Friends do you know how to get freedom bible says The Truth will set you free. मतलब सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा. आइये देखते हैं कैसे…
Truth will set you free
यीशु ने कहा, "तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा." (यूहन्ना 8:32)
Introduction
सत्य कैसे स्वतंत्रता या आजादी मिलती है इसके लिए यह जानना जरूरी है कि सत्य क्या है और और कैसे आजादी देता है. इसके लिए एक उदाहरण देखते हैं.
मेरी कहानी – मैं जब स्कूल में मतलब कक्षा 10 वीं में पढ़ता था तब मेरी दोस्ती कुछ बुरे दोस्तों से हो गई जिसके कारण मेरा मन भी पढने से हटने लगा.
और मैं भी स्कूल से बंक मारने लगा. और दोस्तों के साथ घूमता था. क्योंकि दसवीं कक्षा बोर्ड परीक्षा होती है इसलिए मुझे Exam का डर समाने लगा.
जैसे जैसे परीक्षा पास आ रही थी मेरा मन घबरा रहा था. उन दिनों कई लोग जो फेल हो जाते थे तो वे ट्रेन के नीचे आकर या कुंएं में कूद कर पास हो जाते थे मतलब आत्महत्या कर लेते थे.
मैं थोड़ा टफ व्यक्ति था ऐसे विचारों से भी बहुत दूर था. मैं जानता था जीवन अनमोल है. लेकिन Result का डर तो था ही, कि कहीं फेल न हो जाऊं.
इसलिए मैंने अपने समाज में जो लोगों को करते देखा था वही मैं भी करने की सोचने लगा. और बिना किसी को बताए रात में कभी मैं किसी कब्र में चादर चढ़ाने जाता
और उन्हें मन ही मन मनाता कि मैं पास हो जाऊं या किसी मूर्ति के सामने नारियल फोड़ता और पास होने की मन्नत मांगता था.
मेरे पास जितने भी पैसे थे मैंने आस पास के सभी मूर्तियों और कब्रों में लुटा दिए थे. हालांकि मैं Exam में अच्छे नम्बरों से पास हो गया.
लेकिन अब मेरे अन्दर दूसरा डर समा गया कि किसने मुझे पास किया है मैंने तो बहुत से स्थानो में मन्नत माँगा हूँ…अब यदि मैं जाकर उन्हें खुश नहीं किया तो वो गुस्सा हो जाएंगे.
तभी मुझे एक पुराना मित्र मिला उसने सारी बातें जानने के बाद मुझे बताया तुमने फिजूल में ही अपना पैसा बर्बाद कर दिए हो.
ये कब्र और सांप बिच्छुओं को मानने से कुछ नहीं होता है. क्योंकि यह कुछ हैं ही नहीं. इनका दुनिया में कोई अस्तित्व नहीं है. उसने मुझे सच्चाई बताई….
सत्य क्या है हालाकिं उन दिनों मेरे लिए सत्य को समझ पाना कठिन हो रहा था. लेकिन जब मैंने इसे सोचा समझा और जाना तब मैं आजाद हो गया.
अब मैं सोचता हूँ मैं किस डर और अन्धविश्वास के बंधन में था. पेड़ों को धागे से बांधता था…सांप को दूध पिलाता था.
जबकि स्कूलों में पढ़ाया जाता था, कि सांप मासाहारी है वो दूध नहीं पिता है…और भी न जाने क्या क्या.
असल बात यह है कि जब हम सत्य को जान लेते हैं तो हम आजाद हो जाते हैं.
सत्य क्या है ? | What is truth
यही सवाल पिलातुस ने प्रभु यीशु से पूछा था. सत्य क्या है? (यूहन्ना 18:38) यह सवाल सदियों से पूछा जा रहा है.
लोग कहते हैं हम सत्य के लिए अपनी जान भी दे देंगे लेकिन रूककर यह जानने की कोशिश नहीं करते कि आखिर सत्य है क्या.
सत्य को तत्व ज्ञान या फिलोसोफी नहीं है. सत्य एक व्यक्ति है जिसका नाम यीशु मसीह है.
प्रभु यीशु मसीह ने स्वयं कहा है, मैं ही मार्ग सत्य और जीवन हूँ. बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता. (यूहन्ना 14:6)
अर्थात हम जब यीशु मसीह को जानते हैं और दिल से मानते हैं तो हम अनेक चीजों से आजाद हो जाते हैं. इस रहस्य को समझना जरूरी है.
क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं. (कुलु 1:16)
यीशु ही परमेश्वर का प्रतिरूप मानव रूप धारण कर इस दुनिया में आया. वो आदि में वचन था वचन परमेश्वर के साथ था वचन ही परमेश्वर था.
वही देह धारण कर इस दुनिया में आया. उसी ने मानव जाति को स्वर्ग के विषय में बताया और मनुष्य को बताया उन्हें अपने पापों से क्षमा और उद्धार (मोक्ष) पाना जरूरी है.
What are the things truth will set us free | किन बातों से आजादी पाना है
हमारे तमाम पापों से – हर मनुष्य स्वभाव से ही पापी है, और उसकी आत्मा पाप के बंधन से आजादी चाहती है जो केवल यीशु ही प्रदान करते हैं.
क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है. (रोमियो 6:23)
हर प्रकार के डर (भय) से – अधिकांश मनुष्य किसी न किसी अनजाने भय से भयभीत रहते हैं. भय हमें पंगु बना देता है. क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं पर सामर्थ, और प्रेम, और संयम की आत्मा दी है. (1 तिमु. 1:7)
जब हम प्रभु यीशु को अपना मुक्तिदाता मान कर ग्रहण करते हैं तो, हमारे अन्दर से मृत्य का भय भी दूर हो जाता है क्योंकि उसने मृत्यु को भी हरा दिया.
और कहा, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है मरेगा तो भी जी उठेगा. संत पौलुस जो प्रभु यीशु पर विश्वास करते थे वो कहते हैं जीना मसीह में और मरना लाभ है.
इसलिए हम जब प्रभु यीशु में हैं तो अपने वर्तमान के और भविष्य के डर से आजादी पाते हैं.
हर प्रकार के दंड और बंधन से – अब जो मसीह में है उन पर दंड की आज्ञा नहीं. (रोमियो 8:1) प्रभु यीशु के कारण अब विश्वासियों पर कोई जादू टोना या काला जादू नहीं चल सकता प्रभु ने उन्हें आजादी दी है.
मसीह ने स्वतंत्रता के लिये हमें स्वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्व के जूए में फिर से न जुतो. (गलतियों 1:5)
हर प्रकार की चिंताओं से – मनुष्य चिंताओं और टेंसन के कारण घुलता जाता है लेकिन परमेश्वर का वचन हमसे कहता है.
किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं.
तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी. (फिली. 4:6-7)
Conclusion
प्रभु यीशु हमें आजादी देता है, और उसने कहा, “मैं जाता हूँ और पवित्र आत्मा जो सहायक है भेजूँगा जो तुम्हारी सहायता करेगा. आज पवित्र आत्मा की उपस्थिति में आजादी पाते हैं. और परमेश्वर का वचन जो सत्य है उसके द्वारा हम आजादी पाते हैं. हम विश्वास करते हैं पिता पुत्र और पवित्रआत्मा एक ही हैं जो त्रिएकता में हैं जिससे हमें स्वतन्त्रता प्राप्त होती है.
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