पवित्रता-क्यों-जरूरी-है

पवित्रता क्यों जरूरी है | Why Holiness is needed the Most

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दोस्तों आज हम बातें करेंगे प्रभु की सेवा के लिए पवित्रता क्यों जरूरी है | Why Holiness is needed the Most जो न केवल एक अगुवे एवं पासवान के लिए बल्कि हरेक विश्वासी के लिए जरूरी है.

पवित्रता क्यों जरूरी है | Why Holiness is needed the Most

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पवित्रता की परिभाषा

पवित्रता का अर्थ है प्रेरित 26:18 के अनुसार अपने आप को किसी विशेष काम के लिए अर्थात प्रभु यीशु की सेवा हेतु, संसार के तमाम पापों से और हरेक बुराई से शैतान की बातों से और अनाज्ञाकारिता से स्वयं को दूर रखना. और स्वयं को पापों से शुद्ध रखना.

यदि आप परमेश्वर का दास बनना चाहते हैं और उसकी सेवा करना चाहते हैं तो एक चीज जो होना बहुत जरूरी है वह है पवित्र जीवन. आप कितने भी अच्छे प्रचारक हों लेकिन जीवन अच्छा नहीं तो प्रभाव नहीं पड़ेगा और वह सेवा ज्यादा दूर तक नहीं जा पाएगी.

हमारा प्रचार बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए. बाइबिल को लागू करना चाहिए और उसी के आधार पर होना चाहिए पवित्र आत्मा के अनुसार प्रेरित. और पवित्र आत्मा के द्वारा अभिषिक्त होना चाहिए. हमारा जीवन, हमारी शिक्षा (Doctrine) और हमारी कलीसिया वचन के अनुसार ही होना चाहिए.

1 तिमु. 4:16 उन बातों को सोचता रह, और इन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख. इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा.

एक सेवक होने के नाते हमें अपना और अपनी शिक्षा दोनों का ध्यान रखना है. यदि हम अपनी शिक्षा मतलब doctrine का ध्यान रखेंगे तो हमारे सुनने वालों का उद्धार होगा.

2 तिमु. 2:15-16 अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्जित होने न पाए. और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो.

हमें ऐसा प्रयत्न करने में आलसी नहीं होना है बल्कि लगातार कोशिश करते रहना है. ताकि हम लज्जित न होने पाएं.

2 तिमु 4:1 परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह कर के, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूं।  कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिक्षा के साथ उलाहना दे, और डांट, और समझा। क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे। और अपने कान सत्य से फेरकर कथा-कहानियों पर लगाएंगे।.

हमें अपने चर्च को बाइबिल के आधारित बनाने हेतु मेहनत करना है. किसी पाश्चात्य सभ्यता या किसी मनुष्य के मनसा के अनुसार भी नहीं बल्कि परमेश्वर के वचन अनुसार होना चाहिए. इसमें हमारा जीवन पवित्र होना हैहमारा शिक्षा स्पष्ट तब चर्च बाइबिल के आधारित होगा.

आज हम बातें करेंगे एक पास्टर के पवित्र जीवन के विषय में बातें करेंगे. आज चर्च की सबसे बड़ी आवश्यकता है एक आत्मिक पवित्र पासवान लीडर. इसे केवल पढना नहीं बल्कि लागू करना है.

हमारा सबसे बड़ा संदेश हमारा जीवन होता है. यदि हम कहते कुछ है और करते कुछ और ही हैं तो हम उन फरीसी के अनुसार होंगे जो दिखावा करते हैं.

पढ़ें – कलीसिया की शिक्षा

पवित्रता क्यों आवश्यक है.

1. क्योंकि परमेश्वर ने हमें पवित्र होने के लिए बुलाया है :- यह उसका आदेश है प्रभु यीशु हमारे लिए इसी लिए मरा.

1 पतरस 1:14-15 और आज्ञाकारी बालकों की नाईं अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो.

2. क्योंकि यह पिता परमेश्वर का आदेश है :- वह हमारा पिता है वह पवित्र परमेश्वर है उसी प्रकार हमे आदेश देता है कि हम भी उसी के समान पवित्र बनें. यदि वो हमारा पिता है तो यह अवश्य है कि उसके पुत्र पवित्र हों. उसने हमें चुना है पवित्र बनने के लिए. और एक पुत्र होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पिता के समान पवित्र बने.

3. क्योंकि यही एक तरीका है स्वर्ग जाने का :- इब्रानियों 12:14 सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा। दो बातें हैं जिसका हमें पीछा करना चाहिए मेल मिलाप और पवित्रता.

पवित्रता से हमारा उद्धार नहीं होता बल्कि हमारे उद्धार होने का परिणाम है. यदि हमारा उद्धार हुआ है तो हमें पवित्र होना आवश्यक है. हमारा ज्ञान पढाई और पैसा हमें नहीं बचा सकता.

पढ़ें – कौन सी पांच बातों में उन्नति करें

पवित्रता की बुलाहट

मत्ती 7:13 सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं.

