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लौदीकिया की कलीसिया को संदेश | Hindi Sermon

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दोस्तों आज हम चर्चा करेंगे प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में लौदीकिया की कलीसिया को संदेश | Hindi Sermon यह bible message अंत के दिनों की कलीसिया के लिए है तो आइये पढ़ते हैं.

लौदीकिया की कलीसिया को संदेश | Hindi Sermon

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लौदिकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख....देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ, यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ. (पढ़ें प्रकाशितवाक्य 3:14-21) 

लौदिकिया की कलीसिया को लिखा गया पत्र अंतिम समय के लिए अर्थात आज के समय के लिए लिखा गया पत्र है. कलीसिया का दूत क्या लिखता है.

देखिये जो आमीन और विश्वासयोग्य और सच्चा है. यहाँ यह शब्द सत्य बार बार आया है. मतलब यह सत्य का संदेश है. आपसे और मुझसे जो बोल रहा है वह सत्य है.

वह कहता है तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वत्रंत करेगा. यदि कलीसिया को स्वतंत्र होना है तो उसे सत्य सुनना होगा और उस पर भरोसा करना होगा.

जिसके हाथ में सबकुछ का नियन्त्रण है, वह बोल रहा है. सब कुछ उसी से आरंभ हुआ है. लौदिकिया की कलीसिया के लिए यहाँ कुछ भी बढ़ाई की या तारीफ़ की बात नहीं लिखी गई है.

शायद इसलिए क्योंकि यह कलीसिया स्वयं की बहुत बढ़ाई किया करती रही होगी. इसकी सबसे बड़ी कमी और कमजोरी वचन 17 में लिखा गया है.

कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अँधा और नंगा है. इस कलीसिया को अपनी कमजोरी नहीं मालूम थी. इसलिए प्रभु उन्हें बता रहा है.

वे एक आत्मिक अज्ञानता में जी रहे थे. बहुत बार हम अपनी आँखों से अपनी गलती और कमजोरी नहीं देख पाते. उस शहर में आँखों का सूरमा बेचा जाता था.

लेकिन उनकी ही आँखे अंधी थी. यह एक धनी शहर था. धन धोखा देता है, और हमें आलस्य में सुला देता है. भारी नींद में पड़े रहने के लिए विवश करता है.

धन की बहुतायत के कारण जो हमें अपने जीवन में देखना चाहिए हम नहीं देख पाते. इसी प्रकार यह कलीसिया भी अपनी आत्मिक कमजोरी नहीं देख पा रही थी.

उनके अन्दर आत्मिक कंगाली दरिद्रता थी. हम उड़ाऊ पुत्र के जीवन में देखते हैं जब तक उसके पास धन की बहुतायत थी वह सो रहा था लेकिन जब कंगाली आई तब उसे बोध हुआ और अपने पिता के घर वापिस आया.

यहाँ इस कलीसिया के लिए एक भयानक शब्द इस्तेमाल किया गया है “अभागा” हमारे पास कितना भी धन क्यों न हो यदि हमारे जीवन में प्रभु का अनुग्रह नहीं प्रभु का स्पर्श नहीं तो हम भी अभागे मनुष्य हैं.

फिर चाहे हम राजमहल में ही क्यों न रहते हों. जब तक प्रभु हमें अपने पवित्र धार्मिकता के वस्त्र न पहनाए तब तक हम सभी नग्न अवस्था में ही हैं.

नग्न अर्थात लज्जा में शर्म में मतलब हमारे पास ज्ञान नहीं है. उन्हें लगता था वे कपड़े पहने हुए हैं लेकिन आत्मिक रीती से वो नंगे थे.

आत्मिक दरिद्रता इसे हम पतरस के जीवन में देख सकते हैं एक बार एक पिता अपने जवान बेटे को यीशु के पास लेकर आया जिसे दुस्तात्मा सताता था.

सबने प्रार्थना की लेकिन कुछ नहीं हुआ यीशु ने एक बार में डांट कर उसे छुटकारा दे दिया. तब पतरस ने आकर पूछा प्रभु हम इस दुष्टात्मा को क्यों नहीं निकाल सके.

उसे बोध हुआ कि उसमें आत्मिक दरिद्रता है. आत्मिक रीती से कंगाल है. उसे आत्मिक रीती से मजबूती की जरूरत है.

प्रभु कहते हैं, मैं तेरे कामों को जानता हूँ तू न तो ठंडा है और न ही गर्म तू गुनगुना है…उनका आत्मिक जीवन ऐसा ही हो गया था.

न ठंडा न ही गर्म मतलब आत्मिक तीव्रता समाप्त हो गई थी. यह कुछ ऐसा है जैसे एक पति अपनी पत्नी से कहे मैं तुमसे प्रेम तो करता हूँ लेकिन अब मुझे तुम्हें देखकर उत्साह नहीं आता.

कई बार मसीह लोगों के जीवन में भी ऐसा ही होता है. उन्हें जय मसीह की बोलो तो उन्हें यह मसीह शब्द उत्साहित नहीं करता. वो आत्मिक रीती से ठन्डे हो गए हैं ऐसा होना वास्तव में आत्मिक मृत्यु का आरम्भ है.

