मसीही लघु नाटिका
आज हम एक ऐसी घटना के बारें में पढ़ने जा रहे हैं जो की हो सकता है की बहुत से मसीह भाइयों के जीवन में घटित हुआ हो और यह आपके लिए सुपरिचित हो.
इस कहानी को चार भागों में बाटा गया है (पहला, दूसरा, तीसरा और चौथा).
इस कहानी में दो व्यक्तियों की भूमिका खास है .
प्रथम – पास्टर
दूसरा – अंजान व्यक्ति
मैं बड़े यकीन के साथ कह सकता हूँ कि आप इस कहानी को पढ़ कर जरुर आशीषित होंगे.
तो आए दोस्तों हम इस कहानी के पहले भाग की ओर चलते है.
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पहला भाग
पास्टर – एक बार की बात है जब एक पास्टर गली के एक नुक्कड़ पर प्रभु यीशु मसीह का सुसमाचार सुनाते हुए वंहा मौजूद लोगों को नया नियम बाट रहे थें.
अंजान व्यक्ति – ठीक थोड़ी दूर खड़ा यह व्यक्ति अपने कुच्छ दोस्तों के साथ यह सारा नजारा देख रहा था और उनसे कहने लगा चलो चलके माजरा देखते है और उस व्यक्ति की खैर खबर लेते हैं.
पास्टर-अपने काम में पूरी तरह से व्यस्त हैं.
अंजान व्यक्ति –पास्टर के पास आकर, और भाई क्या हो रहा है यंहा ?
पास्टर – पास्टर ने अपना काम जारी रखते हुए, दाहिने हाथ में नया नियम लिए इस अंजान व्यक्ति को देने के लिए आगे बढे.
अंजान व्यक्ति –अरे भाई, यह क्या है? और यह क्या कर रहे हो?
अंजान व्यक्ति का दोस्त – अरे यह तो इसाई जान पड़ता है क्योंकि बार बार यीशुका नाम जो ले रहा है. लगता है इसका दिमाग खराब हो गया है जो यंहा आकर इतनी धुप में खुद भी और आने जाने वाले लोगों को भी रोंक रहा है.
अंजान व्यक्ति –अच्छा ! चलो क्यों न इसका दिमाग ठीक करते हैं और एकाएक वह सभी इस पास्टर के साथ हाथापाई करने लगते हैं. इस दौरान पास्टर को कुछ कम्भीर चोटें लगती हैं, सरीर के उपरी हिस्से के कपडे फाड़ दिए जाते हैं.
पास्टर– एकाएक हुए इस हमले से विचलित हो जाता है और कुछ न कर सका. इतना सब कुछ होने के बावजूद उसने लड़खड़ाते हुए अपना बिखरा हुआ सामान समेटा और ऊपर की ओर नजर उठाकर प्रभु को धन्यवाद् किया और वंहा से चला गया. मानों कुछ हुआ ही न हो.
दूसरा भाग
लगभग छ: महीने बाद:
पास्टर– पास्टर ठीक उसी जगह से गुजर रहे थे कि अचानक उनकी द्रस्टी नुक्कड़ के एक कोने पर बैठे एक नौ जवान पर पड़ी जो अपना सर पकडे हुए काफी उदास दिख रहा था. एक पास्टर होने के नाते उनसे रहा न गया और वह उस व्यक्ति का जायजा लेने पहुंचे और कहा, अरे भाई,क्या बात है बड़े उदास दिखाई दे रहे ह? क्या मैं आपके किसी काम आ सकता हूँ ?
अंजान व्यक्ति–बिना सर ऊपर उठाए पास्टर को इशारे से जाने को कहता है.
पास्टर–अरे भाई, अगर आप अपनी समस्या मुझे बताएं तो हो सकता है मैं आपकी कुछ सहायता कर सकूँ.
अंजान व्यक्ति–अपना सर ऊपर उठाते हुए पास्टर को देखता है और छड भर में ही उसने जो कुछ पास्टर के साथ छ: महीने पहले किया था याद आ जाता है. वह हाथ जोड़ता है और फिर से आग्रह करता है कि पास्टर वंहा से चला जाये.
पास्टर–उस व्यक्ति को देखते ही उसे पहचानने में कोई देरी न की. परन्तु प्रभु में मिले स्वाभाव के कारण उन्हें वहां से जाने की अनुमति नहीं दी. अतः उन्होंने फिर से इस व्यक्ति से उसकी समस्या को जानने का आग्रह किया.
अंजान व्यक्ति–पास्टर की दया और नम्रता को देखते हुए उसने अपना सारा हाल कह सुनाया (मेरे घर में एकलौती बहन है, जिसे मैं बेहद प्रेम करता हूँ वह कैंसर जैसी घातक बीमारी का सिकार है और अपनी जिंदगी के अंतिम पल गिन रही है. बहुत कोशिशों के बावजूद भी हम उसे नहीं बचा सकते. सभी बड़े से बड़े डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है. मैं उसे अपनी आँखों के सामने मरता हुआ नहीं देख सकता.काश, काश कि कोई भी कैसे भी करके मेरी बहन को बचा लेता).
