दोस्तों आज हम एक महत्वपूर्ण संदेश को पढ़ने जा रहे हैं जिसका Tital है Personal encounter with God | परमेश्वर से सुनना तो आइये शुरू करते हैं.
Personal encounter with God | परमेश्वर से सुनना

सो विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है. (रोमियो 10:17)
बाइबल में विश्वासियों की मूल माता सारा का नाम हम सबने सुना होगा. जो अब्राहम की पत्नी थी.
परमेश्वर ने अब्राहम से कहा था तू अपने पिता के घर को छोड़कर मेरे पीछे आ मैं तुझे आशीष दूंगा और आशीषों का सोता बनाऊंगा तेरे द्वारा दुनिया के सारी जातियां सारे कुल आशीष पायेंगे.
यह बात अब्राहम ने अपनी पत्नी सारा को अवश्य बताई होगी की परमेश्वर ने मुझसे यह वायदा किया है इसलिए हमें इस शहर को छोड़कर निकलना है. और जहाँ परमेश्वर कहे वहां जाना है.
बहुत वर्ष बीतने के बाद भी अब्राहम और सारा को कोई सन्तान नहीं हुई. शायद यही कारण है अब सारा सोचने लगी परमेश्वर ने अब्राहम से बातें की हैं मुझसे नहीं.
शायद परमेश्वर अब्राहम को ही बहुत सी जातियों का पिता बनाना चाहता है. तो मुझे उसकी मदद करनी चाहिए. इसलिए उसने मनुष्य की सोच के अनुसार अपनी दासी हाजिरा को अपने स्थान में रखकर अर्थात अब्राहम की पत्नी होने के लिए दे दिया.
ताकि उसके जरिये से सन्तान हो सके और परमेश्वर का वायदा पूरा हो सके. और सन्तान हुई भी लेकिन यह परमेश्वर की योजना नहीं थी और शायद यही कारण था की एक बार स्वयं परमेश्वर को इस धरती पर आना पड़ा.
तीन स्वर्गदूतों के रूप में बाइबिल बताती है परमेश्वर अब्राहम और सारा से बातें करता है. और सारा से कहता है अगले बसंतऋतू में तू एक बालक को जनेगी.
अपने बुढ़ापे में माँ बनने की आशीष को सुनकर वह ख़ुशी से हंस देती है और शायद संदेह से भी. लेकिन यह पहली बार था जब सारा ने परमेश्वर की आवाज अपने लिए सीधे परमेश्वर से सुनी और इस आवाज ने उसका पूरा जीवन बदल दिया.
उसने अपनी मरी हुई अवस्था में भी सामर्थ पाकर एक बालक को जन्म दिया. विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ पाई; क्योंकि उस ने प्रतिज्ञा करने वाले को सच्चा जाना था (इब्रानियों 11:11)
यह विश्वास सारा ने कहाँ से पाया था, बाइबिल बताती है विश्वास सुनने से आता है और सुनना मसीह के वचन से होता है. परमेश्वर के वचन के आलावा और कहीं से पवित्र विश्वास नहीं आता.
इस बार सारा ने स्वयं परमेश्वर की आवाज सुनी और प्रतिज्ञा को पाया था. बाइबिल में हम ऐसे बहुत से चरित्र को पाते जिन्होंने जब सीधे परमेश्वर से सुना तब उनका जीवन पूरी रीती से बदल गया.
मूसा का सेवक यहोशु पूरी उम्र मूसा के पीछे पीछे चला तब तक उसने कभी नहीं सोचा था परमेश्वर उसे मूसा के स्थान में एक अगुवा बनाएगा,
लेकिन जब मूसा की मृत्यु के बाद परमेश्वर की आवाज यहोशु ने सुना तो उसका भय निकल गया और वह एक महान अगुवा बन गया
और अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में वह समस्त इस्राएलियों से कहता है, “मैं और मेरा घराना यहोवा ही की सेवा करेगें.” (यहौशु 24:15)
अत: यह लेख हमें यह सिखाता है हमें अपने विश्वास को बढाने के लिए और अद्भुत अलौकिक अनुभव को पाने के लिए परमेश्वर से सुनना कितना जरुरी है.
बाइबिल कथा कहानियों की किताब नहीं बल्कि हमारे जीवन को अद्भुत रीती से सजाने संवारने और अर्थपूर्ण बनाने की परमेश्वर के द्वारा दिया गया सबसे बड़ा उपहार है.
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