यह फाटक क्या है? यह जो सकरा फाटक है हमें स्वर्ग ले जाता है. यही यीशु मसीह है. जब हम हमारा जीवन पवित्रता से बिताते हैं, और यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं तो इसका मतलब हम सकरे फाटक से प्रवेश कर रहे हैं. आज्ञाकारिता के अनुसार चल रहे हैं. स्वर्ग की ओर जाने का केवल यही रास्ता है. यह बहुत जरूरी है.

यह एक अगुवा के लिए जरूरी है. 1 तिमु. 3:2 यहाँ 16 बातें दी गई हैं जिसे चार बातों में संक्षेप में कहेंगे. उसका जीवन, उसका परिवार, उसका शिक्षा और उसका वरदान ये एक परमेश्वर के दास में होना अवश्य होना चाहिए. वहां लिखा है आवश्यक है विकल्प नहीं है या हो सकता है ऐसा नहीं. ये अगुवापन के लिए जरूरी है. इसलिए पवित्रता फल लाने के लिए बहुत जरूरी है.

बड़े घर में न केवल सोने-चान्दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये। यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा. (2 तिमु. 2:20-21)

पौलुस यहाँ बता रहें हैं एक उदाहरण के रूप में घर में अलग अलग बर्तन होते हैं. घर का स्वामी अच्छे बर्तन इस्तेमाल करता है. मसीह कलीसिया का मालिक है यदि आप इस्तेमाल होना चाहते हैं तो आपको शुद्ध होना अति आवश्यक है.

यदि आपको कोई गंदे गिलास में पानी देगा तो क्या आप पानी पियेंगे. उसी प्रकार मालिक अर्थात यीशु मसीह हमें अर्थात अगुओं को शुद्ध पात्रों को ही इस्तेमाल करेगा.

2 पतरस 1:5-8  इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ। और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ.

क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्फल न होने देंगी. इसका परिणाम क्या होगा तुम फलवंत होंगे. ये बातें आपको निष्फल नहीं होने देंगे.

ये गुण आपके अन्दर होना अति आवश्यक है. आपकी सबसे बड़ी बुलाहट आपका खुद का जीवन है. आपका खुद का उदाहरण है और गवाही है. तभी आप इस्तेमाल होंगे. और आप प्रभावशाली होंगे. क्योंकि लोग आपको देखेंगे और आपको एक भक्त के रूप में पहचानेंगे.

यदि लोगों के ह्रदय तक पहुंचाना चाहते हैं तो एक तरीका है वो है सच्चा प्रेम दिखावा नहीं वो आपके शब्दों मात्र से नहीं आता बल्कि हमारे पवित्र जीवन से और हमारी जीवित गवाही से आता है, जो हम जीते हैं. इसलिए हमें सच्चाई प्रचार करना चाहिए लेकिन उससे पहले हमारा जीवन सच्चा होना चाहिए.

पढ़ें – परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं

पवित्रता की सामर्थ

जब एक झूठा प्रचारक प्रचार करता है तब वह ऐसा है जैसे वह लोगों के ऊपर रुई (कोटन) के गोले फेंक रहा है जिससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा न ही लोगों को लगेंगे न ही कोई प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उसमें कोई सामर्थ नहीं है.

लेकिन जब एक सच्चा प्रचारक अपनी सच्ची गवाही के साथ परमेश्वर के वचन प्रचार करता है तो वो वचन मानो धारदार तीर होते हैं जो सुनकर कोई भी घर जाएगा तो उसे दर्द अवश्य होगा प्रभाव अवश्य पड़ेगा. और परिवर्तन लेकर आएगा.

1 पतरस 5:1-4 तुम में जो प्राचीन हैं, मैं उन की नाईं प्राचीन और मसीह के दुखों का गवाह और प्रगट होने वाली महिमा में सहभागी होकर उन्हें यह समझाता हूं। कि परमेश्वर के उस झुंड की, जो तुम्हारे बीच में हैं रखवाली करो;

और यह दबाव से नहीं, परन्तु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आनन्द से, और नीच-कमाई के लिये नहीं, पर मन लगा कर।और जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार न जताओ, वरन झुंड के लिये आदर्श बनो. और जब प्रधान रखवाला प्रगट होगा, तो तुम्हें महिमा का मुकुट दिया जाएगा, जो मुरझाने का नहीं.

यहाँ पतरस कलीसिया के अगुओं से कह रहा है. कैसे अगुवाई करना है अपने उदाहरण के अनुसार. आप एक बॉस के अनुसार अगुवाई नहीं कर सकते. बल्कि अपने उदाहरण को दिखाते हुए सेवा करोगे तो फल लाओगे.

आप और हम यीशु मसीह के समान सेवा करके ही असली प्रभाव संसार में डाल सकते हैं. यीशु का अनुसरण करने वाला संत पौलुस ने अपने जीवन से कर के दिखाया इसलिए उसने कहा मेरे जैसे जियो मेरे जैसे चलो क्योंकि मैं यीशु मसीह के समान चलता हूँ.

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दोस्तों यदि आप अपने दसवांश और भेंट के रूप में इस सेवा में हमारी सहायता करना चाहते हैं तो हम इसकी सराहना करते हैं. आप नीचे दिए गए बारकोड के जरिये यह सहायता राशि भेजकर ऐसा कर सकते हैं प्रभु आपके इस कार्य के लिए आपको बहुत आशीष दे.

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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)


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