमेश्वर की उस आवाज को सुना जो अब तक बड़े बड़ों के लिए दुर्लभ थी….
परमेश्वर ने उस बालक को इस्राएल की भविष्य की रहस्यमयी बात बता दी, और यह भी कि एली के पुत्रों का क्या होने वाला है , और जो परमेश्वर के भवन अर्थात अराधनालय को तुच्छ समझते हैं उनका कैसे भयानक अंत होगा, मित्रों हम भी जब परमेश्वर की सुनने के लिए समय निकालते हैं, कान लगाते हैं परमेश्वर हमें भी प्रभावशाली बनाते हैं.
3. शमुएल परमेश्वर की बातें दूसरों को बताने वाला था. (1 शमुएल 3:10-18)
दुसरे दिन बड़े तडके जब शमूएल ने भवन का दरवाजा खोला सामने ही एली याजक खड़ा था और उसने शमुएल से पूछा कि यहोवा परमेश्वर ने रात में तुझसे क्या बात कहा, शमूएल ने एली को रत्ती रत्ती बातें कह सुनाई. हालांकि वह डर रहा था एली उसे दंड भी दे सकता था, एली के ही अधीन था. लेकिन तब भी शमुएल ने पूरी बाते एली को कह सुनाई.
प्रभु यीशु ने भी हमसे कहा है, जाओ सुसमाचार जाकर सारे जगत के लोगों को सुनाओ और देखो जगत के अंत तक सदैव मैं तुम्हारे साथ हूँ.
4. शमुएल परमेश्वर के वचन के प्रति सटीक और स्पष्टवादी था (1 शमुएल 3:19-21)
लिखा है जैसे जैसे शमुएल बड़ा होता गया, और यहोवा परमेश्वर उसके संग रहा, शमुएल अपने जीवन भर परमेश्वर के वचन के प्रति सटीक था आज्ञाकारी था यही कारण है परमेश्वर ने उसकी ख्याति और प्रसिद्धि को दान से लेकर बेर्शेबा तक के रहने वाले सभी इस्राएलियों के बीच फैला दी. सभी लोगों ने जान लिया कि पमरेश्वर की ओर से शमुएल एक नबी ठहराया गया है.
परमेश्वर चाहते हैं कि हम भी उपरोक्त बिन्दुओं के समान जो गुण और भली बातें शमुएल में पाई जाती हैं हम में भी पाई जाएं ताकि हमारे जीवन में हमारे शब्दों में सामर्थ और सेवा प्रभावशाली हो…प्रभु इन वचनों के द्वारा सभी को आशीष दे
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