एक भली और आदर्श पत्नी कौन पा सकता है बाइबिल बताती है उसका मूल्य तो मुंगे से भी कहीं बढ़कर है. पवित्रशास्त कहता है एक बुद्धिमान पत्नी अपने हाथों से अपना घर बनाती है. धन और सम्पत्ति तो पुरखाओं से अर्थात दादा परदादा आदि से मिल सकती है लेकिन एक बुद्धिमान पत्नी यहोवा परमेश्वर की ओर से ही प्राप्त होती है. आइए देखें वे 7 qualities.
एक आदर्श पत्नी विश्वासयोग्य होती है
पति हो या पत्नी विश्वासयोग्यता सर्वोच्च गुण है जिसके बिना बाकी सारे गुण किसी काम के नहीं. नीतिवचन का लिखने वाला बड़ी खूबसूरती से लिखता है कि एक भली पत्नी अनमोल है बेशकीमती है क्योंकि उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास रहता है. (नीतिवचन 31:10)
परमेश्वर का भय मानने वाली स्त्री अपने घराने के प्रति और अपने पति के प्रति विश्वास योग्य रहती है. चाहे उसका पति सामने हो या न हो. हर परिस्थिति में विश्वास ही सच्चे रिश्ते की बुनियाद है. एक चरित्रवान स्त्री अपने अविश्वासी पति को भी जीतकर उसे विश्वास में ला सकती है. (1 पतरस 3:1-3)
एक आदर्श पत्नी अपने पति का आदर करती है
वो अपने पति की कमियों या गलतियों के विषय में किसी के सामने चर्चा नहीं करती लेकिन जानती है इसे प्रेम से और आदर देकर प्रार्थना के साथ सुधार जा सकता है. और किसी भी रीती से आदर को कम नहीं करती ऐसी पत्नी देर सबेर ही सही लेकिन अपने पति के दिल को जीत लेती है.
वो न केवल अपने पति का बल्कि उसके सास ससुर का और पति से जुड़े सभी लोगों का आदर करती है. वो पति को अपना सिर मानती है जिस प्रकार यीशु मसीह कलीसिया का सिर है (इफिसियों 5:22-23) और इस प्रकार दोनों सम्मानित होते हैं.
एक आदर्श पत्नी अपने पति के लिए सच्चा सहायक होती है
परमेश्वर ने जब सारी सृष्टि की रचना की तब कहा कि ये सब कुछ अच्छा है लेकिन जब आदम को बनाया तब परमेश्वर ने स्वयं से कहा, मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं. इसलिए मैं उसके लिए एक सहायक बनाऊंगा. अर्थात स्त्री को बनाऊंगा. हरेक पुरुष को एक सहायक की आवश्यकता है. (उत्पत्ति 2:8)
सहायक शब्द पवित्रात्मा के लिए भी इस्तेमाल किया गया है जब प्रभु ने कहा मैं तुम्हें एक सहायक अर्थात पवित्रात्मा दूंगा. मतलब सहायक कमजोर नहीं बल्कि हर दुःख सुख में पूरे आनन्द के साथ अपने पति की सहायता करना यही परमेश्वर की भी एक पत्नी के लिए इच्छा है. (यूहन्ना 15:26-27)
एक आदर्श पत्नी अपने पति के अधीन रहती है जैसे प्रभु के
अधीन रहने का मतलब दासी बनकर रहने से नहीं है, पत्नी दासी नहीं है, लेकिन घर का मुखिया पति है जिस प्रकार से कलीसिया का मुखिया या सिर प्रभु यीशु है, हम बड़े आनन्द से प्रभु यीशु को अपना सिर मानते हैं. उसका निर्णय सर्वोपरी है उसी प्रकार पति का निर्णय में स्त्रियों को रहना चाहिए.
इसे समझें, जिस प्रकार से एक राजमहल में दो राजा नहीं रह सकते उसी प्रकार एक परिवार के दोनों पहिये एक ही दिशा में चलने चाहिए. पति पत्नी दोनों को सोच विचार कर निर्णय लेने से परिवार बना रहता है. स्त्री पति को एक लीडर के रूप में देखती है.
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एक आदर्श पत्नी मेहनती होती है
एक बुद्धिमान पत्नी अपने घर को बनाती है. घर बिगाड़ने वाली स्त्री मूर्ख होती है. नीतिवचन 31 बहुत ही सुंदर रीति से एक आदर्श पत्नी की व्याख्या करता है, कि वह बड़े भोर को उठ जाती है, और बड़ी प्रसन्नता से कामों को करती है. दोस्तों एक कामकाजी और मेहनती स्त्री की तारीफ सब जगह होती है.
वह अपने हाथों के परिश्रम से अंगूर की बारी लगाती है…अटेरन में हाथ लगाती और चरखा पकड़ती है…इसका मतलब है जो भी काम उसके सामने हो या चाहे खेती बाड़ी का काम हो या शहरी दफ्तरों में काम हो बड़े परिश्रम के साथ करने वाली होती है. (नीतिवचन 31:16-18)
एक आदर्श पत्नी अपने पति का मुकुट होती है
एक आदर्श पत्नी अपने पति पर हमेशा शिकायत नहीं करती रहती…बल्कि वह उसे सराहती है उसका सम्मान करती है और विचार करती है किस प्रकार उसके पति का सम्मान हो सके. वो पैर की जूती नहीं बल्कि बाइबिल बताती है पत्नी पति के सिर का मुकुट होती है.
वो अपने पति से संग संग एक टीम के जैसे काम करती है…एक टीम में कोई बड़ा या छोटा नहीं होता…यदि टीम का साथी हार रहा है मतलब पूरी की पूरी टीम हार रही है. समाज में पति की हार पत्नी की भी हार है लेकिन पति की जीत पत्नी की भी जीत है. ऐसे घरों के बच्चे भी बुद्धिमान होते हैं क्योंकि वे देख कर सीखते हैं.
एक आदर्श पत्नी धन के विषय में भी बुद्धिमान होती है
एक बुद्धिमान स्त्री पैसो के रखरखाव अर्थात Saving and Investing के विषय में अच्छी जानकारी रखती है. सभी दिन समान नहीं होते लेकिन पैसों के विषय में जानकारी हमेशा लाभदायक होता है. कैसे इसे बचाया जाए और कहाँ सावधानी से और बुद्धिमानी से निवेश किया जाए.
नीतिवचन 31:18 में लिखा है ऐसी स्त्री किसी खेत के विषय में सोच विचार करती है…अर्थात एक नए और Extra income के विषय में सोचती है और उस खेत को खरीद लेती है और उसमें मेहनत करती है. और इसी कारण उसे लाभ की घटी नहीं होती… मतलब वो जानती है, लाभ केवल व्यापार में मिलता है नौकरी में तनख्वाह मिलती है…
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