दोस्तों आज हम सीखेगें यीशु मसीह और जक्कई की कहानी | Life Lessons from Zacchaeus in the Bible | Luke 19:1-10
यीशु मसीह और जक्कई की कहानी | Life lessons from Zacchaeus in the Bible
जक्कई की केवल एक ही इच्छा थी कि वो यीशु को देखे. यीशु मसीह ने कहा, मैं तेरे घर आऊंगा हालाकि जक्कई ने ऐसा विचार नहीं किया था.
वो तो केवल यीशु को देखना चाहता था. लेकिन जैसे ही यीशु जक्कई के घर में प्रवेश करता है उसका जीवन पूरी रीती से बदल गया.
उसने यीशु से कुछ माँगा नहीं बल्कि वह लोगों का जो कुछ गलत रीती से लिया था उसका दुगुना उन्हें देने लगा वह दस आदेश को जानता था.
और उन आज्ञाओं के अनुसार चलने भी लगा तभी यीशु ने कहा आज इसके घर में उद्धार आया है इसलिए यह अब्राहम का पुत्र है. (लूका 19:1-10)
जक्कई की कहानी से सीख | Zacchaeus Bible Story
1. निस्वार्थ रूप से यीशु मसीह को देखने की चाहत: (लूका 19:1-4)
जक्कई के अन्दर एक ही चाहत थी कि वह यीशु मसीह को देख सके. इसलिए उसने योजना बनाई, उसकी इस तीव्र इच्छा के सामने कोई रुकावट उसे रोक नहीं पाई.
भीड़ के कारण वो देख नहीं पा रहा था क्योंकि वह नाटा था इसलिए वह एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया.
यदि हम लगातार कोशिश करते हैं तो अपने जीवन की सभी रुकावटों को पार करने का उपाय निकल ही आएगा.
2. परमेश्वर की दया सभी के लिए उपलब्ध है. (लूका 19:5-6)
हालाकि जक्कई का उसके क्षेत्र में अच्छा नाम और सोहरत नहीं थी क्योंकि वह कर (टैक्स) वसूलने वाला व्यक्ति था.
और उसने अपने जीवन में लोगों से गलत रीती से टैक्स लूटकर अपने आपको धनवान बना लिया था.
लेकिन परमेश्वर जो दया का धनी है यदि कोई उसके पास आना चाहता है तो परमेश्वर भी उसके पास आता है.
यहाँ परमेश्वर की दया जक्कई के जीवन में हुई और यीशु स्वयं उसके घर में प्रवेश करने और उस पर दया बरसाने आ गए.
हमारा बीता समय कैसा भी क्यों न रहा हो यदि हम आज उस परमेश्वर के चरणों में आते हैं तो वो दया का धनी परमेश्वर हमारे सभी पापों से हमें क्षमा कर अपनी सन्तान बनाने के लिए आज भी जीवित परमेश्वर है.
वो हमारे बीते हुए पापों को अपने लहू से धोकर हमें हिम के समान स्वेत कर देता है. वो हमें अपनी सन्तान बनने का अधिकार देता है. उसकी करुणा सदा की है.
3. यीशु मसीह के आने से हालात बदल जाते हैं. (लूका 19:7-8)
जब प्रभु यीशु के साथ किसी व्यक्ति की मुलाक़ात होती है मतलब कोई व्यक्ति जब प्रभु यीशु को अपना मुक्तिदाता मानकर ग्रहण करता है
तब उसके जीवन में अंदरूनी और बाहरी सभी हालात परिस्थिति बदल जाती है. मतलब जब मन परिवर्तन होता है तब वह कार्यों में नजर आने लगता है.
जक्कई ने सच्चा पश्चाताप किया और उसी समय निर्णय लेकर प्रभु के सामने कहा, हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं,
और यदि किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं.
यह दिखाता है कि सच्चा पश्चाताप और मन फिराव केवल शब्दों में या मुंह से नहीं बल्कि हमारे कार्यों से पता चलता है.
4. परमेश्वर किसी अधर्मी का भी नाश होते नहीं देखना चाहता (लूका 19:9-10)
जक्कई के घर में प्रभु यीशु ने यह घोषणा की, कि आज इस घर में उद्धार आया है.
इस बात को प्रमाणित करता है, कि प्रभु यीशु खोये हुओं को ढूढने आया और जक्कई जैसे समाज के नकारे व्यक्ति को भी उद्धार देंना चाहता है.
परमेश्वर भला है उसका प्रेम अपार है. जिसने जक्कई को एक उद्धार का आनन्द दिया वह हमें भी जो उसका नाम लेते हैं सच्चे आनन्द से भरेगा.
5. मेहमाननवाजी (पहुनाई) हमेशा आशीष लेकर आती है (लूका 19:5)
पवित्रशास्त्र में बहुत से स्थाम में हम पाते हैं मेहमान नवाजी करने के कारण लोगों के जीवन में आशीष आई है
जैसे परमेश्वर के दास अब्राहम ने अनजाने में स्वर्गदूतों की पहुनाई की जिसके कारण उसे परमेश्वर ने सन्तान की आशीष दी,
रिबेका ने ऐलियाजर की पहुनाई की जिसके कारण उसे सोने के कंगन मिले और इसहाक के साथ विवाह हुआ.
उसी प्रकार जक्कई ने प्रभु यीशु को बड़े आनन्द से अपने घर लेकर गया और उसके घर में उद्धार आया, और आज हम उसके विषय में चर्चा कर पा रहे हैं.
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