इस लेख में हम पढ़ेंगे : उपवास बाइबल के अनुसार कैसे करें एवं उपवास प्रार्थना की सामर्थ क्या होती है.
उपवास का अर्थ क्या है | फास्टिंग का मतलब क्या है ?
उपवास प्रार्थना किसी आत्मिक उद्देश्य पूर्ति के लिए या विशेष कार्य अथवा निर्णय लेने के लिए जल और भोजन से अलग रहकर उस समय को प्रार्थना एवं आत्मिक संगती में बिताने की प्रकिया को उपवास कहते हैं. उपवास अपने आपको परमेश्वर के सम्मुख नम्र और दीन करने की प्रकिया है, जो यह बताती है कि हमारी निर्भरता परमेश्वर पर है.
जब यूहन्ना के शिष्यों ने यीशु से सवाल किया कि उसके चेले उपवास क्यों नहीं करते तो उसने उत्तर दिया, “जब दूल्हा उनसे अलग किया जाएगा उस समय वे उपवास करेंगे”. (मत्ती 9:15)
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उपवास का बाइबल संदेश क्या है ?
यह परमेश्वर की आज्ञा है…यहोवा की यह वाणी है, उपवास के साथ…फिरकर मेरे पास आओ. (योएल 2:12) परमेश्वर चाहते हैं हम उपवास करके उसके पास आएं.
परमेश्वर कहते हैं जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूँ (यशायाह 58:6 ) अर्थात परमेश्वर के हृदय की चाहत है उसके लोग उपवास करें और परमेश्वर पर पूर्ण रूप से निर्भर हों. तब परमेश्वर उनके देश को और उनके परिवार को आशीषित करते हैं.
पहली शताब्दी की कलीसिया हम विश्वासियों के लिए एक सबसे उत्तम उदाहरण है जिन्होंने अपने प्रत्येक महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले उपवास करते थे. हर कलीसिया में उपवास सहित प्रार्थना करके (प्रेरित 14:23) वे लोग जब उपवास सहित प्रार्थना कर रहे थे तब परमेश्वर के आत्मा (पवित्रात्मा) ने उनसे कहा. (प्रेरित 13:2)
पुराने नियम नियम में अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने उपवास के साथ प्रार्थना किया और परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना को सुना और अद्भुत चमत्कार हुए. जैसे दानिएल ने गिड़गिड़ा कर प्रार्थना किया और उपवास किया (दानिएय्ल 9:3) और हम देखते हैं उसके कारण पुरे विश्व के लोगों ने सच्चे परमेश्वर को पहचाना. कि दानिएल का परमेश्वर जो अपने लोगों को शेर की मांद से भी बचा सकता है.
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उपवास कितने प्रकार के होते हैं ?
लोग मुख्यत: पांच प्रकार से उपवास करते हैं. बाइबल के लोगों ने भी जब उपवास किया तो इन्हीं पांच प्रकार से उपवास किये हैं जो निम्न प्रकार से हैं.
पहला संपूर्ण उपवास : अर्थात किसी भी प्रकार का भोजन या जल को ग्रहण नहीं करना यह वास्तविक उपवास है इसमें कोई भी प्रकार का फल या जूस भी नहीं पिया जाता. प्रेरितों के काम 9:9… न उसने कुछ खाया और न कुछ पिया…प्रभु यीशु भी इसी प्रकार का उपवास किए थे वे निराहार थे. (नोट : सक्षम व्यक्ति ही ऐसा करें)
दूसरा सामान्य उपवास : इस उपवास में भोजन का त्याग कर लेकिन पानी या पेय लिया जा सकता है इस प्रकार के उपवास को सामान्य उपवास कहा जाता है. जो शारीरिक रूप से संपूर्ण उपवास करने में सक्षम नहीं हैं वे इस प्रकार भी उपवास में शामिल हो सकते हैं. (नोट : यह सामान्यत: लिया जाने वाला उपवास है)
तीसरा आंशिक उपवास : इस उपवास में दिन का एक या दो भोजन को त्याग किया जाता है. न सहन होने पर कुछ हल्का भोजन या नास्ता जैसा लेकर भी प्रार्थना में शामिल होते हैं. परमेश्वर के दास दानिएल ने कहा, उन दिनों मैंने स्वादिष्ट भोजन नहीं किया (दानिएल 10:3)
चौथा उचित आत्मिक उपवास : इस उपवास में न केवल भोजन वरन तमाम बुराइयों से भी अलग रहकर या ऐसा कोई भी उपकरण जो हमें प्रार्थना में विघ्न डाले जैसे मोबाईल या कम्प्यूटर आदि से भी दूर रहना ताकि परमेश्वर के साथ ज्यादा समय बिता सके. और अपने उस दिन के भोजन को भूखों को या जरुरतमन्द को दान करना. ऐसे उपवास से परमेश्वर प्रसन्न रहते हैं (यशायाह 58:6)
पांचवा उपवास झूठा या दिखावे का उपवास : प्रभु यीशु ने कहा जो दूसरों को दिखाने के लिए उपवास रखते हैं जैसे फरीसी और सदूकी ताकि लोग जाने कि वे उपवास कर रहे हैं. उपवास जो परमेश्वर को नहीं बल्कि लोगों को प्रभावित करता है वह झूठा पाखंडी या दिखावे का उपवास होता है (मत्ती 6:16, लूका 18:11)
उपवास कैसे करना चाहिए ? | उपवास के नियम क्या क्या हैं ?
