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How To Be Good Christian Parents 15 Amazing Points in Hindi | मसीही परिवार में बच्चों की परवरिश की 15 अद्भुत बातें

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मसीही परिवार में बच्चों की परवरिश कैसे करें ? | Godly Parenting

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मसीही-परिवार-में-बच्चों-की-परवरिश Image by Dale Parker from Pixabay

बच्चे यहोवा परेश्वर के दिए हुए वरदान (गिफ्ट) हैं इसलिए हमें यह सीखना अति आवश्यक हैं कि, “मसीही परिवार में बच्चों की परवरिश कैसे करें?” बच्चों का सबसे पहली पाठशाला उसका स्वयं का घर होता है जिसमें माता पिता उसके सबसे पहले गुरु या शिक्षक होते हैं.

बच्चे वो कम सीखते हैं जो हम उन्हें सिखाते हैं लेकिन वे जो कुछ अपने माता पिता को करते देखते हैं वो अवश्य बिना सिखाए सीख जाते हैं. इसलिए हम माता पिता को अपने बच्चों के लिए रोल मोडल होना चाहिए. विद्वानों का मानना है, कि बच्चे माता के पेट से ही सीखने लगते हैं.

मैंने भी देखा है जब मेरी पहली सन्तान मतलब बेटा होने वाला था तो मेरी पत्नी जिन मसीही गीतों को सुनती थी मेरा बेटा आज 14 साल बाद भी उन्हीं गीतों को पसंद करता है.

बाइबल में सबसे बुद्धिमान राजा सुलेमान ने इस प्रकार कहा, "बच्चों को उसी मार्ग की शिक्षा दें जिसमें उसे चलना चाहिए या जाना चाहिए और जब वह बूढ़ा भी हो जाएगा तो भी उस मार्ग या शिक्षा से न हटेगा. 
(नीतिवचन 22:6) 

मसीही परिवार में बच्चों की अच्छी परवरिश क्यों बहुत आवश्यक है ?

बाइबल के अनुसार परमेश्वर के बड़े बड़े दास जिन्होंने पूरी दुनिया में नाम कमाया और बहुत ही बड़ी सेवकाई की, वे अपने बच्चों को सिखाने में असफल रहे. जैसे आराधनालय का महायाजक एली जिसके कहने मात्र से हन्ना नामक एक बाँझ स्त्री ने सुंदर पुत्र को जन्म दिया था वह अपने घर की सेवकाई अर्थात अपने बच्चों को सिखाने में फेल रहा.

उसके बाद एक ऐसा नबी उठा जो राजाओं का अभिषेक करता था उसका नाम शमुएल था उसने बहुत बड़ी सेवाकाई की इस्राएल के पहले राजा शाउल का अभिषेक किया और राजा दाउद का अभिषेक भी किया लेकिन उसने अपने बच्चो को सिखाने में असफल रहा. उसके बच्चे प्रभु के मार्ग में सही नहीं चले.

उसके बाद हम देखते हैं इस्राएल का सबसे बढ़िया राजा जिसने कभी कोई युद्ध नहीं हारा जिसे परमेश्वर ने अपने मन के जैसा व्यक्ति कहा वह था राजा दाउद लेकिन उसने भी अपने बच्चो को सही शिक्षा नहीं दे पाया और उसके बच्चे उसके ही विरोध हो गए और पाप कर बैठे.

ये उदाहरण हमें सिखाते हैं कि हम मसीह को अपने बच्चों को अवश्य मसीही शिक्षा देना चाहिए. हम दुनिया को शिक्षा दे और अपने घर में ही असफल हो जाएं तो क्या लाभ. तो आइये हम देखते हैं कि अपने बच्चों को क्या सिखाएं.

1. बच्चों को खुद का ध्यान रखना सिखाएं | मसीही परिवार में बच्चों की परवरिश

बचपन से ही अपने बच्चों को स्वयं का ध्यान रखना सिखाना चाहिए. जैसे उसे स्वयं से कैसे खाना खाना है, अपने शरीर को स्वच्छ रखना है. कपड़े कैसे पहनना है. एक बच्चे यदि अपने माता पिता को तैयार होकर बाहर जाते हैं. तो वो भी घर से बाहर जाने से पहले आईने में देखेगे कि वो तैयार है या नहीं.

