मसीही-परिवार

मसीही परिवार | Christian Family

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दोस्तों आज हम सीखेगे मसीही परिवार | Christian Family को कैसे होना चाहिए बाइबिल के अनुसार एक मसीही परिवार को कैसे जीवन बिताना चाहिए.

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परिवार का निर्माण

परिवार का निर्माता परमेश्वर है. परिवार का निर्माण – स्त्री, पुरुष एवं बच्चों द्वारा होता है. उत्त्पति 1:28 के अनुसार परिवार आशीष का स्वरूप है.

परिवार अधिकार का स्वरूप है. परिवार पर प्रधानता स्वयं परमेश्वर की है. परमेश्वर ने परिवार पर मुखिया पुरुष को, दूसरा स्थान स्त्री एवं तीसरे स्थान पर बच्चों को रहा है.

परन्तु ध्यान रहे कि अधिकार के साथ हमेशा कर्तव्यों का पालन आवश्यक है. यदि परिवार का प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने कर्तव्य को ठीक से निभाएगा तभी एक आदर्श परिवार का निर्माण होगा.

परिवार निर्माण का उद्देश्य.

परमेश्वर ने परिवार का निर्माण अकेलापन दूर करने के लिए किया है :- फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए. (उत्पति 2:18)

तुम एक दूसरे से अलग न रहो परन्तु केवल कुछ समय तक आपस की सम्मति से कि प्रार्थना के लिये अवकाश मिले, और फिर एक साथ रहो, ऐसा न हो, कि तुम्हारे असंयम के कारण शैतान तुम्हें परखे. (1 कुरु. 7:5)

व्यभिचार से बचने के लिए और पवित्र जीवन जीने के लिए: परन्तु व्यभिचार के डर से हर एक पुरूष की पत्नी, और हर एक स्त्री का पति हो. (1 कुरु. 7:2)

परमेश्वर की सेवा परिवार सहित करने के लिए : परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा. (यहोशु 24:25)

परिवार में पति के कर्तव्य

पत्नी के प्रति वफ़ादारी – उत्पत्ति 2:23-24 मरकुस 10:6-9

पत्नी से प्रेम – इफिसियों 5:25 1कुरु 3:7

पत्नी के साथ आनन्दित व्यवहार 25:5, नीतिवचन 5:18 सभो 9:9 1कुरु. 7:10-11

अपने पूरे घराने को आत्मिक जीवन व अराधना अर्थात कलीसियाई जीवन में आगे बढ़ाना पति की जिम्मेदारी है. – 1 शमुएल 1:21 उत्पत्ति 22:6-10

पारिवारिक प्रार्थना के लिए समय निर्धारित करना.

परिवार की आत्मिक उन्नति का ध्यान रखना. परिवार के आत्मिक व शारीरिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी पति/पिता की है.

प्रत्येक परिवार एक चर्च है, जिसे धर्मशास्त्र एन घर की कलीसिया कह कर सम्बोधित किया गया है. रोमी 16:5 फिलमोन 1:2 1कुरु 16:19.

पति और पत्नी के रिश्ते मधुर होने चाहिए वरन उनमें किसी तीसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.

पति को न केवल परिवार से प्रेम करना है, बल्कि पत्नी व परिवार के लिए एक आदर्श नमूना बनना है जिस प्रकार मसीह कलीसिया के लिए एक आदर्श बना.

जब पति व पत्नी के बीच किसी बात को लेकर तनाव या झगड़ा तो पति को पत्नी के बिना क्षमा मांगे ही क्षमा करना है जिस प्रकार मसीह भी क्रूस पर एक क्षमा याचना के लिए एक नमूना बना.

यदि आप किस झगडे या तनाव को समाप्त करना चाहते हैं तो किसी चुनाव या बात को रखने के लिए हमेशा पहले सामने वाले व्यक्ति को अवसर दें ऐसा करने से झगड़े समाप्त होंगे.

हम देखते हैं की अब्राहम ने भी चुनाव के लिए पहले लूत को अवसर दिया. उत्पति 13:7-10

पति/पिता यह ध्यान रखें कि पत्नी व बच्चों पर अधिकार परमेश्वर की ओर से और वचन हमें बताता है कि परमेश्वर को अधिकार देने, छीनने व स्थिर करने का अधिकार है.

यदि पत्नी व बच्चे पति/पिता की अधीनता स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो पति/पिता को चाहिए कि वह अपने आप को जांचे

और उसे चाहिए कि वह पहले स्वयं मसीह की अधीनता को स्वीकार करें प्रार्थना करें नम्र बने, और अंहकार को अपने जीवन से दूर करे.

