दाउद की झोपड़ी परमेश्वर को क्यों पसंद थी ? | Hindi Bible Preaching

परमेश्वर ने कहा मैं दाउद की गिरी हुई झोपड़ी को फिर से खड़ा करूंगा और उसके बाड़े के नाकों को सुधारूँगा, और उसके खंडहरों को फिर से बनाऊंगा, और जैसा वह प्राचीनकाल से था, उसको वैसा ही बना दूंगा
(आमोस 9:11)
दोस्तों, बड़े बड़े राजमहल और आराधनालयों को छोड़कर इतने वर्षों के बाद दाउद की साधारण सी झोपड़ी ही क्यों स्मरण आईं ? क्यों प्रभु उस झोपड़ी को फिर से संवारने सुधारने की मनसा रखता है …? ये वही झोपड़ी है जहाँ, दाउद ने प्रभु का सन्दूक को वापस लाकर रखा था, और उस स्थान की खूबी यह थी कि वहाँ बिना रुके लगातार स्तुति प्रसंसा होती रहती थी,
राजा दाउद ने हेमां और युदुतुं जैसे विशेष आराधको को चुन कर और साज-गाज के साथ सारे वाद्य यंत्रों को देकर उस झोपड़ी में आराधना करने के लिए नियुक्त कर दिया था. (1 इतिहास 16:37)…ताकि बारी बारी से अराधना हो सके और अराधना किसी भी रीती से रुकने न पाए…
राजा दाउद उस रहस्य को जानता था, आराधना रूपी सिंहासन में परमेश्वर विराजमान होते हैं…यही कारण है परमेश्वर को बाकी किसी भी सुंदर महलों से बढ़कर यह झोंपड़ी ही सबसे प्यारी थी…इससे पहले तम्बू में आराधना होती थी…और बाद में सुलेमान के द्वारा बनाए गए मन्दिर में भी आराधना होती थी लेकिन प्रभु परमेश्वर को दाउद की झोपड़ी ही पसंद थी…
परन्तु आज वो झोपड़ी खंडहर बन चुकी थी…उसकी दीवारों पर दरारें आ चुकी है…परमेश्वर पिता की निगाहें अपने प्रेम करने वालों को ढूढ़ रही हैं…वो आपके अंदर हमारे अंदर उस दाउद की झोपडी को तलाश रहा है …क्या तुम नहीं जानते तुम परमेश्वर का मन्दिर हो …आओ उस झोपडी को खड़ीं करने में खुदा की मदद करें …आओ फिर स अपने घर की वेदी को खड़ा करें …आओ अपने खंडहर नुमा झोपडी को फिर से आबाद करें…प्रभु हमारी सहायता करे …प्रभु आपको आशीष दे
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