दोस्तों आज हम सीखेंगे कि 10 ways to be like Jesus | यीशु मसीह के समान कैसे बनें ? in this article we will learn How to live like Jesus everyday
हमें यीशु मसीह के समान क्यों बनना चाहिए | Why should we become like Christ?
हर एक मसीही विश्वासी जो प्रभु यीशु से प्रेम करता है और परमेश्वर की आज्ञा को मानता है उसे अपने स्वामी के स्वभाव में बढ़ना चाहिए.
क्योंकि बाइबिल हमें कहती है यह परमेश्वर की आज्ञा है. (मत्ती 17:5) परमेश्वर ने कहा यह मेरा प्रिय पुत्र है इसकी सुनो जिसकी हम सुनते हैं हम उसके समान बन जाते हैं.
इस प्रकार जिन्होंने भी यीशु मसीह का बप्तिस्मा लिया है चाहे हम हों या यीशु मसीह के चेले सभी ने यीशु मसीह को पहिन लिया है. (गलातियों 3:27)
हमारे जीवन का लक्ष्य ही यही है जैसा संत यूहन्ना कहता है, हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे!
इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है. (1 यूहन्ना 3:2)
यीशु मसीह के समान कैसे बनें ?
1. अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव लाकर (फिलिप्पियों2:5)
संत पौलुस कहते हैं जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी हो. उसका स्वभाव देने का स्वभाव था उसने स्वर्ग राज्य को अपनी रखने की वस्तु न समझा बल्कि सभी मानव जाति के उद्धार के लिए उसे दे दिया और मनुष्य का रूप धारण कर लिया.
उसने इस धरती में आकर सभी लोगों को शांति मुक्ति और चंगाई दे दिया. और उसके पास एक थैली हुआ करती थी जिसे उसने अपने यहूदा नामक चेले को दे दिया.
अपने शरीर के खून का एक एक कतरा हमारे उद्धार के लिए दे दिया. उसने अपना सब कुछ और यहाँ तक की अपने आप को भी दे दिया.
मैं हमेशा इसे इस प्रकार कहता हूँ कि हमारे मन में एक फावड़ा है जो सब कुछ अपने पास खींचना चाहता है लेकिन प्रभु यीशु के मन में एक फावड़ा था जो सब कुछ लोगों को देना चाहता था.
2. परमेश्वर की बातों में मन लगाकर (मत्ती 16:23)
उस ने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है.
यीशु मसीह परमेश्वर की बातों में मन लगाता था. फिर चाहे उसे धरती पर किसी मुर्दे को जीवित करना हो या फिर पानी को दाखरस में बदलना हो.
जब हम यीशु मसीह के समान परमेश्वर की बातों पर मन लगाते हैं तब परमेश्वर की इच्छा को अपने जीवन में पूरा कर पाते हैं.
3. अपने आप को खाली करके (फिलिप्पियों 2:6-8)
उसने अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया.
मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली.
इस कारण परमेश्वर ने उस को अति महान भी किया, और उस को वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है.
हमें भी यीशु मसीह के समान बनने के लिए नम्रता और दीनता सीखनी होगी.
4. लोगों पर तरस खाकर (लूका 7:13)
एक बार यीशु मसीह नाईन नामक नगर में पंहुचा वहां एक बूढ़ी स्त्री रो रही थी क्योंकि वह विधवा थी और आज उसका जवान बेटा भी मर गया था.
यीशु ने देखा उसके जीवन में अब कोई आशा नहीं रही इसलिए उसपर तरस खाकर उससे कहा, मत रो…और उसके मरे हुए जवान पुत्र को छूकर जीवित कर दिया.
यदि हमें लोगों को देखकर तरस आता है तो हम यीशु के समान बन रहे हैं.
5. लोगों के साथ समय बिताकर (मत्ती 20:17)
यीशु यरूशलेम को जाते हुए बारह चेलों को एकांत में ले गया. और मार्ग में उनसे कहने लगा,… मतलब यीशु मसीह ने अपने लोगों के साथ ज्यादा समय बिताया.
