दोस्तों आज भारत के अनेकों क्षेत्रों में बाढ़ की परिस्थिति है ऐसे समय में मैंने कुछ लिखा है भारत में बाढ़ की परिस्थति | short inspirational devotions | Powerful God’s word for today
God’s word for Today | आज का बाइबिल वचन
![भारत-में-बाढ़-की-परिस्थिति](https://i0.wp.com/biblevani.com/wp-content/uploads/2023/07/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A2%E0%A4%BC-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF.jpg?resize=640%2C460&ssl=1)
चुप हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ. मैं जातियों में महान हूँ. मैं पृथ्वी भर में महान हूँ. (भजन 46:10)
भजनकार कोरहवंशी के लिए सचमुच बहुत बुरा दिन रहा होगा. उसके इर्द गिर्द की परिस्थिति नियंत्रण के बाहर थी.
उसकी समस्या इतनी भयानक थी कि वह कहता है ऐसा जैसे पहाड़ समुद्र में डाल दिए जाएं और समुद्र गरजे और फेन उठाए.
बिलकुल ऐसी जैसी आज भारत की परिस्थिति है चारों ओर बाढ़ की स्थिति है जल ही जल लोग बेघर हो रहे उनका सारा सामान अतिवर्षा के जल के द्वारा बह कर नाश हो गया.
(भजन 1:6) में कहता है राजनैतिक स्थिति भी उथल पुथल हो रही है जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे. (जैसे मणिपुर जल रहा है लेकिन कोई सुन नहीं रहा)
हमें नहीं मालुम भजनकार के समय में वहां कैसी परिस्थिति रही होगी. लेकिन उसके शब्दों से समझ में आता है हालात ठीक नहीं थे.
वह एक घोर समस्याओं में घिरा हुआ था. इस सभी समस्याओं के बीच परमेश्वर ने उससे बड़ी धीमी आवाज में बातें किया, और बोला….” चुप हो जा और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ.”
प्रभु परमेश्वर यहाँ वहां भाग कर सारी बातों को ठीक नहीं कर रहे थे. न ही परमेश्वर ने भजनकार को निर्देश दिया कि दिन रात काम करके सब कुछ ठीक करो.
कार्य बाद में आता है लेकिन ऐसे समय में उसे परमेश्वर के दृष्टिकोण की जरूरत थी. और वो एकमात्र बात थी ठहर जाओ, देखो, सुनो और परमेश्वर की महानता को स्मरण करो.
याद रखें परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो परमेश्वर सिंहासन पर है कुछ भी उसके नियन्त्रण से बाहर नहीं है. जब तक हम शांत नहीं होते हम उसकी बात सुन नहीं सकते.
वो सेनाओं का यहोवा हमारे संग संग है याकूब का परमेश्वर हमारा ऊचा गढ़ है. उससे प्रार्थना करें वही सब कुछ को ठीक करेगा.
क्योंकि ये आकाश ये पृथ्वी और जो कुछ इसमें हैं सब उसी के हैं. वो जातियों में महान है वो पृथ्वी भर में महान है.
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वह गवाही यह है, कि परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है: और यह जीवन उसके पुत्र में है। जिस के पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिस के पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है. (1 यूहन्ना 5:11-12)
कुछ लोग मानते हैं कि यह बड़े गर्व की बात है कि उनका उद्धार हो चुका है, क्योंकि यह तो केवल परमेश्वर को मालूम है कि किसका उद्धार हो सकता है किसका नहीं.
क्योंकि वैसे भी जीवन में कोई भी पूरी रीती से पाप से मुक्त हो नहीं सकता!! इस प्रकार सोचने वाले बहुत से लोग मसीहियत को एक क्लासरूम के जैसे सोचते हैं जहाँ, परमेश्वर परीक्षा के नम्बर देते हैं.
यदि हमने बढ़िया पेपर किया और बहुत से पापों को नहीं किया तो शायद वे ज्यादा उन्हें ज्यादा नम्बर या ग्रेड मिल जाए.
लेकिन परमेश्वर का दास प्रेरित युहन्ना एक अलग ही दृष्टिकोण देते हैं. यह ऐसा नहीं है कि हमारे अच्छे कामों के कारण हम अपने जीवन के अच्छे भाग में कुछ इजाफा कर लेंगे. या ज्यादा नंबर जोड़ लेंगे.
लेकिन उद्धार के केंद्र बिंदु इस प्रश्न पर आधारित है कि…क्या हमारे पास पुत्र है ? उद्धार एक मुफ्त उपहार है. हम इसे कमा नहीं सकते.
या हम हमारे तमाम भले कामों के द्वारा परमेश्वर पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाल सकते कि हमें स्वर्ग में प्रवेश मिल जाए.
हम तो उस परमेश्वर के सम्मुख खाली हाथ और खुले दिल से यह भरोसा करते हुए खड़े होते हैं कि मसीह यीशु के बलिदान के कारण हमारे तमाम पापों पूरी रीती से धो दिया गया है.
हमारे लिए पूरी पूरी कीमत चुका दी गई है. और हम परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन गए हैं.
युहन्ना का संदेश बिलकुल सादा और सीधा है. परन्तु यह उनके लिए बड़ी चेतावनी है जो यह मानते हैं कि उनके ज्यादा करने, ज्यादा देने और ज्यादा भलाई करने के द्वारा ज्यादा धर्मी बन रहे हैं.
या प्रभु के द्वारा स्वीकार किये जाएगे. देखिये केंद्र बिंदु विश्वास है. युहन्ना हमसे कहता है, हमें जो चाहिए, हमारी जो बेहद जरुरत है वो है हैमसीह यीशु.
वही हमारे लिए सबकुछ है. और जब हम यीशु से भर जाते हैं तो हम धन्यवादी ह्रदय के कारण भले काम करते हैं, सेवा करते हैं. और कलीसिया जाते हैं और मुट्ठी खोलते हैं.
हम यह सब इसलिए नहीं करते कि हमें स्वीकार किया जाए लेकिन हम स्वीकार किये गए हैं इसलिए यह सब कुछ करते हैं. इन दोनों विचार में बहुत बड़ा अंतर है.
स्वयं से एक प्रश्न करें…मैं कैसे जानूं कि मेरे पास पुत्र है या नहीं…क्या मसीह यीशु मेरे अन्दर होने के कारण मेरे जीवन के स्वभाव में कुछ अंतर है? क्या मेरे इर्द गिर्द के लोग यह जान पाते हैं कि मेरे पास पुत्र (यीशु) है?
Conclusion
विश्वास करते हैं यह लेख कि भारत में बाढ़ की परिस्थिति पढ़कर आशीष प्राप्त हुई होगी कृपया कमेन्ट करके अवश्य बताएं आप हमारे हिंदी बाइबिल स्टडी app को गूगल प्ले स्टोर से डाउन लोड आप इस लिंक से उस लेख को पढ़ सकते हैं.. हमारे इन्स्ताग्राम को भी फोलो कर सकते हैं…
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