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Teaching of Jesus in The Bible Hindi part 1 | तुम धरती के नमक हो का मतलब | यीशु मसीह की शिक्षाएं

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यीशु मसीह की शिक्षाएं | यीशु मसीह की मुख्य शिक्षाएं | | यीशु मसीह की शिक्षाएं इन हिंदी | यीशु मसीह की शिक्षाएं हिंदी में

यीशु मसीह की मुख्य शिक्षाएं क्या हैं ?

प्रभु यीशु ने मानव रूप धारण कर इस संसार को अनेक शिक्षाएं दी हैं जैसे, क्षमा, नम्रता, शान्ति, दया आदि लेकिन यीशु की शिक्षाओं में सबसे मुख्य शिक्षा स्वर्ग राज्य के विषय में है. इस लेख में हम उनकी दी गई शिक्षा में से एक भाग ले रहे हैं और आने वाले दिनों में प्रभु यीशु की अन्य शिक्षाओं के विषय में भी विस्तार से सीखेंगे.

तुम पृथ्वी के नमक हो (मत्ती 5:13) | यीशु मसीह की शिक्षाएं भाग 1

तुम पृथ्वी के नमक हो, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह पीर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इसके कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए. 
(मत्ती 5:13)

मत्ती रचित सुसमाचार के 5:13 में जो भाग हम पाते हैं उसे पहाड़ी उपदेश कहा जाता है. क्योंकि यीशु मसीह ने एक पहाड़ी में ये उपदेश दिए थे. यीशु मसीह अपनी शिक्षाओं में लोगों के रोजमर्रा के कामों और उदाहरण को लेकर ही सिखाते थे.

ताकि वो बात लोगों को समझ में आ सके. यीशु की शिक्षाएं उदाहरण और कहानियों से भरपूर हुआ करती थीं. ये कहानियां बच्चों और बड़ो एवं पढ़े लिखे और अनपढ़ सबके लिए हुआ करती थीं.

ऐसे शिक्षाओं में उन्होंने लोगों को जो उसके उपदेश पर और यीशु पर विश्वास करते थे उन्हें उत्साहित करते हुए कहा. तुम पृथ्वी के नमक हो.

ईसा मसीह फोटो

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Image by Gordon Johnson from Pixabay यीशु-मसीह-की-शिक्षाएं

यीशु ने क्यों कहा तुम पृथ्वी के नमक हो.

नमक का महत्त्व बहुत बड़ा है. नमक भोजन वस्तु आचार जैसे चीजों को सुरक्षित रखता है इसलिए नमक इसमें मिलाया जाता है. हमारे शरीर में भी नमक बहुत आवश्यक है. इसलिए जब दस्त या उलटी होती है तब नमक चीनी का घोल पिलाया जाता है. यहाँ तक की गर्मी में जानवरों को भी नमक खिलाया जाता है ताकि उन्हें लू न लगे. और वे बीमार न पढ़े.

नमक का कोई विकल्प नहीं है | यीशु मसीह के सन्देश हिंदी में

यदि हमारे घर में हम भोजन या कोई सब्जी बनाते हैं सारे मंहगे से मंहगे मसाले उसमें डाले जाए लेकिन यदि उसमें नमक न हो तो उसमें कोई स्वाद नहीं होगा. सब्जी (साग) में यदि उसे खट्टा करना है तो हम टमाटर डालते हैं.

यदि टमाटर न हो या बहुत मंहगा होगा तो हम उसमें अमचूर डाल सकते हैं. यदि अमचूर भी न हो नीबू डाला जा सकता है. यदि हमारे घर में चाय बनाना है और चीनी न हो तो हम उसमें गुड़ डाल सकते हैं.

मतलब खट्टे और मीठे का विकल्प है उसके स्थान में कुछ और डाल कर खट्टा या मीठा किया जा सकता है. लेकिन नमक का कोई विकल्प नहीं है. नमक के बदले हम सब्जी में कुछ भी नहीं डाल सकते. मतलब प्रभु हमसे कहना चाह रहे हैं तुम पृथ्वी के नमक हो…तुम नहीं हो तो कुछ भी नहीं है. दुनिया में कोई स्वाद नहीं कोई चीज तुम्हारा विकल्प नहीं हो सकती.

तुम ही हो जो इस दुनिया को सुरक्षित रख रखते हो. हम जितनी सब्जी बनाते हैं मतलब यदि 20 किलो सब्जी बना रहे हैं तो 20 किलो ही नमक नहीं डालते बल्कि नमक स्वाद अनुसार थोड़ा सा ही डालते हैं. दुनिया में करोड़ो लोग हैं लेकिन हम प्रभु को मानने वाले कम है लेकिन अतिआवश्यक हैं.

