सुसमाचार-प्रचार-कैसे-करें

नए लोगों को सुसमाचार प्रचार कैसे करें ? 4 कदम | How to Preach The Gospel Easily in Hindi

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आज हम सीखेंगे उद्धार का सुसमाचार प्रचार कैसे करें ? और एक नए लोगों को सुसमाचार प्रचार कैसे करें ? तो आइये शुरू करते हैं.

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सुसमाचार क्या है ? | सुसमाचार का अर्थ | सुसमाचार का मतलब

यीशु मसीह ही सुसमाचार हैं, वे इस दुनिया में मानव रूप लेकर आए और सारे मानव जाति के सारे पापों के लिए स्वयं को क्रूस पर बलिदान कर दिए गाड़े गए और तीसरे दिन फिर से जी उठे ताकि जो कोई उन पर विश्वास करे वो नाश न हो परन्तु अनंत जीवन पाए यही सुसमाचार है. सारी मानव जाति पापी है इस बात को जानने के लिए हमें बाइबल के उत्पति की बातों को जानना होगा.

संक्षेप में कहें तो परमेश्वर ने मानव जाति को अपने स्वरूप में बनाया था ताकि उसके साथ संगती कर सके लेकिन पहले पुरुष आदम और स्त्री हव्वा ने परमेश्वर के आज्ञा का उलंघन करके पाप कर बैठे और उसकी संगती से दूर हो गए जिसके कारण मानव स्वभाव से ही पापी होने लगा और परमेश्वर से दूर होने लगा. तब परमेश्वर ने एक योजना बनाई की उस मानव जाति को फिर से अपनी संगती में मिलाने के लिए वह स्वयं मानव बनकर इस दुनिया में आए जिनका नाम यीशु रखा गया.

आदि में वचन था वचन ही परमेश्वर के साथ था और वचन परमेश्वर था और वचन देहधारी हुआ… और परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो वरन अनंत जीवन पाए.

पवित्रशास्त्र

यह हमारे उद्धार के लिए परमेश्वर की सामर्थ है. :- (रोमियो 1:16) संत पौलुस कहते हैं जो भी विश्वास करता है चाहे वह यहूदी हो या यूनानी सभी के उद्धार के लिए यह परमेश्वर की सामर्थ है इसलिए मैं इसे सुनाने से नहीं लजाता.

संसार का अंत इसी सुसमाचार पर आधारित है. :- राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा कि सब जातियों पर गवाह हो तब अंत आ जाएगा. (मत्ती 24:14)

इसी सुसमाचार के कारण हम और आप आत्मिक सन्तान हुए हैं :- क्योकि यदि मसीह में तुम्हारे सिखाने बाले दस हजार भी होते तौभी तुम्हारे पिता बहुत से नहीं इसलिए कि मसीह यीशु में सुसमाचार के द्वारा मैं तुम्हारा पिता हुआ (1 कुरु 4:15) बहुत बार हम लोगों को सुसमाचार सुनाना तो चाहते हैं लेकिन नहीं जानते की सुसमाचार प्रचार कैसे करें ?

सुसमाचार प्रचार कैसे करें ? | यीशु मसीह का सुसमाचार कैसे सुनाएं ?

प्रेरितों के काम अध्याय 8 में हम एक ऐसे किरदार को पाते हैं जिसे पूरी बाइबल में सुसमाचार प्रचारक कहा गया है. हाँ हम बात कर रहे हैं सुसमाचार प्रचारक फिलिप्पुस की. उसने कन्दाके की रानी के खजांची खोजे को सुसमाचार सुनाया था. इस घटना से हम कुछ बातों को सीखते हैं कि कैसे उसने उसे सुसमाचार सुनाया और उन्हीं बातों में हम आज मनन करेंगे.

संक्षेप में… आराधना के पश्चात खजांची खोजा अपने रथ में अपने महल रेगिस्तान से होता हुआ जा रहा था. तभी फिलिप्पुस पवित्रात्मा की अगुवाई पाकर खोजे के पास गया तो देखा खोजा पवित्रशास्त्र की पुस्तक यशायाह पढ़ रहा है तब फिलिप्पुस उससे बातचीत करता है और उसे उस अध्याय में से समझाकर उसे निर्णय लेने में मदद करता है. इस रीति से खोजा पूर्ण विश्वास करता है और नया जन्म पाने हेतु पानी में डूब का बपतिस्मा लेता है. इससे हम क्या सीखते हैं.