- लोगों को दिखाने के लिए या लोगों को प्रभावित करने के लिए उपवास न करें. – (मत्ती 6:16) प्रभु यीशु ने यह बताने से पहले की कैसे उपवास करना चाहिए यह बताया कि कैसे नहीं करना चाहिए. यदि हम लोगों को दिखाने के लिए उपवास करते हैं तो अपने स्वर्गीय पिता से जो गुप्त में देखता है उससे प्रतिफल या ईनाम नहीं पायेंगे.
सामूहिक रूप से या कलीसिया में प्रार्थना करें. – बाइबल में अनेक उदाहरण हैं जहाँ सामूहिक रूप से प्रार्थना की गई और परमेश्वर ने उस प्रार्थना में आशीष दिया जैसे नीनवे के लोगों ने प्रार्थना की और परमेश्वर ने पूरा का पूरा देश को नाश होने से बचा लिया. (योना) और यहोशापात राजा के राज्य में तीन शत्रु सेना ने आक्रमण कर दिया तब उसने उपवास प्रार्थना की और परमेश्वर ने उसे विजयी किया.
अकेले या व्यक्तिगत भी उपवास करें. – हमें अकेले भी प्रार्थना करना चाहिए लिखा है जब तू प्रार्थना करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो ताकि लोग नहीं बल्कि तेरा पिता जो स्वर्ग में है तुझे उपवासी जाने. (मत्ती 6:17)
प्रार्थना के साथ उपवास करें. – उपवास कोई भूख हड़ताल नहीं हैं यह परमेश्वर के साम्हने नारा लगाना या हाथ पैर पटकना नहीं है बल्कि नम्र होकर प्रार्थना विनती करना आवश्यक है यदि उपवास में प्रार्थना नहीं है तो वह उपवास नहीं है. उपवास रखकर पूरे दिन बिस्तर में सोते रहने से भी वह उपवास नहीं हैं.
वचन के साथ और वचन के अनुसार उपवास करें. – उपवास प्रार्थना में परमेश्वर के वचन का बहुत बड़ा महत्त्व है प्रभु यीशु ने कहा, तुम केवल रोटी से नहीं बल्कि परमेश्वर के वचन से भी जीवित रहोगे. परमेश्वर का वचन ही हमारे लिए मार्गदर्शक है कि कैसे उपवास रखें. उपवास और प्रार्थना में परमेश्वर हमें अपने वचन से बातें करते हैं.
पश्चातापी मन के साथ उपवास करें. – घमंड या क्रोध में उपवास करना व्यर्थ है परमेश्वर का वचन बताता है अपने सम्पूर्ण मन से…और रोते पीटते…अर्थात नम्र हृदय के साथ मेरे पास आओ. (योएल 2:12)
पवित्रात्मा की अगुवाई में उपवास करें. – यीशु मसीह आत्मा के अगुवाई से 40 दिन और रात उपवास किया. हमें विशेष उद्धेश्य के साथ एवं आत्मा की अगुवाई में उपवास करना चाहिए.
उपवास के लाभ एवं सावधानियां बताएं | उपवास रखने से क्या फायदा होता है ?
बाइबल में परमेश्वर के दास दासियों जब उपवास के साथ प्रार्थना किया तब परमेश्वर ने बड़े बड़े अद्भुत कार्यों को उनके जीवन में और उनके देश में किया. एक सही उद्देश्य से किया गया उपवास हमेशा एक बड़ी आशीष को लेकर आता है. बड़ी बड़ी आत्मिक जागृति हमेशा ही उपवास और प्रार्थना के साथ ही आइ हैं.
