आज के बाइबिल संदेश में हम तीन sermon notes को देखने जा रहे हैं. ये लघु सन्देश पवित्र शास्त्र बाइबिल से लिए गए हैं जो हमारे जीवन में सकारात्मक रूप से प्रभाव डालते हैं.
गलत सलाह का परिणाम
“रहूबियाम ने उस सम्मति को छोड़ दिया, जो बूढों ने उसको दी थी, और उन जवानो से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे, और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे l”
(1 राजा 12:8)
दोस्तों सलाह एक ऐसी चीज है जो अक्सर मुफ्त होती है लेकिन यदि एक अच्छी सलाह किसी की जिन्दगी बना सकती है तो एक बुरी सलाह उसकी जिन्दगी पूरी तरह से बर्बाद भी कर सकती है l सलाह सोच समझ कर लेना चाहिए…ऐसा ही एक बेहतरीन उदाहरण हम पवित्रशास्त्र में पाते हैं, बुद्धिमान राजा सुलेमान का पुत्र रहूबियाम जब राजा बना तो उसके सामने उसकी पूरी प्रजा आकर प्रश्न करती है…
जिसका जवाब उस राजा के पास भी नहीं होता है इसलिए वह 3 दिन का समय मांग लेता है और बैचेन हो जाता है की उस सारी प्रजा को क्या उत्तर देगा उस समय कुछ उस राज्य के हितैषी (हित चाहने वाले बुजुर्ग ) जो उससे पहले उसके पिता को भी सलाह दिया करते थे सलाह देते हैं…स्मरण हो उनकी सलाह से ही सुलेमान युद्ध जीतता था और महा प्रतापी हो गया था,
(नीतिवचन 11:14) परन्तु रहूबियाम उनकी सम्मति को सलाह को छोड़ देता है और अपने जवान दोस्तों की सलाह लेता है जो उसे घमंडी होने की सलाह देते है…स्मरण रहे बुरी संगती अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है…और ये हुआ भी..उन जवान लोगो की सलाह से पूरा वैभवशाली राज्य छिन्न भिन्न हो गया…फिर वो सामर्थी एकता में न बना रहा….
पवित्र आत्मा इन वचनों के द्वारा हमसे सवाल करता है कि आज हम किसकी सलाह पर चलते हैं, उनकी सलाह पर जो परमेश्वर के साथ चलते हैं प्रभु में हमारे सीनियर हैं, या उन लोगों के जो हमारे सामने जी हुजूरी करते रहते हैं…पवित्रात्मा की सलाह सबसे पहले लें ‘जो ज्ञान ऊपर से आता है वो पहले तो पवित्र होता है (याकूब 3:17) पवित्र सलाह लें फिर वो चाहे आपकी सेवा क्षेत्र हो या आपका व्यक्तिगत जीवन,
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बाकी बातों को दृढ़ करें
“जागृत हो, और उन वस्तुओं को जो बाकी रह गई हैं और जो मिटने को हैं, उन्हें दृढ कर”
(प्रकाशितवाक्य 3:2)
दोस्तों मनुष्य ने प्रारंभ से परमेश्वर की पृकृति के साथ छेड़छाड़ कर खुबसूरत धरा को बिगाड़ा ही है और जो कुछ उसने इस धरा में बनाया है वो भी छणभंगुर ही है मतलब कुछ समय का ही है…परन्तु परमेश्वर ने जो कुछ मनुष्य के अंदर रखा है वो चाहता है कि उन वस्तुओं का कभी नाश न हो l जिसके कारण मनुष्य मनुष्य कहलाता है जैसे प्रेम, आनन्द शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम l
लेकिन मनुष्य का घमंड पृकृति के साथ साथ इन अमर चीजों का भी नाश कर रहा है…अपने चारो ओर देखकर ऐसा प्रतीत होता है सभी को अपने ही हित की चिंता है….परमेश्वर यह वचन अपनी कलीसिया से कह रहा है…प्रभु को संसार से उतनी अपेक्षा नहीं जितनी उसके अपने लोगों से है….मेरे लोग जो मेरे कहलाते हैं यदि वो दीन हों और अपनी बुरी चाल से फिरे…हम कलीसिया को प्रभु ने स्वर्ग और अधोलोक की कुंजियाँ दी हैं…
हमें टूटे हुए बाड़ों को सुधारने का काम दिया गया है…हम कलीसिया ही अपने देश अपने नगर के पहरुए हैं…और देखो बाकी सब कुछ…यहाँ तक की उनका देश भी ज्यों का त्यौं हो जायेगा…आइये अपने अधिकार को फिर से पहचाने…आओ अपनी कुप्पी में तेल भरें…उसकी बरात की ध्वनि सुनाई दे रही है…
समय कम है आओ जो बातें मिटने को हैं उन्हें जल्दी जल्दी दृढ़ करें ….आओ अपने दूल्हा के साथ जाने की अपार ख़ुशी में इस दुनिया को अलविदा कहने की तैयारी करें…
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प्रभु में हिम्मत न हारें
“दाऊद बड़े संकट में पड़ा; ….. परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बान्धा”
(1 इतिहास 30:6)
दोस्तों एक व्यक्ति का सब कुछ उसकी जीवन की आशा होती है, उसकी आश गई तो वह आदमी खत्म समझो..और हर व्यक्ति कभी न कभी उस दौर से होकर गुजरता है जब उसे लगता है उसकी आस खत्म हो रही है…जब सब कुछ मुठ्ठी की रेत के समान हाथ से छूटता प्रतीत होता है…
