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हौसला रखिए | Never give up

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दोस्तों आज हम पढेंगे हौसला रखिए | Never give up जिसे लिखा है मेरे एक मित्र ने जिनका नाम है लिविंगस्टन लोहिया आप अमेरिका में रहते हैं और प्रभु से बहुत प्यार करते हैं.

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हे यहोवा पर आशा रखने वालों हियाव बान्धो और तुम्हारे हृदय दृढ़ रहें. (भजन 31:24)

जी हाँ, बिलकुल सही पढ़ा आप ने ‘हौसला रखिए’। क्या कभी आप ने सोचा है कि आप को किसने रचा है ? आप बोल सकते हैं कि आप की माता ने। माँ ने सिर्फ़ आप को जन्म दिया।

माँ ने आप को रंग-रूप, नक्श, चाल चलन, व्यवहार, सोचने और बोलने का तरीके नहीं दिए।

हक़ीकत तो ये है कि जिस खुदा ने ज़मीन और आसमान को अपने शब्द से बनाया, उसी खुदा ने आप को, जी हाँ, दुनिया को रचना से पहले आप के बारे में सोचा।

उसी ने आप को अपने हाथों से अपने जैसा बनाया है, उसने आप के नथनों में साँसें फूँकी है।

उस ईश्वर ने आप को आशीष दी है कि आप आत्मिक, मानसिक, व्यक्तिगत, शारीरिक, भावनात्मक, पारिवारिक, सामाजिक,आर्थिक और ईश्वर के कृपा और ज्ञान में फूलते और फलते जाएँ और जिंदगी में खूब तरक्की करें।

इसलिए हौंसलाः रखिये। क्यों? क्योंकि आप एक साधारण, मामूली इंसान नहीं हैं। जिसने आप को बनाया है उसने आप के अंदर बहुत सारी अच्छी बातों को डाला है,

बहुत सारी खूबियों को डाला है, और बहुत सारे वरदानों को, प्रेम करने की, दया दिखाने की, भलाई करने की, दूसरों की मदद करने की, समस्याओं का हल निकालने की क्षमताओं को डाला है।

हो सकता है आप के दोस्त, आप के पड़ोसी, आप के साथ दफ़्तर में, फैक्टरी में काम करने वाले और यहाँ तक की आप के माता-पिता,

भाई-बहन आप को प्रोत्साहित न करें, लेकिन उस वक़त आप को प्रोत्साहित करने वाला कोई और नहीं आप खुद हैं। फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसे परिवार में पैदा हुए, आप की जात क्या है,

आप का रंग क्या है, आप कितने पढ़े लिखे हैं या नहीं है, आप की कमाई कितनी है, समाज में आप की कितनी हैसियत है, दुनिया वाले आप के बारे में क्या कहते हैं।

मायने यह रखता है कि जिस ईश्वर ने आप को बनाया है उस ने आप को छोड़ा नहीं है, त्यागा  नहीं है। उसने आप को भूला नहीं दिया है। बल्कि सच तो यह है कि वो हमेशा आप के साथ है। वो चाहता है कि आप उसे पर भरोसा करें। वो चाहता है कि आप उससे बातें करें।

          आप पूछ सकते हैं कि मैं खुद को कैसे प्रोत्साहित कर सकता हूँ या कर सकती हूँ।  जिस तरह आप खुद को चाहे अपनी नकारात्मक सोच और नकारात्मक शब्दों से खुद को अपनी ही नज़र  में गिरा सकते हैं,

इसी तरह आप खुद को प्रोत्साहित भी कर सकते हैं। चुनाव आप का है। बेहतर तो यह होगा कि आप खुद को प्रोत्साहित कीजिए। इससे आप की उन्नति की शुरुआत होगी। 

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हो सकता है आप अपने बारे में बुरा सोचते हों, हो सकता है आप बहुत ही मुसीबतों से गिरे हुए हों, हो सकता है आप किसी भयंकर बीमारी में पड़े हो और डॉक्टर ने कह दिया है कि इसका कोई इलाज नहीं है,

