आज हम एक आदर्श मसीही परिवार के रूप में अक्विला और प्रिस्किल्ला के जीवन को देखने जा रहे हैं जिसमें हम उनके गुणों को देखने जा रहे हैं.
प्रेरितों के काम 18 में हम अक्विला एक यहूदी पुरुष और उसकी पत्नी प्रिस्किल्ला के विषय में पढ़ते हैं. जो इटली में रहते थे. वे लोग कुरुन्थुस में आ जाते हैं जहाँ वे संत प्रेरित पौलुस से मिलते हैं उनका एक ही काम था इसलिए उनका एक ही काम होने के कारण वे लोग एक साथ रहने लगे.
संत पौलुस जहाँ भी जाते थे वे सुसमाचार सुनाते थे इसलिए वह उन्हें भी डेढ़ वर्षों तक परमेश्वर के एवं यीशु मसीह के विषय में बताता रहा और उन्हें एक अच्छे मसीही बनने में सहायता करता रहा. डेढ़ वर्ष के बाद ये तीनो लोग इफिसुस शहर में आते हैं और अक्विला और प्रस्किल्ला इफिसुस में ही ठहर जाते हैं लेकिन पौलुस सुसमाचार की सेवा को आगे जारी रखने के लिए आगे बढ़ जाता है. पौलुस अलग लग जगह जाकर लोगों को सुसमाचार प्रचार करता और सिखाता रहा.
लेकिन अक्विला और प्रिस्किल्ला इफिसुस में ही रहे और वहां वे भी प्रार्थना करना और सुसमाचार प्रचार करना शुरू करते हैं. वहां उन्हें अपुल्लोस नाम एक व्यक्ति से मुलाक़ात होती है. वह एक विद्द्वान पुरुष था. वह यीशु के विषय में बताता था लेकिन केवल युहन्ना के बप्तिस्मा के बारे में बताता था. तब अक्विला और प्रिस्किल्ला ने उसे अपने घर ले जाकर उसे स्वागत किया और प्रभु के विषय में और बप्तिस्मा के विषय में और भी सही जानकारी दी..और हम देखते हैं अपुल्लोस आगे जाकर एक अच्छा प्रचारक बना.
अक्विला और प्रिस्किल्ला के जीवन के कुछ अच्छी बातें जो हम सीख सकते हैं.
प्रिस्किल्ला एक अच्छी पत्नी थी
अक्विला और प्रिस्किल्ला सताव के कारण रोम से निकल गए थे (प्रेरित 18:1) प्रिस्किल्ला एक अच्छी पत्नी थी वो दोनों अच्छे व्यवसायी थे लेकिन कभी उनके बीच में मन मुटाव नहीं आया. यह एक अच्छी सीख है हरेक पत्नी के लिए की एक मसीही पत्नी को किस प्रकार अपने पति से साथ सेवा में और कार्य में हाथ बटाती थी.
अक्विला और प्रिस्किल्ला अतिथि सत्कार करने वाले थे
पौलुस को उनहोंने डेढ़ वर्ष तक अपने घर में रखा जो कोई सरल बात नहीं है. यह उनके मेहमाननवाजी, पहुनाई या अतिथिसत्कार की भावना को देखते हैं. एक मसीही परिवार में सेवा की भावना होना बहुत ही अच्छी और आशीषित बात है. अनजाने लोगों की पहुनाई करने के कारण अब्राहम के जीवन में आशीष आई. 1 पतरस 4:9 बिना कुडकूड़ाए अतिथि सत्कार करो.
अक्विला और प्रिस्किल्ला अच्छे सलाहकार थे.
वो लोग किसी की कमी को सबको नहीं बताते थे बल्कि उन्हें बुलाकर सकारात्मक रूप से सिखाते थे. न की उनकी कमी को उजागर करके दिखाते थे. जैसे उन्होंने अपुल्लोस के जीवन के साथ किया. अपने घर में बुलाकर परमेश्वर के वचन को प्यार से सिखाया. अक्विला और प्रिस्किल्ला के घर में संगती सेवा चलती थी वे व्यापार के साथ साथ सुसमाचार सुनाते तथा अपने घर में संगती भी करते थे.
अक्विला और प्रिस्किल्ला को अपने लोगों के लिए बोझ था.
रोमियो 16:3 अक्विला और प्रिस्किल्ला जो मेरे सहकर्मी हैं उनको मेरा नमस्कार. इस आयत से समझते हैं अक्विला और प्रिस्किल्लाइफिसुस से रोम चले गए थे. जिस स्थान से वे लोग आये थे. वहां वापस जाकर सेवा करने लगे. अर्थात अपने लोगों के प्रति बोझ था. और हर स्थान में जाने के लिए तैयार थे.
अक्विला और प्रिस्किल्ला सहायता करने वाले लोग थे.
रोमियो 16:3,4 में हाम पाते हैं ये परिवार ने पौलुस और अन्य सेवकों की कलीसिया रोपण करने में एवं सुसमाचार सुनाने हेतु भरसक सहायता की. और स्वयं भी कलीसिया रोपण करने के लिए सुसमाचार प्रचार का काम करते थे. इन लोगों ने अपना घर भी खोलकर लोगों के सेवा की. ताकि परमेश्वर के राज्य की बढ़ोत्तरी हो सके.
उन्होंने पौलुस के लिए अपने प्राणों को भी जोखिम में डालने से पीछे नहीं हटे.
प्रेरितों के काम 18:24-19, इस परिवार ने निस्वार्थ सेवा की और उन्होंने स्वर्ग राज्य के काम के लिए अर्थात सुसमाचार के प्रचार प्रसार के लिए पौलुस के लिए अपनी जान को भी जोखिम में डालने से पीछे नहीं हटे. यह उनका प्रभु यीशु के प्रति प्रेम को दिखाता है. जो हममे से हरेक के लिए जो प्रभु से प्रेम करते हैं एक मिशाल है. यही कारण है पौलुस के जीवन के अंतिम क्षणों में वह इस परिवार को स्मरण करता है.
क्या आप और मैं इस परिवार से सीखकर सेवा के लिए और प्रभु यीशु के लिए कुछ करना चाहेगे ? या जो सेवा कर रहे हैं उन पासवानों का साथ देना चाहेंगे ? ताकि वह पास्टर या सेवक बहुतों के लिए आशीष का कारण हो सके. प्रभु आप सभी को बहुत आशीष दे.
पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)
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