पढ़ें :- यीशु मसीह कौन हैं

1, पवित्रात्मा की अगुवाई पाना है. :- फिलिप्पुस ने पवित्रात्मा की अगुवाई पाकर सुसमाचार सुनाने गया. हमें भी आत्मा की अगुवाई से जाना चाहिए. तो कैसे हम पवित्रात्मा की अगुवाई पा सकते हैं. इसका सबसे उत्तम तरीका है प्रार्थना के द्वारा.

हमें कुछ लोगों के नामों की लिस्ट बनानी चाहिए जिन्हें हम सुसमाचार सुनाना चाहते हैं. वे हमारे सगे संबंधी, सहकर्मी, पड़ोसी या मित्र हो सकते हैं. उनके लिए नाम लिखकर प्रतिदिन प्रार्थना करें.

2, आज्ञापालन करें (सुसमाचार सुनाने जाएं) :- जब आपने प्रार्थना की है परमेश्वर अवश्य जिस प्रकार से फिलिप्पुस की अगुवाई की उसी प्रकार आपकी अगुवाई करेंगे. और ऐसा अवसर प्रदान करेगे कि उस व्यक्ति को या तो आपकी आवश्यकता पड़ेगी या फिर कुछ ऐसी परिस्थिति आ पड़ेगी कि आपको उससे बात करने का अवसर प्रदान होगा.

उस अवसर को हाथ से न जाने दें. वो परमेश्वर का दिया हुआ अवसर है. उस समय आप अवश्य जाएं. बहुत से लोग प्रार्थना तो करते हैं. कि उनके परिवार के लोग प्रभु को जान लें और उद्धार पा लें. लेकिन जब अवसर मिलता है तो वे बोलने से चूक जाते हैं. और सुसमाचार नहीं सुना पाते.

आप परमेश्वर के दिए अवसर को बहुमूल्य जाने… और आज्ञापालन करते हुए अवश्य जाएं. सारी बाते अपने आप अनुकूल हो जाएगी जब आज्ञापालन करते हुए जाते हैं.

3, जाकर बातचीत करें :- जाते ही आप उन्हें प्रचार न करने लगें बल्कि साधारण बातचीत या वार्तालाप से शुरुआत करें. बातचीत करने का सबसे बढ़िया तरीका है आप उनकी वास्तविक तारीफ़ से शुरू करें. जैसे उनके कुछ गुणों की तारीफ़ या कपड़े या उनके व्यक्तित्व के विषय में. और हां ध्यान रहे यह तारीफ़ वास्तविक होना चाहिए, झूठी नहीं.

फिर उनसे कुछ ऐसे प्रश्न या सवाल पूछें जिनके द्वारा वे अपने वर्तमान जीवन की व्याख्या करें. ऐसे सवाल को न पूछें जिनका एक शब्द में जवाब मिले. जैसे यदि आपने सवाल किया कि आप कैसे हैं…? उनका जवाब होगा…ठीक हैं. उसके बाद बात आगे नहीं बढ़ेगी.

इसलिए कुछ ऐसे खुले सवाल करें जिनसे वे अपने बारे में व्याख्या करके विवरण देकर जवाब दें. जब वे विस्तार से आपको अपने जीवन के विषय में बताएं तब आप उन्हें ध्यान से सुनें और उस बात को ध्यान से सुनकर उनकी समस्या को पहचानने की कोशिश करें.

4, अपनी गवाही बताएं :- जब सामने वाला व्यक्ति अपनी बात कह चुके तब आप उसे अपनी गवाही संक्षिप्त शब्दों में दें. गवाही मतलब जो कुछ परमेश्वर ने आपके जीवन में किया है. आप अपनी गवाही तीन मिनिट में बता सकते हो जैसे पहले मिनिट में आप बताएं कि प्रभु यीशु को जानने से पहले आपका जीवन कैसा था.