निश्चित रूप में अधीनता को स्वीकार करने लगेगा. क्योंकि यहाँ एक सिद्धांत हैं यदि आप किसी की अधीनता स्वीकार करेंगे तो लोग भी आपकी अधीनता स्वीकार करेंगे.

परिवार में पत्नी के कर्तव्य

पत्नी परिवार को जोड़ने वाली एक जंजीर है. पत्नी अपने पति का आदर करे (उत्पति 26:64, एस्तेर 1:20)

पत्नी को गंभीर होना चाहिए 1 तिमु 3:1 अवसर को देखते हुए पति से बात करनी चाहिए. 1 samuel 25:36-37. रूत 1:1-16.

यहाँ पत्नियों से कहा गया है कि वे अपने अपने पतियों के अधीन रहे जैसे कलीसिया मसीह के अधीन है.

रोमियो 6:13 में अधीनता का सही अर्थ समझाया गया है, अधीनता स्वीकार करने से महिमा और शोभा बढती है.

अधीनता का अर्थ मूक दर्शक बन कर रहने का अर्थ नहीं है. पत्नी को चाहिए कि वह पति का आदर करे और उसकी प्रधानता को स्वीकार करे.

अधीनता कुढ़कुढ़ करके नहीं बल्कि स्वेच्छा से होनी चाहिए यह समझकर कि यह समझकर कि यह परमेश्वर का विधान है.

नीतिवचन 31:10-31 1कुरु. 7:10 में एक अच्छी पत्नी के गुणों का वर्णन किया गया है एक पत्नी योग्य, परिश्रमी, दयालु बुद्धिमती विश्वासयोग्य हंसमुख और अपने परिवार की अच्छी देखभाल करने वाली होती है.

और साथ ही पति के साथ निर्णय लेने में योगदान व सलाह देने वाली होती है. इफिसियों 5:24 1 पतरस 3:1 कुलु. 3:18 लूका 27:19

परिवार में बच्चों के कर्तव्य

यदि हम बच्चो के बिना परिवार की कल्पना करे तो हम पायेंगे कि वह जोड़ा परमेश्वर की आशीष से वंचित है और सूनापन उन्हें सताएगा.

परमेश्वर ने आदम और हव्वा को कह फलो-फूलो और पृथ्वी पर भर जाओ, हर परिवार की खुशियाँ बच्चे हैं. और बच्चे परमेश्वर की और से वरदान हैं.

बच्चे पैदा करना ही काफी नहीं वरन उन्हें अच्छी परवरिश देना भी जरुरी है. माता पिता की आज्ञा का पालन करना – इफिसियों 6:1 माता पिता का आदर करना निर्गं 20:12 नीतिवचन 30:17 20:20 मत्ती 7:12, 15:4-6.

कलीसिया में बच्चो के कर्तव्य

सुसमाचार सेवकाई में बच्चों की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. 2 राजा 5:2, यूहन्ना 6:9

अच्छे बच्चों के उदाहरण :

इसहाक – उत्पति 22:57

यिप्तह की बेटी – न्यायी 11:36

शमुएल – 1शमुएल2:26

यूहन्ना बप्तिस्मा देने वाला –लूका 1:80

यीशु – लूका 2:49

तीमुथियुस – 2तिमू 1:5 3:15

बच्चों के प्रति माता पिता की जिम्मेदारी

सिखाना – व्यव. 6:7, 20:21, 21:19-21, 2 तिमू 3:14-25 भजन 78:5-8

प्रशिक्षण देना – निति 22:6, यशा 38:19 लूका 2:19.

उपलब्ध कराना – 2 इतिहास 2:14, न्यायी 2:10, 2 तिमू 1:5

बढ़ने में सहायता करना – इफिसियों 6:4, कुलु. 3:2. नियंत्रण में रखना- 1 तिमू. 3:4,12

प्यार करना – तीतुस 2:4

बाइबिल के उदाहरण

अय्यूब अपने परिवार व ब्च्च्चों की चिंता करता है. अय्यूब 1:5

इब्राहिम ने इश्माएल के लिए प्रार्थना की उत्पति 17:18-20

दाउद ने सुलेमान के लिए प्रार्थना की 1 इतिहास 29:19

एक पिता अपने मिर्गी ग्रस्त पुत्र के लिए प्रार्थना करता है. मती 17:15

सुरुफिनी जाति की महिला मरकुस 7:26

माता पिता को अपने बच्चों के लिए एक अच्छा आदर्श बनना है. माता पिता का प्रभाव बच्चों पर पढता है.

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मसीही-परिवारपास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

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