आज हम तीन मसीही लघु संदेश देखेंगे जो हम प्रेयर सेल या घरेलू प्रार्थना में एक बाइबिल स्टडी के रूप में पढ़ सकते हैं और आत्मिक उन्नति कर सकते हैं.
1. जीवन में सुख और दुख दोनों जरूरी हैं, (सभोपदेशक 7:14)
सुख के दिन सुख मान, और दुःख के दिन सोच; क्योंकि परमेश्वर ने दोनों को एक ही संग रखा है, जिससे मनुष्य अपने बाद होनेवाली किसी बात को न समझ सके।
आईए इस संदेश को समझने के लिए एक उदाहरण को देखते हैं-
घुप्प अंधेरी रात में एक व्यक्ति नदी में कूद कर आत्महत्या करने का विचार कर रहा था. वर्षा के दिन थे और नदी पूरे उफान पर थी. आकाश में बादल घिरे थे और रह-रहकर बिजली चमक रही थी.
वो शख्स काफी धनी व्यक्ति था लेकिन अचानक हुए घाटे से उसकी सारी संपत्ति चली गई थी. उसके भाग्य का सूरज डूब गया था, चारों ओर निराशा ही निराशा थी और भविष्य नजर नहीं आ रहा था.
उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करे, तो उसने स्वयं को समाप्त करने का विचार कर लिया और नदी में कूदने के लिए जैसे ही चट्टान के छोर पर खड़ा होकर वह अंतिम बार परमेश्वर पिता का स्मरण करने लगा, तभी दो बुजुर्ग परंतु मजबूत बांहों ने उसे रोक लिया.
बिजली की चमक में उसने देखा कि एक वृद्ध परमेश्वर की भक्त संत उसे पकड़े हुए है. उस वृद्ध ने उससे निराशा का कारण पूछा और किनारे लाकर उसकी सारी कथा सुनी. फिर हंसकर बोला, तो तुम ये स्वीकार करते हो कि पहले तुम सुखी थे!
सेठ बोला, हां मेरे भाग्य का सूर्य पूरे प्रकाश से चमक रहा था. सब ओर मान-सम्मान और संपदा थी. अब जीवन में सिवाय अंधकार और निराशा के कुछ भी शेष नहीं रहा.
वृद्ध फिर हंसा और बोला, दिन के बाद रात्रि है और रात्रि के बाद दिन, जब दिन नहीं टिकता तो रात्रि भी कैसे टिकेगी! परिवर्तन प्रकृति का नियम है, ठीक से सुनो और समझ लो.जब तुम्हारे अच्छे दिन हमेशा के लिए नहीं रहे तो बुरे दिन भी नहीं रहेंगे. जो इस सत्य को जान लेता है, वो सुख में सुखी नहीं होता और दुख में दुःखी नहीं होता.
उसका जीवन उस अडिग चट्टान की भांति हो जाता है जो वर्षा और धूप में समान ही बनी रहती है. सुख और दुःख को जो समभाव से ले, समझ लो कि उसने स्वयं को जान लिया.सुख-दुःख तो आते-जाते रहते हैं, यही प्रकृति की गति है. सोचो यदि किसी ने जीवन में एक जैसा ही भाव देखा, हमेशा सुख का ही. जिस चीज की आवश्यकता हुई उससे पहले वो मिल गई तो क्या वो कुछ उपहार पाने की खुशी का अनुभव कर सकता है !
इसी तरह सभी मानव जाति के जीवन में व्यक्तिगत रूप से कोई न कोई समस्या आता जाता रहता है,यह सब दुःख तक़लिफों समस्या को देखकर कुछ लोग हार मान लेते हैं तो कुछ समस्या के सामान करके आगे बढ़ता है। क्योंकि-रोने का समय, और हँसने का भी समय; छाती पीटने का समय, और नाचने का भी समय है; उसने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने-अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं; फिर उसने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्तकाल का ज्ञान उत्पन्न किया है, तो भी जो काम परमेश्वर ने किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य समझ नहीं सकता।
सभोपदेशक 3:4, 11
दुःख न आए तो सुख का स्वाद क्या होता है, ये कोई कैसे जाने ! इसलिए जीवन में सुख और दुख दोनों जरूरी हैं. जो इस शाश्वत नियम को जान लेता है, उसका जीवन बंधनों से मुक्त हो जाता है.
