प्रार्थना कैसे करें | How to Pray Effectively
प्रार्थना मसीही जीवन की स्वास है, लेकिन ऐसी प्रार्थना जो परमेश्वर को भाति हो और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार हो तो वह अवश्य प्रभावशाली होगी. आज हम सीखेंगे कैसे हम एक प्रभावशाली प्रार्थना करना सीख सकते हैं और प्रार्थना की आशीषें प्राप्त कर सकते हैं.
प्रभु यीशु ने जब अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया तब उन्होंने सबसे पहले यह सिखाया की कैसे प्रार्थना नहीं करना….कुछ चीजें जो हम पहले से जानते हैं और उसे सही रीती से नहीं कर रहे हैं तो उसे सुधारकर ठीक करना बहुत जरूरी है… प्रभु ने कहा, अन्य जातियों की भाँती प्रार्थना में बकबक मत करना केवल बहुत सारे शब्द प्रार्थना नहीं होती.
प्रार्थना का सही तरीका | परमेश्वर से प्रार्थना कैसे करें | बाइबल के अनुसार प्रार्थना
बाइबल के परमेश्वर का वचन है, और यह परमेश्वर की भाषा है जो सारे मानव जाति के लिए दी गई है. यदि हम बाइबल के अनुसार इसे पढ़ कर सीख कर और फिर बाइबल के अनुसार ही प्रार्थना करते हैं तो परमेश्वर उस प्रार्थना से प्रसन्न होते हैं.
जैसे किसी संगीतकार को संगीत की भाषा में बताना पड़ता है, मतलब सी माइनर या कौन सी ताल या नोटेशन आदि और एक कम्यूटर इंजिनियर को उसी की भाषा में उसी प्रकार बाइबल के परमेश्वर से बातें करते समय बाइबल के अनुसार ही प्रार्थना करेंगे तो परमेश्वर अवश्य प्रार्थना को सुनेंगे.
कृपया मुझे गलत मत समझें ….परमेश्वर तो सभी भाषाओं को जानते हैं मेरे कहने का तात्पर्य यह है परमेश्वर ने बाइबल में एक तरीका दिया हुआ है प्रार्थना करने का उसी का अनुसरण करने से आशीषें प्राप्त होती हैं.
प्रार्थना क्यों जरुरी है ?
बहुत से लोग केवल प्रार्थना प्रार्थना और प्रार्थना ही करते हैं वे बाइबल को नहीं पढ़ते या नहीं पढना चाहते…वे सोचते हैं कि वे सही कर रहे हैं…उसके विपरीत कुछ लोग केवल बाइबल पढ़ते हैं वे प्रार्थना नहीं करते या बहुत ही कम प्रार्थना करते हैं.
मसीही जीवन एक पंक्षी के पंखो के समान है, जिसके दो पंख होते हैं उसे ऊंचाई में उड़ने के लिए दोनों पंख मजबूत होना जरूरी है. उसी प्रकार एक मसीही जीवन में परमेश्वर का वचन अर्थात बाइबल और प्रार्थना का जीवन दोनों मजबूत होना अति आवश्यक है.... यदि पंक्षी का केवल एक ही पंख होगा तो वह फड़फड़ाएगा लेकिन यदि प्रार्थना और बाइबल मनन दोनों हैं तो आत्मिक जीवन में वह उड़ेगा....
प्रार्थना के क्या फायदे हैं? | प्रार्थना के 20 लाभ | प्रार्थना की 20 अदभुत आशीषें
1. प्रार्थना चंगाई प्रदान करती है.
अनेक बार जब वैध या डाक्टर कुछ नहीं कर पाते तो मरीज को कहते हैं अब कुछ नहीं हो सकता अब दवा काम नहीं कर रही अब केवल दुआ काम कर सकती है…अर्थात प्रार्थना किसी भी विज्ञान या मेडिसिन से बढ़कर है. बाइबल कहती है (याकूब 5:14 तुममे से यदि कोई रोगी या बीमार हो तो उसके लिए प्रार्थना करने से वह ठीक हो जाएगा और बच जाएगा.)