हो सकता है कि आप के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है, हो सकता है आप के आँसुओं को पोंछने वाला कोई नहीं है, हो सकता है आप दूसरों की भलाई कर रहे हो लेकिन बदले में आप को ताने बाजीं मिल रही हों, हो सकता है

आप अपने बारे में ऐसा सोचते हो कि आप जिंदगी में कुछ हासिल ही नहीं कर सकते, किसी ऊँचे मुकाम पर कभी नहीं पहुँच सकते, हो सकता है आप दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन कोई तरक्की दिखाई नहीं दे रही,

हो सकता है दर्द से चिल्ला रहे हों। हौंसलाः रखिए क्योंकि वो शक्तिशाली ईश्वर कह रहा है – “यह मुमकिन है कि एक माँ अपने दूध पीते हुए बच्चे को भूल सकती है और अपने पैदा किए हुए औलाद पर तरस नहीं खाए;

पर मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा; मैं ने तेरी सूरत अपनी हथेलिओं पर खोद रखी हैं।”

हो सकता है आप को लोगों का डर है, हो सकता है आप को मौत का डर है, हो सकता है आप को असफलता का डर है, हो सकता है

आप को इस बात का डर है कि आप की नौकरी अचानक छूट जाएगी, हो सकता है आप को इस बात का डर है कि आप के घर में कब चोरी हो जाएगी, हो सकता है आप को इस बात की चिंता है कि आप के बच्चों का भविष्य कैसा होगा,

आपको काल्पनिक बातों का डर है, हो सकता है आपको भविष्य का डर है, हो सकता है आप को इस बात का डर है कि दुनिया खत्म होने वाली है, हो सकता है

आप को इस बात का डर है कि घर चलाने के लिए भविष्य में पर्याप्त पैसे होंगे या नहीं। लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ

कि ब्रह्मांड को रचने वाले सर्वशक्तिमान ईश्वर ने कहा है – “मत डर! क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ, इधर-उधर मत देख,

क्योंकि मैं तेरा ईश्वर हूँ; मैं तुझे बल दूँगा और यकीनन मैं तेरी मदद करूँगा; मैं अपने हाथ से तुझे संभाले रखूँगा।”

आप शायद अपने मन में सोच रहे होंगे या बोल रहे होंगे कि यह सब बातें पढ़ने और सुनने में अच्छी लगती हैं; लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। इस बात को जरा गौर से पढ़िए और गहराई से जानने की कोशिश कीजिए –

“ईश्वर इंसान नहीं कि झूठ बोले और अपनी इच्छा को बदले।” इस वजह से हौंसलाः रखिए। हौंसलाः रखिए क्योंकि आप का ईश्वर आप से कह रहा है, “मुसीबत के दिन तू मुझे पुकार और मैं तेरी सुनकर तुझे जवाब दूँगा;

मैं तुझे छुड़ाऊँगा।” उसका यह वायदा है कि ज़रूरत के समय जो उसे पुकारते हैं वह उनकी सुनता है उनकी मदद करता है। एक बार पूरी श्रद्धा और भक्ति से इस ईश्वर को अज़मा कर देखिए।

आप मन में शायद ये भी सोच रहे होंगे कि खुद को हौंसलाः दिलाने में ईश्वर को बीच में लाने की क्या जरूरत है? मेरी और आप की जिंदगी ईश्वर की मर्ज़ी से शुरू हुई है और खत्म भी होगी।

मैं ने और आप ने जिंदगी में कुछ ऐसे काम किए हैं जो सिर्फ हम जानते हैं और ईश्वर जानता है, जो मुँह दिखाने के लायक नहीं है, हम नहीं चाहते कि किसी को उसके बारे में भनक भी पड़े।

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नहीं तो कितनी बदनामी होगी, लोग हम पर थूकेंगे। घर में और समाज में कहीं इज्जत नहीं रह जाएगी।

हौसला रखिए क्योंकि इन बातों के बावजूद भी, ईश्वर जो मेरे और आप के बारे में सब कुछ जानता है, वो आप से प्रेम करता है लेकिन आप के पापों से नफ़रत करता है।

