दोस्तों आज हम सीखेंगे जीतने का नजरिया | Jeetne Ka nazariya | what is the winning attitude जीतने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति जीवन को देखने का नजरिया बेहतर रखता है.
जीतने का नजरिया | जीतने की इच्छा रखने वाला
हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ. निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है. (फिलिप्पियों 3:12-13)
यूनानी (Greek) लोगों के बीच एक देवता की पूजा की जाती थी जिसके दो सिर थे उसका एक सिर पीछे की ओर था और एक आगे की ओर…जैसा ऊपर दिए गए चित्र में दिखाया गया है.
उसके आगे वाला चेहरा जवान था तेजोमय या उत्साहित था जो जीतने वाला नजरिया रखता था. आगे वाले चेहरे में आशा थी आत्मविश्वास था
लेकिन उसके पीछे का चेहरा बुझा हुआ सा बूढ़ा और निराशा से भरा हुआ था. जिसमें कोई उम्मीद नहीं
इस उदाहरण को मैंने केवल समझाने के लिए लिया है हम सभी के जीवन में कई बार ऐसे ही दो चेहरे होते हैं हमारे अन्दर कई बार ऐसा ही attitude स्वभाव होते हैं कई बार हम उत्साहित होते हैं कई बार हम निराशा में होते हैं. लेकिन हमें हमेशा winning attitude रखना चाहिए.
उपरोक्त वचन में संत पौलुस हमें कहता है जो बातें बीत गई हैं मतलब भूतकाल की बातें हमें भूल जाना चाहिए. बीता हुआ कल बीत गया मर गया उसमें जाकर हम कुछ नहीं कर सकते…
इसलिए जीतने का नजरिया रखने के लिए हमें उन बातों को भूलना ही पड़ेगा. हमारी बुलाहट है आगे बढ़ने की Winning Attitude रखने की.
पौलुस कहते हैं मैं सिद्ध नहीं हो गया हूँ लेकिन मैं आगे ही आगे बढ़ता जा रहा हूँ. मैं रुका नहीं हूँ.
सफलता दिन-रात लगातार प्रयास करने से मिलती है. आप अपनी गलतियों से सीखते हैं, आप योजनाएं बनाते हैं और तब तक आगे बढ़ते रहते हैं जब तक कि आप वांछित परिणाम प्राप्त नहीं कर लेते.
जिग जिगलर
हमारी सफलता और असफलता हमारा नजरिया ही तय करता है.
कहते हैं मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है. बहुत से लोगों को अवसर में भी समस्या नजर आती है लेकिन कुछ लोग होते हैं जिन्हें समस्या में भी अवसर नजर आते हैं.
पौलुस इसी प्रकार का व्यक्ति था वह अपनी पुरानी बातों को भूल कर हर समस्या में अवसर ढूंढ लेता था.
उसने कैद में भी लोगों को सुसमाचार सुनाने और अपनी कलीसिया को प्रेरणा देने से पीछे नहीं हटा.
उसका कहना था मेरे लिए जीना मसीह में और मरना भी लाभ है.
जीतने की नजरिये में लक्ष्य होना आवश्यक है
लक्ष्य हमें जीतने और कामयाब होने में प्रेरणा प्रदान करता है. इसका सबसे आसान तरीका है लगातार प्रयत्न करना.
संत पौलुस कहते हैं मैं बिना निशाने नहीं बल्कि निशाने की ओर दौड़ता हूँ ताकि ईनाम पाऊं. पौलुस का ईनाम प्रभु यीशु मसीह था.
वह यीशु मसीह के समान बनना चाहता था. पौलुस कहते हैं तुम मेरी सी चाल चलों क्योंकि मैं प्रभु यीशु की सी चाल चलता हूँ.
यही उसकी बुलाहट है और प्रभु यीशु मसीह में यही हम सबकी भी बुलाहट है.
Conclusion
यदि हमारा नजरिया सही है तो वह हमारे लिए समस्याओं को भी आशीषों में और बरकतों में बदल देगा. जिस प्रकार लॉक डाउन में बहुत लोगों को समस्या नजर आई लेकिन बहुत से लोगों को अवसर नजर आया.
यह वेबसाईट का जन्म भी उसी लॉक डाउन में ही हुआ था. आइये हम भी अपने जीवन में प्रभु यीशु मसीह के दास पौलुस के समान जीतने का नजरिया रखें.
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बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है।।परमेश्वर
आपके परिवार को अशिषीत करे।।
Thank you Suraj bhai धन्यवाद आपके कमेन्ट के लिए प्रभु आपको और आपके परिवार को भी बहुत आशीष दे…