परमेश्वर-के-व्यक्तित्व

परमेश्वर के 10 अद्भुत व्यक्तित्व बाइबल में | Top 10 Amazing Personality of God in the Bible Hindi

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दोस्तों आज हम परमेश्वर के 10 अद्भुत व्यक्तित्व या Personality of God in the Bible देखेंगे. परमेश्वर के व्यक्तित्व एवं गुणों को जानना हमारे जीवन के लिए बहुत ही आशीष का कारण होगा. तो आइये शुरू करते हैं.

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Image by sspiehs3 from Pixabay परमेश्वर-के-व्यक्तित्व

1. परमेश्वर सुनता है (भजन 34:1)

एक बार एक सभा में लोगों से पूछा हम प्रार्थना क्यों करते हैं तो एक बच्चे ने उत्तर दिया था, “क्योंकि परमेश्वर हमारी सुनता है.” क्या खूब जवाब.

हाँ यदि कोई हमारी न सुने तो फिर कौन प्रार्थना करेगा और क्यों प्रार्थना की जाएगी. वो परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनता है. उसने कहा है,

 "मेरे कान ऐसे बहिरे नहीं हो गए कि तुम्हारी प्रार्थना सुन न सकूं, और मेरे हाथ ऐसे छोटे नहीं हो गए कि तुम्हारा उद्धार न कर सकूं." (यशायाह 59:1)

भजनकार कहता है धर्मी जन दोहाई देता है और परमेश्वर सुनता है और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है. (भजन 34:17)

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2. परमेश्वर बातें करता है (उत्पति 1:3)

परमेश्वर के महान दास ने इस प्रकार कहा है, जब परमेश्वर को पेड़ पौधे वनस्पति बनाना था तो उसने धरती से बातें की.

और जब उसने चाहा जल के जीव जन्तु बन जाएं तो उसने नदी तालाब और समुद्र से बातें किया लेकिन जब उसने चाहा कि हम मनुष्यों की सृष्टि हो जाए तो उसने अपने आप से बातें किया.

और कहा, आओ हम मनुष्य को अपनी समानता में बनाएं. वो जिसने हमें मुंह दिया है वह बातें करता है. परमेश्वर ने मनुष्य को इसी कारण बनाया है ताकि वह हम मानवजाति के साथ संगती कर सके और उनसे बातें कर सकें.

लिखा है जब परमेश्वर ने सबसे पहले मनुष्य आदम को बनाया तो दिन के ठंडे समय में उससे बातें करने और संगती करने आया करता था.

3. परमेश्वर देखता है

बाइबल कहती है परमेश्वर की आँखे धर्मियों पर लगी रहती हैं (भजन 34:15) एक बार की बात है परमेश्वर के तीन दास जो जवान थे शद्रक, मेशक और अबेदनगो के ऊपर भारी संकट आ गया.

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वे मूर्तिपूजक लोगों के बीच में फंस गए. वहां हजारों की संख्या में लोग थे जो एक सोने की मूर्ति के सामने दंडवत कर रहे थे लेकिन जो दंडवत नहीं करेगा उन्हें सजा मिलेगी ऐसा राजा नाबुकद्नेस्सर का आदेश था.

वो चाहते तो सोच सकते थे कि कोई उन्हें नहीं देख रहा है. लेकिन उन्होंने उस मूर्ति के सामने दंडवत नहीं किया अपना सिर नहीं झुकाया.

उन्हें सजा के रूप में जलते हुए आग के भट्टे में डलवा दिया गया. लेकिन यह सब उनका परमेश्वर यहोवा देख रहा था. और वह केवल देखता ही नहीं बल्कि स्वर्ग से उतर आता है.

वह अपने धर्मी भक्तो को संकट में रहने नहीं देता. राजा ने देखा मैंने तो आग के भट्टे में तीन लोगों को डाला था लेकिन यहाँ तो चार लोग आराम से टहल रहे हैं.

उनको कुछ भी हानि नहीं हो रही है. इस अद्भुत घटना को देखकर राजा ने घोषणा पूरी दुनिया में करवा दी कि, अब से केवल यहोवा परमेश्वर की ही उपासना की जाएगी वो ही सच्चा और जीवित परमेश्वर है.

4. परमेश्वर निर्णय लेता है. (उत्पति 1:26)

हमारा परमेश्वर का यह गुण है कि वह सटीक निर्णय लेता है. जब राजा शाऊल ने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी तो उसने निर्णय लिया कि अब से राजा शाऊल को राजगद्दी से हटा दूंगा.

उसके स्थान में एक ऐसे व्यक्ति को राजा बनाया जाएगा जो परमेश्वर के दिल का व्यक्ति है, उसका नाम दाऊद था.

जब दाऊद का अभिषेक किया जा रहा था तब शमुएल नबी उसके बड़े भाइयों को देख रहा था जो लंबे और चौड़े थे.

लेकिन परमेश्वर का निर्णय था कि यिशै के छोटे बेटे दाऊद का अभिषेक किया जाए जो चरवाहे का काम करता था.

5. परमेश्वर आशीष देता है (भजन 127)

जो परमेश्वर के पास या परमेश्वर का भय मानता है वचन कहता है वह आशीष पाता. और वह स्त्री और पुरुष धन्य है. उसका भला ही होता है और वह निश्चय अपनी कमाई को खाने पाता हैं.

हम देखते हैं परमेश्वर ने अब्राहम को चुना और बुलाया और उससे वायदा करके कहा, जो तुझे आशीष दे मैं उसको आशीष दूंगा और जो तुझे कोसे या शाप दे मैं उसे श्राप दूंगा. (उत्पति 12:2-3)

6. परमेश्वर प्रेम करता है (यूहन्ना 3:16)

यह वचन मुझे बड़ा ही प्रिय है और तसल्ली देता है, कि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना एकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वो नाश न हो बल्कि अनंत जीवन पाए.

परमेश्वर हमें इतना प्रेम करता है, कि एक मां भी अपने दूध पीते बच्चे को भूल जाए तो भूल जाए लेकिन वो कहता है, मैं न तो तुझे भूलूंगा और न कभी त्यागूँगा . (यशायाह 49:15)

7. परमेश्वर उत्तर देता है (यिर्मयाह 33:3)

बहुत सारे लोग पत्थर की मूर्ति के सामने जिन्दगी भर दोहाई देते रहते हैं और पुकारते रहते हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुनता बाइबल में लिखा है उन मूरतों के मुंह तो होता है लेकिन वो कुछ बोल नहीं सकती. (भजन 115)

लेकिन परमेश्वर कहता है मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुन कर तुझे बढ़ी-बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता। (यिर्मयाह 33:3)

8. परमेश्वर योजना बनाता है (यिर्मयाह 29:11)

परमेश्वर के पास हमारे लिए भली और लाभ की योजनाए हैं वो योजना बनाने वाला परमेश्वर है वो कहता है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा।

9. परमेश्वर जानता है (भजन 139:1)

हमें कोई जाने या न जाने लेकिन हमारा परमेश्वर हमें पूरी रीति से जानता है. वह हमारे बीते समय को वर्तमान को और हमारे भविष्य को जानता है. यहाँ तक कि हमारे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे वो पूरी रीति से न जानता हो.

10. परमेश्वर स्मरण करता है (भजन 103:14)

क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है॥ यह परमेश्वर का स्वभाव है, कि वह हमारे भले कामों को भी स्मरण करता है. वह आपकी प्रार्थनाओं को और दोहाई को भी स्मरण करता है.

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