2. तीन काम करनें से आपके मन हल्का और शांति से भर जाएगा।
अगर आपको परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह पर भरोसा है,तो विश्वास के प्रार्थना के साथ यह तीन काम जरुर करे।तो कोई आपका आनंद शांति को चुरा नहीं सकता है।
(1)-अपना बोझ यहोवा परमेश्वर पर डाल दो।
अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा। (1 पत. 5:7, भज. 37:24, भजन संहिता 55:22)
आज के भागदौड़ के दुनिया में हर किसी को कोई न कोई समस्या बोझ कर्ज दुःख तक़लिफ है,पर हम इस बोझ बारे में अधिक सोचने से आप पर वह अधिक दबाव बना सकता है फिर जीवन का आनंद टेंशन में और शान्ति, अशांति में बदल जाता है, इसलिए मेरे प्रिय भाई बहनों परमेश्वर पर विश्वास के प्रार्थना के साथ अपना बोझ डाल दो और निश्चिंत होकर अपना कार्य करों परमेश्वर यहोवा सबकुछ सम्भाल लेगा।
(2)-अपने चिंता परमेश्वर पर डाल दो उसको आपका ध्यान है।
अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। 1 पतरस 5:7 हां मेरे प्रियो हर एक जिम्मेदार व्यक्ति को अपने परिवार और वर्तमान की चिंता होता है कि अब आगे हमारे जीवन में क्या होगा करके,पर अधीक चिंता व्यक्ति के लिए चिता बन जाता है,जिते जी उनकेे चिंता के आग जल जाता है।अर्थात चिंता व्यक्ति को थका देती है और सुस्त कर उनके विश्वास और बुद्धि को कमजोर कर देती है, फिर वह अशांति के साथ प्रतिदिन जीवन बिताता है, इसलिए प्रभु यीशु मसीह ने बहुत बार कहा चिंता मत करों ,केवल परमेश्वर पर विश्वास करो और अपने काम करो , परमेश्वर आपके हर काम और चिंता के विषय को आशीष में बदल देगा।
(3)-अपने कल्पनाएं योजना परमेश्वर की हाथों में सौप दो वह पुरा करेगा।
अपने कामों को यहोवा पर डाल दे, इससे तेरी कल्पनाएँ सिद्ध होंगी।
नीतिवचन 16:3 हर मनुष्य अपने भविष्य के लिए योजना बनाता है, कल्पनाएं करतें हैं,,पर वह नहीं जानता भविष्य में क्या होगा,, इसलिए व्यक्ति भविष्य के काम योजना के कारण वर्तमान में आनंद शांति नहीं ले पाता है,,अगर आपको आंनद शांति पाना है, तो अपने विश्वास के प्रार्थना के साथ सारे योजना कल्पनाएं और काम को परमेश्वर की हाथों में सौप दो । यहोवा परमेश्वर को अपके भुत भविष्य और वर्तमान को संवारने का ताकत है।
अंत मैं यही कहूँगा कि भूतकाल का बोझ, वर्तमान का चिंता और भविष्य का योजना परमेश्वर के हाथों सौंपकर निश्चिंत होकर प्रार्थना आराधना और अपने व्यक्तिगत काम में लगें रहें,, परमेश्वर सबकुछ सम्भाल लेगा। फिर आप मसीह में प्रतिदिन आनंदित रहोगे।
प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूँ, आनन्दित रहो। किसी भी बात की चिन्ता मत करो; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ। तब परमेश्वर की शान्ति, जो सारी समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी। (यशा. 26:3) फिलिप्पियों 4:4, 6-7
3. सुसमाचार प्रचार करो!
जब मैं कब्र में चला जाऊँगा तब मेरी मृत्यु से क्या लाभ होगा? क्या मिट्टी तेरा धन्यवाद कर सकती है? क्या वह तेरी सच्चाई का प्रचार कर सकती है? (भजन संहिता 30:9)
*आज का विषय अति महत्वपूर्ण मसीह यीशु का सच्चाई प्रचार मन फिरोओ का प्रचार पापों की क्षमा के प्रचार करना।जो हम सब मसीह भाई बहनों को बड़ी जिम्मेदारी है।आज की परिस्थितियां यह की केवल चर्च बस में प्रचार हो रहा है। सुसमाचार का प्रचार,,पर गलि मोहल्ला लोगों बिच में कोई प्रचार करने वाला नहीं है।कोई तो कोरोनावायरस महमारी के डर,या सताव के डर में कमी घटी होने के कारण प्रचार नहीं कर रहा है।
आज आप लोगों को उत्साहित करना चाहता है।कि मृत्यु के प्रश्चात प्रचार करने के अवसर नहीं मिलेगा।मरने के बाद शरिर मिट्टी में मिल जाएगा कल्पनाएं विचार सब खत्म हो जाएगा।और आप और मैं कोई काम के नहीं रहेंगे। इसलिए आज जब तक जीवन है।(पर तू सब बातों में सावधान रह, दुःख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर। 2 तीमुथियुस 4:5)
