क्रूस की सात वाणी इन हिंदी | Seven Sayings on The Cross in Hindi

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दोस्तों आज हम क्रूस की सात वाणी इन हिंदी में देखेंगे | Seven Saying on the Cross गुड फ्राइडे के दिन कलीसियाओं में बोला जाता है. हमने तीन वाणी तक पहले बातें कर चुके हैं जिसे आप इसे लिंक के जरिये पढ़ सकते हैं. आज हम चौथी वाणी के विषय में पढेंगे.

क्रूस पर यीशु की पहली वाणी

क्रूस पर यीशु की दूसरी वाणी

क्रूस पर यीशु की तीसरी वाणी

क्रूस की सात वाणी इन हिंदी

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 तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, एली एली लमा शबकतनी?" (मरकुस 15:34)

जिसका अर्थ है हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?” यह क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह के द्वारा बोली गई चौथी वाणी है. यीशु मसीह को क्रूस पर लगभग सुबह के 9 बजे चढ़ाया गया था, क्योंकि मरकुस 15:25

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और एक पहर दिन चढ़ आया था, जब उन्होंने उसको क्रूस पर चढ़ाया. और यीशु मसीह ने जो प्राण त्यागे थे वह समय था दोपहर 3 बजे का और लिखा है कि दूसरे पहर से लेकर यानी 12 बजे दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक यानी 3 बजे तक सारे देश में अँधेरा छाया हुआ था.

मतलब जब यीशु मसीह क्रूस पर था, तो चारो तरफ पूरे देश में अँधेरा छा गया था. सोच कर देखिए कि दोपहर में अँधेरा हो सकता है क्या. हाँ यह सूर्यग्रहण के कारण नहीं था. क्योंकि यह समय फसह के पर्व के आस पास का समय था.

और फसह का पर्व मनाया जाता है. पूर्णिमा का full Moon का जब चाँद पूरा होता है. उस समय पर और ऐसे समय में ग्रहण नहीं हो सकता. तो फिर वो अँधेरा किस बात का था? तो वो अँधेरा परमेश्वर की ओर से था और उस भविष्यवाणी को पूरा करता है.

“परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं सूर्य का दोपहर के समय अस्त करूँगा, और इस देश को दिन दुपहरी अंधियारा कर दूंगा.” (आमोस 8:9) और ऐसा विलाप कराऊंगा जैसा एकलौते के लिए होता है, और उसका अंत कठिन दुःख के दिन का सा होगा” (आमोस 8:10)

और यदि हम उस अँधेरे के बारे में और गहराई से देखे तो पहली शताब्दी के इतिहासकार Philo इस तरह के अचानक से होने वाले अँधेरे को किसी राजा की मृत्यु से या फिर किसी शहर के विनाश से जोड़ता है.

तो उसके अनुसार इस तरह अचानक अँधेरा या तो किसी राजा की मृत्यु के समय या किसी शहर ने विनाश होने के समय पर हुआ करता था. हो सकता है कि ये अँधेरा परमेश्वर के क्रोध का प्रतीक हो कि उसके इकलौते पुत्र के साथ किस तरह का वर्ताव हो रहा है.

और सूर्य उदय होते होते अँधेरा हो जाएगा और चन्द्रमा अपना प्रकाश न देगा. मैं जगत के लोगों को उनकी बुराई के कारण, और दुष्टों को उनके अधर्म का दंड दूंगा.”

कुछ भी कारण हो पर उस समय वो अँधेरा इस बात को साबित करता है, कि आज, क्रूस पर जो है वो कोई साधारण व्यक्ति नहीं है पर वाकई में परमेश्वर का पुत्र हैं.

आइये अब बात करते हैं इस वाणी के विषय में. हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया बिलकुल यही शब्द हम पाते हैं, भजन संहिता 22 में वहां पर राजा दाउद इन्हीं शब्दों से शुरू करता है.

और भजन 22 यीशु मसीह के बारे में ही भविष्यवाणी है उसमें राजा दाउद ये बताता है कि उसके हाथों पैरों में कीलें को ठोका जाएगा, उसके वस्त्र चिट्टी डालकर बांटे जाएगे. तो यीशु मसीह का इस वाणी को बोलने का कारण हो सकता है भजन संहिता 22 को दोहराना.

पहले के समय में भजनों में नम्बर नहीं दिए गए थे जैसे की आज हम पाते हैं. पर पहले भजनों को पहचाना जाता था उनके शुरूआती वचनों से तो हो सकता है कि इस वाणी को कहकर यीशु ने हमारा ध्यान भजन 22 की ओर लगाया,

जो शुरू तो इस सवाल से होता है पर उसका अंत वही आशा के साथ होता है. और ये भी हो सकता है कि यीशु मसीह उस समय इस भजन को स्मरण करके परमेश्वर की स्तुति कर रहा हो,

क्योंकि बाकी वाणियों में यीशु ने परमेश्वर को हे पिता कहकर सम्बोधित किया या जब प्रार्थना भी सिखाया तो हे हमारे पिता कहकर ही पुकारा पर यहाँ पर हे मेरे परमेश्वर कहकर पुकारा और वो भी दो बार कि हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर जो भजन संहिता 22 से मेल खाता है.