उपवास से विजयी प्राप्त होती है. – राजा यहोशापात ने जब उपवास के साथ प्रार्थना किया तो परमेश्वर ने उसकी सेना को तीन शत्रु राजाओं से युद्ध में विजयी किया
उपवास से नम्रता और दीनता प्राप्त होती है. – राजा आहाब ने जब उपवास किया तब वह नम्र और दीन हो गया….और परमेश्वर ने उस पर आने वाली समस्या को दूर कर दिया.
उपवास से देश में आने वाली विपत्ति टल जाती है. – परमेश्वर ने नीनवे देश में जो हानि करने को ठाना था. जब उस देश में क्या छोटे क्या बड़े सभी लोगों ने उपवास क्या तब परमेश्वर ने उस देश को नाश नहीं किया और उस विपत्ति को टाल दिया.
परमेश्वर की सेवकाई के लिए भेजा गया. – पहली शताब्दी की कलीसिया के लोगों ने जब एक साथ उपवास प्रार्थना की तब परमेश्वर के पवित्रात्मा ने पौलुस और बरनाबास को सेवा कार्य हेतु भेजा.
उपवास के द्वारा परमेश्वर समस्या का समाधान करता है. – जब नेह्म्याह ने अपने इस्राएल की समस्या के विषय प्रार्थना और उपवास किया तो परमेश्वर ने एक अन्य जाति राजा के द्वारा भी उपाय किया और समस्या का समाधान हुआ
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FAQ
यीशु मसीह का उपवास किस प्रकार का था ?
प्रभु यीशु मसीह ने आत्मा की अगुवाई में 40 दिन और रात निराहार रहकर उपवास किया और पृथ्वी पर अपनी सेवा प्रारंभ की.
40 दिन के उपवास के बारे में क्या है ?
40 दिन के उपवास मसीही (क्रिस्चियन) लोग ईस्टर से पहले लेंट या दुःख के दिन इस स्मरण में मनाते हैं कि उन दिनों में यीशु मसीह को दुःख भोगना पड़ा था. यीशु मसीह सारी मानव जाति के लिए स्वयं बलिदान हुए. उन पर कोड़े मारे गए उनकी निदा की गई इसी स्मरण में मसीही लोग 40 दिनों का उपवास करते हैं.
40 दिन का उपवास कब से शुरू होता है?
40 दिनों का उपवास ईस्टर या पुनुत्थान दिवस के 40 दिनों पहले ही शुरू होता है जिसमें समस्त मसीही समाज यीशु के दुःख भोग को स्मरण करके उपवास रखते और प्रार्थना करते हैं.
उपवास कब खोला जाता है ?
उपवास प्राय: दिन के अंत में अर्थात शाम को खोला जाता है यदि यह एक दिन का उपवास रखा जाए तो. और यदि एक से ज्यादा दिनों का उपवास हो तो उपवास के अंत दिन में उस उपवास को प्रार्थना के साथ खोला जाता है.
उपवास कैसे खोला जाता है ?
उपवास प्रार्थना के उपरान्त कुछ हल्का भोजन जैसे खिचड़ी या चावल के नास्ते के साथ खोलना उचित होता है. क्योंकि एक या एक से ज्यादा दिनों के उपवास के पश्चात शरीर में अधिक तेल मसाले का सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.
उपवास प्रार्थना के वचन
प्रेरित. 13:2 जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे थे, तो पवित्र आत्मा ने कहा, “मेरे लिए बरनबास और शाउल को उस काम के लिए अलग करो जिसके लिए मैं ने उन्हें बुलाया है.
एस्तेर 4:16, एस्तेर ने मोर्दकै को यह कहला भेजा, “तू जाकर शूशन के सब यहूदियों को इकट्ठा क्र, और तुम सब मिलकर मेरे निमित्त उपवास करो, तीन दिन रात न तो कुछ खाओ और न कुछ पीयो. मैं भी अपनी सहेलियों के साथ इसी रीति उपवास करूंगी.
नेह्म्याह 1:4 ये बाते सुनते ही मैं बैठकर रोने लगा और कितने दिन तक विलाप करता, और स्वर्ग के परमेश्वर के सम्मुख उपवास और प्रार्थना करता रहा.
योएल 2:12-13 यहोवा की यह वाणी है, अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ.
मत्ती 6:16 जब तुम उपवास करो तो कपटियों के समान तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें.
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पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)
Nice app
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Thank you pastor Santosh God bless you dear
God bless you
Thanks God bless you too dear