2. प्रार्थना बुद्धिमान बनाती है
परमेश्वर का वचन कहता है याकूब 1:5 में यदि किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्वर से प्रार्थना करें तो परमेश्वर बुद्धि देगा…. पुराने नियम में परमेश्वर ने दाउद के पुत्र सुलेमान को प्रार्थना के कारण बुद्धि प्रदान की और फिर उसके समान और कोई बुद्धिमान राजा नहीं रहा. जिसने पूरे इस्राएल में राज्य किया.
3. प्रार्थना जीवन में आनन्द लाती है
प्रतिदिन परमेश्वर के साथ संगती करने वाला दुखी हो ही नहीं सकता जब परमेश्वर हमारे संग है तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है. प्रभु यीशु ने कहा है तुम मुझसे मांगो ताकि तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए (यूहन्ना 16:24) प्रभु हमें आनन्द की भरपूरी देते हैं.
4. प्रार्थना से हम अपने जीवन का दिशा निर्देश प्राप्त करते हैं
जीवन में अनेक बार ऐसे मोड़ या परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जब हम एक असमंजस की परिस्थित में होते हैं जैसे चौराहा कि अब आगे कहाँ और कैसे जाएं उस समय परमेश्वर से प्रार्थना करने के द्वारा हम सही निर्णय में पहुँच पाते हैं जैसे याकूब ने उस मल्लयुद्ध में किया था और फिर परमेश्वर से दिशा पाकर अपने जीवन में सफल हुआ.
5. प्रार्थना हमें परमेश्वर के प्रेम में बनाये रखती है
पतरस अपनी पहली पत्री के 5:6 में कहता है परमेश्वर के सामर्थी बलवंत हाथों के नीचे दीनता से रहो ताकि वह तुम्हें उचित समय में बढाए. प्रार्थना परमेश्वर में हमें बढ़ाती है और दृढ़ करती है.
6. प्रार्थना हमारे दुःख दूर करती है
जब हन्ना ने मन्दिर में जाकर अपनी सन्तान के लिए परमेश्वर से प्रार्थना किया और घर लौटी तो वह फिर दुखी नहीं रही…. 1 शमुएल 1:18 बाइबिल बताती है ऐसे बहुत से लोग हुए जिन्होंने प्रार्थना के द्वारा अपने दुःख से छुटकारा पाया जैसे अय्यूब ने जब प्रार्थना किया तब परमेश्वर ने उसका सारा का सारा दुःख दूर कर दिया अय्यूब 42:10
7. प्रार्थना हमारी समस्या का समाधान प्रदान करती है
यहोशापात नामक राजा एक बड़ी समस्या में फंस गया था एक साथ तीन तीन देशों की सेना उस पर चढाई कर दी थी ऐसे समय में यहोशापात राजा ने परमेश्वर से प्रार्थना की और परमेश्वर ने उसे उस भारी समस्या से निकाला और बिना युद्ध किये ही उसे विजयी कर दिया (2 इतिहास 20:15)
8. प्रार्थना हमारा खोया हुआ दुगना वापस दिलाती है
शैतान एक अय्यूब नामक परमेश्वर के दास का सब कुछ नाश कर दिया था और उसके सन्तान भी मर गए थे और उसे स्वयं बड़े बड़े फोड़े हो गए थे ऐसे समय मे उसने परमेश्वर से प्रार्थना किया और परमेश्वर ने उसका सारा दुःख दूर किया और उसे जो कुछ खो गया था उसे दो गुना वापस लौटा दिया (अय्यूब 42:10)
9. प्रार्थना हमें परमेश्वर की शान्ति प्रदान करती है
प्रभु यीशु मसीह शान्ति का राजकुमार है, और यदि हमारे जीवन में अशांति है तो हम जब उससे प्रार्थना करते हैं वह अपनी शान्ति हमें प्रदान करता है. जिस प्रकार पौलुस फिलि. 4:6-7 में कहता है किसी भी बात की चिंता न करो बल्कि सभी बातो के लिए प्रार्थना करो तब परमेश्वर की शांन्ति तुम्हें प्राप्त होगी जो तुम्हारे समझ से परे है.
10. प्रार्थना दुष्टात्मा से छुटकारा दिलाती है.
मरकुस 9:24-29 प्रभु यीशु ने बताया उपवास के साथ प्रार्थना करने से बहुत बुरी आत्मा या दुष्टात्मा से भी छुटकारा पाया जा सकता है.
