दोस्तों आज हम सुसमाचार प्रचार | Evangelism पर विस्तार से चर्चा करेंगे यह शिक्षा आपको सुसमाचार प्रचार करने में मदद करेगी.
सुसमाचार प्रचार | Evangelism
सुसमाचार क्या है ?
भूखे के लिए रोटी और प्यासे के लिए पानी, अंधे के लिए आँखों की रौशनी और कैदी के लिए रिहाई सुसमाचार है.
लेकिन यहाँ हम जिस सुसमाचार का जिर्क कर रहे हैं वह सबके लिए सुसमाचार है. हर इंसान पापी है और यीशु मसीह का सुसमाचार पाप से मुक्ति का एकमात्र रास्ता है.
सुसमाचार यीशु मसीह द्वारा उद्धार है. सुसमाचार शब्द के लिए नया नियम की मूल भाषा यूनानी में जो शब्द आया है वह इवैन्गिलियोन जिसका अर्थ है गुड टाईडिंग मतलब एक अच्छा संदेश.
सुसमाचार में तीन बातें निहित हैं : एक – यह परमेश्वर की ओर से हैं अथवा परमेश्वर के द्वारा कहा गया है.
दूसरा – यह मानव के लिए आशीषों के समय की खुशखबरी है.
तीसरा – चूँकि यह परमेश्वर की ओर से है और यह मानव के आशीष के लिए है इसलिए इस संदेश को बांटना चाहिए.
सुसमाचार की परिभाषा
सुसमाचार प्रचार का मतलब है कि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से सुमाचार को पेश करना ताकि लोग यीशु मसीह द्वारा परमेश्वर पर विश्वास करें और यीशु को अपना व्यक्तिगत उद्धारकर्ता ग्रहण करते हुए उसे अपना प्रभु मान कर कलीसिया के साथ संगती द्वारा उसकी सेवा कर सकें.
आर्चबिशप कमेटी इंग्लैण्ड
इन आयतों को देखें और उपरोक्त परिभाषा की गहराई समझे: 1 कुरु 12:3, युहन्ना 16:8, 1तिमू 2:5 रोमियो 10:9 प्रेरित 2:41.
सुसमाचार का मतलब है कि अपनी व्यक्तिगत उपस्थिति या आदर्श द्वारा यीशु मसीह का प्रचार इस विश्वास के साथ करना कि पवित्र आत्मा परमेश्वर के वचन द्वारा लोगों. को यीशु के चेले एवं उसकी कलीसिया के जिम्मेदार सदस्य बनाएगा.
बिली ग्राहम (सुसमाचार प्रचारक)
क्या सुसमाचार प्रचार करना जरूरी है
सुसमाचार प्रचार करना बहुत जरूरी है. क्योंकि यीशु मसीह स्वयं सुसमाचार प्रचारक बनकर इस पृथ्वी पर आये.
मत्ती 11:27, मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे।
1तिमू 2:4 – ‘वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें।’ रोमी 10:14-15
सुसमाचार सुनाना हर विश्वासी की जिम्मेदारी है. (मरकुस 16:15) उस ने उन से कहा, तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। पढ़ें – मत्ती:5:14-16, 28:19.
सुसमाचार प्रचार क्यों करें ?
परमेश्वर की यही इच्छा है – 1 तिमू 2:4 इफी 3:5, 6
यीशु मसीह का यही आदर्श है – मर 1:14-15
पवित्र आत्मा एक दिए जाने का यही कारण है. – प्रेरित 1:8
पहली शताब्दी की कलीसिया का यही आदर्श एवं शिक्षा है. – प्रेरित 4:20, 31, 33
संसार के सभी लोगों को इसकी जरुरत है. प्रेरित 4:12
संपूर्ण पवित्रशास्त्र के दिए जाने के यही उद्देश्य हैं. – यशा 19:24. 25
यह विश्वासियों की जिम्मेदारी है. – प्रेरित 4:20
हर इंसान जो जिन्दा है उसे मृत्यु का दिन देखना है. मृत्यु के बाद न तो निर्णय लिया जा सकता है, और न बदला जा सकता है.
स्वर्ग और नरक काल्पनिक नहीं है बल्कि यथार्थ है. मृत्यु के बाद हर इंसान का न्याय होगा, कुछ स्वर्ग तो कुछ नरक जाएंगे.
स्वर्ग का सुख और नरक का दुःख (यातनाएं) दोनों वास्तविक हैं. नरक में तीन प्रकार के सताव हैं. मानसिक-शारीरिक-और परमेश्वर का श्राप
निष्कर्ष : सुसमाचार में लोगों को बदलने की सामर्थ्य है.
दुनिया के हर इंसान के अन्दर चाहे वो अमीर हो या समाज में सम्मानित हो, ज्ञानी हो या कुकर्मी हो एक सूनापन है जिसे पूरा करने के लिए हर इनका कहीं न कहीं सत्य की खोज में रहता है.
लोगों की आलोचना की परवाह किये बिना यीशु सुसमाचार प्रचार का काम करते रहें. जिनको लोग बुरा कहते, नीचा देखते और ठुकरा देते थे, उनसे यीशु प्रेम करता और उन्हें बचाने के लिए उनमें जाकर उनका हमदर्द बन जाता था.
बुरे से बुरा व्यक्ति भी मनफिराव द्वारा परमेश्वर की नजर में संत ठहर सकता है. यीशु लोगों को ढूंढता हुआ जाता है. (इस ताक़ में कि किसको सहारे की जरुरत है.)
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