वो कहता है कि, “मैं तुम्हारे नीच-गंदे कामों के एवज में अपनी दया तुम पर करूँगा; और तुम्हारे पापों को कभी याद नहीं करूँगा।”

बस शर्त ये है कि “जो अपने गुनाहों को ईश्वर के सामने छुपाता है वह कभी कामयाब नहीं होगा, लेकिन जो उनको मान कर छोड़ भी देता है उसे पर ईश्वर की दया होगी।”

आखिर कौन नहीं चाहेगा कि उसके साथ ऐसा हो? कौन नहीं चाहेगा कि उसे बस एक ऐसा मौका मिल जाए ?

हौंसलाः रखिए क्योंकि आप ईश्वर की नज़र  में बेहद कीमती हैं। आप खुद को अपनी नज़र  से नहीं, अपने आसपास के लोगों की नज़र  से नहीं लेकिन ईश्वर की नज़र  से देखिए, जिसने सूरज, चाँद, सितारों को अपने शब्दों से बनाया है।

उसके कहे हुए शब्दों पर भरोसा रखिए। उस पर विश्वास कीजिए। क्या कभी आप ने सोचा है कि जब आप अपने खुद के बारे में ऐसा कहते हैं कि –

“मैं तो मूर्ख हूँ, मुझे तो कुछ आता ही नहीं, मुझ में कोई अच्छी आदत्त ही नहीं है, मुझ में तो कोई अच्छी बात ही नहीं है, मैं दिखने में बदसूरत हूँ, मुझ में कोई खूबी नहीं है;”

तब आप अपने बनाने वाले ईश्वर की बेइज़त्ती करते हैं। कितनी गंभीर और अफसोस की बात है ये। ये जिंदगी, ये शरीर, ये साँसें, देखने, खाने, सुनने, सोच ने, काम करने, चलने, महसूस कर पाने की क्षमता ईश्वर से आप को दान में मिली है।

इन बातों के लिए आप को ईश्वर से गिड़गिड़ा कर भीख मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ी। लेकिन उसकी कृपा और भलाई के बदले में हम उसे क्या देते हैं? जिंदगी और मौत की ताकत आप की जीभ में है, खबरदार! आप  अपनी जीभ का कैसे इस्तेमाल करते हैं।

हौंसलाः रखिए क्योंकि क्या आप को यह पता है कि इस पृथ्वी की नींव रखने से पहले ईश्वर ने आप को चुन लिया है और वह चाहता है कि आप उसके नज़दीक उसकी मोहब्बत में पवित्र और निर्दोष रहें।

आप अपने आप से पूछिए -आखिर कौन इतना सोचता है किसी के बारे में? कौन किसी के लिए इतना सब कुछ अद्भुत तरीके से करता है? कौन किस के लिए ऐसी योजना बनाता है ?

हौंसलाः रखिए क्योंकि मौत इंसान की जिंदगी का अंत नहीं है। यह ज़रूर है कि हम मिट्टी से बने हैं और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएँगे।

लेकिन जिस ईश्वर ने अपनी आत्मा आप के अंदर डाली है वह चाहता है कि मौत के बाद का पूरा वक्त आप उसके साथ गुज़ारें। हर इंसान के लिए यह एक न्यौता है।

यह तब संभव है जब आप प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करेंगे। आप पूछ सकते हैं ऐसा क्यों? सिर्फ प्रभु यीशु मसीह ही क्यों? क्योंकि सिर्फ प्रभु यीशु मसीह के अलावा, किसी और ने नहीं कहा,

“मार्ग सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई स्वर्ग में नहीं जा सकता।” क्या आप इस न्यौते को कबूल करेंगे या ठुकराएँगे?

सच तो यह है प्रभु यीशु मसीह को छोड़ किसी ने ऐसा न्यौता दिया ही नहीं है। आप को सिर्फ प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करने की ज़रूरत है।     

    आज से आप खुद को हौसला दिलाना शुरू कीजिए।

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