परमेश्वर को ऐसा जीवन नहीं भाता. वो स्वयं भस्म करने वाली आग है. परमेश्वर स्वयं हमारे लिए स्वर्ग को छोड़कर इस पृथ्वी पर आ गया और हमारे पापों के लिए उसने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया और उस क्रूस की मृत्यु को सह लिया.

उसने अपने प्रेम के प्रगटीकरण में कुछ भी ठंडापन नहीं दिखाया. क्या हम उसके स्वागत के लिए उसकी सेवा के लिए गुनगुने पण से करें तो उसे भाएगा? कदापि नहीं.

उसके प्रति हमारा प्रतिउत्तर भी गर्मजोशी से होना चाहिए. क्या स्वर्ग, नरक, अनंत जीवन इन विषयों में कहीं गुनगुनापन है नहीं ये गंभीर विषय हैं.

हम अपने जीवन में पवित्र होना चाहते हैं लेकिन ज्यादा पवित्र नहीं होना चाहते. अच्छा होना चाहते हैं लेकिन बहुत अच्छा नहीं होना चाहते.

शायद प्रभु भी सोचते होंगे यदि तुम गर्म होते तो मैं तुम्हें इस्तेमाल करता और तुम ठन्डे होते तो तुम्हें बचा लेता लेकिन तुम न तो ठन्डे हो न ही गर्म तुम तो गुनगुने हो.

मतलब किसी काम के नहीं. इसका परिणाम यह हुआ कि प्रभु ने कहा मैं तुम्हें उगलने पर हूँ. मतलब Reject करने पर हूँ. अस्वीकार करने पर हूँ….

जरा विचार करें यदि हम जमीन और आसमान के मालिक के द्वारा अस्वीकार कर दिए गए. कितना भयानक वो मंजर हो सकता है.

राजा दाउद कहता है प्रभु मुझसे सब कुछ ले लेना लेकिन तेरा पवित्रात्मा मुझसे कभी नहीं लेना. मुझे मेरे माता पिता और सारे संसार से अस्वीकार किया जाना मंजूर है लेकिन आपके द्वारा नहीं.

परमेश्वर ने पुराने नियम के शाउल राजा को अस्वीकार कर दिया था. और ताकतवर शिमशोन को अस्वीकार कर दिया था. तब क्या हुआ वे लोग जीवित तो थे लेकिन फिर उनमें ताकत शक्ति सामर्थ्य नहीं थी.

हो सकता है प्रभु किसी को अस्वीकार कर दे और वो जीवित है लेकिन किसी काम का नहीं कोई शक्ति नहीं. प्रभु है तो शक्ति है…क्या ही खुबसूरत वो गीत है तू मेरा बल है प्रभु…..तू सर्व बल है प्रभु….

मत्ती रचित सुसमाचार में लिखा है जब प्रभु यीशु ने मंदिर को छोड़ा तब कहा, इस मन्दिर का पत्थर में पत्थर भी नहीं रहेगा…वैसा ही हुआ.

तो क्या फिर लौदिकिया की कलीसिया के लिए कोई आशा थी? हाँ बिलकुल यह वचन लिखे ही इसलिए गए हैं क्योंकि वह अभी भी हमसे प्रेम करता है. प्रभु हमसे प्यार करता है.

वो कहता है. देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आ कर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ. (प्रका. 3:20)

प्रभु यीशु बड़ी ही सहनशीलता के साथ और धैर्य धरे हुए बाहर खड़ा हुआ है. उसके हाथों में हमारे लिए बहुत बड़ी प्रतिज्ञाओं का तोहफा है.

वो कहता है मैं भीतर आऊंगा और भोजन करूँगा वो देखकर नहीं जाएगा बल्कि हमारे साथ रहेगा. हमारी संवृद्धि के लिए सब कुछ उसके पास है.

वो आपकी सारी कमी घटी को दूर करने के लिए आ रहा है. अपनी कमियों के साथ मत जियो. तुम्हारी लज्जा को ढंकने के लिए वस्त्र उसके पास हैं.

आपको शर्म करने की जरूरत नहीं. वो हमें सफेद पवित्र वस्त्र पहिनाएगा और ताया हुआ सोना अर्थात अपना वचन देगा. ताकि हम सचमुच धनी हो जाएँ.

हो सकता है आप एक समय में लज्जित हुए हों लेकिन अब उसी स्थान में वह तुम्हें आशीषित करेगा. तुम्हारे आँखों को देने वाला सूरमा उसके पास है.

वो जय देने वाला आपका इंतजार कर रहा है. उसके पास आपको विजयी करने की योजना है. उसके पास आपके लिए भली योजनाएं हैं.

लेकिन वह धक्का देकर दरवाजा नहीं खोलेगा. दरवाजा आपको स्वयं खोलना होगा. वो महिमा के साथ आएगा और आपके जीवन को स्वर्ग बना देगा. जहाँ वो है वहां आनन्द की भरपूरी होगी…..

प्रभु आपको बहुत आशीष दे.

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