अगर किसी विषय का प्रचार नही किया जाता है।तो लोग तक वह सच्चाई नहीं पहुंच पाता है। परमेश्वर ने हम सबको प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार प्रचार करने के लिए चुना है।तभी परमेश्वर राज्य में आत्मा बचेगा। कृपया प्रचार करें।वचन क्या कहता देखते हैं।
फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्यों लें? और जिसकी नहीं सुनी उस पर क्यों विश्वास करें? और प्रचारक बिना क्यों सुनें? और यदि भेजे न जाएँ, तो क्यों प्रचार करें? जैसा लिखा है, “उनके पाँव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!” (यशा. 52:7, नहू. 1:15) इसलिए विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है। रोमियों 10:14-15, 17
सभी मनुष्यों में विश्वास कैसे आएगा!जब कोई प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार प्रचार करेगा। क्योंकि पवित्र बाइबिल कहता है कि प्रचारक प्रचार करता है और सुनने से विश्वास आता है फिर विश्वास से छमा मुक्ति उध्दार होगा।और अति आवश्यक बात की परमेश्वर के वचन को प्रचार करना केवल पास्टर्स भविष्यवक्ता सेवकगण का जिम्मेदारी नहीं है।पर हर एक विश्वासी भाई बहनों का जिम्मेदारी है।कि सुसमाचार प्रचार करें।
इसलिए आज ही अपनी जीवन की गवाही के साथ परमेश्वर की वचन सुसमाचार प्रचार करो। रिश्तेदारों दोस्तों मित्रों सहभागीयो को बताईए। क्योंकि कल दिन न्याय हो तो प्रभु आपसे पुछेगा।तो आप निर्दोष ठहरों और रिश्तेदारों दोस्तों आप पर दोष नहीं लगा सकता की आपने उसे प्रभु यीशु मसीह सुसमाचार उसे नहीं बताया गया करके।और हमेशा यह बात याद रखो की आपकों किसी ने प्रभु यीशु मसीह के बारे में बताया तब आप बचें है।अब आपका जिम्मेदारी है कि आप सुसमाचार प्रचार करें।और लोगों को बचाते।
कि तू वचन का प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिक्षा के साथ उलाहना दे, और डाँट, और समझा।
2 तीमुथियुस 4:2यदि मैं सुसमाचार सुनाऊँ, तो मेरा कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊँ, तो मुझ पर हाय! 1 कुरिन्थियों 9:16
फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, कुल, भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था।
प्रकाशितवाक्य 14:6
मनुष्य जब पृथ्वी पर से छोड़कर मर जाएगा।तो उसका न्याय होगा।और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्त है। (2 कुरि. 5:10, सभो. 12:14) इब्रानियों 9:27तब परमेश्वर आपसे पुछेगा,मनुष्य से तुने मेरे लिए क्या तो क्या जवाब होगा। क्या बोलोगे प्रभु यीशु जी मैंने बहुत पैसा कमाया, मकान महल बनाया ,प्लांट खरीदा,कार खरीदा बैंक बैलेंस भी जमा रखा, प्रार्थना भी करता था,चर्च भी जाता था,और परिवार को सेटेलमेंट कर दिया। डिग्री डिप्लोमा हासिल किया।पर कभी समय निकालकर सुसमाचार का प्रचार नहीं किया।तब प्रभु बोलेगा जितना भी तुने किया है।
सब तो तुम्हारे स्वार्थ के लिए किया है, अपने लिए कियो हो। जिस प्रभु यीशु मसीह ने आपके लिए जगत के मानव जाति के पापों की छुटकारा उध्दार के लिए बलिदान हूआ।उसके लिए एक आदमी को भी सुसमाचार प्रचार करके बचा नहीं पाया,एक आत्मा नहीं कमा पाया,और इस नाशवान दुनिया में धन सम्पत्ति दौलत बूध्दि ज्ञान शौहरत कमाये हो।जो कोई काम का नहीं है।और नहीं तेरा गाडी कार,पैसा और आपके जीवन परमेश्वर की सेवा में कभी खर्च नहीं किये हुए हो।तो तुने आज तक प्रभु यीशु मसीह के लिए कुछ भी नहीं किया है।तो आपका क्या होगा मेरा दोस्त ,और एसा जीवन किस काम जो परमेश्वर के लिए काम न आए।
इसलिए कि तुम पहले दिन से लेकर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
फिलिप्पियों 1:5सुसमाचार का प्रचार नहीं होगा लोग उध्दारकर्ता प्रभु यीशु मसीह को नहीं जानेंगे तो आत्मा भी नहीं बचेगा। इसलिए यह वचन अगर आपसे बात कर रहा है।तो मेरे प्रिय भाई बहनों सुसमाचार का प्रचार करो।और परमेश्वर की सच्चा भक्त बनो।पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहाँ-जहाँ मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊँ; ऐसा न हो, कि दूसरे की नींव पर घर बनाऊँ। (रोमियों 15:20)
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