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What we can learn from life of Jephthah | यिप्तह की कहानी से सीख

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दोस्तों आज हम सीखेंगे What we can learn from life of Jephthah | यिप्तह की कहानी से सीख यह महत्वपूर्ण बाइबल अध्ययन वचन सफलता के विषय सिखाता है तो आइये शुरू करते हैं.

यिप्तह की कहानी से सीख | यिप्तह एक महान योद्धा

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जब अम्मोनी इस्राएल से लड़ते थे, तब गिलाद के वृद्ध लोग यिप्तह को तोब देश से ले आने को गए; और यिप्तह से कहा, चलकर हमारा प्रधान हो जा, कि हम अम्मोनियों से लड़ सकें।

न्यायियों 11:5-6

बाइबिल में 11 न्यायी पाए जाते हैं जिन्होंने इस्राएल पर न्याय किया. बाइबिल में न्यायी की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्योंकि परमेश्वर के लोग अर्थात इस्राएल के लोग बार बार परमेश्वर से दूर हो जाते थे.

अपने ही रीती से चलने लगते थे. इसलिए बार बार अन्य जाति के राजा लोग आते थे और वे इस्राएल पर कब्जा कर लेते थे और उन्हें गुलाम बना लेते थे.

जब हम इस्राएल के इतिहास को देखते हैं. इस्राएल जब जब परमेश्वर की आज्ञा को मानते थे तब तब परमेश्वर ने उन्हें बहुतायत से आशीष दी और उन्हें विजयी बनाया लेकिन जब वे परमेश्वर की आज्ञा को नहीं मानते तब तब वे गुलामी में चले जाते थे.

जब परमेश्वर ने मूसा के द्वारा अपने लोगों को आज्ञाएं दी तब कहा यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानों और उनके अनुसार चलों तो तुम सफलता में विजयी जीवन जियोगे.

लेकिन यदि तुम ईनके अनुसार नहीं चलो तो तुम गुलामी में जाओगे और तुम्हारे ऊपर संकट आयेंगे. यही कारण हैं वहां समय समय पर न्यायी आये और परमेश्वर की ओर से थे जो लोगों को परमेश्वर की ओर से मार्गदर्शन करते थे.

यहाँ एक व्यक्ति हैं जो न्यायी है जिसका नाम यिप्तह है जो महान योद्धा था. परन्तु वह एक वेश्या का पुत्र था. लेकिन बहुत पराक्रमी योद्धा था.

क्योंकि वह एक वेश्या का पुत्र था और उसके भाइयों ने उसे अपने बीच से निकाल दिया था. और वह तोब देश में जाकर रहने लगा था.

उस समय में अम्मोनी लोग इस्राएल में आकर कब्जा कर चुके थे और अम्मोनी लोग परमेश्वर के लोग अर्थात इस्राएल को सताते थे.

क्योंकि परमेश्वर ने अपना सुरक्षा का हाथ इस्राएल के ऊपर से हटा लिया था. हमारे जीवन में सामर्थ परमेश्वर की ओर से आती है यदि परमेश्वर की सुरक्षा हमारे ऊपर से हट जाए तो हमें कोई नहीं बचा सकता.

लेकिन यहाँ एक व्यक्ति है जो परमेश्वर का भय मानता था इसलिए परमेश्वर का अनुग्रह उस पर हुआ था. उसके भाई लोग उसे अच्छा नहीं समझते थे लोग उसे बुरा कहते थे क्योंकि वह एक वेश्या का पुत्र था

लेकिन अच्छी बात है परमेश्वर ने उसे नहीं छोड़ा था. इसलिए वह एक महान योद्धा बन गया और सामर्थी व्यक्ति हो गया. परमेश्वर ने उसका एक न्यायी होने के लिए चुनाव किया.

इससे फर्क नहीं पड़ता लोग हमें क्या कहते हैं. यदि परमेश्वर के दृष्टि में हम अच्छे हैं हम उसका भय मानते हैं परमेश्वर के हाथों के नीचे नम्रता से और दीनता से रहते हैं परमेश्वर हमें शिरोमणि बनाएगा.

किस रीति से परमेश्वर ने उसे सफलता प्रदान की आइये देखते हैं.

यिप्तह परमेश्वर से प्रार्थना करता है. ( न्यायियों 11:11)

यिप्तह सामर्थी था और एक योद्धा था लेकिन वह अपने सामर्थ्य और शरीर पर घमंड नहीं करता था लेकिन उसका भरोसा यहोवा परमेश्वर पर था. इसलिए उसने अपनी सारी बातें यहोवा को कह सुनाई.

