वचन का मनन करना क्यों जरूरी है ? | Bible devotion in Hindi live

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दोस्तों आज हम सीखेंगे वचन का मनन करना क्यों जरूरी है ? | Bible devotion in Hindi live या मनन के विषय में बाइबिल क्या कहती है ? तो आइये शुरू करते हैं.

वचन का मनन करना क्यों जरूरी है ? | Bible devotion in Hindi live

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हमारा परमेश्वर के वचन पर ध्यान मनन करना परमेश्वर को भाता है, परमेश्वर चाहता है हम उसके वचन में ध्यान करें ताकि हमारे जीवन में उस मनन के कारण आशीष आ सके.

Bible devotion in Hindi meaning

मनन का अर्थ है : चिंतन करना उस पर ध्यान मगन होकर विचार करना करना, जिसे हम सरल भाषा में सोचना या याद करना भी कह सकते हैं.

बाइबिल परमेश्वर की लिखित वाणी है, इसलिए इसे सरसरी तौर पर नहीं पढना चाहिए बल्कि इसे समझ कर प्रार्थना के साथ विचार करते हुए एवं अपने प्रश्न करते हुए पढना चाहिए इसे ही बाइबिल मनन कहते हैं. जिसे हम नीचे विस्तार से समझेंगे.

वचन का मनन क्यों करना चाहिए ? | Bible devotion in Hindi free

जो पुरुष या स्त्री परमेश्वर के वचन का मनन करती है या करता है परमेश्वर उसे धन्य कहता है वो आशीषित होगा. क्योंकि बाइबिल कहती है क्या ही धन्य है वो जो परमेश्वर के वचन पर रात दिन ध्यान करता रहता है. (भजन 1:2-3)

वह उस वृक्ष के समान है जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है. (भजन 1:3) वह परमेश्वर की ओर से तरोताज़ा रहेगा.

वह तो उस वृक्ष के समान है जो अपनी ऋतू में फलता है. (भजन 1:3) मतलब वह फलवंत जीवन जीएगा.

यहोशु से परमेश्वर ने कहा था, व्यवस्था से दायें बाएँ नहीं मुड़ना उसी पर चौकसी करना तब तू प्रभावशाली होगा और सफल होगा. (यहोशु 1:8-9)

वचन का मनन किस समय करना चाहिए ?| Bible devotion in Hindi today

वैसे तो हम किसी भी समय बाइबिल का मनन कर सकते हैं जब हमें सुविधा हो. लेकिन क्योंकि बाइबिल का मनन को हमें प्रार्थमिकता देना है तो सुबह तड़के का समय बहुत ही बेहतरीन हो सकता है.

मेरे शिक्षक कहा करते थे, जिसने सुबह सुबह ही परमेश्वर के चेहरे को निहारना सीख लिया उसके लिए दिन में मिलने वाले सारे चेहरे छोटे नजर आयेंगे.

राजा दाउद कहता है हे प्रभु भोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगी. (भजन 5:3)

हम रात्री के समय भी मनन कर सकते हैं जब सभी विश्राम करने जाते हैं ताकि किसी का कोई शोर सराबा या दखलंदाजी न हो. भजनकार लिखता है, मेरी आंखें रात के एक एक पहर से पहिले खुल गईं, कि मैं तेरे वचन पर ध्यान करूं. (भजन 119:148)

वचन का मनन कैसे करना चाहिए ?| Bible devotion in Hindi for beginners

भजनकार पहले भजन में ही लिखता है, आशीषित और धन्य है वह व्यक्ति क्योंकि वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता है, (भजन 1:2)

अर्थात हमें बड़ी ख़ुशी से प्रसन्नता के साथ उसके वचन का मनन करना चाहिए. दाउद आगे एक दूसरे भजन में ऐसा कहता है, “आहा, मैं तो तिरी व्यवस्था से कैसी प्रीती रखता हूँ, दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है.

(भजन 119:97) जैसे कोई बड़ी लूट पा कर हर्षित होता है, वैसे ही मैं तेरे वचन के कारण हर्षित हूं. (भजन 119:162)

Conclusion

हमारा परमेश्वर के साथ सम्बन्ध मजबूत करने के लिए एवं आत्मिक उन्नति के लिए उसके वचन पर ध्यान करना अति आवश्यक है.

जिस प्रकार स्तुति आराधना में हम प्रभु की बढ़ाई और सराहना करते हैं क्योंकि वह उसके योग्य है उसी प्रकार जब हम प्रार्थना के साथ उसके वचन पर ध्यान मनन करते हैं तो परमेश्वर अपना प्रकाशन हम पर प्रगट करते हैं और हमसे बातें करते हैं.

भजनकार उसे यूं कहता है, “मेरे मुंह के वचन और मेरे ह्रदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहणयोग्य हो, हे प्रभु, (भजन 19:14)

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