ऐसे समय में मनुष्यों के मीठे मीठे जुमले कोई काम नहीं आते…उस समय कुछ ईश्वरीय प्रोत्साहन की कुछ अद्भुत उत्साह की आवश्यकता होती है….कुछ ऐसा ही एक वाकया राजा दाउद के जीवन में पाते है जब वह युद्ध से लौटता है तो सिकलग नामक स्थान में जहाँ उसने अपनी पत्नी और बच्चों को सुरक्षित छोड़कर गया था वो स्थान जल कर ख़ाक हो चूका है उसे एक पल लगता है मानो सब कुछ उजड़ गया…
उसे लगा उसकी दुनिया ही खत्म हो गई…वो अपने साथियों के साथ उसी स्थान में इतना विलाप करता है इतना रोता है की और रोने को उसके पास आंसू भी नहीं रहते…तभी उसके अपने लोग भी उसके विरुद्ध पत्थर उठा कर राजा दाउद को मार डालना चाहते हैं…निराशा पर निराशा, दुःख पर दुःख…
कहते हैं बाहर का दुःख एक बार सहन हो जाता है लेकिन अपने जब दुःख देने लगे…तो कौन सह सकता है….लेकिन ऐसे भयंकर घोर विलाप में दाउद अपने खुदा को अपने सृजनहार को अपने आशा के दाता को देखता है और उससे बल पाकर हियाव बांधता है…स्मरण रहे जब सारे दरवाजे तुझे बंद दिखे समझो नया द्वार खोला है प्रभु ने…और तब दाउद को पता चलता है उसके बच्चे और पत्नी मरे नहीं है बल्कि बन्धुआई में चले गए हैं उन्हें कैद कर लिया गया है…
और परमेश्वर से बल पाकर वह अपने बच्चों और पत्नी समेत सारा धन माल भी छुड़ा लाया(1 इतिहास 30:19)…दोस्तों कैसी भी परिस्थिति क्यों न आए स्मरण रहे कभी न छोड़ने वाला न त्यागने वाला परमेश्वर ने हमसे वायदा किया है, मत डर मैं तेरे साथ हूँ…प्रभु इन वचनों के द्वारा आपको आशीष दे.
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चुप रहने का प्रतिफल | Hindi sermon Outline by Rev. Vishal Solomon
चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ, मैं जातियों में महान हूँ, मैं पृथ्वी भर में महान हूँ.
भजन 46:10
यदि आप जानना चाहते हैं कि परमेश्वर कौन है तो शांत हो जाएं.
शांत रहने का अर्थ :- यह नहीं है कि केवल मुंह को बंद रखना वरन चिंता रूपी मन के शोरगुल को शांत करना है
(यशायाह 30:15) दुनिया की नजर में वीर कौन है:- जो हल्ला मचाता है, हक़ मांग कर या छीनकर ले लेता है
परमेश्वर की नजर में वीर ;- जो हर अन्याय, बुराई को चुपचाप सह लेता है (यशायाह 42:2, 53:7)
चुप रहने वालों के लिए परमेश्वर बोलते हैं
कौन सहता है :- दुनिया में कमजोर व्यक्ति सहता है…परमेश्वर के राज्य में बलवंत व्यक्ति सहता है
गिनती 13:1-2,21, 25३१,3314:6-7,9 तब परमेश्वर का Reaction तब परमेश्वर का Reaction
परमेश्वर बोल उठा क्योंकि यहोशु चुपचाप था.
परमेश्वर ने अपने लोगों के अपमान को अपना अपमान और विरोध माना ( 26:27, 29-30)
दाउद नाबाल को सह लेता है (1 शमुएल 25:4,7, 10,21,23,25, 32,34)
दाउद चुप हो गया तब परमेश्वर बोल उठा (38-39)
इसहाक ने अबीगेल को सह लिया (उत्त्पति 26:26, 17-19 20-23) इसहाक के साथ अन्याय हुआ वो चुप रहा ….(26:24 तब परमेश्वर बोल उठा )
यिफ्तह ने भाइयों सह लिया (न्यायियों 11:1-2 यिफ्तह चुप रहा तब परमेश्वर परिस्थितिओं से होकर बोल उठा (11:4 प्रधान बना )
निष्कर्ष : परमेश्वर आपके साथ साथ भी दिखाई देगा
हिंदी बाइबल वचन | Bible Verses on Happiness and Joy In hindi
तुम आनन्दपूर्वक उद्धार के सोतो से जल भरोगे
(यशायाह 12:3)
हे धर्मियों परमेश्वर के कारण आनन्दित और मग्न हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो.
(भजनसंहिता 32:11)
प्रभु में सदा आनन्दित रहो, मैं फिर कहता हूँ, आनन्दित रहो.
(फिलिप्पियों 4:4)
आज का दिन परमेश्वर ने बनाया है हम इसमें मगन और आनन्दित हों.
(भजन 118:24)
तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा, तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है.
(भजन संहिता 16:11)
परमेश्वर जो आशा का दाता है, तुम्हें विश्वास करने में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, कि पवित्रात्मा की सामर्थ से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए.
(रोमियो 15:13)
हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो, तो इसे पुरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है.
(याकूब 1:1-2)
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