बिना विश्वासियों के दुनिया में कोई स्वाद नहीं. इसलिए 1 इतिहास 7:14 में परमेश्वर ने कहा, “मेरे लोग जो मेरे कहलाते हैं यदि वो दीन होकर, नम्र होकर अपने बुरे चालचलन से फिरेंगे और मुझसे प्रार्थना करेंगे तो मैं उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा.”

प्रभु परमेश्वर चाहते हैं कि उनके लोग जो पृथ्वी के नमक कहलाते हैं उन लोगों में सुधार आना जरूरी है. हम लोग जो गाँव से आते हैं जानते हैं कुछ वर्षों पहले ऐसा नमक नहीं खाते थे जैसा अभी मिलता है.

आज तो पिसा हुआ टाटा का आयोडीन युक्त नमक प्लास्टिक की थैली में पैकेट में मिलता है. लेकिन पहले हम खड़ा नमक या ढेला नमक लेकर आते थे और उसे पत्थर के सिल में बट्टे से पीस कर इस्तेमाल करते थे. यीशु मसीह के समय भी ऐसे ही नमक को इस्तेमाल किया जाता था.

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नमक का स्वाद कैसे बिगड़ सकता है | ईसा मसीह के उपदेश

यदि सब्जी में नमक ज्यादा या कम हो जाता है तो क्या नमक का स्वाद बिगड़ जाता है ? बिलकुल नहीं…वो तो सब्जी का स्वाद बिगड़ गया नमक का नहीं. याद रखें नमक समुद्र से निकाला जाता है. और उसे फिर रिफाइंड किया जाता है.

लेकिन पहले नमक पहाड़ जैसा बना हुआ होता था. और लोग छोटे छोटे बाजार से कई महीनो के लिए एक ही बार में ले आते थे. और एक कमरे में उसे यू ही जमीन में रख दिया जाता था.

और जितना इस्तेमाल किया जाता उसे ले लिया जाता बाकी का नमक वहीँ रखे रहने देते थे. उस समय प्लास्टिक का अविष्कार नहीं हुआ था और न ही आज के जैसे मार्डन सीमेंट के फर्स हुआ करती थीं. इसलिए यूं ही जमीन में उसे रख दिया जाता था. और बरसात में और गर्मी में नमक पड़े पड़े नमक पिघलता था और जमीन से मिलने लगता था.

उसमें मीट्टी चिपकने लगती थी. और जब साल दो साल में घर की सफाई होती थी तो जितना अच्छा नमक होता था उसे तो निकाल लिया जाता था लेकिन जो नमक मिटटी से मिल गया उसे कुरेत कुरेत कर निकाला जाता था.

लेकिन यह नमक जो मिटटी से मिल गया अब किसी काम का नहीं होता था. उसे खाया नहीं जा सकता उसे और किसी काम में नहीं लाया जा सकता था. उसे खेत के मेंढ़ में मतलब उस पतली कच्ची सड़क (मार्ग) में डाल दिया जाता था.

ताकि जब लोग इसमें से रौंदते हुए चलेंगे तो यह उस मार्ग को पकड़ लेगा और वो कच्ची सड़क थोड़ा समतल हो जाएगी. और लोग इसके ऊपर आ जा सकेंगे. उसेमें से धूल कम उड़ेगी. जो एक समय सबसे महत्वपूर्ण चीज थी वो मिटटी से मिल कर बेकार की चीज हो गई.

उसी प्रकार यीशु ने कहा, “तुम पृथ्वी के नमक हो, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह पीर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इसके कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए.

यीशु के संदेश की शिक्षा :- हमें संसार में भले कामों के लिए रखा गया है. बुरी संगती करने के लिए नहीं यदि हम अपना स्वाद खो दें तो फिर किसी काम के नहीं…अपनी गवाही बनाए रखें जीवन के अंत तक तो जीवन का मुकुट पाएंगे.

मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मसीह की शिक्षाएं से आपको आशीष मिली होगी. यीशु मसीह की शिक्षाएं सभी मानव जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है. और आत्मिक उन्नति करती हैं. इसके अगले भाग को जल्द ही अपलोड किया जाएगा कृपया पढ़े और अपने प्रिय लोगों के साथ शेयर करें. धन्यवाद.

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2 thoughts on “Teaching of Jesus in The Bible Hindi part 1 | तुम धरती के नमक हो का मतलब | यीशु मसीह की शिक्षाएं”

  1. Greeting in Jesus name 🙏 you can add quality of Salt 1 test ko bada ta hai 2 sadne se bachata hai 3
    Jald hi gun jata hai Amen

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