पास्टर–भरी हुई आवाज और बड़े विश्वास के साथ उस व्यक्ति से उसके घर चलने के लिए आग्रह किया.
अंजान व्यक्ति–मन में यह सोचते हुए की यह व्यक्ति भला और दीन लगता है चलो क्यों न एक बार इसे भी देख ही लेता हूँ और अपने घर ले गया.
तीसरा भाग
पास्टर–पुरे रास्ते प्रभु से मन में प्रार्थना करते हुए बड़े विश्वास के साथ उस व्यक्ति के घर में प्रवेश करते हैं.
अंजान व्यक्ति–सीधा अपनी बहन जो की घर के सबसे पहले कमरे में एक अलग खाट में पड़ी थी , ले गया.
पास्टर–उस लड़की की हालत देख कर कुछ भी किसी से बात तक न करना चाहा और उस लड़की के सर पर हाथ रख प्रार्थना शुरू कर दी. घर के बाकी सदस्य भवचक्का होकर देख रहे थे और कुछ भी समझ न पा रहे थे की आखिर माजरा क्या है. परन्तु वह सब उस कमरे में खड़े हुए सुन और देख रहे थे.
अंजान व्यक्ति – वंहा खड़े सभी लोगों को इशारे से शांत रहने को कहता है और सारा माजरा देखता रहेता है.
पास्टर–प्रार्थना की समाप्ति तक लड़की के सर पर हाथ रखे रहे और जैसे ही प्रार्थना समाप्त की लड़की ने जो की मुस्किल से आँखें खोलती थी (वह मानों किसी बड़े ख्वाब से अचानक जगी हो) अब आँखें खोलती है और अपने भाई को अपने पास आने का इशारा करती है. यह देख सभी बहुत ही आश्चर्य चकित हुए और एक दुसरे को देखते रह गए.
अंजान व्यक्ति–इतने सालों बाद मानों उसने अपनी बहन को पहली बार ऐसे देखा हो. वह तुरंत खाट के पास गया और बहन के माथे पर चूमा और पास्टर को शर्मिंदगी भरी नजरों से शुक्रिया किया और गले लग गया.
पास्टर– सभी घर वालों को दिलाशा दिलाते हुए अपने बैग में से बाइबिल निकाल कर दिया और कहा इसे इस बहन के पास नियमित रूप से पढ़ा करना और वंहा से चला गए.
अंजान व्यक्ति–अब यह व्यक्ति पास्टर के कहने के अनुसार नियमित समय से पहले ही रोजाना बड़े आनंद और विश्वास के साथ बाइबिल पढता और साथ ही साथ बार बार अपनी बहन को भी देखता जाता. वह लगभग एक महीने तक नियमित तौर पर यही किया करता.
पास्टर–बीच बीच में अपना कीमती समय निकाल कर इस बहन और परिवार के साथ प्रार्थना में बिताया करते और उसे बाइबिल में से प्रभु यीशु मसीह की कई चंगाई भरी बातें बताते और मानों वह सारी चंगाई सद्रस्य होती जाती.
चोथा भाग
अंजान व्यक्ति–आखिर मैंने अपनी बहन को पा ही लिया, आज अब वह पूरी तरह से ठीक हो चुकी है, चल फिर सकती है और स्वयं जीने के लायक हो चुकी है. परन्तु सबसे बढ़कर यह बात मैं जीवन भर न भूल पाऊंगा कि कैसे उस व्यक्ति (पास्टर) के कारण जिसे मैंने मारा पीटा और बेज्जती की थी, आज मेरी बहन प्रभुयीशु मसीह में बचा ली गई है. और अब यही सच्चाई मैं अपने सारे दोस्तों और समाज में भी बताऊंगा.
पास्टर–एक रोज जब उस व्यक्ति के घर आते है और सबको बेहद खुश देख, प्रभु में मगन और अति आनंदित पाते है तो प्रभु परमेश्वर का दिल की गहराई से धन्यवाद् देते हैं.
अंजान व्यक्ति–बड़े हर्ष, आनंद और विशवास के साथ उस बड़े और आश्चर्य कार्य को अपने सभी सगे सम्बन्धियों, दोस्तों, गली मोहोल्लो और नुक्कड़ो पर बताता फिरता और प्रभु की महिमा करता. परन्तु कुछ तो उसकी सुनना भी नहीं चाहते और अब उसे पागल और सनकी कहते. यंहा तक की उसके कुछ अपने दोस्त भी जो अक्सर आज भी उस नुक्कड़ पड़ खड़े रहते.
