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खोए हुए सिक्के का दृष्टांत | Parable of Lost coin in Bible

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दोस्तों आज हम सीखेंगे खोए हुए सिक्के का दृष्टांत | Parable of Lost coin in Bible जो पाया जाता है लूका रचित सुसमाचार के 15 अध्याय में.

खोए हुए सिक्के का दृष्टांत | Parable of Lost coin in Bible

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(लूका 15:8-10)

खोए हुआ सिक्का एक अविश्वासी को दर्शाता है. उस पापी का जो घर में हैं कहीं खो गया है. वह परिवार का एक सदस्य था लेकिन अब कहीं भटक गया है.

परमेश्वर के लिए और अपनी परिवार दोनों के लिए खो गया है. वह चांदी का सिक्का था, बहुत कीमती तथा जिसे सभी प्राप्त करना चाहते थे.

वह खो गया था और यदि उसे न ढूढा गया होता तो शायद वह हमेशा के लिए खो गया होता. उसका सर्वनाश हो गया होता. वह सिक्का दूसरों के कारण खो गया था.

यह दृष्टांत इस विषय पर इंगित करता है कि परिवार के सदस्यों का एक दूसरे के प्रति क्या उत्तरदायित्व है.

किसी घर परिवार में निम्नलिखित कारणों से कोई सिक्का खो सकता है.

1. सिक्के की उपेक्षा की जाए तो. यदि उसके प्रति कोई विचार नहीं किया गया हो. या बहुत अधिक व्यस्तता होने के कारण या उसकी कीमत नहीं जानने के कारण.

2. उस सिक्के के प्रति लापरवाही बरतना. कोई व्यक्ति इस बात को जानता होगा कि सिक्का वहा रखा हुआ है और वह उसकी कीमत भी जानता होगा, फिर भी उसके प्रति वह लापरवाही बरतता होगा.

वह उस सिक्के की ओर कोई ध्यान नहीं देता होगा और इसमें इतना लम्बा समय बीत जाता होगा कि वह स्वयं भूल जाता होगा की सिक्का कहाँ रखा हुआ था.

3. उस सिक्के को सम्भालने में असावधानी बरतना. उसे ठीक से सम्भालकर नहीं रखा गया. परिणामस्वरूप वह कहीं गिर गया तथा खो गया.

अनजाने में उसे किसी स्थान पर रख दिया जाता है. बिना कोई सोच विचार किए उस सिक्के का कहीं रख दिया जाता है. इसलिए उसकी ओर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता.

एक व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन में इतना व्यस्त हो जाता है कि उस सिक्के का उपयोग करना ही भूल जाता है. अंतत: उस सिक्के के बारे में वह भूल जाता है.

यह सिक्का घर पर ही कहीं खो गया था. (परिवार)

हालाकि वह सिक्का घर में ही कहीं खो गया था. परन्तु वह घर की फर्श या धूल या मीती में खो गया था. वह अन्य नौ सिक्को की तरह स्वच्छ नहीं था.

फर्श की धूल या मिटटी के कारण यह भी गन्दा हो गया होगा. वह बेकार था, वह घर की जरूरतों में अपना योगदान करने में असक्षम था.

नि:सहाय था. अपने उद्देश्य को पूरा करने में असक्षम था. वह उपेक्षित था. परिवार के किसी भी कार्यक्रमों में उसे सहभागी नहीं किया जाता था.

उसकी अवहेलना की जाती थी. उसकी और कोई ध्यान नहीं देता था. न तो उसकी कोई परवाह करता था और न ही उसे कोई चमकाता था.

उसे रौंदा जाता था. फर्श की धूल मिटटी में पड़े पड़े उसका रंग भी मैला हो गया था और वह दिखाई नहीं देता था. इसलिए उसके साथ दुर्व्यवहार तथा उसका दुरूपयोग होता था.

"छड़ी और डांट से बुद्धि प्राप्त होती है, परन्तु जो लड़का यूं ही छोड़ा जाता है वह अपनी माता की लज्जा का कारण होता है." (नीति. 29:15) 

वह सिक्का इस बात को नहीं जानता था कि वह खो गया है. गौर करें परिवार के सदस्य को इस बारे में कोई संवेदना महसूस नहीं होती होगी या समझ में नहीं आता होगा कि वह खो गया है.

उस स्थिति में उसे कोई असुविधा या कष्ट महसूस नहीं होता होगा, फिर भी यहाँ उसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है.

हर एक मनुष्य फिर चाहे वह जो भी हो, स्वयं के जीवन तथा उद्धार के लिए जिम्मेदार है. इसके लिए वह अपने माता पिता भाई बहन या अपने बेटे बेटियों को दोषी नहीं ठहरा सकता.

जो सदस्य पाप करता है, वह अपने आचरण के लिए स्वयं जिम्मेदार है. वही है जो इस पृथ्वी की धूल में खो गया है.

अपने बराबरी वालों तथा अपने से अधिक शक्तिशाली व्यक्तित्व रखने वालों का अनुसरण करने का कोई बहाना काम नहीं आ सकता.

निष्क्रिय होने कमजोर होने तथा आसानी से किसी के बहकावे में आ जाने का कोई बहाना काम नहीं आएगा. परिवार का कोई भी सदस्य अंतत: अपने जीवन के लिए स्वयं जिम्मेदार होगा.