2. अपने बच्चों को परमेश्वर पर विश्वास और स्वयं पर विश्वास करना सिखाएं.

परमेश्वर ने हर एक व्यक्ति को अद्भुत रीति से और Unique बनाया है. परमेश्वर का दास पौलुस कहता है, जो मुझे सामर्थ देता है, उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ (फिली 4:13) जब आपका बच्चा किसी खेल में या गीत प्रतियोगिता में भाग लेता है आपको दर्शको के साथ वहां उसका हौसला अफजाई करना है.

3. अपने बच्चे को क्षमा करना सिखाएं | मसीही परिवार में बच्चों की परवरिश के टिप्स

बच्चे को मोरल वैल्यू सिखाते समय यह भी सिखाएं मनुष्यों से गलती होती है आप से भी गलती होती है. उसे स्वयं को और दूसरों को माफ़ करना सिखाएं. और जब वह ऐसा करे तो कहें मुझे तुम पर गर्व है. ऐसे में उसका आत्मसम्मान बढ़ेगा.

4. अपने बच्चे को परमेश्वर के वचन पर मनन करना सिखाएं

बच्चों का मन एक खेत के समान है यदि उसमें कुछ अच्छा बोते हैं तो अच्छी फसल उगेगी. नहीं बोएगें तो खरपतवार या कचरा उगेगा. उसी प्रकार अपने बच्चों को कम से कम दिन में एक बार पवित्रशास्त्र बाइबल पढ़ने और उस पर मनन करना सिखाएं.

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मसीही-परिवार-में-बच्चों-की-परवरिश Image by Gerd Altmann from Pixabay

5. अपने बच्चे को अच्छे मित्र बनाना सिखाएं | मसीही परिवार और बच्चे

बुरी संगती अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है (1 कुरुन्थियों 15:33) एक अच्छा या बुरा व्यक्ति अपनी संगती के कारण ही पहचाना जाता है. एक जैसे पंख वाले पक्षी हमेशा साथ साथ रहते और साथ साथ उड़ते हैं. सिखाएं कि बच्चे कलीसिया के लोगों से और विश्वासियों के बच्चों के साथ ज्यादा संगती रखें.

6. अपने बच्चे को बुराई का विरोध करना सिखाएं

प्रभु का दास दानिएल अकेला था लेकिन उसने बुराई का साथ नहीं दिया. उसके मित्र सद्रक मेशक और अबेदनगो लाखों लोगों के सामने भी बुराई के विरुद्ध अडिग खड़े रहे चाहे उसके लिए उन्हें आग के भट्टे में ही क्यों न जाना पड़े. जिसका परिणाम यह हुआ कि परमेश्वर स्वयं धरती पर उतर कर उन्हें बचाया और उनके नाम की चर्चा पूरी दुनिया में हुई.

7. अपने बच्चे को उसके आत्मिक वरदान पहचानना सिखाएं

जिस प्रकार बाइबल हमें सिखाती है हर एक व्यक्ति को वरदान मिला है. (1 पतरस 4:10) जितनी जल्दी हमारे बच्चे अपने वरदान को (गिफ्ट) Unique Calling को पहचान लेंगे. वो परमेश्वर के राज्य के लिए और समाज के लिए एक वरदान बन जाएंगे.

8. अपने बच्चे को अनुशासन सिखाएं

बच्चे को रिस न दिलाएं, उसे चिढ न दिलाएं लेकिन उसे अनुशासित अवश्य करें. जिद्द करने पर या लगातार शरारत करने पर उसे अनुशासन में लाने के लिए छड़ी उठाना पड़े तो उठाएं. लेकिन क्रोध में ना मारें बल्कि सुधारने के लिए अनुशाषित करें. फिर उसे गले से भी लगाएं. जब वह लंच बोक्स लेकर जाए तो कभी कभी उसमें एक पर्चा में लिख कर भेजें I love you so much.

9. अपने बच्चे को लक्ष्य बनाना सिखाएं | बच्चों को कैसे शिक्षा दें बाइबल से?