वह अपने ऊपर भरोसा नहीं किया. यह एक प्रार्थना करने का बहुत अच्छा तरीका है. सारी बातें परमेश्वर को बताना. बाइबिल कहती है अपनी सारी चिंता यहोवा पर डाल दो उसे तुम्हारा ध्यान है.

राजा दाऊद उसे इस रीती से कहता है संकट के दिन पुकार और यहोवा तुम्हें छुड़ाएगा और तू परमेश्वर की महिमा करने पाएगा. यिप्तह प्रार्थना करने वाला व्यक्ति था.

यिप्तह लोगों के बीच शान्ति बनाना चाहता था. (न्यायियों 11:12)

एक परमेश्वर पर पूरा भरोसा करने वाला महान योद्धा लड़ने पर भरोसा नहीं करता बल्कि वह लोगों के बीच शान्ति बनाना चाहता है. वह जानता है वह जीत सकता है लेकिन युद्ध उसके लिए पहली प्राथमिकता नहीं होती. यिप्तह ने पहले शान्ति के लिए लोगों को भेजा.

यिप्तह पवित्र आत्मा से भरा हुआ था. (न्यायियों 11:29)

एक ऐसे समय जब पूरे इस्राएली लोग परमेश्वर की आज्ञा के विरुद्ध चल रहे थे और उन पर परमेश्वर का क्रोध था. उस समय एक ऐसा व्यक्ति है जिस पर परमेश्वर का आत्मा समाया अर्थात यिप्तह पवित्र आत्मा से भर गया.

बाइबिल कहती है जब पवित्र आत्मा तुमपर आएगा तो तुम सामर्थ पाओगे और मेरे गवाह ठहरोगे. (प्रेरित 1:8)

यिप्तह ने परमेश्वर से एक वाचा बाँधी. (न्यायियों 11:30-31)

यिप्तह ने परमेश्वर के साथ वाचा बाँधी कि यदि परमेश्वर उसे युद्ध में सफल करे और मैं विरोधियों के हाथ से कुशल लौट आऊँ तो मैं परमेश्वर को भेंट में अपने घर से जो पहले निकलता हुआ दिखाई दे उसे होमबलि करके चढ़ाऊंगा.

और परमेश्वर ने उसे सफल किया उसे कुशल से वापस लौटा ले आया. और उसे बड़ी सफलता दी.

यिप्तह की कहानी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं कि परमेश्वर ऐसे व्यक्ति को भी अद्भुत रीती से इस्तेमाल कर सकते हैं जिन्हें दुनिया के लोग बुरा समझते या नकार देते हैं. उसे अपनी आत्मा से भर सकते हैं.

पढ़ें – परमेश्वर से सच्ची मित्रता के परिणाम

Conclusion

यिप्तह की कहानी का एक दुखद अंत होता है कि वह अपने निर्णय से पछताता है. जो वाचा उसने परमेश्वर से बाँधी थी उसे उसने निभाया.

जब वह विजयी होकर वापस घर आया तो उसने देखा उसकी प्यारी बेटी ढपली बजाती हुई उससे मिलने आई. जिसे देखकर वह टूट गया और रोते हुए अपने कपड़े फाड़ दिए.

क्योंकि उसने कहा था जो भी उसके घर से पहला व्यक्ति दिखेगा उसे वह बलि करके परमेश्वर को चढ़ाएगा. लेकिन मेरे विचार से यह उसका निर्णय शायद जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था.

और उसने परमेश्वर से वाचा बांधते समय परमेश्वर की अगुवाई नहीं पाया या सोच विचार नहीं किया. इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई. लेकिन वह अपने वायदे के अनुसार अपनी वाचा को पूरा किया.

और अपनी बेटी की बलि चढ़ाया. यह बात हमें सिखाती है कि हर बात में हमें परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए और जल्दबाजी में कोई भी वाचा नहीं बांधनी चाहिए.

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यिप्तह-की-कहानी-से-सीख पास्टर राजेश बावरिया (एक प्रेरक मसीही प्रचारक और बाइबल शिक्षक हैं)

rajeshkumarbavaria@gmail.com


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2 thoughts on “What we can learn from life of Jephthah | यिप्तह की कहानी से सीख”

  1. बहुत अच्छे संदेश के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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