दोस्तों आज हम सीखेंगे कि इसका क्या अर्थ है अपने आप का इंकार करना | What does it mean Deny Themselves
अपने आप का इंकार करना | What does it mean Deny Themselves
यीशु ने अपने चेलों से कहा; यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले. (मत्ती 16:24)
प्रभु यीशु ने जब कहा था, उनके अनुयायी होने या उनका अनुशरण करने के लिए अपने आप का इंकार करना आवश्यक है.
उनका अर्थ था कोई भी स्वार्थी न हो केवल स्वयं के विषय में सोचना या निर्णय लेना छोड़ें. हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे. (फिली 2:8)
और मसीह व्यक्ति को यहाँ तक अपने आप का इंकार करना है जहाँ वह प्रभु की सेवा हेतु और दूसरों की भलाई हेतु स्वयं के जीवन का भी जोखिम उठाया जाय.
बाइबिल में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जहाँ लोगों ने दूसरों की भलाई और परमेश्वर से प्रेम के प्रति ऐसे निर्णय लिए
जहाँ उन्होंने अपने जीवन को भी तुच्छ जाना और बड़ा जोखिम लिया और इस निर्णय का परमेश्वर ने बड़ा प्रतिफल दिया. ऐसी ही एक घटना हम निर्गमन 17 में पाते हैं.
परमेश्वर से बड़ा मांगे (बाइबिल संदेश)
दो धाइयों की कहानी | bible sandesh hindi
युसूफ जब मिस्र देश में बेचा गया था और वहां परमेश्वर के अनुग्रह से उसी देश का प्रधानमंत्री बन गया था.
अनेक वर्षों पश्चात जब युसूफ और उसके सभी भाई मर चुके तब उनकी सन्तान इतनी बढ़ गई कि वे मिस्र के लोगों से बहुत ही ज्यादा संख्या में हो गए.
लेकिन मिस्र के लोग एवं फिरोंन राजा उनपर बहुत अत्याचार करता था और उन्हें गुलामी में रख कर मजदूरी करवाता था.
ऐसी अवस्था में सभी इस्राएली दर्द से कराह रहे थे. लेकिन इस पर भी इस्राएली लोगों की जनसंख्या बढ़ती जा रही थी.
तब मिस्र देश के फिरोन राजा ने उन दो धाईयों को जिनका नाम शिप्रा और पुआ था, जो इस्राएली लोगों की स्त्रियों को बच्चे जनने के समय (पैदा होने के समय) मदद करती थीं
उन्हें आदेश दिया कि जब भी इस्राएली लोगों के लड़के जन्म ले तो उन्हें पत्थर से मार डालना लेकिन यदि लड़की जन्म ले तो उन्हें छोड़ देना.
अब इन धाइयों के सामने बड़ी समस्या थी क्योंकि वे परमेश्वर का भय मानती थी और इसी कारण परमेश्वर के लोगों की सन्तान को मारने जैसा नीच काम नहीं करना चाहती थीं
लेकिन दूसरी और राजा की आज्ञा न मानने का परिणाम मौत की सजा हो सकती थी. अनाज्ञाकारिता के कारण उन दोनों धाइयों को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ सकता था.
लेकिन उन्होंने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए परमेश्वर के लोगों की भलाई करने का निर्णय लिया. वे किसी भी बच्चे की हत्या नहीं करती थी.
फिर जब राजा ने पूछा ऐसे क्यों हो रहा है कि तुम जब बच्चों को मार देती हो तब भी इनकी जनसंख्या क्यों बढती जा रही है तब उन दोनों धाइयों ने राजा से कहा,
राजा इस्राएली स्त्रियाँ इतनी बहादुर और सामर्थी हैं कि हमारे पहुँचने से पहले ही उनके बच्चे पैदा हो जाते हैं.
उन्होने जो अपने प्राणों का जोखिम उठाकर यह निर्णय लिया इसलिए परमेश्वर ने उन धाइयों के उपर अपनी भलाई प्रगट की…
क्योंकि उन्होंने परमेश्वर का भय माना और परमेश्वर के लोगों का भला किया इसलिए परमेश्वर ने उनका घर बसा दिया. उनके भी अपने स्वयं के परिवार हो गए.
रुत का निर्णय | रुथ की कहानी | हिंदी बाइबल मैसेज
बाइबिल में ऐसे और भी उदाहरण हैं जहाँ पर लोगों ने प्रभु से प्रेम किया और परमेश्वर का भय मानकर और लोगों की भलाई हेतु अपने जीवन की परवाह नहीं की और परमेश्वर ने उसका प्रतिफल उन्हें दिया.
कि हम पवित्रशास्त्र बाइबिल में उनका नाम पाते हैं जैसे रूत जिसने जवानी में ही पति के मर जाने पर अपनी सास से कहा था,
मैं तेरे ही संग चलूंगी तेरे लोग मेरे लोग होंगे तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा. और इसका परिणाम यह हुआ परमेश्वर ने उस विधवा रूत का घर भी बसाया
और उसकी वंशावली में राजाओं ने जन्म लिया और प्रभु यीशु मसीह भी उसी वंश में जन्म लिए.
निष्कर्ष | Conclusion
आज यदि हम भी प्रभु यीशु मसीह के कहे वचनों का पालन करें कि अपने आप का इनकार कर क्रूस उठाकर उसके पीछे चलें तो परिणाम अनंत जीवन पा सकते हैं
और इस धरती पर जब तक रहें तब तक परमेश्वर हमारे घर को बसाएगा और आशीषित करेगा. प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
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आप अपना दसवांश या सेवा हेतु भेंट इस बार कोड के जरिये प्रदान कर सकते हैं प्रभु आपको सुसमाचार प्रचार हेतु सहायता के लिए बहुत आशीष दे.
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