एक रोज सब वह ठीक उसी नुक्कड़ पड़ जंहा वह कभी खड़ा हुआ करता था, एक भाई को नया नियम दे रहा था तो उसके पुराने साथी उसके पास आए.
अंजान व्यक्ति का दोस्त१- अरे भाई, यह कौन सा नया काम शुरू कर दिया है?
दोस्त २– अरे याद है जिस व्यक्ति को हमने एक बार यंही मिलकर पीटा था वह व्यक्ति भी तो यही कर रहा था. लगता है उसने ही इस पर कुछ जादू – टोना कर दिया है.
अंजान व्यक्ति–मुस्कराता हुआ सबकी बातें सुन रहा था.
दोस्त ३ –मुझे तो लगता है जरूर उस व्यक्ति (पास्टर) ने इसे पैसे देकर खरीद लिया होगा. अरे भाई, किते रुपये मिले है तुम्हे?
अंजान व्यक्ति–बेहद खामोशी से सुनता रहा और चेहरे पर मुस्कान मनाये राखी.
दोस्त३ –अरे भाई, बताओ तो सही तुम्हे कितने रुपये मिले है?
अंजान व्यक्ति–चेहरे पर बिना किसी शिकस्त के मुस्कान के साथ जवाब देता है. मैंने अपने जीवन में यीशु मसीह को ग्रहण किया है, उसकी आज्ञाओं का पालन करना सिखा है और आज मैं उसके द्वारा किये गए बड़े उद्धार और चमत्कार के कारण आज तुम्हारे सामने ऐसा खड़ा हूँ. और बीते दिनों में हुई सारी घटना का हाल अपने दोस्तों को कह सुनाया. बड़ी सरलता और सहेजता के साथ उसने अपने दोस्तों से कहा कि मैं गलत था.
आज दुनिया सोचती है कि हर व्यक्ति जो मसीह है, वह कुछ न कुछ रुपये ले-देकर ऐसा बनते है और गली मोहोल्लो में जाकर प्रचार करते है. परन्तु यह बिल्कुल गलत और झूठ है. जिसके तुम सभी गवाह भी हो कि एक दिन था जब मैं भी तुम में से एक हुआ करता था और ऐसा विचार रखता था.
हां, अगर मैं यह कहूँ कि मुझे मसीह में कुछ नहीं मिला या दिया गया तो मैं झूठा हूँ. मुझे प्रभु ने नया जीवन दिया, जीने का मक्सद दिया, शान्ति दी, आनंद दिया, मिझे अंधकार के जीवन से बाहर निकाला और ज्योतिमय जीवन दिया.
हां, मुझे प्रभु ने अपने स्वर्गीय धन में का धन, ज्ञान में का ज्ञान और आशीषों में की आशीषें सेंत-मेंत दी हैं. जो कि इस संसार के हर एक धन की तुलना में कहीं अधिक और अनमोल है. जिसकी कीमत कोई भला इन (सांसारिक) रुपयों और पैसों से क्या लगाएगा.
और आज यदि तुम मुझे करोड़ों रुपये या अपनी किसी अनमोल चीज को भी दे दो और कहो कि मैं प्रभु यीशु मसीह को भूल जाऊं, उसके किये हुए उद्धार का बखान न करूँ या उसकी झूठी गवाही देकर उसको बदनाम करूँ तो यह बिल्कुल भी संभव नहीं है. क्योकि उद्धार मैंने अपनी आँखों से देखा है और यह जाना है कि मसीह ही, यीशु ही सच्चा प्रभु है, खुदा हैं, इश्वर है जो जीवन देता है.
दोस्त – सभी अवाक होकर उसके जोश, उत्साह और बातों को चुप चाप सुनते रहे. मानों दांतों तले उंगली दबा ली हो.
अंजान व्यक्ति–आज मुझे यह महसूस हो रहा कि देश वाकई खतरे में है, संपूर्ण मानव जाति खतरे में है इस लिए नहीं कि मसिहत तेजी से पनप रही है या देश को मसिहत से खतरा है. परन्तु इस वजह से कि देश में मसिहत की कितनी जरूरत है.
आज मैं प्रभु का धन्यवाद् करता हूँ कि उसने मुझे और मेरे समस्त परिवार को सही समय पर इस अद्भुत गवाही के जरिये बचा लिया.
इसलिए आज मैं इस दुनिया को बता देना चाहता हूँ कि अगर सच्चा और अच्छा जीवन है तो वह सिर्फ और सिर्फ प्रभु यीशु मसीह ही में है.
लेखक: सरवन कुमार
धन्यवाद भाई आपके इस लेख के लिए।दुसरे लोग पेसै दे सकते हैं लेकिन जीवन सिर्फ येशू ही दे सकता है।
prbhu aapko bahut Aashish de is comment ke lie