(इफिसियों 2:10) क्योंकि हम परमेश्वर के बनाए हुए हैं, और उन भले कामों के लिए सृजे गए हैं जिन्हें परमेश्वर ने पहले से हमारे करने के लिए तैयार किया है. इस वचन के अनुसार परमेश्वर ने हरेक व्यक्ति को इस धरती पर कुछ अद्भुत काम करने हेतु बनाया है. इसलिए उसे अपने जीवन का लक्ष्य स्वयं बनाने दें. अपने विचार या अपने लक्ष्य उन पर न थोपें. लेकिन अच्छे लक्ष्य बनाने में उनकी मदद अवश्य करें.

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10. अपने बच्चे को योजना बनाना सिखाएं

बच्चे को सही रास्ता दिखाने सेबेहतर है उसे सही रास्ता चुनने दें. बच्चे को योजना बनाने दें कि पिकनिक या परिवार की छुट्टी के लिए क्या करना है. महत्वपूर्ण परिवार की स्थिति पर बच्चे की राय पूँछे और निर्णय किया जाना चाहिए. जिससे वह अपने घर में अपने अधिकार के प्रति जागरूक होगा.

11. अपने बच्चे को खेल के नियमों के विषय में सिखाएं

बिना नियम के कोई भी खेल नहीं होता. उसी रीति से जब उसके साथ खेलें तो उसे जीवन के नियम भी सिखाते रहें. जैसे हार जीत temporary (अल्पकालिक) हैं इसमें निराश नहीं होना चाहिए. Outdoor खेल उसके स्वास्थ के लिए और उसके सामाजिक और व्यवहारिक जीवन के लिए अति आवश्यक हैं.

12. अपने बच्चे को अच्छी पुस्तकें पढ़ना सिखाएं

Leaders are Readers एक अच्छा अगुवा एक अच्छा पढ़ने वाला होता है. जैसी किताबें हम पढ़ते हैं वैसे हम हो जाते हैं. उसे महापुरुषों की जीवनी और बिओग्राफी पढ़ने को दें. और बाइबल के महापुरुष की कहानी सुनाएं और पढाएं.

13. अपने बच्चे को प्रार्थना करना सिखाएं | बाइबल के अनुसार परिवार

बिना प्रार्थना के बच्चों को कभी भी स्कूल न भेजें. हर बात में उसे परमेश्वर का धन्यवाद करना सिखाएं. घर में शाम को भोजन करने से पहले कम से कम थोड़ी देर के लिए पूरे दिन के लिए एक साथ परमेश्वर का धन्यवाद करते हुए प्रार्थना करें. एक अंग्रेजी में कहावत है Family which pray together stay together. एक परिवार यदि रोज प्रार्थना करता है वह एकता में रहता है और अपने बच्चों को भी वही बात सिखाएगा.

14. अपने बच्चे को उसके मित्रों को सुसमाचार सुनाना सिखाएं

बचपन से ही बच्चों को सुसमाचार की महत्ता सिखाएं और उसे अपने मित्रों को सुसमाचार सुनाना सिखाएं. उसे बताएं सुसमाचार ही उद्धार का एकमात्र रास्ता है. कि यीशु सारे मानव जाति के लिए क्रूस पर मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन मुर्दों में से जी उठा. और फिर से उस पर विश्वास करने वालों के स्वर्ग ले जाने आने वाला है.

15. अपने बच्चे को नैतिक शिक्षा सिखाएं | बच्चों और माता पिता के बारे में बाइबल की शिक्षा

बच्चे के साथ बीज बोएं, पौधे लगाएं, अपने बच्चे का विकास, शरीर, मन, समुदाय और आध्यात्मिकता में बढ़ाएं. दूसरों का बड़ो का आदर करने के लिए प्रोत्साहित करें. सन्डे स्कूल या चर्च में मेमोरी वर्स (कण्ठस्य वचन) याद करने और बोलने के लिए प्रोत्साहित करें. पड़ोसियों और शिक्षकों के सामने अपने बच्चे के साथ खड़े हों.

यीशु ने बच्चों के विषय में कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो उन्हें मना मत करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों ही का है.

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Pastor Rajesh Bawaria (An inspirational Christian evangelist and Bible teacher)

rajeshkumarbavaria@gmail.com

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