हो सकता है कई कोई परिवार का सदस्य परमेश्वर तथा मसीह के प्रेम की सच्चाई के बारे में नहीं जानता होगा.

उद्धार पाने तथा पापों की क्षमा पाने तथा अनंत जीवन को प्राप्त करने के विशेषाधिकार के बारे में भी शायद नहीं जानता होगा

इसलिए परिवार के सदस्य को जरुरी हो जाता है कि सच्चाई की खोज में बाहर निकले तथा उन लोगों से मिले जो सच्चाई जानते हैं.

खो जाना, खोज करना और गवाही देना

जब तक वह सिक्का मिल नहीं गया तब तक उस सिक्के को खोजा गया. इस मुद्दे में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को हम देख सकते हैं.

उस स्त्री ने घर में पूरे माहौल को ही बदल डाला. उसने दीया जलाया, क्योंकि उन दिनों के घरों में अन्धकार हुआ करता था.

बहुतों के घरों में केवल एक ही खिड़की हुआ करती थी और वह भी दो फीट से चौड़ी नहीं हुआ करती थी. उस सिक्के को ढूंढ पाने के लिए उस स्त्री को प्रकाश का सहारा लेना जरुरी था.

प्रकाश मसीह यीशु को दर्शाता है. जो जगत की ज्योति है. अपनी खोज का उसने प्रकाश का सहारा लिया उस प्रकाश के सहारे उसने हर द्वार के पीछे,

हर मेज के नीचे तथा सभी जगह ढूंढा वह जहाँ भी गई उस प्रकाश को अपने साथ ले गई. उस स्त्री ने पूरे घर में ढूंढा सभी जगह खोजी.

इस कारण उसने पूरे घर की गंदगी को साफ़ किया दूर किया. जब तक वह सिक्का उसे मिल नहीं गया तब तक वह स्त्री उसे बड़े परिश्रम के साथ खोजती ही रही.

उसके पास बाकी सभी सिक्के सुरक्षित हैं यह जानकार भी उसे चैन नहीं आ रहा था. वह खोया हुआ सिक्का मिल जाने पर बहुत कुछ निर्भर था.

उस सिक्के के जीवन का उद्देश्य तथा उसकी उपयोगिता, इस पृथ्वी की धूल तथा गंदगी से उसे बाहर निकालने और उसे उद्धार दिलाने पर ही निर्भर थी.

इसलिए एक बात तय थी. कि वह स्त्री तब तक हार नहीं मानेगी जब तक वह उस सिक्के को ढूंढ न ले. उसने उस सिक्के को ढूंढ निकालने की मनसा की.

उसे ढूंढने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, तथा, परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने के लिए हमेशा प्रार्थना करती रही और उससे मदद मिलने का भरोसा करती रही.

उसने उसे तन मन से पूरी युक्ति से साथ खोजा. उसने उसे खोजने में बहुत कुछ सहा, झेला.

वह बहुत कठिन और थका देने वाला काम था. लेकिन वह इसे करती ही रही.

सिक्के को प्राप्त करने का आनन्द (उद्धार और गवाही)

जब वह सिक्का मिल गया तो वहां बड़े ही आनन्द का वातावरण छा गया. उस स्त्री की मेहनत और प्रार्थनाओं का उत्तर मिला.

उसे अपना खोया हुआ सिक्का मिल गया. इस तरह की प्रार्थना तथा परिश्रम का परमेश्वर अच्चा प्रतिफल देता है.

उसके साथ एक बड़े उत्सव में सहभागी होने के लिए उस स्त्री ने अपने मित्रों तथा पड़ोसियों को आमंत्रित किया. उसका खोया हुआ सिक्का मिल गया था.

वह एक ख़ुशी का मौका था. और वह चाहती थी कि उसके जितने भी नजदीक के लोग हैं वे सारे उस ख़ुशी के मौके पर उसके साथ मिलकर आनन्द मनाएं.

उस स्त्री के शब्दों पर ध्यान दें. उसने कहा, “मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है.” यह सिक्का मिला है उस दीये के प्रकाश में अर्थात प्रभु यीशु जो जगत की ज्योति है उस प्रकाश में.

उस दीये को जलाने से पहले उस घर में अन्धकार था. अब वह स्त्री आनन्द मन सकती थी. क्योंकि उसके पास अब प्रकाश (अर्थात यीशु मसीह) था.

उसने अपने घर से सारा कूड़ा कचरा (पाप) को निकाल दिया था. उसकी कठिन मेहनत और प्रार्थना ने उसके खोए हुए सिक्के को हमेशा के लिए खोने से बचा लिया था.

उसने आनन्द मनाया पवित्र शास्त्र कहता है उसी पाकर जब कोई पापी मन फिराता है तो स्वर्ग में परमेश्वर समस्त स्वर्गदूतों के साथ आनन्द मनाया जाता है.

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खोए-हुए-सिक्के-का-दृष्टांत पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

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4 thoughts on “खोए हुए सिक्के का दृष्टांत | Parable of Lost coin in Bible”

  1. बहूत अच्छे संदेश के लिए धन्यवाद पा,जी प्रभु आपको और आपकी सेवा को बहुत बहुत आशीष दे

    धन्यवाद

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