11. प्रार्थना शैतान को हराती है.
याकूब 4:7 यदि हम परमेश्वर के अधीन होकर उससे प्रार्थना करें तो फिर यदि हम शैतान को भी डांटे तो शैतान हमारे सामने से भाग जाएगा.
12. प्रार्थना कठिन और रहस्यमय ज्ञान को समझाती है.
यिर्मयाह 33:3 प्रभु हमसे कहते हैं यदि हम प्रार्थना करे तो वो हमारी प्रार्थना को सुनकर उत्तर देंगे और वो सारी बातें जो हमारे लिए कठिन हैं और रहस्यमयी हैं वो समझने की सामर्थ प्रदान करेंगे.
13. प्रार्थना हमें सामर्थ से भरती है.
न्यायियों 16:18 शिमशोन ने जो आज्ञा का उलंघन किया था लेकिन उसके बावजूद जब उसने परमेश्वर से प्रार्थना किया तब परमेश्वर ने उसे सामर्थ से भर दिया और उसने शत्रुओं का नाश किया.
14. प्रार्थना एक पापी को नाश होने से बचाती है.
लूका 23:39 यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के समय उसके इर्द गिर्द दो चोरों को भी क्रूस पर चढ़ाया गया था उनमें से एक चोर ने जो जीवन भर पाप किया चोरी की थी, अपना मन फिराकर प्रार्थना करता है कि प्रभु जब तेरा राज्य आए तो मेरी भी सुधि लेना तब उसे प्रभु यीशु स्वर्ग ले जाने का आश्वासन देते हैं.
15. प्रार्थना प्रभु से दूर हुए व्यक्ति को फेर लाती है.
याकूब 5:16-20 यदि कोई सत्य के मार्ग से अर्थात प्रभु के मार्ग से भटक जाता है तो प्रार्थना में इतनी सामर्थ है कि उसे प्रभु में पुन: फेर ला सकती है.
16. प्रार्थना बारिश को रोक देती है और रुकी बारिष को खोल देती है
याकूब 5:17-18 बाइबल बताती है एलियाह ने जब प्रार्थना की तब वर्षा साड़े तीन वर्ष के लिए रुक गई थी और फिर से जब वर्षा के लिए प्रार्थना किया तब ही वर्षा हुई थी.
17. प्रार्थना दर्पण के समान हमारी परिस्थिति से अवगत कराती है.
प्रार्थना में ही हमें ज्ञात होता है कि हम पापी हैं और हमारे काम और जीवन शुद्ध नहीं है जिस प्रकार यशायाह 6:5 में भविष्यवक्ता यशायाह कहने लगा मैं तो अशुद्ध होठो वाला पुरुष हूँ…
19. प्रार्थना हमारे ह्रदय को शुद्ध करती है.
दाउद से जब व्यभिचार और हत्या का पाप हुआ था तो उसने उस पाप को परमेश्वर से छिपाया नहीं बल्कि प्रार्थना में क्षमा माँगा और कहा मेरे अंदर शुद्ध मन पैदा कर मुझे क्षमा कर…और बाद में हम देखते हैं दाउद को प्रभु ने आशीष दिया भजन 51
20. प्रार्थना हमारे देश को बचाती है.
परमेश्वर कहते हैं, यदि प्रभु के लोग अपने बुरे चाल को छोड़कर नम्रता दीनता के साथ प्रार्थना करेंगे तो परमेश्वर उनके देश को भी चंगाई देंगे और आशीषित करके उस देश को बचा लेंगे. (2 इतिहास 7:14) हम देखते हैं जब परमेश्वर ने सदोम और गमोरा को आग से नाश करने आये थे तो अब्राहम से कहा था यदि उस देश में प्रार्थना करने वाले होंगे तो वह देश बच जाएगा. उत्त्पति 18:16-33
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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)
Praise the God 🙏 shalom paster ji pray for my family believe and salvation in the name of Jesus Christ 🙏 prabhu ki stuti ho
Praise the Lord Nanda ji jarur ham prarthna karenge prbhu aapke parivar par anugrah pradan karen
Praise the lord pastor ji I read the 20 benefits of prayer very blessed but u write only 19
i am happy you like this article may god bless you