दोस्तों आज हम बाइबिल की एक ऐसी कहानी सुनेंगे जो क्षमा की कहानी है Who did Jesus say cast the first stone | बाइबिल की कहानी इन हिंदी इस कहानी ने मेरे जीवन में बहुत प्रभाव डाला है. तो आइये शुरू करते हैं .
बाइबल की आत्मिक शिक्षा | बाइबिल की कहानी | यूहन्ना 8
![बाइबिल-की-कहानी](https://i0.wp.com/biblevani.com/wp-content/uploads/2023/09/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%87%E0%A4%AC%E0%A4%BF%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80-1.jpg?resize=640%2C460&ssl=1)
एक बार की बात है प्रभु यीशु मसीह लोगों के बीच सेवा कर रहे थे उन्हें शिक्षा दे रहे थे. तभी वहां के कुछ उच्च अधिकारी, और फरीसी और शास्त्री लोग जो उसकी खरी और अधिकारपूर्ण शिक्षा से बैर रखते थे और किसी भी तरह उसकी शिक्षा में उसे फंसाना चाहते थे.
कहीं से एक व्यभिचारी स्त्री को पकड़ लाए और अपने साथ बहुत से लोगों को भी उकसा कर लेकर आये सभी ने अपने अपने हाथों में पत्थर भी रखकर लाए.
क्योंकि पुराने नियम की शिक्षाओं में लिखा है यदि तुम्हारे बीच कोई ऐसी स्त्री मिले जो व्यभिचार में पकड़ी जाए तो उसे पत्थर मार मार कर उसकी हत्या की जाए. और ऐसी स्त्री की हत्या का दोष तुम्हारे उपर न पड़ेगा.
इसलिए उन्होंने उस व्यभिचार में पकड़ी हुई स्त्री को यीशु के पास लेकर आये ताकि देखें कि यह इसका क्या न्याय करता है.
तब प्रभु यीशु ने बड़ी ही शालीनता से उन सभी को देखा और फिर नीचे झुककर जमीन में अपनी ऊँगली से कुछ लिखने लगा और फिर धीरे से खड़े होकर कहा, “तुममें से जो कोई निष्पाप हो अर्थात कभी पाप न किया हो वही पहला पत्थर मारे.
और फिर इतना कहकर वह पुन: जमीन में कुछ लिखने लगा. कुछ ही पल में वहां सभी लोग पत्थर को छोड़कर अपने अपने घर चले गए. यहाँ तक की फरीसी और शास्त्री भी प्रभु यीशु मसीह की बुद्धिमानी और सामर्थी शिक्षा को सुनकर चुपचाप निराश होकर चले गए.
यह कहानी अपने आप में बहुत कुछ सिखाती है. प्रभु यीशु मसीह का दिल तरस से भरा हुआ है और वह लोगों को माफ़ करना सिखाता है उसने उस स्त्री से कहा, जा अब फिर पाप न करना.
कहानी सोने की खेती
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जब मैं यह कहानी पढ़ रहा था तब मुझे एक और कहानी जो मेरे शिक्षक ने मुझे सुनाई थी मुझे याद आई जो मैं आपको सुनाना चाहता हूँ.
हो सकता है यह हिंदी कहानी आपने सुनी होगी. पुराने समय में एक राज्य में वैभवशाली राजा राज्य करता था. और वह छोटी छोटी बात में किसी को भी मृत्यु दंड दे दिया करता था.
आज उसके दरबार में एक ऐसे चोर को लाया गया जिसने खाने के लिए रोटी चुराई थी. राजा ने उस चोर से कहा तुम तो स्वस्थ दिखाई देते हो, तुम्हारे हाथ पाँव भी सलामत हैं.
तो फिर तुम मेहनत करके क्यों नहीं खाते तुमने रोटी की चोरी की है इसलिए तुम्हें मृत्यु दंड दिया जाता है. लेकिन बताओ तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है. उस चोर ने कहा, महाराज मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूँ.
और मरने के लिए भी तैयार हूँ. लेकिन महाराज मैं अपने मरने से पहले आप सभी को एक ऐसी विद्या (ज्ञान) बताना चाहता हूँ जो केवल मैं ही जानता हूँ. मैं अपने साथ इस रहस्य को लेकर नहीं मरना चाहता.
राजा के पूछने पर उसने बताया कि वह सोने के बीज से सोने की खेती करने का रहस्य जानता है. किसी को विश्वास तो नहीं हुआ लेकिन राजा ने सोचा चलो कोशिश करने के क्या हर्ज है.
चोर की अंतिम इच्छा के अनुसार सोने के छोटे छोटे बीज बनवाए गए और चोर के सामने लाये गए. चोर ने राजा और सभी मंत्रियों और अधिकारियों को साथ लेकर राजा के बगान के पास गया.
और राजा से कहने लगा राजा जी इसे आप इस बगान में बो दीजिये लेकिन ध्यान रहे यह बीज वही बो सकता है जिसने अपने जीवन भर कोई चोरी न की हो और किसी और की चीज को धोखे से अपने अधिकार में न किया हो. मैं इस बीज को तो नहीं बो सकता क्योंकि मैं तो चोर हूँ.
इस पर राजा ने अपने सबसे बड़े मंत्री से कहा, मंत्री जी आप इन सोने के बीज को बोइये…इस पर मंत्री जी थोड़ा हकला कर बोलने लगे नहीं नहीं महाराज मैं इसे नहीं बो सकता क्योंकि बचपन में मैंने छोटी मोटी चोरी अपने ही घर में की थीं.
इस प्रकार उस मंत्री ने अपना पैर पीछे कर लिया. और इसी तरह सभी ने धीरे धीरे कोई न कोई बहाना करके बीज बोने से मना करने लगे. तब केवल राजा ही शेष बचे.
सबकी निगाहें राजा की ओर थीं तब राजा ने कहा अरे तुम लोग मुझे क्यों देख रहे हो. जाने अनजाने मुझसे भी बचपन में गलतियां हुईं हैं और ऐसा कहकर राजा के साथ सभी लोग जोर जोर से ठहाके मार कर हंसने लगे.
राजा चोर की इस बुद्धिमानी पर बहुत खुश हुआ और उसे ईनाम देकर माफ़ किया और आजाद कर दिया.
कहानी की शिक्षा
दोस्तों अगली बार जब आप किसी की गलती के विषय में बातें करें या उसे दंड देने का मन करे तो बाइबिल की इस कहानी पर जरुर गौर करना और स्मरण करना कि प्रभु ने कहा था, पहला पत्थर वही मारे जिसने कोई पाप न किया हो.
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