दूसरे मिनिट में बताएं कि आपने प्रभु यीशु को कैसे ग्रहण किया (किसके द्वारा, क्या घटना थी) फिर आखरी मिनिट में आप बताएं कि अब आपका जीवन कैसा है. और उससे पूछें क्या आप यीशु के बारे में और जानना चाहते हैं यदि उसके पास उस वक्त समय नहीं हैं तो आप फिर किसी दिन उससे समय मांगकर फिर से जाएं.

यीशु का सुसमाचार

जब आप दूसरी बार जाते हैं उस समय आप पहले से तैयार होकर जाएं. मतलब आप ने उसकी समस्या सुनी हुई है उसकी समस्या से मिलती जुलती क्या कोई घटना बाइबल में पाई जाती है यदि हाँ तो कोशिश करें की मती मरकुस लूका और यूहन्ना (अर्थात चारों सुसमाचारों में से ही) किसी घटना का चयन करें. और उस घटना के कुछ साधारण से प्रश्न बना ले और फिर उस व्यक्ति के पास यीशु मसीह के वचन के साथ जाएं.

मसीह का सुसमाचार

जैसे…मान लीजिए वह बीमार है तो आप बाइबल में देखें और पढ़ें ऐसा कौन सा व्यक्ति था जो बहुत बीमार था. आपने पाया यूहन्ना रचित सुसमाचार में 5वे अध्याय में 38 वर्ष से रोगी व्यक्ति आपने बाइबल के उस भाग का अध्ययन पहले ही लिया है. अब उसपर आप 4 सवाल बनाइए. और जिससे मिलने जा रहे हैं उससे ही बाइबल के भाग को पढवाईये. जब वह उस भाग को पढ़चुके तब उससे सरल सवाल कीजिये जो आपने तैयार किये हैं जैसे.

पहला सवाल उस व्यक्ति की क्या समस्या थी … यदि व्यक्ति ने पढ़ा है या सुना है तो वह बताएगा कि वह बाइबल का व्यक्ति 38 साल से रोगी था. लकवा ग्रस्त था, या इसी प्रकार का कुछ जवाब देगा. बिलकुल सही. फिर आप दूसरा सवाल कीजिए.

दूसरा सवाल उस 38 साल के रोगी ने ठीक होने के लिए क्या किया :- अब वह कुछ जवाब देगा जो भी जवाब दे यदि वह बाइबल के अनुसार है तो आप उसे प्रोत्साहित कीजिये कि हाँ आपने सही कहा. आप समझ रहे हैं आदि आदि शब्द कहकर उसे आगे एक और सवाल कीजिये.

यीशु मसीह ने उसे कैसे चंगा किया या ठीक किया :- उस व्यक्ति को बताने दीजिए आप मत जवाब दीजिये क्योंकि आप तो जानते हैं. वह बताएगा कि यीशु उसके पास आये और उसे शब्द बोलकर ठीक कर दिए. सही जवाब पाते ही आप उससे आखरी और व्यक्तिगत सवाल कीजिए….कि …

आपको कौन ठीक कर सकता है…या चंगा कर सकता है. :- उस व्यक्ति का जवाब होना चाहिए हाँ यीशु मसीह जब उस बड़े रोगी को जो 38 वर्ष से रोगी था उसे ठीक कर सकता है तो मुझे भी ठीक कर सकता है. फिर उसकी अनुमति से आप एक छोटी सी प्रार्थना उसके लिए कर सकते हैं और उसे एक नया नियम बाइबल गिफ्ट देकर आ सकते हैं.

पढ़ें :- सुसमाचार का इतिहास

आपने अपना सुसमाचार का काम कर दिया अब देखिए आगे का काम परमेश्वर का है परमेश्वर उसके जीवन में अवश्य काम करेंगे. इस प्रकार व्यक्तिगत सुसमाचार सरलता से एवं प्रभावशाली रीती से आप प्रचार कर सकते हैं. आज हमने सीखा है सुसमाचार प्रचार कैसे करें इसके दूसरे भाग में हम सीखेंगे कि कैसे उस व्यक्ति को हम फोलोअप करके प्रभु यीशु का चेला बना सकते हैं और उसके जीवन में आशीष का कारण बना सकते हैं. आप बाइबल की कहानियां सुनने के लिए इस लिंक मेंउपवास प्रार्थना कैसे करें ?

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प्रकाशितवाक्य की शिक्षा

https://biblevani.com/

पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


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