आज लोगों को दूसरों के साथ समय बिताने के लिए समय ही नहीं है, सभी लोग व्यस्त हैं.
लेकिन यीशु मसीह ने अपने चेलों के साथ अधिक समय बिताया और वे मछली पकड़ने वाले साधारण चेलों ने बाद में दुनिया को बदल कर रख दिया.
6. यीशु मसीह के समान प्रार्थना करके (लूका 6:12)
उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने गया, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई.
प्रभु यीशु मसीह का जबरदस्त प्रार्थना का जीवन था. वे तड़के सुबह उठकर प्रार्थना करते थे.
कभी कभी शाम को जंगल में जाकर प्रार्थना करते थे और कई बारी सारी रात प्रार्थना करते थे.
शायद यही कारण है उनके चेलों ने एक बार उनसे कहा था, ‘प्रभु हमें प्रार्थना करना सिखा.’ (लूका 11:1)
7. कुछ भी चीजें बर्बाद न करें (यूहन्ना 6:12)
एक बार प्रभु यीशु ने अद्भुत चमत्कार करके पांच रोटी और दो मछली के द्वारा लगभग 5000 लोगों को खाना खिला दिया
और जब सभी लोग खाकर तृप्त हो गए तब उन्होंने अपने चेलों से कहा, “बचे हुए टुकड़े बटोर लो कि कुछ भी फेंका या बर्बाद न किया जाए.
ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो बर्बाद करने या फेंकने के बदले जरूरतमंदों को दी जा सकती हैं ताकि उनके काम आए इस रीती से हम मितव्ययिता सीख कर यीशु के समान बन सकते हैं.
8. कुचले और दबे हुए लोगों को सहारा देकर (मत्ती 10:1)
यीशु मसीह ने अपने बारह चेलों को पास बुलाकर उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया कि उन्हें निकालें और सब प्रकार की बीमारियों और सब प्रकार की दुर्बलताओं को दूर करें.
प्रभु यीशु मसीह केवल स्वयं ही कुचले और दबे लोगों को सहारा नहीं देते थे बल्कि चाहते थे कि उनके साथ चलने वाले चेले भी उसी के समान लोगों को सहारा दें.
9. पाप नहीं बल्कि पापियों से प्यार करके (यूहन्ना 8:46)
यीशु ने अपने लोगों से प्रश्न पूछा, तुममे से कौन मुझे पापी ठहराता है? वह पाप से घृणा करता था लेकिन पापियों को बचाने के लिए उनसे प्यार करता था. आज लोग इसे विपरीत करते हैं.
यदि हमें यीशु मसीह के समान बनना है तो पापियों से प्रेम करना होगा. परमेश्वर पापियों का उद्धार करना चाहता है.
10. लोगों के अन्दर भलाई को देखकर (यूहन्ना 1:47)
यीशु ने नतनएल को अपनी ओर आते देखकर उसके विषय में कहा, देखों, यह सचमुच इस्राएली है मतलब सच्चा इस्राएली है इसमें कपट नहीं.
आज सभी लोग दूसरों में कमियां और गलतियां ढूढ़ते हैं लेकिन प्रभु यीशु का स्वभाव था वह लोगों में भलाई और अच्छाई ढूढ़ कर उन्हें बोलते थे. हम भी यीशु के जैसे बनने के लिए ऐसा कर सकते हैं
Conclusion
स्वर्गीय पिता परमेश्वर परमेश्वर की इच्छा है कि उस पर विश्वास करने वाला हर एक व्यक्ति उसके पुत्र यीशु मसीह के समान हो जाए. जिससे इस धरती के हर मानव जाति को आशीषित किया जा सके.
विश्वास करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा और आइये हम यीशु मसीह के जैसे बनने में उपरोक्त इन कदमों को अपने जीवन में अमल में लाने पाएं. प्रभु आपको बहुत आशीष दे.
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