उस समय यीशु वास्तव में अकेलेपन को महसूस कर रहा है. यीशु के चेले जिनके साथ उसने अपने सेवकाई के अधितर समय को बिताया वो सब यीशु को छोड़ कर भाग चुके थे.

उसके अपने स्वयं के भाई उस पर विश्वास नहीं करते थे, उसकी माता मरियम को उन्होंने युहन्ना को सौंप दिया था और वो तुरंत मरियम को अपने घर ले गया था. और अब यीशु मसीह के साथ कोई नहीं है. सिवाय कुछ स्त्रियों जो वहां खड़ी थीं..

पर इन सब से यीशु को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि अपने पकड़ाए जाने से पहले यीशु ने स्वयं कहा था, कि देखो, वह घडी आती है वरन आ पहुंची कि तुम सब तितर बितर होकर, अपना मार्ग लोगे और मुझे अकेला छोड़ दोगे, तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है. (यूहन्ना 16:32)

सबके छोड़ने पर भी यीशु ने अकेलापन महसूस नहीं किया क्योंकि वो जानता था कि पिता तो उसके साथ है ही. पर इस घडी जब वो क्रूस पर है तो पिता ने भी उसे छोड़ दिया, और जब अपने पिता की उपस्थिति को वो महसूस नहीं कर पाया तो तब वो वाकई में बड़ा अकेला महसूस करता है.

और बड़े शब्द से पुकार कर कहता है कि हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया. देखिए, यीशु को क्रूस पर कई घंटे हो गए थे और इतने घंटे क्रूस पर रहने के बाद इतने blood Loss होने के बाद, सांस लेना भी बड़ा ही मुश्किल हो जाता है.

पर पिता का यीशु को छोड़ देना उसके लिए ऐसी बड़ी बात थी कि वो इस समय भी इस ऊंची आवाज से ऊंचे शब्द से चिल्लाकर इस वाणी को कहता है. अब एक सवाल हम सबके मन में उठाना चाहिए की ऐसा क्या हुआ जो पिता ने अपने एकलौते पुत्र को छोड़ दिया. इस सवाल को हम दो भागों में बांटते हैं.

1. परमेश्वर की पाप से नफरत :– | क्रूस की सात वाणी इन हिंदी

परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापों के कारण उस का मुंह तुम से ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता. (यशायाह 59:2)

“वह उन से जो दुष्ट हैं और उपद्रव से प्रीति रखते हैं, अपनी आत्मा में घृणा करता है.” (भजन 11:5) तो इन दो वचनों से और बाइबल के ढेरों वचनों से (भजन 5:5, नीतिवचन 8:13)

यह बात तो साफ़ होती है कि परमेश्वर और पाप दोनों विपरीत है. जहाँ पाप है वहां परमेश्वर नहीं हो सकता और जहाँ परमेश्वर है वहां पाप हो ही नहीं सकता.

2. यीशु कैसे पापी ठहरा :- | क्रूस की सात वाणी इन हिंदी

जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया (2 कुरु5:21) पाप यीशु ने नहीं किया था पर पाप हमने किया था, और हमारे पापों को उसने क्रूस पर अपने ऊपर उठा लिया था, और जो पाप से अज्ञात था उसी को परमेश्वर ने हमारे लिए पाप ठहरा दिया. और उस पाप के कारण ही पिता ने यीशु को छोड़ दिया था.

और वो मसीह हमारे लिए शापित बना, ताकि हम को मोल लेकर व्यवस्था के शाप से छुड़ा दे. (गलतियों 3:13) वो पाप बना कि हम उसमें होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं (2 कुरु 5:21)

वो हमारे पाप थेजो उसे क्रूस पर लेकर गए और वो हमारे पाप ही थे, जिसके कारण पिता ने उसे छोड़ दिया था. एक बात सोच कर देखें कि उसको पिता ने छोड़ दिया ताकि हम कभी अकेले न रहे.

जी उठने के बाद यीशु ने कहा था कि मैं जगत के अंत तक तुम्हारे संग हूँ. मैं जाता हूँ पर एक सहायक को भेजूँगा, ऐसा भी यीशु ने कहा,. यीशु का दो बार हे मेरे परमेश्वर हे मेरे परमेश्वर कहना उसके पिता के प्रति अडिग विश्वास को भी दर्शाता है.

Conclusion

महान प्रचारक सी. एच, स्पर्जन ने कहा, कि ऐसा लगता है, कि यीशु मसीह कह रहे हो कि हे पिता बेशक तूने मुझे छोड़ दिया हो पर मैंने तुझे नहीं छोड़ा. तो आइये आज हम धन्यवाद दें यीशु को कि उसने वो दुःख, के दर्द वो अकेलापन सहा ताकि हमको ये सब कुछ न सहना पड़े और नफरत करें उस पाप से जिसके कारण यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया. विश्वास करते हैं कि क्रूस की सात वाणी इन हिंदी में चौथीं वाणी से आपने बहुत कुछ सीखा. अपने विचार कमेन्ट में अवश्य बताएं.

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इस लेख के लेखक हेमंत कुमार एक कम्प्यूटर इंजिनियर हैं और एक अच्छे लेखक हैं

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