दोस्तों आज हम पढेंगे बेहतरीन Top 7 sermon outlines in Hindi | बाइबिल सन्देश रुपरेखा जिसे आप अपने बाइबिल स्टडी नोट्स के रूप में या short hindi sermon के रूप में प्रचार कर सकते हैं.
Top 7 sermon outlines in Hindi | बाइबिल सन्देश रुपरेखा

यहाँ हम 7 bible Topics in hindi पर कुछ बाइबिल की रुपरेखा देखने जा रहे हैं. इन्हें आप स्वयं अपने अनुसार विस्तार कर सकते हैं जो आपकी सेवकाई में सहायक होगी.
परमेश्वर के वचन की सात बरकतें (आशीष) | free sermon outlines in Hindi
वचन शुद्ध और पवित्र करता है : तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो. (यूहन्ना 15:3)
वचन समझ प्रदान करता है : तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उससे भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं. (भजन 119:130)
वचन विश्वास उत्पन्न करता है : विश्वास सुनने से सुनना मसीह के वचन से होता है. (रोमियो 10:17)
वचन स्वतंत्र करता है : तुम सत्य को जानोगे और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा. (यूहन्ना 8:32)
वचन पाप से बचाता है : तेरे वचन को अपने ह्रदय में रख छोड़ा है कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ. (भजन 119:11)
वचन नया जन्म देता है : उस ने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों. (याकूब 1:18)
जक्कई की 7 बड़ी बातें (लूका 19:1-10) | biblical short sermon in hindi
- एक बड़ी अभिलाषा : यीशु को देखना चाहता था.
- एक बड़ा प्रयास : आगे बढ़कर पेड़ में चढ़ गया.
- एक बड़ा अनुभव : प्रभु के साथ आमने सामने देखने और बात करने का अनुभव.
- एक बड़ा स्वागत : प्रभु यीशु को अपने घर पर ले गया और घर में उद्धार आ गया.
- एक बड़ा निर्णय : मन फिराव का निर्णय.
- एक बड़ा समर्पण : जिसका धोखे से छीना है उन्हें उनकी दौलत वापस करने का.
- एक बड़ा निश्चय : अब प्रभु के पीछे चलने का और पवित्र जीवन जीने का निश्चय.
यहोशू की 7 अद्भुत बातें | Bible Topics in hindi
- यहोशू का विश्वास : यहोशु को पूरा विश्वास था कि परमेश्वर उन्हें वाचा के देश कनान पहुंचा कर रहेंगे. (गिनती 14:6-8)
- यहोशू की भक्ति : यहोशू परमेश्वर के स्वर्गदूत के सामने दंडवत करके कहता है, अपने दास के लिये मेरे प्रभु की क्या आज्ञा है? (यहोशू 5:14)
- यहोशू का समर्पण: परमेश्वर ने यहोशू और कालेब के विषय में गवाही दी थी, कि ये दोनों जो मेरे पीछे पूरी रीति से हो लिये हैं ये तो उसे देखने पाएंगे. (गिनती 32:12)
- यहोशू का साहस: तब यहोशू ने उन से कहा, डरो मत, और न तुम्हारा मन कच्चा हो; हियाव बान्धकर दृढ़ हो; क्योंकि यहोवा तुम्हारे सब शत्रुओं से जिन से तुम लड़ने वाले हो ऐसा ही करेगा (यहोशू 10:25)
- यहोशू का आत्मज्ञान : फिर यहोशू ने प्रजा के लोगों से कहा, तुम अपने आप को पवित्र करो; क्योंकि कल के दिन यहोवा तुम्हारे मध्य में आश्चर्यकर्म करेगा. (यहोशू 3:5)
- यहोशू का आज्ञापालन : जो आज्ञा यहोवा ने अपने दास मूसा को दी थी उसी के अनुसार मूसा ने यहोशू को आज्ञा दी थी, और ठीक वैसा ही यहोशू ने किया भी; जो जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी उन में से यहोशू ने कोई भी पूरी किए बिना न छोड़ी. (यहोशू 11:15)
- यहोशू का निर्णय : …आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे,…परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा. (यहोशू 24:15)
उद्धार की 7 महत्वपूर्ण सच्चाई | Hindi sermon outlines in hindi text
1. परमेश्वर का स्वभाव है प्रेम : (यूहन्ना 3:16) क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए
2. प्रभु यीशु के कार्य के कारण मिला है उद्धार : (यूहन्ना 3:2, 17) परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए.
3. जीवन प्रदान करना यह पवित्र आत्मा की सामर्थ है : (यूहन्ना 3:8) हवा जिधर चाहती है उधर चलती है, और तू उसका शब्द सुनता है, परन्तु नहीं जानता, कि वह कहां से आती और किधर को जाती है? जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है.
4. नया जन्म पाना यह हरेक मनुष्य की आवश्यकता है : (यूहन्ना 3:19) और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे.
5. जीवन पाने की शर्त है, विश्वास : (यूहन्ना 3:15) ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए.
6. अविश्वास का परिणाम है, नाश : (यूहन्ना 3:18) जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया.
7. विश्वास का प्रमाण है, काम: (यूहन्ना 3:21) परन्तु जो सच्चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं.
प्रभु यीशु एक सच्चा मित्र है | Bible study notes in hindi
1. यीशु मसीह का प्रेम निःस्वार्थ प्रेम है : परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा. (रोमियो 5:8)
2. वह हमें भली भाँती जानता है : उसे प्रयोजन न था, कि मनुष्य के विषय में कोई गवाही दे, क्योंकि वह आप ही जानता था, कि मनुष्य के मन में क्या है. (यूहन्ना 2:25)
3. यीशु मसीह स्पष्टवादी है : जो किसी मनुष्य को डांटता है वह अन्त में चापलूसी करने वाले से अधिक प्यारा हो जाता है. (नीतिवचन 28:23)
4. यीशु मसीह जीवन का आदर्श हैं : क्योंकि मैं ने तुम्हें नमूना दिखा दिया है, कि जैसा मैं ने तुम्हारे साथ किया है, तुम भी वैसा ही किया करो. (यूहन्ना 13:15)
5. यीशु मसीह हमें कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे : चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है. (भजन 23:4)
6. यीशु मसीह हमारे लिए अपना प्राण देता है : अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है. (यूहन्ना 10:11)
7. यीशु मसीह हम पर अपने सारे रहस्य खोल देता है : अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं. (यूहन्ना 15:15)
धन्य हैं वे | 7 free sermon outline in hindi
1. धन्य हैं वे जिनके पाप क्षमा हुए हैं. (भजन 32:1)
2. धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं (भजन 119:1)
3. धन्य हैं वे जो ताड़ना ग्रहण करते हैं. (भजन 94:12)
4. धन्य हैं वे जो प्रभु का भय मानते हैं (भजन 128:1)
5. धन्य हैं वे जो परीक्षा में स्थिर रहते हैं. (याकूब 1:12)
6. धन्य हैं वे जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलते (भजन 1:1)
7. धन्य हैं वे जो यहोवा परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं. (यिर्म. 17:7)
परमेश्वर को पिता कहने का अर्थ है (यूहन्ना 8:42) | hindi sermon outlines in hindi writing
यीशु ने उन से कहा; यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा. (यूहन्ना 8:42)
1. उस पर विश्वास करना
2. उसके वचन को ग्रहण करना
3. उसकी संगती में रहना
4. उसके विषय दूसरों को बताना
5. आनन्द से उसके लिए दुःख सहना
6. उसके अनुरूप बनने की इच्छा रखना.
7. उसे सब बातों में प्रसन्न करना.
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